ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवारजनों ने परमपूज्य गुरुदेव का आध्यात्मिक जन्मदिन मनाने हेतु सम्पूर्ण फ़रवरी माह में मंगलवेला के ज्ञानप्रसाद से लेकर रात्रि को पोस्ट होने वाले शुभरात्रि सन्देश तक समस्त योगदान परम पूज्य गुरुदेव को ही समर्पित करने का संकल्प लिया है। इसी संकल्प के प्रथम पार्ट के अंतर्गत 10 ज्ञानप्रसाद लेखों का प्रकाशन हुआ जिसका समापन कल वाले लेख के साथ हुआ। आज संकल्प के दूसरे पार्ट “अनुभूति विशेषांक” का शुभारम्भ हो रहा है जिसका प्रथम लेख आदरणीय सरविन्द पाल जी की अनुभूति आज 21 फरवरी को प्रस्तुत है। कई दिनों तक चलने वाले “अनुभूति विशेषांक” के लिए हम सभी साथिओं का धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने हमारे आग्रह एवं सुझाव का सम्मान करते हुए, अद्भुत योगदान किया। सभी साथी जानते हैं कि यह मंच “दान का मंच” है, इस परिवार में सच्ची गुरुभक्ति ईश्वर के विशाल खेत में समयदान,ज्ञानदान, विवेकदान,श्रमदान आदि को ही माना गया है।
तो आइए इस अनुभूति को गुरुचरणों में अर्पित कर अपने जीवन को सफल बनाएं।
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हम जेल जाने से बच गए, प्रस्तुतकर्ता सरविन्द कुमार पाल
हम बहुत ही हर्ष के साथ अवगत कर रहे हैं कि अभी पिछले वर्ष (2023) ही कुछ अराजक तत्वों द्वारा हमारे खिलाफ चकेरी थाना कानपुर में धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया गया था, जिसकी विवेचना चल रही थी l इस रजिस्टर्ड केस में बहुत ही गंभीर धारायें लगाई गई थीं जिनकी गणना बहुत ही संगीन अपराध की श्रेणी में की जाती हैं, गैर जमानती थीं और हमारे लिए स्वयं को बचा पाना लगभग असंभव ही था।
इस भयानक स्थिति के कारण हमारे एवं बच्चों की आँखों के सामने अंधेरा सा छा गया था। यह समस्या परिवार में बहुत बड़ी चिंता का कारण बन चुकी थी। चिंता स्वाभाविक थी क्योंकि घर के मुखिया व कमाने वाले हम अकेले ही थे। इस समस्या के कारण बच्चों का भविष्य खतरे से कम नहीं था, चारों तरफ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। सोचते थे कि अब क्या किया जाए और यदि जेल चले गए तो ऐसे संगीन अपराध की धाराओं में एक वर्ष के पहले तो जमानत याचिका की सुनवाई व बहस होना मुश्किल था। इस स्थिति के कारण परिवारजनों के मन में अनेकों नकारात्मक विचारों ने जन्म ले लिया था। हमारे समक्ष अन्य प्रश्नों के इलावा चार मुख्य प्रश्न थे :
इस विषम परिस्थिति में बच्चों का खर्चा कैसे चलेगा?
उनकी पढ़ाई-लिखाई कैसे होगी?
उनका साथ कौन देगा?
इस विवश स्थिति में क्या किया जाए ?
