वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

“अपने सहकर्मियों की कलम से” का 13 जनवरी 2024 का स्पेशल सेगमेंट 

https://drive.google.com/file/d/1lRd5kagGTvLu09lcnPquADZc5ariX8j6/view?usp=drive_link

शनिवार का दिन हमारे परिवार में एक समारोह का दिन होता है। सभी परिवारजन एक दूसरे  के साथ virtually मिलते हैं, एक दूसरे  के बारे  में जानते हैं,खट्टी मीठी बातों से अवगत होते हैं, ऐसा सुखद एवं खुला वातावरण होता है कि कोई भी कुछ भी अपने बारे में बता सकता है, औरों का पूछ सकता है और कमैंट्स-काउंटर कमैंट्स  के माध्यम से अनेकों नई  जानकारियां प्राप्त हो जाती हैं। है न बिलकुल ही यूनिक परिवार ? किन शब्दों में परम पूज्य गुरुदेव का धन्यवाद् करें जिन्होंने घर बैठे वोह कुछ प्रदान करा दिया जिसकी कल्पना भी संभव नहीं है।

तो आइए आरम्भ करें एक-एक करके सभी की गतिविधियां एवं updates .

1.सबसे पहले साथिओं से निवेदन है कि परम पूज्य गुरुदेव का आध्यात्मिक जन्म दिवस याद रखें और अपने योगदान को न भूलें।

2.आदरणीय सुमनलता बहिन जी के सुझाव के अंतर्गत युवाशक्ति की  एक ऑडियो बुक तो प्रकाशित हो गयी है, अगली ऑडियो बुक हमारी सदा समर्पित बेटी संजना ने भेज दी है।   

3.आदरणीय सुजाता बहिन जी शक्ति कलश लेने के लिए शांतिकुंज में हैं और परिवार के मानवी मूल्यों का पालन करते हुए लगातार अपडेट किये जा रही हैं, फोटो भेजे  जा रही हैं ,कुछ अनुभूतियाँ भी लिखी है जिन्हें आने पर आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगीं । बहुत बहुत धन्यवाद् बहिन जी। 

4.परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से आदरणीय वंदना जी की बेटी के साथ हुई दुर्घटना पर सुरक्षा चक्र तो काम कर गया लेकिन सावधान रहना बहुत ही आवश्यक है। घटना का विवरण बहिन जी के निम्नलिखित शब्दों में ही जानना उचित होगा : 

21 नवंबर, 2023  की  शाम में मैं कुछ काम में व्यस्त थी और बेटी काशवी  दूसरे कमरे में खेल रही थी। अचानक बेटी की घरघराई हुई सी आवाज आई। हमने सोचा कि  इस तरह की आवाज तो खेलते समय नहीं निकलती है तो जल्दी से भागकर उस कमरे में गई। देखती हूं की बिजली का तार उसके हाथ में चिपका हुआ है और वो बिल्कुल शांत हो गई। जल्दी से स्विच ऑफ करके उसको छुड़ाया गया। वो गुरुदेव की कृपा से बच गई क्योंकि लकड़ी के टेबल पर खड़ी थी अन्यथा बहुत बड़ी दुर्घटना हो जाती। अगर उसके मुंह से घरगराहट नहीं निकलती तो हमें पता भी नहीं चलता। लेकिन गुरुदेव ने ही मुंह से आवाज निकलवाया होगा वरना हाई वोल्टेज में तो आवाज भी नही निकलती और दुर्घटना हो जाती है। मेरी बेटी को जीवनदान देने के लिए गुरुदेव को  बारम्बार प्रणाम है। जय गुरूदेव

5.आदरणीय चंद्रेश जी ने “मोबाइल और मनोरोग” शीर्षक से ज्ञान से भरपूर वीडियो शेयर की है, इसका अमृतपान हम सबके के लिए (विशेषकर हमारे लिए ) बहुत ही आवश्यक है। पिछले दो तीन सप्ताह से हमने स्वास्थ्य में आ रहे कुछ problems  को देखते हुए “फ़ोन उपवास” आरम्भ किया था। अरुण जी पहले ही इससे ग्रस्त रहे हैं। चंद्रेश भाई साहिब का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं।

6.आज के स्पेशल सेगमेंट में शामिल आदरणीय बहिन सुमनलता जी का वोह वाला  कमेंट है जो उन्होंने हमारी सहकर्मी और सबकी प्रिय बेटी स्नेहा गुप्ता के बेटे निर्झर आनंद के मेरठ स्थित, “प्रभात आश्रम गुरुकुल” के सन्दर्भ में लिखा था। साथिओं को शायद स्मरण होगा कि हमने इस विषय पर 40 पन्नों की एक पीडीऍफ़ पुस्तक इंटरनेट आर्काइव पर अपलोड की हुई है। पाठक निम्नलिखित शब्दों को गूगल सर्च में पेस्ट करके भी सारी  पुस्तक फिर से पढ़ सकते हैं : 

