वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस 2024 को समर्पित तीसरा अनुभूति लेख-प्रस्तुतकर्ता  सरविन्द पाल एवं अनुराधा पाल 

26 फ़रवरी 2024

परमपूज्य गुरुदेव का आध्यात्मिक जन्मदिन मनाने हेतु ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवारजनों द्वारा लिए संकल्प  का दूसरा  पार्ट “अनुभूति विशेषांक” है जिसके अंतर्गत इस  परिवार के समर्पित साथिओं द्वारा रचे गए व्यक्तिगत अनुभव प्रकाशित किये जा रहे हैं। कई दिनों तक चलने वाले “अनुभूति विशेषांक” के लिए हम सभी साथिओं का धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने हमारे आग्रह एवं सुझाव का सम्मान करते हुए, अद्भुत  योगदान किया है ।अपनी-अपनी रूचि, योग्यता एवं समर्पण के आधार पर अभी भी योगदान अनवरत आ रहे हैं, कुछ छोटे, कुछ बड़े,सभी का हम सम्मान करते हुए धन्यवाद करते हैं।  सभी साथी जानते हैं कि यह मंच “दान का मंच” है, इस परिवार में सच्ची गुरुभक्ति ईश्वर के विशाल खेत में समयदान, ज्ञानदान, विवेकदान,श्रमदान आदि को ही माना गया है।

मुंबई अश्वमेध यज्ञ का भव्य आयोजन एवं समापन हो गया है जिसके लिए गायत्री परिवार का प्रत्येक सदस्य बधाई का पात्र है। अनेकों घंटों की वीडियोग्राफी में से हमने 20 के लगभग लघु clips सुरक्षित किये हैं, समय आने पर इन ऐतिहासिक क्षणों को परिवार में शेयर करने का सौभाग्य प्रदान होगा, ऐसा हमारा विश्वास है।

आज का लेख  आरम्भ करने से पहले निवेदन करना चाहेंगें कि साथी अपनी लेटेस्ट फोटो भेज दें तो बड़ी कृपा होगी, लेख के साथ अटैच करना उचित रहेगा। 

आज के लेख में एक समर्पित पिता और एक संस्कारवान बेटी के योगदान को शामिल किया गया है, अवश्य ही सभी को प्रेरणा मिलेगी। 

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1.गायत्री उपासना से अंतःचेतना  का विकास एवं प्रकाश- सरविन्द कुमार पाल

हम अपने व्यक्तिगत सम्पर्क में आए हुए ऐसे हजारों व्यक्तियों को देख रहे हैं जिन्होंने आद्यिशक्ति जगत् जननी माँ गायत्री माता की दैनिक उपासना, साधना व आराधना से  अपने विचारों एवं कार्यो में कायाकल्प अनुभव किया है  l यह  लोग मांस खाते थे, नशेबाजी की लत से  बुरी तरह से प्रभावित थे , शराब, गाँजा, भाँग, अफीम, चरस व तम्बाकू के   वशीभूत इन व्यसनों के  गुलाम बने हुए थे।  गायत्री साधना ने इन व्यक्तिओं के अंतःकरण को ऐसा परिवर्तित किया कि कइयों ने तो  एक बार में ही एवं औरों ने  धीरे-धीरे बिना किसी बाहरी दबाव या उपदेश के स्वयं  ही इन व्यसनों का  त्याग कर  दिया l जगत् जननी माँ गायत्री माता की कृपा दृष्टि से इन व्यक्तिओं के अंतःकरण में इन सत्यानाशी दुर्व्यसनों के प्रति कुछ ऐसी घृणा उत्पन्न हुई जिसने इन्हें अनायास ही छोड़ देने का सुअवसर प्रदान किया जिससे उनका जीवन ही बदल गया l जुआ, सट्टा, चोरी, डकैती, बेईमानी, रिश्वत व मिलावट आदि के द्वारा अधिक कमाई करने वाले लोगों में से कितनों ने ही बुराइयों को सर्वांश में अथवा बहुत ही कम अंश में परित्याग कर स्वयं को परिष्कृत करते हुए  कृतार्थ कर लिया। माँ गायत्री के प्रभाव से यह व्यक्ति सादगी का जीवन बिताते हुए कम खर्च में मितव्ययितापूर्वक, हँसी-खुशी संतोषभरा जीवन बिताने लगे l माँ गायत्री  को माता-माता सम्बोधन करके, पुकारते रहने पर अनेकों लोगों की भावनाओं का विकास हुआ और उन्हें नारी में मात्र माता की ही प्रतिमा दिखने लगी। गायत्री उपासना से पहले जो मन  व्याभिचार व दुराचार के मार्ग पर  दौड़ा करता था वोह मार्ग अब बिल्कुल ही अवरुद्ध हो गया l जिन व्यक्तिओं को  अश्लील साहित्य पढ़ने, गंदे चित्र देखने, और गंदी आदतों में अपना शरीर निचोड़ने की जिन्हें बुरी लतें लगी हुई थीं, उनकी यह सभी बुराइयाँ जगत् जननी माँ गायत्री माता की उपासना, साधना व आराधना के प्रभाव से बड़ी सरलतापूर्वक छूटती देखी गई हैं l अक्सर देखा गया है कि बढ़ती आयु के किशोर और नवयुवक ऐसे व्यसनयुक्त विचारों से   अधिकतर प्रभावित होते  देखे जाते हैं। यही व्यसन विनाश का कारण बनते हैं जिनके कारण सारा जीवन भटकन के इलावा कुछ भी हाथ नहीं लगता l 

