वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस 2024 को समर्पित दूसरा अनुभूति लेख-प्रस्तुतकर्ता सरविन्द पाल

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शब्द सीमा के कारण आज संकल्प सूची ओझल हो गयी है, हम क्षमाप्रार्थी हैं। 

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवारजनों ने परमपूज्य गुरुदेव का आध्यात्मिक जन्मदिन मनाने हेतु संकल्प का दूसरा  पार्ट “अनुभूति विशेषांक” है जिसके अंतर्गत ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के समर्पित साथिओं द्वारा रचे गए व्यक्तिगत अनुभव प्रकाशित किये जा रहे हैं। कई दिनों तक चलने वाले “अनुभूति विशेषांक” के लिए हम सभी साथिओं का धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने हमारे आग्रह एवं सुझाव का सम्मान करते हुए, अद्भुत  योगदान किया है । सभी साथी जानते हैं कि यह मंच “दान का मंच” है, इस परिवार में सच्ची गुरुभक्ति ईश्वर के विशाल खेत में समयदान,ज्ञानदान, विवेकदान,श्रमदान आदि को ही माना गया है।

इस विशेषांक में आज फिर हमारे सबके प्रिय एवं आदरणीय सरविन्द पाल जी का योगदान प्रस्तुत किया गया है। अगर हम कहें कि सरविन्द जी के परिवार में गुरुदेव के विशेष अनुदानों की वर्षा हुई है तो शायद  अतिश्योक्ति न हो।  हम सब देख ही रहे हैं कि सारा परिवार अपनी समर्था अनुसार योगदान दे रहा है, इतना ही नहीं अनुभूतिओं में भी लगभग सारे परिवार की भागीदारी  है। आइए पाल परिवार को ताली बजा  कर एक सामूहिक सम्मान से बधाई प्रदान करें। 

आज  प्रस्तुत किया गया अनुभूति विशेषांक का दूसरा लेख, ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की “अश्वमेध महायज्ञ” से तुलनात्मक स्टडी है। मुंबई अश्वमेध के समय इस लेख का प्रकाशित होना एक सुखद संयोग है। जब मुंबई अश्वमेध यज्ञ की बात हो रही है तो साथिओं को बड़े हर्ष के साथ बताना चाहेंगें कि OGGP के चार निम्नलिखित समर्पित सदस्य इसमें भागीदारी कर रहे हैं : 

पुष्पा सिंह, कुसुम त्रिपाठी, राजकुमारी कौरव और विकाश शर्मा।

तो आइए इस अनुभूति को गुरुचरणों में अर्पित कर अपने जीवन को सफल बनाएं। 

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Online Gyanrath Gayatri Pariwar (OGGP)  एक ऐसा उच्चकोटि का संस्कारित व परिवार है जिसमें परिवारजनों की  सुप्त पड़ी प्रतिभा जगायी जाती है और सभी की  भावनाओं का सम्मान किया जाता है। OGGP के  सूत्रधार एवं संचालक परम पूज्य गुरुदेव  हैं जिन्होंने आदरणीय अरुण त्रिखा जी को पात्रता के आधार पर इस मंच का कार्यभार सौंपा हुआ है। सभी परिवारजन अरुण जी की श्रद्धा एवं नियमितता को नतमस्तक हैं। 

परम पूज्य गुरुदेव के दिव्य, विशाल साहित्य का अध्ययन कर, समझकर, कंटेंट के साथ बिना कोई  छेड़छाड़ किए, सरल भाषा में प्रतिदिन एक दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख प्रकाशित करना इस परिवार का मुख्य उद्देश्य है। अधिकतर परिजन प्रकाशन के कुछ ही मिनटों में   स्वाध्याय करते हुए  लाभान्वित होते हैं l 