अंतःकरण से बार-बार एक ही आवाज आती थी कि आप चिंता बिल्कुल न करें, परम पूज्य गुरुदेव, वन्दनीय माता जी एवं आदिशक्ति माँ गायत्री पर पूर्ण विश्वास रखें, सब ठीक हो जाएगा l हम सभी परिवारजनों ने अपने आराध्य परम पूज्य गुरुदेव पर विश्वास रखा, वोह गुरुदेव जो साक्षात महाकाल हैं। हमारा विश्वास है कि जिसके सिर पर महाकाल का हाथ होता है उसका कभी अमंगल नहीं हो सकता है अर्थात कोई भी अराजक तत्व उसका कुछ नहीं बिगाड़ नहीं सकता। हमारे लिए यह अटूट विश्वास का तथ्य बिल्कुल सत्य साबित हुआ ,सत्य की विजय हुई और असत्य की हार l
“इसीलिए कहा जाता है कि सत्य परेशान हो सकता है,पराजित नहीं l”
बात 24 अप्रैल 2022 की है जब कोर्ट के आदेशानुसार हमारे खिलाफ चकेरी थाना, कानपुर में धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया गया था। लगभग 20 महीने इस मुकदमे की विवेचना चली जिसके दौरान अनेकों छोटी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा। विपक्षी सक्रिय थे और विवेचक न्याय पक्ष में था जिसके कारण विवेचक के ऊपर उच्चाधिकारियों का बहुत बड़ा दबाव भी था।
परम पूज्य गुरुदेव की कृपा एवं ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवारजनों के सामूहिक आशीर्वाद से सब कुछ निष्फल रहा और आखिरकार सत्य की ही जीत हुई।विवेचनाधिकारी ने लगभग 20 महीने की विवेचना के उपरांत कोर्ट में आरोप-पत्र दाखिल कर दिया है और हमें मुकदमें से आरोप-मुक्त घोषित कर दिया है। मुकदमें में विपक्षियों की तरफ से तीन कालनेमियों के नाम आरोप-पत्र में रजिस्टर किये हैं ।
हमें अपने समर्पित साथिओं को बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि यह एक ऐसा चमत्कार हुआ है जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी l परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य में बार- बार बताया गया है कि “कर्मफल का सिद्धांत अटल है”,जो कोई भी किसी का बुरा सोंचता है उसका स्वयं का बुरा पहले ही हो जाता है। कर्मफल का सिद्धांत एक कटु सत्य है जिसमें तनिक भी संदेह व संशय की गुंजाइश नहीं है।
हमारे खिलाफ रजिस्टर हुए धोखाधड़ी के केस में हम बिल्कुल निर्दोष थे लेकिन कालनेमियों ने हमारे खिलाफ साजिश कर यह केस दर्ज करा दिया था । जाँच के उपरांत हम निर्दोष साबित हुए और जाँच अधिकारी ने कालनेमियों को दोषी करार देते हुए कोर्ट में आरोप-पत्र दाखिल कर दिया l
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में जहाँ केवल और केवल परम पूज्य गुरुदेव की शिक्षा का ही पालन किया जाता है, आत्मसात किया जाता, सभी परिवारजन इस तथ्य से एक दूसरे के साथ एक अटूट सूत्र में बंधे हुए हैं कि गुरुदेव कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपने बच्चों को निराश नहीं होने देते हैं। गुरुदेव हर संकट में हम बच्चों के साथ होते हैं और मुक्ति दिलाते हैं l हम विश्वास से कह सकते हैं कि यदि आज हम परम पूज्य गुरुदेव के बताए मार्ग पर न चलते होते तो इन कठिन परिस्थितियों में हमारी सहायता कौन करता, हम जेल चले गए होते व सलाखों में सड़ रहे होते, बच्चे घर में तड़प रहे होते एवं घर में अशांति का वातावरण होता l हमारे समाज का दस्तूर हैं कि ऐसी संकट की घड़ी में अपने भी पराए हो जाते हैं, सब भूल जाते हैं। नैतिकता के आधार पर ऐसी स्थिति में यदि कोई साथ होता है तो वोह होता है केवल परमात्मा साथ।परमात्मा कभी भी अपने सर्वप्रिय पुत्र राजकुमार को कभी नहीं भूल सकते एवं संकट की घड़ी में सदैव साथ खड़े मिलते हैं। ईश्वर के इस सानिध्य को प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है उन पर विश्वास करना l हमारे सन्दर्भ में यह विश्वास का ही प्रतिफल है कि इतने बड़े संकट से मुक्ति पा चुके हैं। अगर परम पूज्य गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण प्राप्त न होता तो न जाने कब अपना संतुलन खो चुके होते और आत्महत्या कर अपनी जिंदगी समाप्त कर चुके होते l आज हम आप सबके बीच हैं तो परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि से ही हैं l हम अपने विश्वास के आधार पर कह सकते हैं कि जिसके अंतःकरण में परम पूज्य गुरुदेव के प्रति विश्वास बढ़ गया तो समझ लेना चाहिए कि उसका जीवन ही बदल गया।
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में हमारा विश्वास :
