वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

OGGP के मंच से “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक-10 फ़रवरी, 2024 

https://drive.google.com/file/d/1Ox55_RqS1fcIJy6RokzAmv-xT4Z0Uexh/view?usp=sharing

परम पूज्य गुरुदेव के सूक्ष्म संरक्षण एवं मार्गदर्शन में रचे गए ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा Open forum   दिन होता है जब अध्ययन को एक तरफ रख दिया जाता है और बात की जाती है सप्ताह के पांच दिन की शिक्षा की, जिसका आधार साथिओं के कमैंट्स और काउंटर कमैंट्स होते हैं, बात की जाती है साथिओं की गतिविधियों की, बात की जाती है इस छोटे से किन्तु समर्पित परिवार के सदस्यों के दुःख-सुख की,बात की जाती है आने वाले दिनों की रूपरेखा यां फिर गायत्री परिवार से सम्बंधित कोई भी विषय जिसे सभी परिवारजन उचित समझें, इसीलिए इस विशेषांक को Open forum की संज्ञा दी गयी है। 

तो आइए निम्लिखित शब्दों में ऐसे ही वातावरण को pointwise picturise करने का प्रयास करें : 

1.सबसे प्रथम पॉइंट तो वही है जिसे हम बार-बार पिछले कईं सप्ताहों से दोहराते आ रहे हैं। यह पॉइंट है परम पूज्य गुरुदेव के अध्यात्मिक जन्म दिवस के लिए साथिओं के योगदान की याचना करता  “सादर निमंत्रण। ” गुरुदेव के ही शब्दों को दोहराते हुए आग्रह कर रहे हैं कि यह सौभाग्य हर किसी को प्राप्त  होने वाला नहीं है। जिस किसी भी विरले को, उसकी पात्रता के अनुरूप गुरुकार्य में योगदान देने का अवसर मिल गया, समझो उसका बेड़ा पार हो गया। इस स्टेटमेंट को टेस्ट करने के लिए ज़्यादा दूर जाने के आवश्यकता  नहीं है,OGGP स्वयं ही साक्षी है, जिस किसी ने भी इस मंच की गतिविधिओं में हिस्सा लिया,उसका कायाकल्प होता सभी ने प्रतक्ष्य देख लिया है, यह हमारे गुरु की शक्ति का साक्षात् प्रमाण है।

परिवार में अनेकों साथी हैं जिन्हें गुरुदेव/माता जी  के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है लेकिन गुरुदेव का साहित्य, उनकी वीडियोस, शुभरात्रि सन्देश, शार्ट वीडियोस, यहाँ तक कि साथिओं के कमेंट ही अपने में साक्षात् गुरुदेव का स्वरूप हैं, इन्हीं  के आधार पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है, शांतिकुंज प्रवास का लिखा जा सकता है, OGGP के बारे में लिखा जा सकता है। कहने का अर्थ केवल एक ही है -विषय अनंत हैं, आवश्यकता है तो केवल पहला कदम उठाने की।   

हमारी बहिन सुमनलता जी, बहिन विनीता जी  ने हमारे निवेदन का सम्मान करते हुए, अपने योगदान भेज कर गुरुकार्य में सहयोग दिया है जिसके लिए ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। 

2.कल वाले ज्ञानप्रसाद लेख के शीर्षक “मैंने कुछ लिखने वाली उँगलियाँ तैयार कर दी हैं” के सन्दर्भ में आदरणीय सुमनलता बहिन जी ने मेन कमेंट में लिखा कि 

“हम समझते हैं कि उनमें से एक आ. त्रिखा भाई साहिब की भी हैं जो निरंतर हमारे मार्गदर्शन के लिए सक्रीय हैं” 

Exactly यही विचार  आदरणीय संध्या बहिन जी, आदरणीय अरुण वर्मा एवं आदरणीय नीरा जी द्वारा व्यक्त किये गए। हमने तो अपनी गिलहरी जितनी भागीदारी  व्यक्त कर दी लेकिन एक बात अभी तक भी समझ नहीं आई कि एक ही विचार, एक ही समय पर कैसे व्यक्त हो गए। बहिन सुमनलता जी ने तो लिख दिया था कि 

“एक ही गुरु से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं , एक ही ज्ञानरथ शिक्षक का मार्गदर्शन तब विचारों में समानता होना स्वाभाविक है।” 

