वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

23 दिसंबर 2023 का स्पेशल सेगमेंट, प्रेरणा बेटी, 15 वर्षीय सरविन्द जी और कौरव जी का योगदान

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बहुत ही हैरानगी की बात है कि समय कैसे उड़े जा रहा है, कब सोमवार आता है और पलकते झपकते ही शनिवार आ जाता है।इस भागती स्पीड का श्रेय तो गुरुदेव के साहित्य-आधारित दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख, वीडियो ,शुभरात्रि सन्देश, वीडियो शॉर्ट्स, ज्ञान से भरपूर विस्तृत कमेंट-काउंटर, साथिओं के फ़ोन कॉल्स आदि को ही जाता है। सप्ताह के सातों दिन, 24 घण्टे गुरुकार्य में समर्पित होने के कारण ही समय भागता जा रहा है। गुरुदेव का कार्य करते समय एक ही शब्द निकलते है “इतनी शक्ति हमें देना दाता – – – -” आप सभी हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनेकों कमैंट्स के माध्यम से कामना करते हैं, हम बहुत ही आभारी हैं।  

स्पेशल सेगमेंट की रोचकता का श्रेय बिना किसी शंका के हमारे सभी युगसैनिकों को जाता है जो इस छोटे से परिवार का प्राण हैं ,बहुत बहुत धन्यवाद्। 

आज के सेगमेंट में मुख्यता 4  युगसैनिकों का योगदान है।  

1.पहला योगदान हमारी प्रेरणा बेटी का है जो  हर वर्ष अपना जन्म दिवस एक अद्भुत तरीके से, बच्चों के साथ,उपहार देकर मनाती है। जन्म दिवस से एक दिन पूर्व बेटी ने हमें इस उपहार वितरण के बारे में  फ़ोन करके सूचित किया और क्षमा याचना भी की कि व्यस्तता के कारण इन दिनों मंच पर सक्रियता में कमी आयी है।

2.दूसरा योगदान आदरणीय कौरव भाई साहिब का है  जिन्होंने निम्नलिखित जानकारी शेयर की है :

गायत्री परिवार तहसील करेली के कोषाध्यक्ष श्री राघवेन्द्र कौरव करेली के बेटे विद्यांश का जन्मदिन दीपयज्ञ के साथ मनाया गया। 

लौकीपार में दिनांक  28 जनवरी 2024 से  आयोजित विराट 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ हेतु आमंत्रण दिए गये।

वीडियो लिंक के माध्यम से दोनों ही योगदान आपके समक्ष प्रस्तुत कर दिए हैं।  

3.तीसरा  योगदान हमारे  सबके चहेते आदरणीय सरविन्द जी की अनुभूति का है जिसका  प्रथम भाग ही आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर 15 वर्षीय बालक सरविन्द की यह रचना इतनी  प्रेरणादायक है कि इसे हम सब कई बार पढ़ चुके हैं। 

इस दिव्य अनुभूति के बाद भी अगर किसी को परम पूज्य गुरुदेव की शक्ति के बारे में कोई शंका रहती है तो फिर कुछ नहीं हो सकता। 

3.चौथा योगदान हमारी व्हाट्सप्प साथी आदरणीय सुनीता शर्मा जी का है जिनके योगदान से आज का दिव्य प्रज्ञागीत प्रस्तुत किया जा रहा है। 

सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। 

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सरविन्द जी की कलाकृति प्रस्तुत करने से पूर्व कुछ निवेदन करना चाहेंगें : 

1.सबसे पहले तो आदरणीय सुमनलता बहिन जी द्वारा दिए गए सुझाव को स्मरण कराने की आवश्यकता है। 2  दिसंबर वाले स्पेशल सेगमेंट में बहिन जी ने ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की युवाशक्ति को सक्रीय करने के उद्देश्य से महीने के अंतिम शुक्रवार को वीडियो के स्थान पर युवा सैनिकों द्वारा रिकॉर्ड की गयी ऑडियो क्लिप पोस्ट करने का सुझाव दिया था। सभी ने इस सुझाव का समर्थन किया था और अगला सप्ताह  महीने का (वर्ष का भी) अंतिम सप्ताह है, 29 दिसंबर को शुक्रवार है। प्रेरणा बेटी से बात हुई थी, इस शुक्रवार के लिए वोह अपनी रिकॉर्डिंग भेज देगी। संजना  बेटी को तो कहना ही नहीं पड़ेगा, वोह स्वयं ही भेज देगी। जनवरी 2024 के अंतिम शुक्रवार के लिए बेटियां पिंकी/अनुराधा आगे आएं तो बहुत अच्छा होगा। पिंकी बिटिया तो इस फील्ड में पहले से ही सक्रीय है। 

