स्पेशल सेगमेंट में classification में कुछ समस्या आ रही है, इसलिए जैसा मस्तिष्क चला रहा है वैसे ही प्रस्तुत किये जा रहे है ,हमें विश्वास है कि रोचकता में कोई कमी नहीं आएगी।
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गतिविधियां
-सबसे पहले तो हमारी बेटी यानी राधा जी/राजीव जी की बेटी ऋतम्भरा के मंगल विवाह की ceremonies का शुभारम्भ कल से गायत्री परिवार के साधकों द्वारा संपन्न किये जाने वाले गायत्री यज्ञ से हो रहा है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार से आशीवार्द की अपेक्षा है।
-आदरणीय सरविन्द जी ने कानपुर में होने वाले 151 कुंडीय गायत्री यज्ञ का अपडेट भेजा है, जिसे आप संलग्न पिक्चर में देख रहे हैं।
-आदरणीय कुसुम त्रिपाठी बहिन जी ने भी यज्ञ का पिक्चर भेजा है जिसमें काव्या बेटी भी दिखाई दे रही है
-समय-सारणी — सरविन्द कुमार पाल
3.00AM — 3.15AM — सोकर उठना और आत्मबोध की साधना
3.15AM — 4.00AM — टहलना व आसन-व्यायाम
4.00AM — 4.30AM — स्वाध्याय व प्रतिक्रिया व्यक्त करना
4.30AM — 5.00AM — नित्य-क्रिया व स्नान
5.00AM — 6.15AM — पूजा-पाठ तथा उपासना, साधना व आराधना
6.15AM — 6.35AM — प्रातःकालीन नास्ता
6.35AM — 7.00AM — अन्य व्यक्तिगत कार्य
7.00AM — 11.00AM — अपने दैनिक व्यवसाय में
11.00AM — 11.45AM — घर वापस आना
11.45AM — 12.15PM — व्यवसाय का हिसाब-किताब
12.15PM — 1.00PM — दोपहर का भोजन
1.00PM — 2.00PM — आराम करना
2.00PM — 4.00PM — दैनिक ज्ञानप्रसाद में प्रतिक्रिया पेश करना
4.00PM — 5.00PM — सत्साहित्य का स्वाध्याय करना
5.00PM — 6.00PM — घरेलू और व्यवसाय से संबंधित कार्य
6.00PM — 7.00PM — परिवार व सगे-संबधियों से संवाद करना
7.00PM — 8.30PM — सायंकालीन पूजा-पाठ व आरती
8.30PM — 9.15PM — सायंकालीन भोजन
9.15PM — 9.30PM — भोजनोपरान्त टहलना
9.30PM — 9.45PM — शुभरात्रि संदेश का स्वाध्याय
9.45PM — 10.00PM — तत्वबोध साधना के साथ निद्रा की गोद में
यह हमारी दैनिक दिनचर्या है, जिसका हम पूर्णतया पालन करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं
2. सुजाता उपाध्याय जी की प्रस्तुति :
आज मैं एक ऐसी अनुभूति बताने जा रही हूँ जब मुझे प्रत्यक्ष अनुभव हुआ कि परमपूज्य गुरुदेव हमारे इस OGGP में सूक्ष्म रूप से विद्यमान है l घटना 23 नवंबर, 2023 रात 10 बजे की है। ज्ञानप्रसाद की सभी परिजनों का कमेंट्स काउंटर कमेंट्स की स्वाध्याय कर रही थी तभी मेरी बेटी रोने लगी, पूछने पर पता चला कि उसने बहुत मेहनत करके सेमेस्टर के लिए प्रेजेंटेशन बनाया था , सबमिट करना था लेकिन गलती से डिलीट बटन पर हाथ लग गया और सारे के सारे महत्वपूर्ण वीडीओ, ऑडियो सब डिलीट हो गए l बेटी बे बहुत कोशिश की लेकिन कुछ भी नहीं हो सका l उसके पास दोबारा बनाने का समय भी नहीं था l यूनिवर्सिटी में सबमिट करने के लिए लास्ट डेट उसी दिनथी l ये सब सुन कर मुझे भी बहुत दुःख हुआ लेकिन गुरुदेव से प्रार्थना के सिवा कुछ कर नहीं सकती थी l गुरुदेव से प्रार्थना करने लगी कि गुरुदेव सब अच्छा ही करते हैं और जो होगा अच्छा ही होगा l अचानक से थोड़ा अजीब सा अनुभव हुआ l क्या अनुभव हुआ पता नहीं लेकिन कुछ विचलित सी लग रही थी l तभी मैने बेटी को बोला तुम फिर से check करो l जब फिर से उसने चेक किया तो सारे का सारा प्रेजेंटेशन वापिस आ गया था l उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि ये कैसे संभव हुआ l बेटी बोली मेरे हाथ से तो डिलीट हो गया था कितनी बार मैं देख चुकी थी, कुछ भी नहीं था लेकिन फिर से कैसे आ गया l ये सुनकर मेरे आंखों से आसू आ गए l ये है मेरी अनुभूति l विश्वास था ही कि सूक्ष्म रूप से गुरुदेव OGGP में है l आज मेरा विश्वास और भी दृढ़ हो गया l OGGP को श्रेय इसीलिए दे रही हूं क्योंकि उस वक्त में OGGP में स्वाध्याय कर रही थी l सच में हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि इस परिवार में जुड़े हुए हैं l इस परिवार से जुड़े सभी साथिओं का कुछ न कुछ अनुभव तो अवश्य है l ऐसा आदर्श परिवार हमने कहीं नहीं देखा, इसके लिए आदरणीय अरुण भैया जी को अनंत अनन्त धन्यवाद जय गुरुदेव, लिखने में कुछ त्रुटी होगी तो क्षमा चाहती हूं।