हमारी अल्प बुद्धि  अगर इस स्थिति को analyse करने की क्षमता रखती हो तो इतना तो कहा ही जा सकता है कि  यह सभी घटनाएं कहीं अधिक उच्च स्तर की हैं, सूक्ष्म भावनाओं के स्तर की हैं,विचारों के Electromagnetic level की हैं। अभी तक तो इन सभी संभावनाओं को हंसी मज़ाक में नकारते आ रहे थे लेकिन अब जब कोई साथी  हज़ारों मील दूर से हमें वही बात मैसेज करके लिख देता है जो हम उस समय सोच रहे होते हैं तो अवश्य ही चेतनाओं के लेवल का संपर्क ही  होगा। हमारी स्वर्गीय दीदी जब घर आकर कहती थी कि  आज कोई गुरुदेव जैसा व्यक्ति आया, उसने एक्सीडेंट होने से बचा लिया तो हम मज़ाक ही समझते थे।    

हम अनेकों बार चिंतन कर चुके हैं कि कैसे अलग अलग साथिओं द्वारा पोस्ट किए गए  कमेंट बिल्कुल एक जैसे होते हैं, यह मात्र संयोग (chance) तो हो नहीं सकता। 

कल सुबह मंगल वेला में हम दोनों  इन कमैंट्स की केमिस्ट्री को समझने का प्रयास कर रहे थे तो नीरा जी ने उँगलियों वाली बात पर आधारित हमें अनुभूति लिखने का आईडिया दिया, वोह भी वही बात कर रही थीं कि हमने तो पांचवीं कक्षा के बाद  कभी हिंदी लिखी तक नहीं थी, तो सब कैसे हो रहा है? नीरा जी की बात बिल्कुल विचार करने वाली है लेकिन व्यस्तता को देखते हुए समय निकाल पाना बहुत ही कठिन लग रहा है। आशा करते हैं जिस प्रकार नीरा जी समेत सभी परिवारजनों ने, ज्ञानरथ परिवारजनों ने  सहयोग दिया है, शायद कुछ संभव हो पाए, आगे गुरु इच्छा।         

3.राम नारायण कौरव जी का योगदान:

हमारी आदरणीय बहिन राज कुमारी कौरव जी अक्सर हमें बड़े भैया कहकर कमेंट करती हैं ,आदरणीय राम नारायण जी उन्ही के पतिदेव हैं। उन्होंने  24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ की जानकारी भेजी है जो निम्नलिखित है : 

लोकीपार,जिला नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ संपन्न हुए। सम्पूर्ण ग्राम  गौ,गुरु,गीता,गंगा, गायत्रीमय हुआ। 

भूमि पूजन के दिवस गौ माता ने यज्ञ भूमि में अपनी उपस्थिति देकर शुभ संकेत दिए, तदोपरांत भव्य कलश यात्रा में जिले के सभी शाखाओं के परिजनों ने सहभागिता की, गुरुधाम शांतिकुंज से आई टोली एवम् आदरणीय सुनील शर्मा भाई साहिब  ने गुरु संदेश देकर , यज्ञ,हवन आहुति के महत्व से सभी को अवगत कराया, द्वितीय  दिवस मेरी कृति “जीवन पथ” का विमोचन शांतिकुंज प्रतिनिधि एवम् स्थानीय अतिथियों के कर कमलों से हुआ,कवियों ने अध्यात्म परक रचनाओं से सभी को जीवन के बारे में बताया,समापन दिवस पर भोजन प्रसादी के साथ टोली की विदाई की गई, यज्ञ की अनुभूति से प्रेरित मेरी रचना यज्ञानुभूति का सृजन हुआ। इस रचना को भी हम यथावत ही प्रस्तुत कर रहे हैं: 

           “यज्ञानुभुति”

युगाचार्य से प्रेरणा पाकर, आचार्य जी की टोली ने, 

किया काम गुरुदेव का अपने, सबकी मीठी बोली ने। 

निकल पड़ी जब मातृ शक्ति, यज्ञ के शुभ प्रचार को, 

एक हाथ में आमंत्रण और दूजे गुरु विचार को । 

युग सैनानी बन भाइयों ने 24 ग्राम का भ्रमण किया, 

एक अंश धन,एक मुट्ठी अन्न, सभी जनों से प्रेम लिया।

कुशल कला से सबकी, अद्भुत यज्ञशाला बनपाई, 

सबके मूल में देखा हमने देखा खड़ी रही माई ।

गुरुधाम से आई टोली, जीवन कथा सुना डाली, 

आहुति कर अपने कर से, सबने गुरु कृपा पा ली। 

मेरी कृति को शुभ आशीष, मिला ऐसा मन गदगद हैं,

लगा मुझे मां गायत्री का, स्नेह सभी से बेहद हैं। 

गौ, गंगा, गुरु, गीता, गायत्री का संगम प्रत्यक्ष हैं देखा,

दिवस दिए जिसने अपने यहां, उनका हैं स्वर्णिम लेखा ।

कैसे कहूं शब्द में अपने, मैं इसकी अनुभूति,

जाना सार मनुज तन का, सबने हैं पाई भभूति ।

बोलिए संपन्न 24 कुंडीय यज्ञनारायण भगवान की जय

4.सुनीता शर्मा:

जय गुरुदेव अति सुंदर भावविभोर करने वाला आज सुबह की थी पता नही ऐसा लग रहा है की सारे शब्द मेरे ऊपर ही लागू हो रहे हों कदापि नही हम अपनी ड्यूटी जय गुरुदेव लिखकर बिलकुल भी नही निभा सकते ।हमारे अंतकरण में गुरुदेव माता जी गायत्री माता बसी हुई है छन भर के लिए भी नही भूलती रोम रोम जीभा पे नाम और उनकी छवि atar me rahti है।न ही की पद प्रतिष्ठा और नही किसी चीज की लालसा है नही स्वार्थ ही है ऐसे महान तपस्वी गुरु के शिष्य है पर मैं एक तुच्छ सी शिष्य हूं की कुछ भी नही करती करती तो सिर्फ पूजा आज हमारे मन ज्वाला si धधक रही है कि मुंबई में अश्वमेघ यज्ञ होने जा रहा है और मैं तड़पती जा रही हूं इस बार बसंत पंचमी में भी ऑफिस की छुट्टी नही है की गुरुदेव जी की जन्म दिन मनाने मंदिर में भी जाऊं।पिछले साल तो छुट्टी पद गई थी तो चली गई थी मन में बहुत दुख होता की चाह कर भी नही कुछ कर सकते ।हम तो बिलकुल ही योग्य नहीं है शिष्य कहलाने लायक हम तो गुरुदेव माताजी से आप सभी से माफी मांग ना चाहते है ।और जबतक सांस है तबतक तो उन्ही की चरणों में समर्पित रहेंगी तन से भी मन से भी आज कल बहुत दिनो से थोड़ा तबियत सही नहीं है मैं बताना नही चाह ती अपनी प्रॉब्लम हृदय में तो बहुत कुछ है पर ज्यादा क्या लिख सकती आप सभी का आभार व्यक्त करते हैं जय श्री गुरुदेव

5.कुमोदनि गौराहा:

भाई साहब आपने जो भी सवाल शिष्वत्व के बारे में पूछे हैं वह मुझमें अथाह भरा हुआ है,दिल रोता है पर क्या करें, कामेंट करने का समय नहीं है,लेख पढ़ने बैठो तो उधर बच्चा काव काव करने लगता है,बहन को देखना है, स्कूल में बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार भी देना हैं अनेकों झंझटे है अतः: कामेंट नहीं कर सकती मुझे बहुत ही खेद है लेकिन मेरे लिए  जिम्मेदारी प्रमुख है। 

6.ज्योति गाँधी जी का योगदान : 

ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सभी परिजनों को कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🙏

इंदौर निवासी आदरणीय ज्योति  गाँधी  बहिन जी ने भंवर कुवा शिव गीता हॉस्टल में कौशल शिविर करवाया ,शीर्षक था गायत्री मन्त्र का हमारे जीवन में महत्व और इसका साइंटिफिक रीज़न,उन्होंने ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के  चैनल से मिली जानकारी की सराहना की है। इस कार्यक्रम की दो वीडियो बहिन जी के फेसबुक पेज पर अपलोड की गयी हैं 

7. पुष्पा जी एवं विनीता जी का योगदान 

8. अभी अभी प्राप्त समाचार के अनुसार हमारे शिकागो साथी आदरणीय पंकज पटेल जी की Eye surgery 14 फ़रवरी को और Knee surgery 21 फ़रवरी को होना निश्चित हुई है, सभी साथिओं से उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की आशा करते हैं। भाई साहिब से करबद्ध क्षमाप्रार्थी हैं कि  उन्होंने call किया और हम highway  पर होने के कारण फ़ोन रिसीव न कर पाए। गाड़ी तो बच्चे ड्राइव कर रहे हैं लेकिन हम पीछे बैठे ज्ञानरथ का कार्य कर रहे हैं।

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आज 10   युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है।सुमनलता बहिन  जी को गोल्ड मैडल प्राप्त करने की बधाई एवं  सभी साथिओं का  संकल्प सूची में  योगदान के लिए धन्यवाद्।   

(1)सरविन्द कुमार-26 ,(2)सुजाता उपाध्याय-26,(3) अरुण वर्मा-27 ,(4)मंजू मिश्रा-29,(5 ) सुमनलता-44 ,(6 ) नीरा त्रिखा- 24 ,(7 ) चंद्रेश बहादुर-33 ,(8 )वंदना कुमार-24,(9  ) विदुषी बंता-25                     

सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


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