आज फिर वोह सुखद पल हमारे सबके द्वार पर दस्तक दे रहा है जिसकी हमें सप्ताह भर प्रतीक्षा रहती है -”अपने सहकर्मियों की कलम से” विशेषांक, एक ऐसा अंक जिसमें सभी साथिओं की श्रद्धा और समर्पण दर्शित हो रही होती है। सभी साथिओं का इस विशेषांक को सफल बनाने के लिए ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं।
आज के लेख में आदरणीय चंद्रेश जी के घनिष्ठ मित्र संजय जी,आदरणीय अनिल मिश्रा जी, आदरणीय रामनारायण कौरव जी, आदरणीय कुसुम त्रिपाठी जी एवं आदरणीय पंकज पटेल जी ने योगदान दिया है, सभी को ह्रदय से नमन करते हैं।
तो आइए विश्वशांति की कामना के साथ गुरुकुल की इस स्पेशल गुरुकक्षा की और प्रस्थान करें।
ॐ असतो मा सद्गमय ।तमसो मा ज्योतिर्गमय ।मृत्योर्मा अमृतं गमय ।ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अर्थात
हे प्रभु, मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।
मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥
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परम पूज्य गुरुदेव के अध्यात्मिक जन्म दिवस पर सादर निमंत्रण :
आज के स्पेशल सेगमेंट का सबसे महत्वपूर्ण अंग “परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस” का निमंत्रण है। हम सब इस महत्वपूर्ण दिवस से भलीभांति परिचित हैं, हर वर्ष नए साथी इस परिवार के साथ जुड़ते हैं लेकिन हम सभी नए एवं पुराने साथिओं को यह सादर निमत्रण दे रहे हैं कि इस स्वर्ण अवसर को हाथ से न जाने दें। परम पूज्य गुरुदेव से सम्बंधित साथिओं की कोई भी अनुभूति, घटना, शांतिकुंज जाना, श्रद्धेय डॉक्टर साहिब से मिलना, चिन्मय जी का आयोजनों में आना, प्रज्ञापीठों से सम्बंधित आदि किसी भी अनुभव का इस “विशेष से भी विशेष सेगमेंट” में स्वागत रहेगा। साथिओं को स्मरण होगा पिछले वर्ष 45 साथिओं ने अपने अनुभव शेयर किये थे और 12 फुल लेंथ ज्ञानप्रसाद लेख लगातार 12 दिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की शोभा बढ़ाते रहे।
साथिओं से( विशेषकर युवाओं से) आग्रह करते हुए बहुत ही प्रसन्नता हो रही है कि आज से ही, बल्कि अभी से अपनी डायरी/पैन आदि लेकर लिखना आरम्भ कर दें, समय बहुत तेज़ी से भागता है पता नहीं कब हाथ से निकल जाये, यह दिव्य अवसर वर्ष में केवल बार ही प्राप्त होता है। आप नीचे दिए गए pdf लिंक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इसी संदर्भ में हम अपने साथिओं को हर्षपूर्वक बताना चाहेंगें कि आदरणीय सरविन्द पाल जी ने हमारे आग्रह से पहले ही तीन लेख हमें लिख कर भेज दिए हैं ,दो लेख तो 2022 की युग निर्माण योजना में से लिए हुए हैं जबकि तीसरा लेख उनके व्यक्तिगत जीवन पर आधारित है जिसका शीर्षक “परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि व आप सबके सामूहिक आशीर्वाद से हम जेल जाने से बच गए” स्वयं ही सब कुछ कह रहा है। इस सुखद अनुभूति का विस्तृत वर्णन पढ़ने के लिए आपको कुछ देर प्रतीक्षा करनी पड़ेगी ( शायद आध्यात्मिक जन्म दिवस तक) लेकिन इतना स्मरण रहे कि हम भाई साहिब को अपनी बधाई देना न भूल जाएँ क्योंकि उनके विरुद्ध कोर्ट केस का भाई साहिब के पक्ष में निर्णय होना और निर्दोष साबित होना, केवल और केवल गुरु अनुकम्पा से ही संभव हो सकता है।
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अपने जीवन को बहुरंगी बनाएं :
अपने साथिओं के जीवन को बहुरंगी बनाने के उद्देश्य से हम शुभरात्रि सन्देश एवं अन्य माध्यमों से प्रयास करते रहे हैं। जीवन के सभी रंग मनुष्य के अंदर व्याप्त सात चक्रों से सम्बंधित हैं, इस विशाल विषय को सरलता से, संक्षेप में समझने की दृष्टि से हमने मात्र 26 पन्नों की पुस्तक तैयार की है जिसे कोई भी समझ सकता है। यहाँ हम उस पुस्तक का archive link दे रहे हैं जिसे ग्रहण करके आप अपने जीवन के हर रंग से परम आनंद प्राप्त कर सकते हैं I
हमारे शरीर में स्थित सात चक्रों की संक्षिप्त जानकारी
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अनिल मिश्रा जी का योगदान :
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के समर्पित साथी अनिल मिश्रा जी द्वारा भेजी गयी “कलयुग के लक्षण” रचना आज अवश्य ही सभी का मन मोह लेगी क्योंकिं इस रचना का एक एक शब्द न केवल सत्य है बल्कि चिंतन मनन का विषय है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के एक एक सदस्य के ह्रदय में यह प्रश्न तो अवश्य ही उठेंगें “हम कहाँ जा रहे हैं ?क्या इस तथाकथित आधुनिकता का कोई अंत है ? इस सब का ज़िम्मेदार हम माता पिता ही नहीं हैं ?