3.सुमनलता जी का सुझाव :
हमारे मन में एक विचार आया है, यदि आप को उचित लगे और अन्य सभी परिजन भी सहमत हो, तो प्रत्येक शुक्रवार को विडियो कार्यक्रम रहता है। यदि माह के अंतिम शुक्रवार को विडियो के स्थान पर ऑडियो को स्थान दिया जाए, प्रेरणा बेटी, संजना बेटी या अन्य कोई युवा शक्ति अपना ऑडियो तैयार कर के भेजें और आप उसका मूल्यांकन कर ज्ञानरथ में प्रसारित कर दें। इससे हमारी युवा शक्ति को भी पहचान मिलेगी और उनके अंदर भाषण की क्षमता का विकास भी होगा। काफी समय से हमारी बेटियों की योग्यता मात्र कमेंट तक ही सीमित रह गई है। शेष जैसा आप उचित समझें।
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हमारे ह्रदय में उठ रही बातें
अध्यात्म के बारे में बहिन सुमनलता जी ने गुरुदेव के साहित्य के बारे में लिखा है, हम तो बड़े आदर सम्मान के साथ उससे भी आगे जाने का साहस कर रहे हैं, साहित्य तो अमृत है ही, इसमें तो कोई दो राय नहीं है लेकिन इस अमृत को ग्रहण करते समय यदि गुरुदेव का सानिध्य भी अनुभव किया जाए तो फिर तो सोने पे सुहागा ही है। पूज्यवर की जन्मस्थली आंवलखेड़ा में आदरणीय खुश्वाहा जी हमारे टूर में गाइड की भूमिका निभा रहे थे। सूर्यमंदिर में वोह बता रहे थे कि हमें जब भी कोई समस्या आती है तो हम गुरुदेव के चरणों में लिख कर रख जाते हैं, अगले दिन समस्या का समाधान हो जाता है। उस समय तो हमें यह बात अन्धविश्वास जैसी ही लगी थी लेकिन आज जब गुरुदेव ऊँगली पकड़ कर एक-एक वीडियो, एक एक पुस्तक, एक एक लेख हमें सुझा रहे हैं तो वोह अन्धविश्वास अंधभक्ति में परिवर्तित हो चुका है।
अध्यात्म के विषय पर परम पूज्य गुरुदेव की वाणी में ही एक वीडियो हमारी सर्च निकाल कर लायी है जिसे हम अगले शुक्रवार को प्रकाशित करने की योजना बना रहे हैं। इसके साथ ही “आध्यात्मिक भौतिकता” को समझाती 77 पन्नों की एक पुस्तक मिली है जिसके अमृतपान से भौतिकता, (जिसके बारे में अध्यात्मवादी न जाने क्या कुछ भला बुरा कहते आये हैं ) के पक्ष में कितना कुछ ही वर्णित है। गुरुदेव ने तो इस पुस्तक में भौतिकता की उस भूखे पेट के साथ तुलना की है जिसे संतुष्ट करना बहुत ही आवश्यक है। अध्यात्मवाद के लिए भौतिकता को अपनाना ही पड़ेगा। हमारा विश्वास है कि इस पुस्तक के अमृतपान से दो कट्टर शत्रु (भौतिकता और आध्यात्मिकता) की संधि अवश्य होगी और अपने साथिओं के सहयोग से इस जटिल विषय से सम्बंधित अनेकों confusions का समाधान होगा।
अध्यात्म के विषय पर कल प्रकाशित हुई वीडियो में आदरणीय चिन्मय जी बता रहे हैं कि हमें किस प्रकार लोगों तक पहुंचना है और उनसे किस उद्देश्य के लिए आग्रह करना है। हम सभी का सामूहिक प्रयास सदैव इसी दिशा में कार्यरत है। अनेकों बार ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की कार्यप्रणाली को रिपीट कर चुके हैं। जिस पुस्तक को हम ऊपर रेफेर कर चुके हैं उसमें गुरुदेव लिखते हैं भौतिकता कोई अछूत वस्तु नहीं है, विस्तार एवं विकास भी कोई अभिशाप नहीं है लेकिन उत्कृष्टता के आगे कोई भी समझौता नहीं होना चाहिए। हमारे परिवार को रातोंरात कोई मिलियन subscribers नहीं मिल सके क्योंकि इस परिवार में quantity की नहीं quality की बात होती है, श्रद्धा और समर्पण की बात होती है। सबसे बड़ी बड़ी बात तो यह है कि इस परिवार का संचालन गुरुदेव स्वयं कर रहे हैं तो selection process भी उन्हीं का ही है। उन्हें हमारी योग्यता की पूरी तरह से खबर है, वोह जानते हैं कि हम कितने पाने में हैं।