 “हमारी समर्पित सहकर्मी स्नेहा  गुप्ता का माँ गायत्री में अटूट विश्वास”

बहिन जी के कमेंट में पुस्तक के साथ संलग्न की गयी वीडियो की बात की जा रही है, पाठक जब पढेंगें तो याद आ जायेगा कि हम किस वीडियो की बात कर रहे हैं। 

बहिन जी का एवं अन्य साथिओं के कमेंट स्पेशल सेगमेंट में शेयर करने का एक ही उद्देश्य होता है कि सभी को पता चल सके कि परिवार में किस श्रद्धा और समर्पण का वास है और जो परिजन मात्र “जय गुरुदेव” ही लिख कर अपनी ड्यूटी पूरी समझते हैं, उन्हें भी कुछ प्रेरणा मिले। यह तो बहती गंगा में हाथ धोने जैसा है, जो जैसा बोएगा वैसा ही काटेगा।      

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बहिन सुमनलता जी का कमेंट : 

परमगुरुसत्ता को प्रातःकाल का नमन।OGGP के सभी परिजन पाठकों का सूर्योदयकालीन अभिवादन।

आपने आज गुरुकुल प्रणाली के लिंक को भेज कर हमारी बचपन की यादों को पुनः ताजा कर दिया। गुरुकुल कांगड़ी ,जो विश्वविद्यालय है,उसके परिसर की जीवन शैली से हम भलीभांति परिचित हैं। हमने उस प्रकार के दिव्य, संयमित ,और अनुशासनबद्ध वातावरण में ही अपना प्रारंभ का जीवन बिताया था। आप द्वारा पोस्ट किये गए लिंक में  जिस गुरुकुल का कार्यक्रम दिखाया जा रहा है वो शायद गुरुकुल कांगड़ी से संबद्ध है क्योंकि इस प्रकार के कार्यक्रम हमने अनेक बार वहां देखे हैं। स्वामी दयानंद सरस्वती जी के समर्पित शिष्य स्वामी श्रद्धानंद जी ने इसे कांगड़ी गांव में आरंभ किया था जो गंगा पार हुआ करता था।  बरसात के समय पानी बढ़ जाने के कारण विद्यालय को भी क्षति पहुंचती थी इसलिए  उन्होंने हरिद्वार क्षेत्र में जमीन लेकर इसे वहां स्थापित किया जो आज विश्वविद्यालय है । गुरुदेव ने भी देवभूमि हरिद्वार में शान्तिकुंज बनाया है। गुरुकुल कांगड़ी में पहले केवल छात्रों को ही शिक्षा दी जा रही थी। वोह समय सह-शिक्षा का नहीं था। स्वामी श्रद्धानंद जी के स्वर्ग गमन के पश्चात गुरुकुल का कार्य उनके सुपुत्र इंद्र विद्या वाचस्पति जी ने संभाल लिया। तब देश के कुछ राज्यों में कन्याओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से कन्या गुरुकुल खोले गए। देहरादून, झज्जर(हरियाणा),नरेला, दिल्ली आदि के नाम हमें याद है। इन सभी कन्या गुरुकुलों का संचालन गुरुकुल कांगड़ी से ही होता था। केवल मात्र स्नातकोत्तर परीक्षा ही गुरुकुल कांगड़ी में सामूहिक रूप से होती थी। अब तो वहां भी सहशिक्षा आरंभ हो गई है। गुरुकुल का नाम आते ही वहां का पूरा समय एक फिल्म की भांति आंखों के सामने घूम जाता है। इस वीडियो में जो संगोष्ठी दिखाई जा रही है ,ऐसी संगोष्ठियां  हमें अपने आरंभिक जीवन की याद दिलाती हैं। वहां जब दीक्षांत समारोह होता था तो वो चार दिन तक चलता था ,जिसे उन दिनों  “जलसा” कहते थे। उसमें वही कार्यक्रम होते थे जी लिंक्ड  विडिओ में दिखाए जा रहे हैं।। अब हम अपनी बात समाप्त करते हैं क्योंकि गुरुकुल की इतनी यादें हैं कि लिखना आरंभ करें तो एक पुस्तक लिखी जा सकती है। अपने सहयोगियों से क्षमा प्रार्थी हैं।

7.इसी सन्दर्भ में आदरणीय विदुषी बहिन जी का कमेंट : 

