आदरणीय चंद्रेश जी द्वारा भेजे गए युग निर्माण योजना में प्रकाशित लेख के अनुसार हिन्दू वर्ष 1 जनवरी को आरम्भ नहीं होता है, फिर भी हम कहेंगें कि आज का यह स्पेशल सेगमेंट 2023 का अंतिम लेख है।
आज के इस स्पेशल सेगमेंट में हमारे दो सहकर्मियों ने बहुत ही सुन्दर योगदान दिया है। पहला योगदान हमारे आदरणीय चंद्रेश बहादुर जी का है और दूसरा आदरणीय सरविन्द पाल जी की अनुभूति है। दोनों साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद् करते है।
दोनों साथिओं के योगदान को आरम्भ करने से पहले हम कुछ बातें संक्षेप में निम्नलिखित प्रस्तुत कर रहे हैं :
1. सबसे पहले तो आदरणीय सुमनलता बहिन जी का धन्यवाद् करना चाहते हैं जिनके सुझाव का हमारी बेटी प्रेरणा ने आदर-सम्मान पूर्वक पालन करके इस परिवार की प्रतिभा को आगे बढ़ाया है। आशा करते हैं कि बेटी संजना, बेटी अनुराधा, बेटी पिंकी भी इस दिशा में अग्रसर होंगीं। बहिन सुमनलता जी ने प्रेरणा की वीडियो पर अनेकों काउंटर कमेंट करके additional कार्यभार संभाला। इसके लिए भी बहिन जी का धन्यवाद् करते हैं। हमारी इच्छा थी कि हम भी अपने पर्सनल कमेंट करें लेकिन समय अभाव के कारण असमर्थ रहे। इस बार भी शुक्रवार को यूट्यूब की समस्या आती रही,जितना हमसे बन पाया, निवारण करते रहे।
2. हमारे साथिओं ने नोटिस किया होगा कि हम कुछ दिनों से “वीडियो शार्ट” प्रकाशित कर रहे हैं। “वीडियो शार्ट” मात्र 1 मिंट की होती है जबकि हम फुल लेंथ वीडियो की अवधि 15 मिंट रखने का प्रयास करते हैं। वीडियो शार्ट की viewership देखकर हमने स्वयं से एक प्रश्न पूछा: 15 मिंट की एक वीडियो यां 1 मिंट की 15 वीडियोस? तो उत्तर मिला दोनों। आज के मनुष्य की प्रवृति उसकी Retaining capability को मात्र कुछ सेकंड्स ( 15 सेकंड्स) तक ही सीमित कर चुकी है। अधिकतर लोग आपकी बात 15 सेकंड्स से अधिक सुनने को तैयार नहीं है। हमारा सौभाग्य है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर इतने बड़े-बड़े लेख न केवल ध्यानपूर्वक पढ़े जा रहे हैं, समझकर कमेंट भी किए जा रहे हैं। तो इस स्थिति का मूल्यांकन करने पर यही निष्कर्ष निकलता है कि अभी भी बहुत पाठक हैं जो “ज्ञान प्राप्ति” की इच्छा रखते हैं। जिस 15 मिंट की वीडियो में से हमने 15 शार्ट वीडियो प्रकाशित की हैं, गुरुदेव की एक मास्टरपीस वीडियो है। हमारा विश्वास है कि अगर इस वीडियो को रेगुलर वीडियो की भांति प्रकाशित किया जाए तो अवश्य ही बहुत कुछ जानने को मिलेगा।
3.हमारी समर्पित साथी आदरणीय सुजाता उपाध्याय जी ने सूचित किया है कि भुवनेश्वर शक्तिपीठ में 8 से 11 फ़रवरी 2024 को 108 कुंडीय यज्ञ का आयोजन होना निश्चित हुआ है। 10 जनवरी को वोह लोग मिलकर शांतिकुंज से शक्ति कलश लेने जा रहे हैं। हम सभी को अपनी शुभकामना भेजते हैं।
आइए अब गुरुकक्षा में, गुरुचरणों में समर्पित हो अपने साथिओं द्वारा तैयार किया गया स्पेशल सेगमेंट का आनंद उठाएं।
ॐ असतो मा सद्गमय ।तमसो मा ज्योतिर्गमय ।मृत्योर्मा अमृतं गमय ।ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अर्थात
हे प्रभु, मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।
मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥
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आदरणीय चंद्रेश जी का योगदान:
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के वरिष्ठ, आदरणीय सहकर्मी चंद्रेश बहादुर जी ने 22 दिसंबर 2023 को युग निर्माण योजना के उस लेख के दो स्कैन पन्ने भेजे थे जिसका शीर्षक “एक जनवरी नहीं, चैत्रशुक्ल प्रतिपदा को मनाएं नववर्षोत्सव” है। इस लेख के माध्यम से “आत्मीय अनुरोध” किया गया है कि हम चैत्रशुक्ल प्रतिपदा को ही नववर्ष मनाएं। शब्दसीमा हमें संक्षेप में ही कहने की आज्ञा दे रही है, सम्पूर्ण लेख 1 जनवरी 2024, सोमवार को वर्ष 2024 एवं सप्ताह के प्रथम ज्ञानप्रसाद के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। आज इस लेख में बारे में indication देने का उद्देश्य मात्र इतना ही है कि आइए अपने गुरु के आदेश का पालन करें और समाज में भारतीयता के दीपक को प्रज्जवलित करें।
