7 मार्च 2024
परमपूज्य गुरुदेव का आध्यात्मिक जन्मदिन मनाने हेतु ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवारजनों द्वारा लिए गए संकल्प का दूसरा पार्ट “अनुभूति विशेषांक” है जिसके अंतर्गत इस परिवार के समर्पित साथिओं द्वारा एक-एक पुष्प चुन कर एक ऐसी माला अर्पण की जा रही है जिसकी सुगंध हम सबके अंतःकरण को ऊर्जावान किये जा रही है।
आज इसी शृंखला का आठवां अंक प्रस्तुत किया गया है जिसमें हमारी बहिन आदरणीय संध्या कुमार अपने दिव्य विचारों से हमारा मार्गदर्शन कर रही हैं।
*******************
यह अनुभूति पुष्प उन गुरुवर के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर उनके पावन चरणों में अर्पित कर रही हूँ जो दिव्य शक्ति के साथ स्नेह/संरक्षण का ज्वलंत उदाहरण हैं । मेरे परिवार में सभी गायत्री परिवार, गुरुसत्ता/मां गायत्री से बिल्कुल अनभिज्ञ थे।
1.पहली अनुभूति :
कल सुबह ही हमारी कॉलोनी में एक बच्ची ने बैटरी निगल ली, मुझे अपने पोते की घटना स्मरण हो आई, अत: इसे ही साझा करने का मन हुआ। बच्चों में बैटरी निगलने की घटना बहुत ज्यादा होती है, उस दिन जब हम पोते को लेकर पहुंचे थे तब सर्जन ने बताया सुबह से यह पांचवा केस है, और हम एक घंटा बच्चे की निगरानी के चलते हॉस्पिटल में रुके थे, एक और केस आ गया था।
कुछ वर्ष पूर्व की बात है उस समय मेरा नौ वर्ष का पोता तीन वर्ष का था, उसने खेल-खेल में सिक्के के आकार की बैटरी निगल ली। वह पैसा-पैसा बोलकर उससे खेल रहा था, कुछ देर बाद वह अपने पापा से बोलता है “पापा मैंने पैसा खा लिया।” मेरा बेटा तुरंत समझ गया कि इसने बैटरी निगल ली है। अत: हम डायग्नोसटिक सेंटर गए वहां एक्सरे में पता चल गया कि बैटरी पेट में है। अब बैटरी निकलवाने हम अस्पताल चले। यूं तो बंगलौर में नामी गिरामी अस्पताल एवम डॉक्टर्स हैं, किंतु भाग्य का खेल या कर्मो का फल कहा जाए, हर जगह निराशा ही हाथ लग रही थी। कहीं जवाब मिलता बच्चों का इंडोस्कोपी ट्रीटमेंट हमारे यहां नहीं है या ट्रीटमेंट तो है किंतु सर्जन उपलब्ध नहीं है। दिन के 1:00 बजे से हॉस्पिटल्स के चक्कर लगाने के बाद रात लगभग 10:00 बजे हमें ऐसा हॉस्पिटल मिल गया जहां सर्जन भी उपलब्ध था एवम ट्रीटमेंट भी था। मात्र कुछ सेकंड्स में ही बैटरी बाहर निकल आई। अब पेमेंट की बारी थी, बिल बन रहा था 80000 रुपए का , हमने पूछा कि इतना ज्यादा क्यों? तो बताया गया कि एक रात आप लोगाें को हॉस्पिटल में रुकना होगा। मेरे बेटे ने सर्जन से बात की तथा बताया कि मेरे पापा को पिछले साल ही ब्रेन हेमरेज हो गया था उनका रात को घर में अकेले रहना उचित नहीं है। आप बच्चे को अपने निरीक्षण में रख कर चेक कर लीजिए और फिर हमें घर जाने दीजिए। सर्जन समझदार थे उन्होंने कहा हम एक घंटा बच्चे को देखना चाहते हैं, कहीं उल्टी वगैरह तो नहीं हों रही हैं। यदि ठीक रहता है तो आप बच्चे को ले जा सकते हैं। गुरूदेव की कृपा से सब ठीक रहा तथा रात 1:00 बजे हम 40000 रुपए की पेमेंट कर घर लौट आए। बच्चा पूरी तरह सुरक्षित रहा, उसे एक खरोंच तक नहीं आई।
मुझे और मेरे बेटे को बहुत घबराहट इस कारण हो रही थी क्योंकि कुछ दिन पहले ही हमारी कॉलोनी में ढाई साल की बच्ची ने बैटरी निगल ली थी। घर वालों ने अज्ञानतावश बच्ची का खाना पीना चालू रखा। इस कारण बच्ची को पेट में प्रॉब्लम हुई तो नन्ही सी बच्ची के पेट का ऑपरेशन करना पड़ा और सामान्य दिनचर्या में आने के लिए काफी समय लगा।