2.जिस प्रकार नियमितता का बार बार स्मरण कराना आवश्यक समझा जाता है, उसी प्रकार एक और बात स्मरण कराने योग्य है कि स्पेशल सेगमेंट में जिसका भी योगदान होता है, उसे निवेदन करते हैं कि वोह “उस सेगमेंट को अवश्य पढ़े।” कई बार देखा गया है योगदान देने वाले साथिओं की तरफ से धन्यवाद् आदि करना तो दूर की बात, कोई कमेंट भी नहीं होता, ऐसा फील होता है कि उसने पढ़ा ही नहीं है। अगर योगदानी  के दिल में यह धारणा है कि मात्र योगदान करना ही बहुत है तो इसे अनुचित ही समझा जाना चाहिए।  कई बार ऐसी प्रेरणादायक  अनुभूतियाँ होती हैं, जिनसे अनेकों मार्गदर्शन मिल सकते हैं । हमारे सभी साथी हमारे साथ सहमत होंगें कि इस पारिवारिक मंच पर ज्ञान के इलावा कुछ भी प्रकाशित नहीं होता है और ज्ञान का प्रसार-प्रचार करना हमारा परम धर्म है, कर्तव्य है।        

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सरविन्द जी का योगदान : 

प्रातःकाल ब्रम्ह्मुहुर्त में उठ जाने की प्रक्रिया हमारी आज भी अनवरत चल रही है इसमें किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं है उसी क्रम में आदरणीय डाक्टर साहब गुप्ता जी हमारा मार्गदर्शन करते रहते थे I हमारा सपना साकार दिखता नजर आ रहा था पूज्य गुरूदेव के प्रति हमारी निष्ठा व श्रद्धा-विश्वास निरंतर बढ़ रही थी धीरे-धीरे परम पूज्य गुरूदेव के प्रति समर्पित होते जा रहे थे I 

हम अपने घर का विरोध  भी झेल रहे थे I  हमारे सामने घोर संकट था I  बहुत ज्यादा उम्र भी नहीं थी कि हम अपने घर वालों का सामना कर सकें I विरोध के बावजूद भी हमने अपना पथ नहीं छोड़ा,  हम लुक-छिपकर परम पूज्य गुरूदेव का काम पूरा करते रहे I हम अपने गाँव में अकेले ही गायत्री परिवार में थे उस समय हमारे सिवा दूसरा कोई व्यक्ति नहीं था जो हमारा समर्थन कर सहयोग कर सके I 

अचानक हमारे अंतःकरण में कुछ ऐसे भाव जागृत हुए कि परम पूज्य गुरूदेव के काम को आगे बढ़ाने में पूर्णतया सहयोग गाँव का लिया जाए तो हमने अपने गाँव में परम पूज्य गुरूदेव का एक कार्यक्रम कराने की योजना बनाई  और इस योजना के बारे में आदरणीय डाक्टर साहब गुप्ता जी के समक्ष अपनी जिज्ञासा रखी I  उन्होंने हमारे परम आदरणीय महामहिम माननीय श्री रामबहादुर कुदैशिया जी पूर्व व प्रथम प्रधानाचार्य  जी ,आदर्श इन्टर कालेज कोड़ा जहानाबाद  से अवगत कराया I  कुदेशिया जी ने   नवलकिशोर मिश्रा जी से बात कर हमें तीन दिवसीय पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ का कार्यक्रम दिलवा दिया जिसकी  तिथि भी दिनांक 13,14 व 15 जनवरी 1995 के लिए निर्धारित हो गई I

हमारे लिए यह काम बहुत बड़ा काम था क्योंकि उस समय हम मिशन में अकेले ही थे I कार्यक्रम के लिए गाँव में किसी से पहले सलाह-मशविरा भी नहीं लिया था केवल  परम पूज्य गुरुदेव की हमारे अंतःकरण में अभिलाषा थी और उन्हीं का मार्गदर्शन था।  यही मार्गदर्शन और आशीर्वाद था जिसने  हमसे  अकेले इतना बड़ा कार्यक्रम करवा  लिया था और उन्हीं की कृपा से सफलता पूर्वक सम्पन्न भी हो गया I हम स्वयं नहीं समझ पाए कि यह सब कैसे हो गया I 

“ उस समय हम बेरोजगार थे विद्यार्थी जीवन था I  हमारे घर से किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं था , न आर्थिक न शारीरिक  बल्कि विरोध भयंकर था I” 

आप सभी मित्र ,भाई , बहिनें , माताएं – पाठकगण एवं ज्ञानरथ  सहकर्मी   खुद समझदार हैं कि हाई स्कूल में पढ़ने वाला  विद्यार्थी  क्या कर सकता है यह सब परम पूज्य गुरूदेव का ही आशीर्वाद था I  हमारे गाँव व पास-पड़ोस का भरपूर सहयोग मिला I तीन दिन तक लगातार भंडारा चलता रहा , कार्यक्रम में किसी प्रकार की कमी नहीं हुई, काफी धन व अनाज बच गया जिसे शान्तिकुन्ज हरिद्वार के तत्वावधान में आयोजित नेत्र शिविरों में भेज दिया गया I कार्यक्रम में चार-चाँद जब लग गए तब का नजारा और भी रोचक हो गया। 

उस समय को कभी नहीं भूलते और न ही कभी भूलेगे : 