 ॐ श्री गुरु सत्ताए नमः, आदरणीय  त्रिखा भाई साहिब  को भाव भरा नमस्कार 

आज गुरुकुल विद्यालय की वीडियो लिंक से हम परिचित हुए। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय देश का सर्वप्रथम विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के महान शिष्य स्वामी श्रद्धानंद जी ने अपना सब कुछ बेच कर की थी। इस गुरुकुल में गुरु परम्परा को जीवित रखते हुए, वैदिक पठन पाठन के साथ सभी विषय पढ़ाये जाते हैं।  हमें भी इस गुरुकुल को जानने का अवसर प्राप्त हुआ था। परम पूज्य गुरुदेव ने अपने साहित्य में हरिद्वार स्थित इस आश्रम की एवं स्वामी श्रद्धानंद जी की भूरी-भूरी प्रशंसा की है। स्नेहा जी के बेटे निर्झर पर आधारित पीडीऍफ़ पुस्तक के साथ संलग्न वीडियो को देख कर व वेदों में विज्ञान, मीमांसा शब्द की व्याख्या सुन कर नवीन शब्दावली का ज्ञान प्राप्त हुआ।  बहुत बहुत धन्यवाद व आभार भाई साहिब, बेटी स्नेहा गुप्ता व उनके बेटे का भी हार्दिक धन्यवाद करते हैं जय माँ गायत्री शुभ दिन शुभ प्रभात सभी को प्रणाम 

8.संजना बेटी का कमेंट : 

“सफलता आपके कारण हैं,आप सफलता के कारण नहीं हैं” क्या अद्भुत लाईन है। आज जीवन प्रबंधन की कक्षा में आदरणीय चिन्मय सर ने भी यही बताया कि अगर परम पूज्य गुरुदेव और विवेकानंद जी जैसी महान आत्माओं को बनाकर भगवान का काम खत्म हो जाता तब वो फिर हमें क्यूं बनाते ! इसलिए हमें अपने अंदर के परमात्मा को उजागर करना  चाहिए “Every divine soul has a unique potential which can’t be copied” आज आदरणीय चिन्मय सर की  क्लास में पढ़ाया  गया विषय और ज्ञानप्रसाद का  विषय एक ही है। इससे पता चलता है कि सारी  Souls  आपस में कितनी आत्मीयता से जुड़ी  हैं। धन्य हैं परमात्मा और उनकी बनाई व्यवस्था एवं हर एक चीज़। आज निम्नलिखित  लाइन हमें बहुत ही अच्छा लगी :  

“अगर संकल्प रूपी बीज को आत्मविश्वास की भूमि में सकारात्मक सोच के साथ रोपा जाए और श्रम की बूंदों से सींचा जाए तो जो परिणाम प्राप्त होते हैं वह सच में अविश्वसनीय ही होते हैं”। हम बहुत ही सौभाग्यशाली हैं कि इन वचनों का  पाठन कर सके ,श्रवण कर सकें। हर अंधेरी रात के बाद स्वर्णिम आशा की किरणों के साथ सूर्य  हर रोज़ उगता है। यह अमृत तुल्य ज्ञानप्रसाद जरुर हमारे मन को झंकृत करने आता है तो जब परमात्मा की व्यवस्था हर पल हमें जागृत करना चाहती है तो हम इस साझेदारी में क्यूं चूकें? आदरणीय डॉ सर और सभी आत्मीय वरिष्ठ परिजनों को हमारा भाव भरा सादर प्रणाम एवं हृदय से कोटि कोटि धन्यवाद । आपके असीम प्रयास, अटूट विश्वास और श्रद्धा भक्ति से हमें हमेशा मार्गदर्शन मिलता रहता है।

हमारा भी स्वप्न टूट रहा है, कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है जैसे गुरु जी मेरे अंदर के विकारों पर प्रहार करके बाहर निकाल रहे हैं, मेरी सारी गांठों को खोले जा रहे हैं और मुझे खाली किए जा रहें हैं। जब मां अपने बच्चे को जन्म देती है तो प्रसव पीड़ा होती ही है।  इसी तरह हमें सृजन में आए बदलाव को शिरोधार्य करने के लिए वह दर्द सहने ही  पड़ेंगे, इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। कबीर जी के दोहा  सूत्र है, सार है:  कस्तूरी कुंडल में बसे मृग ढूंढे बन माहि, ऐसे घटि घटि राम है दुनिया जानत नहीं। अपना आपा जिस स्तर का होता है संसार का स्वरूप भी वैसा ही दिखता है, इसे आज हमने अनुभव किया। सचमुच आत्मिक शांति के लिए कठिन तप साधना करनी ही पड़ेगी। इस अशांति ने हमें जितना  परेशान किया है हम ही  जानते हैं। हमारा अंतिम लक्ष्य स्वयं  को जीतना ही होना चाहिए जिसको पाने के बाद कुछ भी शेष नहीं रह जाता।

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आज 11  युगसैनिकों ने 24 आहुति  संकल्प पूर्ण किया है। आज सरविन्द जी  गोल्ड मैडल विजेता हैं । सभी को हमारी हार्दिक बधाई एवं संकल्प सूची में योगदान के लिए धन्यवाद्।   

(1)सरविन्द कुमार-69 ,(2) सुमनलता-35,(3 ) विदुषी बंता-26,(4) संध्या कुमार-36,(5) साधना सिंह-26, (6)चंद्रेश बहादुर-28,(7)नीरा  त्रिखा-28 , (8 )मंजू मिश्रा-37  ,(9 ) रेणु श्रीवास्तव-41 ,(10) वंदना कुमार-46 ,(11) निशा भारद्वाज- 29           

सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


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