यह छोटा सा परिवार प्रतिभावान व्यक्तिओं  का जमावड़ा है जो इस मंच को भांति भांति के विशेषणों  से सुशोभित करते रहते हैं। ऐसा ही एक विशेषण इस परिवार को “महायज्ञ” की सम्मानित किये हुए है, एक ऐसा महायज्ञ जिसमें गुरुकक्षा के समापन के बाद सहकर्मी  कमेन्ट्स/काउन्टर कमेन्ट्स करके अपने अपने विचारों की आहुति डालने का परमार्थ परायण कार्य करते हैं। यह क्रम अगले लेख के आने तक अनवरत चलता रहता है। सभी साथी श्रमदान,समयदान से इस “दिव्य महायज्ञ” में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हैं। OGGP में अब यह धारणा बन चुकी है कि यही हमारी पूजा-पाठ, जप-तप, उपासना, साधना व आराधना है, सहकर्मियों से मिलने वाला स्नेह व प्यार ही गुरुदेव के अनुदान व वरदान हैं, इस पुरस्कार को सभी साथी सहर्ष शिरोधार्य करते हैं। सबसे अधिक कमेंट ( आहुतियां) करने वाले साथी को शिष्टाचार-युक्त स्वर्ण पदक से अलंकृत किया जाता है। यह सम्मान उस व्यक्ति के लिए गुरुदेव का विशेष अनुदान माना जाता है। यह मान्यता सर्वप्रचलित नियम “जिसकी जितनी साझेदारी, उसकी उतनी भागीदारी” पर आधारित है।  

जीवन का कायाकल्प करने के लिए सबसे अच्छा व सर्वसुलभ विकल्प OGGP ही है जहाँ  नियमितता से श्रद्धा, समर्पण एवं  विश्वास से सहभागिता सुनिश्चित करने पर अंतःकरण का परिष्कृत होना सुनिश्चित है। इस तथ्य का प्रतक्ष्य प्रमाण इसके अनेकों साथी हैं जो अपना   आंतरिक कायाकल्प करके आत्मिक विकास की दिशा में अग्रसर हैं। OGGP में  सहभागिता सुनिश्चित करके  समय का सदुपयोग तो  हो ही  रहा है, साथ ही साथ गुरुदेव की अनेकों योजनाओं में गिलहरी जैसा योगदान भी दिया जा  रहा है। 

जो लोग इस मंच से जुड़े नहीं हैं, उन्हें सादर निमंत्रण है कि परम पूज्य गुरुदेव से संवाद करने के लिए यहाँ आएं और समयदान देकर गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी विचारों को जानने  का सौभाग्य प्राप्त करें। हमारा अटल विश्वास है कि मात्र इतना सा ही करने से   गुरुदेव का आशीर्वाद मिलना आरम्भ हो जायेगा और जीवन सुखमय होता जाएगा आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में समयदान/ज्ञानदान करने वाले साथी इस धारणा में विश्वास रखते हैं कि OGGP में भागीदारी करके  सभी कर्मकांड स्वतः ही सम्पन्न हुए माने जाते हैं। सभी की  उपासना साधना व आराधना स्वमेव ही सम्पन्न मानी जाती है। यह लेखक की  अल्पबुद्धि का मत है क्योंकि  इस प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित होने वाले लेखों में निरंतर चिंतन का अवसर मिलता है जिससे  चिंतन की कड़ी कभी भी टूटने नहीं पाती है, आत्मशक्ति का संचार होता है, इसी  आत्मशक्ति से अंतःकरण परिष्कृत होता है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का क्षेत्र विश्व्यापी होने के कारण यह दिव्य क्रम 24  घंटे अनवरत चलता ही रहता है। कमेन्ट्स/काउन्टर कमेन्ट्स के रूप में विचारों की आहुतियां निरंतर अर्पित होती ही रहती हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें गुरुदेव के साहित्य का अमृतपान तो होता ही है, साथ ही में बोनस के रूप में  एक दूसरे की अंतर्वेदना, अनुभूतियों व  भावनाओं को जानने/समझने का अवसर भी मिलता है जिससे परस्पर  सहकारिता, सहानुभूति व सद्भावना का  सिद्धांत को चरितार्थ होता दिखता है।