कुछ दिन पूर्व हमने ज्ञानप्रसाद लेखों के ओपनिंग पैराग्राफ में भी इस लेख का रेफरन्स दिया था। आज 30 दिसंबर 2023 शनिवार का दिन है, कल 31 दिसंबर रविवार। हम सब भलीभांति परिचित हैं कि 1 जनवरी को मनाये जाने वाले नववर्ष की भारत समेत समस्त विश्व में कितनी धूमधाम होती है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का प्रत्येक सदस्य जहाँ आदरणीय चंद्रेश जी का ह्रदय से इस लेख को शेयर करने के लिए धन्यवाद् करता है वहीँ गुरुदेव के निर्देश का पालन करने का संकल्प लेने के लिए भी आग्रह करता है।
हम सब मान सकते हैं कि वर्षों से प्रचलित प्रथा (“1 जनवरी” को नववर्ष मनाना) का विरोध करना इतना सरल नहीं है लेकिन यह उतना ही कठिन है जितना स्वयं को समझ पाना। अगर आपको कोई हैप्पी न्यू ईयर कह कर greet करता है तो क्या गलत है ?
जिस प्रकार हमारी समर्पित बेटी संजना ने दहेजप्रथा को “भेड़ियाचाल” की संज्ञा दी है क्या इस प्रथा को भी हम यही संज्ञा नहीं दे सकते ? आधुनिक मनुष्य की प्रवृति बन चुकी है कि डांस पार्टियां, बड़े-बड़े आयोजन ही जीवन का महत्वपूर्ण अंग हैं, यही ज़िंदगी है लेकिन इस मंच से हम बड़े ही विनम्र शब्दों में, सभी धर्मों का, मानवता का सम्मान करते हुए इतना ही कहेंगें “अरे मनुष्य अब तो जाग जा, क्यों जान बूझकर विनाश के कुँए में छलांग लगा रहा है, स्वयं को पहचान, अपने अस्तित्व को पहचान।
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अपने बच्चों पर परम पूज्य गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य अनवरत बरसता रहता है – सरविन्द कुमार पाल
19 दिसंबर 2023, मंगलवार वाले दिन को आप सबके बेटे आयुष कुमार पाल का Zonal Cricket Trial शुक्लागंज उन्नाव में संपन्न हुआ था जिसमें बेटे को सफलता नहीं मिल पायी। सेलेक्टर ने रिजेक्ट कर दिया तो बेटा आयुष कुमार पाल जब घर आया तो बहुत निराश था। घर आकर बेटे ने सर्वप्रथम अपनी पूजास्थली में जाकर परम पूज्य गुरुदेव से बहुत लड़ाई की और बाल बुद्धि में परम पूज्य गुरुदेव से यहाँ तक कह डाला कि यदि हमें अगला क्रिकेट ट्रायल UPCA का ट्रायल देने को नहीं मिलेगा तो हम आपको भूल जाएंगे और फिर कभी आपकी उपासना,साधना व आराधना नहीं करेंगे और चुपचाप एकांत में बैठकर खूब रोया। हमारी दोनों बेटियों (पिंकी पाल व अनुराधा पाल) ने भाई आयुष को एकांत में रोते हुए देखा तो दोनों बहुत विचलित हो गईं। दोनों बहनों ने आयुष को बहुत समझाया और हमें भी फोन द्वारा उसकी दशा से अवगत किया। हमने भी बहुत समझाया लेकिन बेटे में कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं दिख रहा था।हमने आयुष के कोच को भी अवगत किया,उन्होंने भी बेटे को बहुत समझाया और कहा कि अगले वर्ष के लिए तैयारी करो, अवश्य ही सफलता मिलेगी लेकिन निराशा के कारण बेचैनी छोड़ ही नहीं रही थी l
इस विषम परिस्थिति के बावजूद हमारा विश्वास ज़रा भी डगमगाया नहीं, हमने परम पूज्य गुरुदेव से अपील की कि हे प्रभु आप ही बच्चे को सदबुध्दि देकर समझा सकते हैं। गुरुदेव ने हमारी अपील स्वीकार कर ली और युगतीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार से उचित मार्गदर्शन हेतु एक छोटा सा दिव्य लेख भेज दिया जिसमें लिखा था :
