वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

16 दिसंबर 2023 के विशेषांक में नीरा जी, वंदना जी और पुष्पा जी का योगदान 

आज के इस स्पेशल सेगमेंट से आनंद और शिक्षा  प्राप्त करने के लिए हमें सीधा “विशेष-कक्षा” में गुरुचरणों में समर्पित होना चाहिए। 

https://drive.google.com/file/d/1o3qXPXoy1FuZRx-zwL5hP65oHKJkIy4c/view?usp=drive_link (This was a google drive link)

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भारत यात्रा के सम्बन्ध में आदरणीय नीरा जी का योगदान :   

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के जिन स्तम्भों की बात हम हर पल करते रहते हैं और अपनी समर्था और शक्ति के अनुसार पालन करने का प्रयास भी  करते हैं, उनका हनन होते हुए प्रतक्ष्य आज हमारी जीवन साथी और इस परिवार की समर्पित सहकर्मी  आदरणीय नीरा त्रिखा जी ने जो  देखा उसे अपने परिवार  के साथ शेयर करना अपना कर्तव्य समझते हैं। 

शिष्टाचार, आदर, सम्मान, श्रद्धा, समर्पण, सहकारिता, सहानुभूति, सद्भावना, अनुशासन, निष्ठा, विश्वास, आस्था, प्रेम, स्नेह, नियमितता,शालीनता 

उपरोक्त 16 मानवी मूल्यों का पग-पग पर हनन होता देखा तो यही शब्द निकले “देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान्, कितना बदल गया इंसान। 

Flights कैंसिल भी होती हैं ,लेट भी होती हैं, reroute भी होती हैं लेकिन मानवी सभ्यता इस स्तर तक गिर जाए कि स्वार्थ, अविश्वास, बेरुखी, अमानवीयता का ही हर जगह बोलबाला हो तो ह्रदय पर प्रहार तो होता ही है ,आखिर हम कोई योगी पुरुष तो हैं नहीं, इसी दुनिया के साधारण मानव हैं। 

हमारी समर्पित सहकर्मी आदरणीय नीरा त्रिखा जी ने जब अपनी भारत यात्रा से सम्बंधित आयी समस्याओं का व्यौरा हमें लिख कर दिया तो हमने परिवार के समक्ष प्रस्तुत करना उचित समझा ताकि अनेकों को मार्गदर्शन मिल सके। सारा विवरण संक्षेप में निम्लिखित शब्दों में वर्णन करने का प्रयास करेंगें : 

दुविधा का आरम्भ 14 दिसंबर 2023 की सुबह से आरम्भ हुआ जब नीरा जी राधा जी के बेटे आलोक (जो दिल्ली में जॉब करते हैं ) के साथ जम्मू से ट्रेन  द्वारा दिल्ली आ रही थीं। पहले तो दिल्ली आने वाली ट्रेन  ही 2 घंटे लेट हो गयी ( यह कोई बड़ी बात नहीं है, ट्रेनें लेट होती ही रहती हैं), लेट होने के कारण बनाये हुए सारे दिन का  प्रोग्राम,कैंसिल करना पड़ा। दिल्ली से टोरंटो कनाडा आने के लिए Lufthansa airlines  से टिकट बुक की थी, पिछले 24 घण्टे से ऑनलाइन Check-in  का प्रयास कर रहे थे तो Check-in  हो नहीं रहा था।  जब काफी प्रयास के बाद भी नहीं हुआ तो एयरलाइन को फ़ोन करने पर पता चला कि वोह फ्लाइट तो कैंसिल हो गयी है। फ्लाइट जाने के कुछ घंटे पहले अगर पता चले कि फ्लाइट कैंसिल हो गयी है तो चिंता के स्तर  का अनुमान लगाया जा सकता है। एयरलाइन्स वाले सरासर झूठ बोले रहे थे कि उन्होंने 10  दिन पूर्व ईमेल से सूचित किया था (यह है मानवी मूल्यों का हनन जिनकी बात हम अक्सर करते रहते हैं ) खैर जो  भी हो, एयरलाइन ने नई  बुकिंग एयर इंडिया में कर दी। इस बुकिंग को देख कर खुश होना स्वाभाविक था क्योंकि यह नॉन स्टॉप थी और टोरंटो 5 घंटे पहले पंहुच जानी थी। घर वापिस आने की ख़ुशी तो थी ही लेकिन वोह ख़ुशी अनेकों गुना हो गयी जब 5 घंटे पहले पहुँचने की सम्भावना दिखी।  Lufthansa को भूल कर अब एयर इंडिया में  ऑनलाइन Check-in करने का प्रयास करने लगे, इसमें भी वही बात, Check- in हो ही नहीं रहा था, फ्लाइट चलने का समय पास आ  रहा था,  पहले की भांति जब एयरइंडिया के साथ बात  की तो उत्तर मिला, आपकी तो बुकिंग ही नहीं है, Lufthansa  वालों ने बुकिंग में कोई गलती कर दी है। उसी रात तीसरी बार फिर से Lufthansa वालों से बात हुई ( बात क्या लड़ाई हुई ) और उन्होंने नई बुकिंग की। नयी बुकिंग में भी प्रॉब्लम, यूरोप में दो स्टॉप, कहाँ प्रसन्नता हो रही थी कि  5 घंटे पहले घर पंहुच जायेंगें, अब फिर से  वही टाइम और एयरपोर्ट के धक्के अलग, ऊपर से अकेली वरिष्ठ महिला,अपरिचित देश की समस्या,English accent और जर्मन में बात करना, पिछली दो रातों की अस्त व्यस्त नींद आदि सारी समस्याओं ने आ घेरा तो घबराना स्वाभाविक था।  सारी  बातें  फ़ोन पर यहीं कनाडा से ही हो रहीं थीं। 