हमारे पोते के सम्बन्ध में तो ऐसा लगा कि गुरुवर ने 1000 हाथों से बचा लिया। सबसे पहले तो पोते ने स्वयं ही तुरन्त बता दिया कि उसने पैसा/बैटरी खा ली है, इसी कारण उपचार भी तुरन्त ही शुरू हो गया। जितने देर में बेटा कार निकालता, मैने पूजा स्थल में अखंड दीप प्रज्ज्वलित कर गुरुवर को पुकार लगा दी, गुरुवर आपका ही भरोसा है, बच्चे को संकट से उबारो , मेरा गायत्री मंत्र का मानसिक जप पूरे समय चलता रहा। एक और खास बात हुई मैं जब भी घर से निकलती हूँ एक बोतल पानी अवश्य साथ रखती हूँ। बोतल तो उस दिन भी भर ली थी किंतु गुरुवर ने उसे घर पर ही छुड़वा दिया। हॉस्पिटल में जाकर पता चला कि इस प्रॉब्लम में पानी पिलाना बच्चे के लिए हानिकारक होता है। यदि बोतल साथ रहती तो मैं उसे अवश्य ही पानी पिला देती।
गुरुवर की अपार कृपा से बच्चे का समय पर इलाज हो गया, वह पूरी तरह सामान्य रहा, एक खरोंच उसे नहीं आई। जब भी जरूरत पड़ी गुरुवर को पुकारा है, गुरुवर ने सुरक्षा प्रदान कर उबार दिया है। बार बार मन में एक विचार आता है गुरुवर के निर्देशों का पालन कर, उनके कार्यों में कुछ भी भागीदारी कर सकूँ तो स्वयं को धन्य मानूं तथा जीवन सफल हो जाए। हे भक्त वत्सल शक्तिपुंज गुरुवर,आपको कोटि कोटि कोटि सादर नमन
2.दूसरी अनुभूति:
मेरी सासू माँ को पेट में दर्द रहता था एवं उल्टियां होती थीं। हम लोग पटना में थे और वहां होम्योपेथी इलाज चल रहा था किंतु तकलीफ कम/ज्यादा बनी ही हुई थी। अत: हम उन्हें एलोपैथी ट्रीटमेंट में ले गए। कुछ दिन के इलाज के बाद लाभ न देखकर डाॅक्टर ने कैंसर का शक बताते हुए MTMH जमशेदपुर दिखाने की सलाह दी। सारा परिवार चिंता में पड़ गया। मेरे पति ने अपने बैंक में भी इस सम्बन्ध में चर्चा की, इनके मित्र पाठक जी ने कहा: “मन छोटा ना करो, डाक्टर ने जो ट्रीटमेंट बताया है वह तो करवाओ लेकिन एक बार शान्तिकुंज हरिद्वार हो आओ। यही समझो कि यह एक ऊर्जा केंद्र है, हमारे गुरुदेव बहुत शक्तिशाली हैं, जरूर समाधान निकलेगा”।
पाठक भाई साहिब गायत्री परिवार से जुड़े हुए थे तथा हर साल सपरिवार शान्तिकुंज जाते थे, तथा लौटकर वहां की खूब प्रशंसा करते थे एवं उसे को स्वर्ग ही बोलते थे। हम लोग बहुत चिंतित थे अत: हम पति/पत्नी माँ को इलाज के लिए जमशेदपुर ले आए। जांच शुरू हो गई, रिपोर्ट आने में अभी समय था। मेरे मन में पाठक जी की शान्तिकुंज वाली बात घर कर गई थी। मैनें पतिदेव से कहा, “मां की रिपोर्ट आने में अभी समय लगेगा, मैं मां के साथ हूँ, डॉक्टर/नर्स सब देखभाल के लिए हैं ही, आप शान्तिकुंज हो आइए। कुछ तो बात होगी जो पाठक जी इतने विश्वास से बोल रहे हैं। मेरा भी मन कहता है,आप हो आओ, मुझे तो आप अकेले जाने नही दोगे, नही तो मैं ही हो आती”। पतिदेव पहले तो माने नहीं लेकिन फिर थोड़ा समझाने पर हरिद्वार चले गए। वह भी भगवान में आस्था रखते हैं किंतु हम लोगों को हॉस्पिटल अकेले छोड़कर जाना उन्हें उचित नहीं लग रहा था। साथ में डायरेक्ट फ्लाइट न होने से समय भी ज्यादा लग रहा था। पतिदेव तीसरे दिन हरिद्वार से लौट आए। उन दिनों आज की तरह मोबाइल सुविधा भी नहीं थी कि मिंट मिंट की जानकारी मिलती रहती। मैं मां के साथ बरामदे में सोफे पर बैठी थी, सामान भी मेरे साथ ही था। सामान के साथ यूं बैठा देखकर पतिदेव घबरा गए,उन्हें लगा कि डॉक्टर ने जवाब दे दिया है और अब माँ कभी ठीक नहीं होंगी। लगभग दौड़ते हुए हमारे पास पहुंचे, मैने कहा:
“घबराइए नहीं, माँ को कैंसर नहीं है। डॉक्टर ने दवा लिख दी है तथा डाईटीशीयन से मिलने को बोला है। उन्होंने माँ के खाने, वॉक वगैरह के लिए बताया है। अब यहाँ नहीं लोकल डॉक्टर से ही दिखाने को बोला है।”
मैंने उनसे हरिद्वार के बारे में पूछा। पतिदेव की आंखों से अश्रुधारा बह चली बोले:
“मैं तो बेमन से, तुम्हारी ज़िद से चला गया लेकिन पाठक ठीक ही बोलता है। शांतिकुंज सचमुच में ऊर्जा केंद्र है। गुरुदेव और माता जी तो नहीं थे, मैं मां गायत्री और अखंड दीप के दर्शन किए, गुरुदेव और माता जी के चित्र को नमन किया। तुमसे सच कहता हूँ मां गायत्री और अखण्ड दीप के दर्शन कर मन ही मन बोला था: आपकी शक्ति का बहुत बखान सुना है, यदि सच है तो मेरी माँ को ठीक कर दो वर्ना मैं आपकी शक्ति को नहीं मानता। जब मेरी आंखे माँ गायत्री की मूर्ति के सामने छलक रहीं थीं तो पीला कुर्ता पहने एक सज्जन ने बड़ी आत्मीयता से पूछा “क्या परेशानी है,इतने दुःखी क्यों हो”? मैंने माँ के बारे में बताया। उन्होंने अपने झोले में से भभूत की पुड़िया, गायत्री चालीसा और मां गायत्री, गुरुदेव एवम माता जी की तस्वीर देकर बोले “विश्वास रखो सब ठीक हो जाएगा” मैं पैसे के बारे में पूछना चाहा बोले “कुछ देने की जरूरत नहीं है, इच्छा है तो अनुदान में दे दो” और वह आगे बढ़ गए। हम-खुशी खुशी घर लौट आए, माँ 72 वर्ष तक जीवित रहीं।आज भी जब हम इस प्रसंग को याद करते हैं तो स्वयं पर तरस आता है कि इतना बड़ा सुनहरा मौका मिला था, हमने गवां दिया। गुरुवर ने अपने पास स्वयं बुला लिया था। हम तो उनसे जुड़े भी नहीं थे किंतु दया के सागर ने दया का द्वार खोल हमारी तकलीफ दूर कर दी। हमें तो दौड़ कर उनके चरण पकड़ लेने थे लेकिन हम पुन: गृहस्थी और नौकरी के चक्कर में फंसे रहे। कुछ साल बाद जब बोकारो ट्रांसफर हुआ, मेरे फ्लैट के पास ही गायत्री शक्तिपीठ होने से हम पति/पत्नी ने गुरुदीक्षा ले ली।
हमारे गुरुदेव ऐसा विशाल ह्रदय रखते हैं, जो भी शरण में आया उसका बेड़ा पार कर देते हैं। अपने से जुड़ने का मार्ग भी प्रशस्त कर देते हैं, कई बार लगता है पीला कुर्ता पहन कर आए सज्जन कहीं गुरुदेव ही तो नहीं थे?
आज OGGP के माध्यम से अनेक अद्भुत जानकारियां प्राप्त हुई हैं। डॉक्टर अरुण त्रिखा भाई जी के समर्पण, मेहनत, निष्ठा, लगन की बदौलत गुरुवर के दिव्य साहित्य, विचारों पर स्वाध्याय/सत्संग का अति सुन्दर मौका हम सब को मिला है। यह सब गुरुवर की अनुकम्पा है। गुरुवर ने तो हम भटके हुओं को अपनी शरण में ले लिया है लेकिन मैं आज तक मिशन के कार्यों में कोई भागीदारी नहीं कर सकी हूँ। मुझे इस बात का बहुत मलाल है। अगर मैं कुछ कर पाऊं तो जीवन सफल हुआ मानूं।
परम पूज्य गुरुसत्ता, मां गायत्री, युगतीर्थ शान्तिकुंज को कोटि-कोटि एवं कोटि सादर नमन
***************
आज 12 युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है।आदरणीय अरुण जी को गोल्ड मैडल जीतने की बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।
(1),रेणु श्रीवास्तव-45 ,(2)संध्या कुमार-37 ,(3)मंजू मिश्रा-27,(4 )सुमनलता-27 ,(5 ) नीरा त्रिखा-26, (6 ) सुजाता उपाध्याय-30 ,(7 ) अरुण वर्मा-53 ,(8 )निशा भारद्वाज-29,(9 )पुष्पा सिंह-25, (10) राधा त्रिखा-30 , (11 ) विदुषी बंता-30,(12 )वंदना कुमार-35,
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।