बाल्यकाल से ही हमें गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण अनवरत मिलता चला आ रहा है जिसे हम आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के दिव्य प्लेटफार्म पर समय-समय पर साझा करते चले आ रहे हैं l हमारे परिवार का परम सौभाग्य है कि हम सबको परम पूज्य गुरुदेव एक सद्गुरू के रूप में मिले, उनकी ही कृपा से एक सुसंस्कृत पाठशाला मिली जिसे सभी आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के नाम से जानते हैं । इस पाठशाला के सूत्रधार एवं संचालक, वरिष्ठ गुरुभाई आदरणीय अरुन भइया जी हैं जो प्रतिदिन प्रातःकाल की ब्रह्मवेला में गुरुदेव द्वारा रचित दिव्य साहित्य पर आधारित ज्ञानप्रसाद लेख का अमृतपान कराते हैं। इन लेखों के अमृतपान एवं अंतःकरण में उतारने के कारण अनेकों परिजन अपने स्वयं के जीवन का कायाकल्प होता देख चुके हैं एवं अनेकों को प्रेरित भी कर रहे हैं।
यहाँ एक बात स्पष्ट करना बहुत ही आवश्यक है कि आदरणीय अरुण जी के लिए हम सभी परिजन आदर से प्रभावित होकर भांति भांति के विशेषण प्रयोग करते हैं लेकिन वोह ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की रचना, संचालन एवं किसी भी गतिविधि के लिए गुरुदेव को ही श्रेय देते हैं।
आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार एक ऐसा उच्चकोटि का संस्कारित, दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत मंच है जहाँ साथिओं की सुप्त प्रतिभा जगायी जाती है और सभी की भावनाओं का सम्मान किया जाता है। इस मंच पर साथिओं को गुरुदेव एवं इस परिवार से सम्बंधित अनुभूतियाँ/अंतर्वेदना व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के लेखों से मन की मलीनता दूर होती है और सभी साथिओं ने अंतःकरण की गहराई में पहुँच कर अनुभव किया है कि यह सब परम पूज्य गुरुदेव की कृपादृष्टि का ही प्रतिफल है, जिसके लिए आदरणीय अरुण जी आप बधाई के पात्र हैं l यदि यह मंच न होता तो हम अपनी अंतर्वेदना व भावनाओं को कहाँ साझा करते l हम कह सकते हैं कि हमने आध्यात्मिक दृष्टि से स्वयं में बहुत सुधार कर लिया है और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत ही सम्पन्न हैं। जहाँ हम आध्यात्मिक दृष्टि से सम्पन्नता की बात कर रहे हैं, वहीँ हम परिवारजनों के साथ शेयर कर सकते हैं कि भौतिक दृष्टि से हम बहुत ही निर्धन हैं। हम गुरुदेव के सर्वप्रचलित सूत्र “जो प्राप्त है, वही पर्याप्त है” को धारण कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। साथ ही “कर्म ही पूजा है” के सिद्धांत को को चरितार्थ करते हुए ईमानदारी के साथ अपना व्यवसाय कर रहे हैं l
इस तरह हम यज्ञमय जीवन जीने का हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं और यही शिक्षा अपने बच्चों एवं संपर्क सर्किल को भी दे रहे हैं ताकि परम पूज्य गुरुदेव के “बोओ-काटो” के सिद्धांत को चरितार्थ किया जा सके। इन्हीं विशेषताओं व सिद्धांतों के कारण सुखी व समुन्नत जीवन जी रहे हैं और परम शांति की आत्मानुभूति हो रही है l
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हमारी इस छोटी सी अनुभूति से पाठकों को बहुत प्रेरणा व ऊर्जा मिलेगी जो उनका जीवन के प्रति दृष्टिकोण व दिशा बदलने में सहायक होगी, उनके आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होगा, गुरुदेव के प्रति आत्मविश्वास बढ़ेगा व आत्मसंतुष्टि मिलेगी l
इसी आशा व विश्वास के साथ हम अपनी लेखनी को विराम देते हुए अपनी प्रत्येक गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हैं और स्वास्थ्य व उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करते हैं।
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आज 13 युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है।सरविन्द जी, सुमनलता जी और संध्या जी को गोल्ड मैडल जीतने की बधाई एवं सभी साथिओं का संकल्प सूची में योगदान के लिए धन्यवाद्।
(1)सरविन्द कुमार-48, (2)संध्या कुमार-46 ,(3)आयुष पाल-26, (4)मंजू मिश्रा-28,(5 )रेणु श्रीवास्तव-31 ,(6)निशा भारद्वाज-31, (7) सुमनलता-46,(8)वंदना कुमार-37 ,(9) नीरा त्रिखा-33 ,(10) चंद्रेश बहादुर-35 ,(11) विदुषी बंता-34 ,(12) अरुण वर्मा-29 ,(13 )सुजाता उपाध्याय-30
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।