यही कारण है कि  आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार को “एक महायज्ञशाला” की उपमा दी गयी है जिसमें सम्पन्न किया गया कोई भी कृत्य  किसी “अश्वमेध महायज्ञ”  में दिव्य आहुति डालने से कम नहीं है l हमारा सौभाग्य एवं संयोग है कि इस  ज्ञानप्रसाद का अमृतपान उस समय हो रहा है जब गायत्री परिवार द्वारा मुंबई में 47वां अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न हो रहा है।   

जो लोग ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित नहीं कर पाते  और समय को व्यर्थ  गँवाने की मान्यता देते हैं, यह उनकी बहुत बड़ी अज्ञानता और दुर्भाग्य है l आध्यात्मिक जीवन जीने का सर्वश्रेष्ठ एवं  सर्वसुलभ मार्ग आध्यात्मिक ज्ञानार्जन के इलावा और कोई मार्ग नहीं है और यही मनुष्य के हित में है, सर्वोपरि और सर्वमान्य भी है।  और परम पूज्य गुरुदेव जो इस  ज्ञानरथ  के सारथी हैं, साक्षात महाकाल हैं, जिनके सिर पर महाकाल का हाथ होता है उसका कभी अमंगल नहीं हो सकता,उसके कोई काम रुकते,यह एक ऐसा सत्य है जिसमें  तनिक भी संदेह व संशय नहीं है l

अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए आज ही संकल्प लें और आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के इस दिव्य प्लेटफार्म में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करना आरम्भ  कर दें,  समयदान करके  अपने समय का सदुपयोग करें और अपनी ही आँखों से अपने जीवन का कायाकल्प होता देखें। आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार अध्यात्म विज्ञान (Scientific spirituality)  एवं जीवन जीने की कला (Art of life) सिखाता है। इस दिव्य कला रूपी त्रिवेणी में डुबकी लगाकर स्वयं को  कृतार्थ करें, क्योंकि अन्य लोगों की तुलना में इस परिवार के समर्पित सहकर्मी मानवीय मूल्यों को जीवन में महत्वपूर्ण स्थान देते हुए आध्यात्मिक जीवन जी रहे हैं l 

याद रहे  साथिओ  “धर्म, स्वयं का अनादर करने वाले को नष्ट कर देता है, मार देता है और स्वयं की  रक्षा करने वाले की धर्म रक्षा करता है l” इसलिए धर्म का  कभी भी अनादर नहीं होना चाहिए एवं  धर्म को कभी मरा नहीं समझना चाहिए। धर्म का पालन करते हुए धर्म की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है l 

OGGP ह्रदय परिवर्तन की सीढ़ी है :  

आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में प्रकाशित लेखों का नियमित, गम्भीरतापूर्वक अमृतपान  करने से व्यक्ति का हृदय परिवर्तन होना सुनिश्चित है।  ह्रदय परिवर्तन होते ही  रचनात्मक क्षमता (Creative capability)  में सकारात्मक परिवर्तन होने लगता है। ऐसा इसलिए होता है कि मानसिक चेतना असंख्य रचनात्मक क्षमताओं की स्रोत है और मनोभाव की उर्वरता में विविध प्रकार की रचनात्मक कुशलता अंकुरित होती है l यदि इसे उचित पोषण-संवर्धन मिल सके तो प्रैक्टिकल जीवन में इसका बड़ा प्रभावशाली प्राकट्य होता है। जो लोग ऐसा करने में सक्ष्म  होते हैं, दुनियाँ उन्हें प्रतिभाशाली के रूप में सम्मानित करती है l ऐसे लोग स्वयं तो अपनी प्रतिभा के गौरव से गौरवान्वित होते ही हैं, साथ ही साथ सम्पूर्ण  विश्व भी उनके  अनुदानों से संवरता  है l मानव सभ्यता के इतिहास में हम  जिन प्रतिभावान व्यक्तित्वों  की रचनात्मक क्षमताओं के चमत्कृत कर देने वाले कथानक पढ़ते हैं, उनके पीछे यही रहस्य समाया हुआ है l 