किसी तरीके से दिल्ली से प्रस्थान तो हो गया ,जर्मनी में पहले स्टॉप पर भी पंहुच गए, लेकिन समय कम होने के कारण अगली फ्लाइट मिस हो गयी,एयरलाइन को सब देखकर, सोच समझ कर करना चाहिए था, लेकिन उन्हें किसी की, यात्रिओं की चिंता क्यों हो ? फ्लाइट मिस  होने का कारण व्हील चेयर अटेंडेंट था जो समय अनुसार नहीं आया और फ्लाइट देर से land हुई थी   

जर्मनी में फ्लाइट  मिस होने के कारण एक नई  दुविधा ने जन्म लिया। एक बार फिर से नई  बुकिंग करनी पड़ी, हरबड़ाहट में जो भी मिला, जैसी भी सीट मिली, 10 घंटे की यात्रा इतनी असुविधा और असुरक्षा में करनी  पड़ी कि क्या लिखा जाए।

सारी दास्ताँ परिवार के साथ शेयर करने का उद्देश्य केवल अवगत, educate करने का  ही नहीं है बल्कि विकास के नाम पर हो रहा विनाश भी सबके समक्ष लाना है। जिन मानवी मूल्यों की हम बात करते हैं विशेषकर, निष्ठा, शिष्टाचार, सम्मान, ज़िम्मेवारी, सभी का इतना हनन हुआ है कि क्या कहा जाये। 

हमें याद आ रहा है कि 1970s  में जब हमने भारत में पहली बार राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली से मुंबई की यात्रा की थी तो दृश्य कुछ और ही  था। प्लेटफॉर्म पर गाड़ी के बाहिर ही अटेंडेंट ने  वाइट ड्रेस में ऐसे  स्वागत किया था जैसे कोई VIP हो, हम जैसे साधारण पुरुष के लिए यह बिल्कुल ही अविश्वसनीय था। इतना ही नहीं, सारी  यात्रा में अटेंडेंट बार-बार पूछने आता रहा।  तो यह है आधुनिक विकास जिसने मानवता का विनाश किया है, सम्मान की तो बात तब आती है अगर कोई बात करने को राज़ी हो। जहाँ कहीं भी देखते हैं भगदड़ सी मची हुई है, मारामारी लगी है, किस दौड़ में लगा है आज का यह मुर्ख मानव “कितना बदल गया इंसान”  

विकास की एक और बात शेयर करने की इच्छा हो रही है: 

Covid के बाद  नौकरी करने के  एक नए विकल्प ने जन्म लिया और वोह है Work from home. इस विकल्प का सभी लोग स्वागत भी कर रहे हैं और सभी को win-win situation लग रही है लेकिन नीरा जी की समस्या में इस विकल्प का भी हाथ है। इस विकल्प का  विनाश  होते तब देखा, जब फ्लाइट कैंसिल होने की और ईमेल सूचना की बात हो रही थी । हमने फ़ोन का  स्पीकर आन किया हुआ  था और बैकग्राउंड में बच्चों की किलकारियां, भोजन आदि पकने का दृश्य अनुभव किया जा सकता था। यह नहीं कि कोई और खाना पका रहा था, वही customer service rep जो बात कर रही थी वही यह सब कुछ कर रही थी। Multi-tasking की डींगें तो बहुत मारी जाती हैं लेकिन परिणाम हम देख ही रहे हैं। यह बात हम ऐसे वैसे नहीं कह रहे हैं हमारी बड़ी बहु का काम हम देखते ही हैं, ऐसे ही करती है। 

गुरुदेव ने अनेकों बार कहा है कि अन्याय सहना बहुत बड़ा पाप है,नीरा जी के साथ हुए  अन्याय की भरपाई के लिए एयरलाइन को लिखित शिकायत करने की योजना बन रही है। इस समस्या में अकेले नीरा जी ही प्रभावित नहीं हुई है,उनसे सम्बंधित अनेकों, विशेषकर हम और हमारा छोटा बेटा कितने upset रहे, केवल अनुमान ही लगा सकते हैं।          