1. कुटुम्ब कम हुआ . 2 सम्बंध कम हुए 3. नींद कम हुई. 4. बाल कम हुए 5. प्रेम कम हुआ 6. कपड़े कम हुए 7. शर्म कम हुई 8. लाज-लज्जा कम हुई 9. मर्यादा कम हुई 10. बच्चे कम हुए 11. घर में खाना कम हुआ 12. पुस्तक वाचन कम हुआ 13. भाई-भाई प्रेम कम हुआ 15. चलना कम हुआ 16. खुराक कम हुआ 17. घी-मक्खन कम हुआ 18. तांबे – पीतल के बर्तन कम हुए 19. सुख-चैन कम हुआ 20. मेहमान कम हुए 21. सत्य कम हुआ 22. सभ्यता कम हुई 23. मन-मिलाप कम हुआ 24. समर्पण कम हुआ
संतान को दोष न दें...*
बालक या बालिका को इंग्लिश मीडियम’ में पढ़ाया,अंग्रेजी बोलना सिखाया,बर्थ डे और मैरिज एनिवर्सरी जैसे जीवन के शुभ प्रसंगों को अंग्रेजी कल्चर के अनुसार जीने को ही श्रेष्ठ मानकर, माता-पिता को मम्मा और डैड कहना सिखाया, हम माता पिता ने।
जब अंग्रेजी कल्चर से परिपूर्ण बालक या बालिका बड़ा होकर आपको समय नहीं देता, आपकी भावनाओं को नहीं समझता,आप को तुच्छ मानकर जुबान लड़ाता है और आपको बच्चों में कोई संस्कार नहीं दिखते, तब घर के वातावरण को गमगीन बनाए बिना या संतान को दोष दिए बिना कहीं एकान्त में जाकर रो लें क्योंकि पुत्र या पुत्री की पहली वर्षगांठ से ही,भारतीय संस्कारों के बजाय केक कैसे काटा जाता है सिखाने वाले आप ही हैं।
हवन कुण्ड में आहुति कैसे डाली जाए, मंदिर, मंत्र, पूजा-पाठ,आदर-सत्कार के संस्कार देने के बदले केवल फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने को ही अपनी शान समझने वाले आप ही थे।
बच्चा जब पहली बार घर से बाहर जाता तो उसे प्रणाम के बदले बाय-बाय कहना सिखाने वाले आप ही थे। परीक्षा देने जाते समय इष्टदेव/बड़ों के पैर छूने के बदले Best of Luck
कह कर परीक्षा भवन तक छोड़ने वाले आप ही थे,बालक या बालिका के सफल होने पर, घर में परिवार के साथ बैठ कर खुशियाँ मनाने के बदले होटल में पार्टी मनाने की प्रथा को बढ़ावा देने वाले आप ही थे, बालक या बालिका के विवाह के पश्चात् कुल देवता / देव दर्शन
को भेजने से पहले हनीमून के लिए फाॅरेन/टूरिस्ट स्पॉट भेजने की तैयारी करने वाले आप ही थे।
ऐसी ही ढेर सारी अंग्रेजी कल्चर्स को हमने जाने-अनजाने स्वीकार कर लिया है, अब तो बड़े-बुजुर्गों और श्रेष्ठों के पैर छूने में भी शर्म आती है।
गलती किसकी है ? सिर्फ हमारी माता पिता की अंग्रेजी International भाषा है, इसे सीखना है लेकिन अंग्रेजी संस्कृति को जीवन में उतारना नहीं है।
मानो तो ठीक है,नहीं तो भगवान ने जिंदगी दी है, चल रही है,चलती रहेगी। आने वाली जनरेशन बहुत ही घातक सिद्ध होने वाली है, हमारी संस्कृति और सभ्यता विलुप्त होती जा रही है,बच्चे संस्कारहीन होते जा रहे हैं और ,अंग्रेजी सभ्यता को अपना रहे हैं।
सोच कर, विचार कर अपने और अपने बच्चे, परिवार, समाज, संस्कृति और देश को बचाने का प्रयास करें।
हमारी गौरवशाली भारतीय, सनातन संस्कृति और सभ्यता ओर गर्व करने के इलावा और कोई विकल्प नहीं है।
इसी सन्दर्भ में आदरणीय पंकज पटेल जी द्वारा भेजी गयी वीडियो शेयर की जा रही है।
https://drive.google.com/file/d/1owQYEeaFPTYaP4sPN-QZWeRKkOR_T9Az/view?usp=drive_link
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आदरणीय चंद्रेश बहादुर जी का योगदान:
हमारे समर्पित साथी आदरणीय चंद्रेश बहादुर जी ने कैलेंडर वर्ष 2024 के आगमन पर उन्ही के घनिष्ठ मित्र आदरणीय संजय खरे जी की एक रचना भेजी थी। रचना 2021 के सन्दर्भ में लिखी गयी थी लेकिन 2024 में भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। चंद्रेश जी एवं संजय जी का इस योगदान के लिए ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं।