“मनुष्य बड़ा उतावला प्राणी है, तत्काल लाभ प्राप्त करने की उसकी प्रबल अभिलाषा स्वयमेव जागृत होती है। उतावलेपन में मनुष्य इस बात को भूल जाता है कि सफलता के परिपाक के लिए जितने घड़ी-घंटे निश्चित होते हैं,उन्हें तो लाँघना ही पड़ता है। मनुष्य की ऐसी प्रवृति है कि वह हथेली में सरसों जमाने की बाल-कल्पना से बाज़ नहीं आता, उसकी यह कल्पना कभी भी फलवती नहीं होती है l नौ माह गर्भ में पकने वाले बालक का एक-दो माह में पैदा हो जाना कठिन ही नहीं, असम्भव भी है। सफलता की अंतिम मंजिल तक पहुँचने के लिए प्रतीक्षा करनी ही पड़ती है, जिसके लिए न केवल धैर्य चाहिए बल्कि ध्रुव धैर्य चाहिए l ध्रुव धैर्य बनाए रखने के लिए सर्वप्रथम हमें अपने चंचल मन को नियंत्रित व परिष्कृत करना ही होगा,पात्रता सिद्ध करनी होगी। ईश्वर हमारी बार-बार परीक्षा लेते हैं और इस परीक्षा में वही सफल हो पाता है जिसने अपने मन को परिष्कृत कर लिया हो, उसे अपने वश में कर लिया हो। स्वाधीन मन मनुष्य का सबसे बड़ा,सर्वश्रेष्ठ व सच्चा सहायक होता है, उसे संसार में किसी भी सहायक की आवश्यकता नहीं होती है। मन का परिमार्जन स्वयं ही एक बहुत बड़ा तप है l
परम पूज्य गुरुदेव के इस छोटे से दिव्य लेख को पढ़ने से हमें आत्मशान्ति तो मिली ही , साथ में आत्मविश्वास भी बढ़ा कि गुरुदेव की कृपा से सब ठीक हो जाएगा, धैर्य व सहनशक्ति बनाए रखने की प्रेरणा मिली। हमने यह दिव्य संदेश को बेटे आयुष को भेजा और पुनः समझाने का प्रयास किया लेकिन धैर्य के अभाव में कुंठित मन मान ही नहीं रहा था क्योंकि अगला क्रिकेट ट्रायल दिनांक 23 दिसंबर,शनिवार को कमला क्लब कानपुर में लगा था और यह बात 22 दिसंबर शुक्रवार की है l धैर्य के अभाव में ह्रदय धड़कन बढ़ना स्वाभाविक था लेकिन गुरुदेव का *सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य* चरितार्थ हो गया और हमारी अपील स्वीकार कर ली गयी।
हमें तो यह चमत्कार जैसा ही लगा जब गुरुदेव ने आयुष के सीनियर कोच को अपना देवदूत बनाकर, 23 दिसंबर शनिवार को ही कमला क्लब कानपुर में तत्काल पहुँचने का निमन्त्रण भेजा। सुबह के लगभग 10 बजे का समय था और आयुष कुमार पाल बिना कोई देर किए अपने दोस्त अमन यादव के साथ मोटर साइकिल से कमला क्लब पहुँच गया। पँहुचने पर देखा ट्रायल शुरु थे और कानपुर जोन का ट्रायल अंतिम ट्रायल था। बेटे ने लिस्ट में नाम चेक करवाया तो लिस्ट में उसे नाम अंकित था। बेटा आश्चर्यचकित हो गया और तत्काल हमें और अपने सीनियर कोच को अवगत किया कि UPCA की तरफ से क्रिकेट ट्रायल हेतु लिस्ट में हमारा नाम है और हमें चेस्ट नम्बर 840 मिला है l यह खुशख़बरी पाकर हमारा भी खुशी का ठिकाना न रहा और हमने मन ही मन परम पूज्य गुरुदेव को धन्यवाद दिया और कहा कि यह सब कैसे हो गया। हमने अंतःकरण की गहराई में पहुँच कर अनुभव किया कि यह सब परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से ही हुआ है और मन ही मन मोहर लगा दी कि अपने बच्चों पर परम पूज्य गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य सदैव बरसता रहता है, इसमें तनिक भी संदेह व संशय नहीं है। परम पूज्य गुरुदेव साक्षात महाकाल हैं और जिनके सिर पर महाकाल का हाथ होता है उसका कोई काम रुकता नहीं है l
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इस अनुभूति से हम सबको बहुत बड़ी प्रेरणा व ऊर्जा मिलेगी और गुरुदेव के प्रति हम सबका दृष्टिकोण व दिशा बदलेगा,आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होगा और परम पूज्य गुरुदेव के प्रति आत्मविश्वास बढ़ेगा।
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आज 8 युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है।सुजाता जी,रेणु जी और संध्या जी Trio नारी शक्ति गोल्ड मैडल विजेता हैं । तीनों बहिनों को हमारी हार्दिक बधाई एवं संकल्प सूची में योगदान के लिए धन्यवाद्।
(1)सुमनलता-28 ,(2) संध्या कुमार-44 ,(3 ) सुजाता उपाध्याय-46 ,(4 )रेणु श्रीवास्तव-46 ,(5 )मंजू मिश्रा-28,(6 )प्रेरणा कुमारी-25,(7) वंदना कुमार-25,(8) चंद्रेश बहादुर-28 सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।