वह दिन हमारी इस छोटी सी उम्र की प्रेरणादायी घटना है I कार्यक्रम उसी विद्यालय के प्रांगण में सम्पन्न हुआ था जहाँ उस समय हम पढ़ते थे जिसके प्रधानाचार्य आदरणीय श्री जयनारायण पाल जी थे उनका भी कार्यक्रम में अच्छा सहयोग था , जिनके माध्यम से कार्यक्रम मिला था परम आदरणीय महामहिम माननीय श्री रामबहादुर कुदैशिया जी भी कार्यक्रम में शामिल हुए और कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय राकेश सचान जी विधायक घाटमपुर के कर-कमलों द्वारा सम्पन्न होना निश्चित हुआ था।   वह भी कार्यक्रम में आये , अब तीन महान हस्तियाँ एक साथ एक मंच में विराजमान थी I कार्यक्रम के संचालक चौथे हम थे I “उस समय का द्रष्य हमारी जिन्दगी की पहली खुशी थी जो परम पूज्य गुरूदेव के आशीर्वाद से मिली हम आनंद से ओतप्रोत हो गए I”   कृतार्थ हो गए I 

अब अपनी इस अपार खुशी का कारण बता रहे हैं :

यह घटना कार्यक्रम में प्रथम दिन की हैI कार्यक्रम के संचालक यानि हम सरविन्द कुमार पाल कक्षा 10 के विद्यार्थी ने अपने प्रधानाचार्य श्री जयनारायण पाल जी के विद्यालय में सम्पन्न करवाया जिसमें हमारे प्रधानाचार्य जी के शिक्षण काल के प्रधानाचार्य महामहिम माननीय श्री रामबहादुर कुदैशिया जी अपने शिष्य के विद्यालय में आए। श्री जयनारायण पाल जी ही   कार्यक्रम की व्यवस्था देख रहे थे तथा माननीय श्री राकेश सचान विधायक घाटमपुर जिनके कर-कमलों से कार्यक्रम का उद्घाटन सम्पन्न होना था उनके भी शिक्षण काल के प्रधानाचार्य कुदैशिया जी ही थेI  यह सब परम पूज्य गुरूदेव का आशीर्वाद था जो इस तरह का संयोग एक साथ मिला I 

बताने का  हमारा तात्पर्य  यह है कि हमें खुशी है कि हमारे प्रधानाचार्य जी ने हमारा भरपूर सहयोग दिया और उन्हें खुशी कि हमारे शिष्य ने इतनी छोटी सी उम्र में इतना बड़ा कार्यक्रम सम्पन्न करवाया वह भी हमारे विद्यालय में  और हमारे प्रधानाचार्य जी को ख़ुशी कि उनके शिक्षण काल के प्रधानाचार्य और इसी विद्यालय के विद्यार्थी विधायक राकेश सचान जी सब एक साथ कैसे इक्क्ठे हो गए।  

अवश्य ही परमपूज्य गुरुदेव की कृपा ही होगी जिन्होंने तीन पीढ़ीओं  को एक साथ एक ही मंच पर ,एक ही समय पर, एक ही पुनीत कार्य को सम्पन्न करने को प्रोत्साहित किया। केवल इतना ही नहीं, हम तो बेझिझक यह भी कह सकते हैं कि गुरुदेव ने यह भी सुनिश्चित किया कि  एक छोटे से बच्चे ( हम, सरविन्द पाल)  द्वारा इतने विशाल कार्य को बिना किसी अड़चन के सम्पन्न करवाया जाए ।  अवश्य ही परमपूज्य गुरुदेव की सूक्ष्म सत्ता इस महान आयोजन में कार्यरत होगी।  

हमारा ऐसा  कहना अत्यंत तर्कसंगत है, क्योंकि गुरुदेव का महाप्रयाण तो 1990 में हो गया था और यह घटना 1995 की है। गुरुदेव ने कहा था कि हम इस हाड़ -मास  के चोगे को त्यागने के उपरांत और भी सक्रीय होकर अपने बच्चों के कार्य करेंगें”  यह तो गुरुदेव ने अपने साहित्य में कितनी ही बार दोहराया है “तू  मेरा काम कर  मैं तेरा कार्य करूँगा “ हमने तो केवल एक ही कदम उठाया और बाकी सब गुरुदेव स्वयं ही करते चले गए। 

ऐसे हैं हमारे गुरुदेव, उनके लिए नमन शब्द बहुत ही छोटा है, गुरुदेव आशीर्वाद दीजिए कि हम पूरी तरह से समर्पित हो जाएँ।  

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संकल्प सूची को गतिशील बनाए रखने के लिए सभी साथिओं का धन्यवाद् एवं जारी रखने का निवेदन। यूट्यूब में आयी समस्या के कारण आज की 24 आहुति संकल्प सूची में केवल 3 युगसैनिक ही संकल्प पूर्ण कर पाए। तीनों साथिओं का धन्यवाद्  और चंद्रेश जी को गोल्ड मैडल जीतने की बधाई। आज फिर हमारी अनुराधा बेटी  गोल्ड मैडल विजेता है ।   

सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


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