हमारा सुनिश्चित मत है कि मनुष्य की मानसिकता को स्वच्छ व निर्मल करने में माँ  गायत्री माता की दैनिक उपासना, साधना व आराधना “जादू” की भांति कार्य  करती है। प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ बिहार के परम आदरणीय मनीष भैया जी ने  गायत्री महामंत्र को एक “स्ट्रांग  एंटीबायोटिक” की संज्ञा दी है। ऐसा कहना सत्य भी है क्योंकि जब किसी रोगी को कोई  गंभीर बीमारी हो जाती है, नार्मल दवाइयां काम नहीं करती है तो  “स्ट्रांग  एंटीबायोटिक” दिया जाता है जिससे रोगी रोगमुक्त हो जाता है l एंटीबायोटिक की definition ही बताती है की यह ऐसी दवा होती है जिसके लेने से रोगी के शरीर में पनप रहे सूक्ष्मजीवों का नाश होता है /इन जीवों का फैलाव रुकता है। 

माँ गायत्री की नियमित उपासना, साधना व आराधना से मनुष्य के अंतकरण में  इसी मेडिकल प्रक्रिया जैसी “परिष्करण प्रक्रिया” कार्य करती है जिससे उसके अंतःकरण में वर्षों से जमी बुराइयों का सर्वनाश होता है, सम्पूर्ण जीवन परिष्कृत हो जाता है एवं मनुष्य  आंतरिक विकास व प्रकाश से ओतप्रोत होकर एक श्रेष्ठ/महान/ दिव्य आत्मा में परिवर्तित हो जाता है। 

जो पाठक इन पंक्तिओं को पढ़ रहे हैं उन्हें विश्वास करना होगा कि माँ गायत्री की साधना से कायाकल्प होना  यह एक कटु सत्य है जिसमें तनिक भी संदेह नहीं है l  मनुष्य को चाहिए कि फिज़ूल के कार्यों एवं लोगों से दूर रहे और मानवीय मूल्यों  का पालन करते हुए, नियमितता से  गायत्री साधना का पालन करे -विश्वास कीजिए कायाकल्प होते देर नहीं लगेगी।

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2.आद्यिशक्ति जगत् जननी माँ भगवती गायत्री माँ का चमत्कार-अनुराधा पाल

बात 27 जनवरी 2024  की है, हमारा B.Sc., Second year  का पेपर था जिसका समय प्रातःकाल 8:00 बजे  था। हमारा पहला पेपर 11:00 बजे था, जिसके कारण हम   असमंजस में पड़ गए और 11:00  बजे का टाईमटेबल  समझकर सुबह कालेज जाने की तैयारी का  रहे थे। अचानक 8:15  पर पापा जी के मोबाइल फोन पर हमारे  कालेज से काल आई कि आपकी बेटी अनुराधा पाल अभी तक  कालेज नहीं आई  और परीक्षा चालू हो गई है। पापा जी ने तुरंत हमें फोन किया कि परीक्षा तो स्टार्ट हो गयी है  और तुम अभी तक कालेज नहीं पहुँची हो। पापा जी के फ़ोन से हम बहुत घबरा गए  कि अब क्या होगा। हमें लग रहा था कि आज तो हमारी परीक्षा छूट ही जाएगी क्योंकि हमें लगभग 25 किलोमीटर दूर कस्बा “साढ़” में बस द्वारा परीक्षा  देने जाना था, मार्ग में मेट्रो निर्माण के  कारण बहुत बड़ा जाम भी लगता है। हमें तो लग रहा था कि परीक्षा समाप्त होने  तक भी पहुँचना संभव नहीं हो पायेगा। 

पापा जी ने कहा बिटिया रानी हिम्मत न हारो और परम पूज्य गुरुदेव, शक्तिस्वरूपा परम पूज्य वन्दनीया माता जी व आद्यिशक्ति जगत् जननी माँ गायत्री की कृपा से परीक्षा होगी, आप केवल विश्वास रखो  और चल पड़ो अपनी यात्रा की ओर l 

हमनें बिल्कुल वैसा ही किया और गुरुदेव का स्मरण करते हुए कालेज के लिए निकल पड़े l बस लेने  के लिए सड़क  पर पहुँचे तो पीछे से आ रही तेज़ रफ्तार मारुति सुजुकी वैन ने हमारे पैर में टक्कर मार दी, अगला पहिया हमारे पंजे के ऊपर से निकल गया लेकिन परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से एवं ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सामूहिक आशीर्वाद से हमें मामूली चोट आई। वैन के चालक ने तुरंत बाहिर आकर हमारा हालचाल पूछा  तो हमने बताया,अंकल जी आप बिल्कुल चिन्ता न करें हमें कोई चोट नहीं लगी और हम बिल्कुल ठीक हैं। 