“नववर्ष”
बहुत किया सम्मान अतिथि का । अब तो अपनों का मान करो ।।
जग की सबसे पुरा संस्कृति । का अब तो कुछ ध्यान करो ।।
विद्युत की लर के आगे तुम । दीपों पर विश्वास करो ।।
जन्म लिया जिस पुण्य धरा पर । जिस परिवेश में श्वास लिया ।।
उसकी भी कुछ सुध-बुध लो तुम। उसका भी कुछ मान करो।।
रीति प्रथा सब बिसरे अपनी। पाश्चात्य संस्कृति अपना ली ।।
संवत्सर अठहत्तर में तुम हो । सन इक्कीस के साथ खड़े ।।
अनुजों के पीछे तुम अब तक। अग्रज को बिसरा बैठे।।
सोचो सोचो फिर से सोचो। मै बतलाता हूं तुम सबको।।
पीछे चलने की आदत है अब तक। पूंछ में मूंछ बंधा के बढ़े । ।
अभी बसन्त तो दूर खड़ा है। और मनाते तुम नवसंवत्सर।।
गेहूं के दाने पकने दो। होने दो सरसों बासन्ती।।
झूम झूम के नर्तन करना । और बधाई देना तुम ||
फागुन के गीतों संग मिश्रित। मधुर कामना करना तुम।।
सृष्टि के उद्गम का दिन यह तो । अत्यन्त शुभंकर दिन है यह ।।
मंगलमय कर देगा सबको। चैत्र प्रतिपदा शुक्लपक्ष पर ।
आने दो नव वर्ष तो अपना ।।
संजय खरे
के० पी० कालेज,प्रतापगढ़
इसी के साथ हमारी रिसर्च से विकर्मी सम्वत की जानकारी आपके समक्ष प्रस्तुत है :
पुरातन नगर उज्जैन, मध्य प्रदेश में विक्रमादित्य नामक एक बहुत बड़ा पराक्रमी राजा हुए थे। कहा जाता है कि इन्होंने अपने अतुल पराक्रम से विदेशी शासकों को भारत से खदेड़ दिया। इसी विजयोपलक्ष में इन्होंने अपना प्रसिद्ध विक्रम सम्वत् चलाया। ईस्वी साल में 57 जोड़ने से विक्रम सम्वत् वन जाता है, 1930 में 57 जोड़ने से 1987 विक्रम सम्वत् हुआ। इसी प्रकार 2024 में 57 जोड़ने से 2081 विकर्मी सम्वत बनता है। उत्तर भारत में प्रायः विक्रम सम्वत् का ही विशेष प्रयोग किया जाता है ।
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सुधा बहिन जी के बेटे की सिलेक्शन :
कुसुम त्रिपाठी बहिन जी ने सुधा बहिन जी के बेटे की सिलेक्शन के बारे में निम्नलिखित जानकारी दी है:
जय गुरु देव गुरु देव की असीम अनुकम्पा से आज मेरे बेटे अंकित राज का सेलेक्शन अंडर 23 कर्नल सी के नायडू टूर्नामेंट मे बिहार टीम मे कैप्टन के रूप मे हुआ है जय गुरु देव जय माता जी आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम, सभी भाई बहनों को शुभरात्रि
परिवार में यह जानकारी शेयर करने के लिए हम बहिन कुसुम जी का धन्यवाद तो करते ही हैं, साथ में सुधा जी को निवेदन करते हैं कि स्वयं भी सक्रिय होकर परिवार में परिचित हों, आप कौन सी सुधा हैं, guess करना कठिन हो रहा है।
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आदरणीय रामनारायण कौरव जी का योगदान:
आदरणीय कौरव जी ने दो स्थानों पर होने वाले गायत्री यज्ञों की सूचना भेजी है जीने हम यथावत ही शेयर कर रहे हैं।
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हर शुक्रवार की भांति आज भी यूट्यूब की समस्या रही जिसके कारण केवल 4 युगसैनिकों ने ही 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। आज सुजाता जी 53 अंक प्राप्त करके आज की गोल्ड मैडल विजेता हैं । सभी को हमारी हार्दिक बधाई एवं संकल्प सूची में योगदान के लिए धन्यवाद्।
(1)सुमनलता-39 , (2)संध्या कुमार-46,(3 ) सुजाता उपाध्याय-53 ,(4 )चंद्रेश बहादुर-33
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।