चिन्मय जी को जब भी हम मिले, उनकी वीडियो देखी, उनको बोलते हुए देखकर बार-बार एक प्रश्न मन में आता है “चेहरे पर सदा मुस्कान और शब्दों में इतना प्रभाव और शक्ति” का क्या कारण हो सकता है, तो उत्तर मिला कि गुरुकार्य करते हुए ऐसी ही भावना होती है। हमारी उनसे तुलना तो नहीं हो सकती लेकिन अपने प्रयासों को साथिओं के समक्ष प्रस्तुत करते समय हमें भी ऐसा ही अनुभव होता है।
पहले भी लिख चुके हैं हमारा जीवन चमत्कारों से भरा है। आज भी जब आंखें बन्द करके लेख के संबंध में कुछ चिंतन कर रहे होते हैं तो गुरुदेव स्वयं ही समाधान कर देते हैं। इच्छा थी कि आजकल चल रही लेख श्रृंखला से संबंधित वीडियो अपलोड करें। गुरुदेव ने एकदम तीन महीने पुरानी वीडियो निकाल कर प्रस्तुत कर दी जिसमें चिन्मय जी वही बातें समझा रहे हैं जो इन लेखों में गुरुदेव 1998 में लिख गए थे।
हमारी स्वप्न अनुभूति से सम्बंधित सफेद रंग के 4 कागज़ों पर गुरुदेव की अपनी ही लेखनी में कुछ लिखा जाना, नीले रंग का लैमिनेटेड कवर होना, हमारे अल्प मस्तिष्क में जो भी थोड़े बहुत विचार आये हमने अपने साथिओं के समक्ष रख दिए लेकिन सुमनलता बहिन जी, सुजाता बहिन जी, संध्या बहिन जी ,रेणु बहिन जी चंद्रेश भाई साहिब एवम अन्यों ने अपनी-अपनी प्रतिभा दर्शाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। हमारे इस विश्वास पर कि इस परिवार में अति प्रतिभाशाली साथी हैं, एक बार फिर मोहर लग गयी। वैसे तो व्यस्तता के कारण ज्ञानरथ को हांकने से ही फुरसत नहीं मिलती लेकिन कभी कभार किसी दूसरी सोशल मीडिया साइट्स को विजिट करते हैं तो ऐसा समर्पित और involved परिवार बहुत ही दुर्लभ है।
हम पहले भी कहते आये हैं, आज भी कह रहे हैं, आगे भी कहते रहेंगें कि परम पूज्य गुरुदेव से कनेक्ट होना उनकी दिव्य अनुकम्पा ही है, यह कोई ऐसी वैसी साधारण सी अनुकम्पा नहीं है, जिस किसी को भी रत्ती मात्र भी शंका है उसे यही सुझाव है कि “एक बार समर्पित होकर तो देखो। ” दादा गुरु गुरुदेव को ढूंढते-ढूंढते हिमालय से आये थे, हमारे गुरुदेव भी प्रतिदिन ब्रह्मवेला में, ज्ञानप्रसाद (जो उन्ही का साक्षात् स्वरूप हैं) के माध्यम से आपका द्वार खटखटाते हैं लेकिन आप उनका स्वागत करने की तुलना में नींद का आनंद लेना ज़्यादा बेहतर समझते हो।
सुमनलता बहिन जी ने डाकिए के सन्दर्भ में लिखा था कि पुराने लोग जानते होंगें कि डाकिए का किस बेसब्री से इंतज़ार किया जाता था ,और अगर वोह पत्र कहीं किसी की प्रेमिका का, सरहद पर किसी फौजी बेटे का, विदेश में जीविकार्जन के लिए गए पति का हो तो भावना किस स्तर की होगी, उसका अनुमान केवल वही लगा सकता है -जिस तन लागे वोह तन जाने। अरुण वर्मा जी जैसे अनेकों साथी है जो ज्ञानप्रसाद लेखों का लव लेटर्स की भांति ही प्रतीक्षा करते हैं। हम उनकी मनःस्थिति हज़ारों किलोमीटर दूर से ही भांप लेते हैं।
ज्ञानप्रसाद ज्ञान के प्रसार का एक बहुत ही अद्भुत माध्यम है, इस कथन का एक उदाहरण तब सार्थक हुआ जब सुजाता बहिन जी ने तुलादान को जानने की जिज्ञासा व्यक्त की, हमने तो उन्हे लिंक भेजा ही लेकिन अन्य कितने ही साथी उनकी जिज्ञासा का निवारण करने मैदान में कूद पड़े। हमें भी छठ के बारे बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था, इस पर्व के बारे में इसी मंच से पता चला।
शब्द सीमा एवं यूट्यूब समस्या के कारण संकल्प सूची प्रकाशित करने में असमर्थ हैं, क्षमाप्रार्थी हैं।