हमारा विश्वास है कि परम पूज्य गुरुदेव की कृपा और आपके आशर्वाद ने हमें बचा लिया, नहीं तो बहुत बड़ी घटना घट सकती थी। हमें तुरंत बस भी मिल गई ,रास्ते में कोई जाम नहीं मिला और 9:30 बजे  हम कालेज पहुँच गए l जब तक हम कालेज नहीं पहुँच गए, पापा जी का कालेज से सम्पर्क निरंतर जारी रहा। कालेज का पूरा स्टाफ पापा जी का बहुत सम्मान करता है, पापा जी की हर उचित बात मानता  है तो नैतिकता के आधार पर हमारी परीक्षा भी सम्पन्न हो पाई  l 

हम पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि यह सब लीलाधारी परम पूज्य गुरुदेव की ही कृपा दृष्टि का प्रतिफल है जिसके  लिए हम परम पूज्य गुरुदेव के श्री चरणों में नतमस्तक हो कर हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। गुरुदेव के साथ-साथ हम OGGP के प्रत्येक सदस्य का धन्यवाद करते हैं  जिनका आर्शीवाद हमें अनवरत मिलता रहता है। 

हमें पूर्ण विश्वास है कि हम बच्चों को परम पूज्य गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य अनवरत मिल रहा है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। गुरुदेव से संबंधित और भी अनेकों  अनुभूतियाँ हैं जिसमें वोह  हमारी सहायता  करते हैं l 

एक बार और हम और हमारी बुआ की बेटी परीक्षा  देने जा रहे थे तो सुबह के लगभग साढ़े छह बजे थे तो बस लेट थी तो हम जल्दी के चक्कर में एक आटोरिक्शा में बैठ गए और फोन से पापा जी को अवगत कर दिया कि हम लोग एक आटोरिक्शा में बैठ गए हैं। पापा जी ने ऐसा सुनते ही हमें आटो से जाने के लिए तुरंत मना किया। कुछ दूर चलने के बाद ही आटोरिक्शा बिगड़ गया। आटोरिक्शा से उतरते ही पीछे से तुरंत बस आ गई और हम दोनों बस में बैठ गए और समय से अपने कालेज पहुँच गए l आटोरिक्शा से मना करने का मुख्य कारण आए  दिन की अनहोनी घटनाओं का होना था l 

हमें महसूस होता है कि ऐसे समय में परम पूज्य गुरुदेव ही हमारी सहायता और उचित मार्गदर्शन करते हैं। हम सब भाई बहन का परम सौभाग्य है कि हमें ऐसे गुरुदेव, मम्मी-पापा और ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार मिला। हमें पूर्ण विश्वास है कि संकट की हर घड़ी में परम पूज्य गुरुदेव हम सबकी प्रार्थना सुनते हैं और मदद भी करते हैं l हमारी ही नहीं, उनकी शरण में आने वाले हर बच्चे की सहायता  करते हैं।  

14 फ़रवरी 2024 वसंत पंचमी वाले दिन, बुधवार से हम दोनों बहनें और भाई आयुष मिलकर गायत्री महामंत्र लेखन के  पुनीत कार्य का शुभारम्भ कर  रहे हैं जो  गुरुदेव की कृपा  व आप सबके सामूहिक आशीर्वाद से अनवरत चलता रहेगा l 

इसी आशा व विश्वास के साथ हम अपनी लेखनी को विराम देते हैं। यदि हमारे लिखने में कोई गलती हो तो अपनी बेटी समझकर क्षमा  कर देना, महान कृपा होगी। हम सदैव आप सबके आभारी रहेंगे l 

यह अनुभूति पापा जी के सहयोग व सहकार से लिखी गयी है  इसलिए  हम आप सबसे क्षमाप्रार्थी हैं  l 

धन्यवाद l जय गुरुदेव जय माता जी। 

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आज 19   युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। सुजाता जी,रेणु जी एवं आयुष बेटे को गोल्ड मैडल जीतने की बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।      

(1)सरविन्द कुमार-29,29,24 ,(2)संध्या कुमार-42  ,(3) रेणु श्रीवास्तव-61  ,(4  )सुमनलता-32 ,(5 )वंदना कुमार-30 ,(6 ) नीरा त्रिखा-31 ,(7 )सुजाता उपाध्याय-61 ,(8 ) मंजू मिश्रा-30 ,(9 ) राधा त्रिखा-29 ,(10) अरुण वर्मा-28, (11)पूनम कुमारी-29,(12) संजना कुमारी-24,(13) पुष्पा सिंह-25,(14) प्रेरणा कुमारी-25, (15)पिंकी पाल-27, (16)वंदेश्वरी साहू-24,(17)अनुराधा पाल-25,(18) चंद्रेश बहादुर-27,(19) आयुष पाल-62     

सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


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