किसी भी रचनात्मक कुशलता का यदि अपनेआप में इस स्तर तक विकास हो सका तो समझ लेना चाहिए  कि प्रतिभावान बनने में देर नहीं लगेगी। जीवन का सबसे बड़ा सत्य यही है कि “प्रतिभा ही सभी  विभूतियों का स्रोत है  एवं प्रतिभा के बल पर धन, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, वैभव, यश सभी कुछ पाया जा सकता है l” प्रतिभा के अभाव में न केवल कदम-कदम पर ठोकरें खानी पड़ती हैं, बल्कि उपेक्षा, अपमान, अवहेलना, अवमानना का शिकार होना पड़ता है l प्रतिभाशाली व प्राणवान से सभी मिलना, बैठना व बातचीत करना चाहते हैं l हर व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि किसी भी तरह उससे प्रगाढ़ संबंध बनाए जा सकें, जबकि प्रतिभाहीन से लोग कतराकर निकल जाते हैं। अतः प्रतिभासंपन्न बनने के लिए हमें “आध्यात्मिक जीवन जीने की कला” सीखनी होगी। इस दिशा में अग्रसर होने के लिए प्रथम एवं सबसे  सरल मार्ग आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार ही  है जिसमें सबकी प्रतिभा विकसित की जाती है, यानि “आध्यात्मिक कक्षा” चलायी जाती है। इस कक्षा में नियमित समयदान से साथिओं के  अंतकरण पर  सकारात्मक प्रभाव पड़ता है l 

अधिकांश लोग यह सोचते  हैं कि हम  अंतःकरण में रचनात्मक क्षमता को कैसे विकसित करें, हमारे  अंदर कुछ ऐसा तो  है नहीं ,हमें तो स्वयं  में कोई ऐसी कोई विशेषता दिख  नहीं रही  l इस ऊहापोह में उलझे अधिकतर साथिओं के लिए उचित होगा कि वे एक बार फिर से अपने अंदर झाँकें, स्वयं को  निहारें, लेकिन इस बार थोड़ा  बारीकी से एवं और गहराई में l साथ ही यह काम पूर्वाग्रहमुक्त होकर करें, तभी हम सुखी व समुन्नत जीवन जी सकते हैं l 

अतः आज से ही इस दिव्य प्लेटफार्म में अपना कीमती समय निकालकर समयदान करने  का संकल्प लें, ज्ञानप्रसाद  लेखों का नियमितता एवं  गम्भीरता से स्वाध्याय करें, कमेन्ट्स व काउन्टर कमेन्ट्स की प्रक्रिया के द्वारा इस महायज्ञ में आहुतियाँ डालें ताकि वर्षों से  अंतःकरण में जमें कषाय-कल्मष निकल जाएँ और पवित्रता का समावेश हो l

विश्वास कीजिए कि आप अति विशिष्ट व्यक्ति हैं, आपकी  विशिष्टता वह रचनात्मक क्षमता है, जो आपके अंतःकरण में कुछ कर गुज़रने की तड़प जगाती रहती है। यही तड़प हमारे जीवन की मौलिकता है एवं इसी को  विकसित करने के लिए OGGP  का यह दिव्य प्लेटफार्म सबके लिए उपलब्ध है। 

इस परिवार में आपको सादर निमंत्रण है, आइए “दैनिक अश्वमेध महायज्ञ” में अपने विचारों की आहुतियाँ डालकर अपने जीवन का कायाकल्प करें। 


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