आदरणीय वंदना जी का योगदान : 

जेसा आपको बहुत पहले बताया था कि कुछ व्यक्तिगत समस्याएं हैं और काफी दुःखी  हैं तब आपने बलिवैश्व यज्ञ तथा अनुष्ठान करने को बोला था एक साल यह यज्ञ किया, सवा लाख का जाप विधिविधान से तो नही लेकिन मानसिक रूप से जैसा संभव हो पाया सम्पन्न  किया। 

वंदना बहिन जी हमें बलिवैश्व यज्ञ के लिए श्रेय दे रही हैं लेकिन यह सब गुरुकृपा से ही संभव हो रहा है। हम तो बार-बार कहते आए  हैं, आज भी वही कहेंगें “करते सब आप हैं गुरुवर और श्रेय हमें दिए जा रहे हैं; नमन है, नमन है और नमन है।   

नवरात्रि के दिनों में नवमी वाले दिन सवा लाख का जाप पूरा हो गया। गुरुदेव की कृपा से बहुत शांति है और अभी तक समस्या का कोई हल तो नहीं निकला है लेकिन आगे कोई समस्या नहीं आयी, इस बीच एक अनुभूति हुई कि जब 35000 के करीब मंत्र पढ़ चुकी थी तो मन में शंका होने लगी थी कि पूरा कर पाऊंगी कि नहीं और यही सोचते हुए रात को सोने लगी। कुछ ही देर में ऐसा लगा जैसे प्रकाश की दो धाराएं मेरे मस्तिष्क में समा गई और मुझे लगा कि पूरा कमरा धूप की तरह चमकने लगा। जल्दी से आंखें  खोली तो अंधेरा था और रात के 12 बज रहे थे। मुझे लगा जैसे गुरूदेव और माताजी दोनों मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं और मेरा हौसला बढ़ा रहे हैं कि तुम्हारा संकल्प पूरा होगा । जब सवा लाख का जाप पूरा हुआ तो मन में संतुष्टि नहीं थी क्योंकि जाप तो मजबूरी में चलते-फिरते घर का काम करते पूरा किया था। मैं सोच रही थी कि यह  कोई पुरश्चरण थोड़े न हुआ,  उसमें तो बैठकर माला से जाप किया जाता है। मैं मन में गुरूदेव से माफी भी मांग रही थी कि  मैंने सही विधि से जाप नहीं किया तो अगले दिन गुरूदेव ने सपना दिखाया कि मैं जो गायत्री मंत्र लेखन करती हूं उसी से पुरश्चरण  पूरा करूं। मैने देखा की गायत्री मंत्र लेखन का बुक है और उसी के ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में “महापुरश्चरण” लिखा हुआ है। फिर समझ में आया कि गुरूदेव बताना चाहते है कि अगर व्यस्तता के कारण माला से मंत्रजाप नहीं कर पा रही हो तो मंत्र लेखन से भी संभव  है। अब पुरानी लेखन पुस्तक लिखकर भर गई  है तो नई मंगवानी है,  फिर गुरूदेव की आज्ञा का पालन करूंगी। जय गुरुदेव 

आदरणीय पुष्पा जी का योगदान : 

बहिन पुष्पा जी और  वंदना जी के सम्बन्ध के बारे में हम सब भलीभांति परिचित हैं। यह कोई सूक्ष्म संयोग ही होगा कि जब वंदना जी अपनी बलिवैश्व यज्ञ  वाली अनुभूति लिख रही थीं तो उसी समय पुष्पा जी ने बलिवैश्व की एक वीडियो हमें भेजी जिसे हम थोड़ा सा एडिट करके आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। हमारे साथी बलिवैश्व यज्ञ की अतिरिक्त जानकारी शांतिकुंज की वेबसाइट एवं यूट्यूब चैनल से प्राप्त कर सकते हैं। पुष्पा जी का इस वीडियो के लिए धन्यवाद् करते हैं। 

इस वीडियो के 4:23 मिंट पर  Researcher और ऋषि वाली बात ने हमें बहुत ही प्रभावित किया,सोचने पर विवश कर दिया कि क्या हम भी यही कार्य तो नहीं कर रहे हैं। हमारे साथी अपने विचार अवश्य रखेंगें, ऐसा हम विश्वास करते हैं।

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संकल्प सूची को गतिशील बनाए रखने के लिए सभी साथिओं का धन्यवाद् एवं जारी रखने का निवेदन। आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 7  युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज सुजाता बहिन गोल्ड मैडल  विजेता हैं ।   

(1)सुमनलता-37,(2 ) संध्या कुमार-42 ,(3) सुजाता उपाध्याय-44,(4)चंद्रेश बहादुर-38,(5) रेणु श्रीवास्तव-39,(6 )नीरा त्रिखा-28,(7)अरुण वर्मा-24             

सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।      


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