वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का परिचय एवं इससे जुड़ने के लाभ- सरविन्द पाल 

27 नवंबर 2023 का ज्ञानप्रसाद

आज का सप्ताह का प्रथम दिन सोमवार है, हम सभी ऊर्जावान होकर पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ परम पूज्य गुरुदेव के दिव्य चरणों में समर्पित होकर,आज की गुरुकुल कक्षा का शुभारम्भ कर रहे हैं। आज फिर हमें अपने रेगुलर ज्ञानपाठ “समस्त समस्याओं का समाधान- अध्यात्म” को bump करना पड़ा है जिसका कारण आदरणीय सरविन्द भाई साहिब द्वारा रचित “ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का परिचय एवं इससे जुड़ने के लाभ” लेख है। जहाँ हम अपने साथिओं से bump करने के लिए क्षमाप्रार्थी हैं वहीँ हम सरविन्द जी के समयदान और ज्ञानदान के लिए धन्यवादी भी हैं, हमें पूर्ण विश्वास है कि इस लेख से सभी को प्रेरणा मिलेगी। 

आज का ज्ञानप्रसाद लेख मूल रूप से सरविन्द पाल जी की ही रचना है लेकिन कहीं कहीं पर हमारा योगदान भी पाठक अवश्य ही पहचान लेंगें। लेख में व्यक्त की गयी भावना अंतरात्मा में उतारने की आवश्यकता है, तभी हम गुरुदेव के शिष्य कहलाएंगें एवं दिव्य लाभ प्राप्त करेंगें। 

इन्हीं  शब्दों के साथ शांतिपाठ के साथ आज की कक्षा का शुभारम्भ होता है। 

ॐ असतो मा सद्गमय ।तमसो मा ज्योतिर्गमय ।मृत्योर्मा अमृतं गमय ।ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ 

अर्थात 

हे प्रभु, मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।

मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥

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आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार “अखिल विश्व गायत्री परिवार” (All World Gayatri Pariwar AWGP)  का ही एक छोटा सा  अंश है जिसकी रचना  परम पूज्य गुरुदेव की शिक्षा  से प्रेरित होकर की गयी है और उन्हीं का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य इसका संचालन कर रहा है। इस दिव्य  प्लेटफार्म में  हम सबकी सुप्त पड़ी प्रतिभा जगायी जाती है और सभी परिवारजन आपस में मिलजुल कर एक दुसरे को प्रेम  और सहकारिता का पाठ पढ़ाने  में कृतसंकल्पित हैं। 

वैसे तो यह परिवार सभी का अपना परिवार है लेकिन परम पूज्य गुरुदेव ने आदरणीय अरुण  भैया की पात्रता देखते हुए उन्हें ही इसके संचालन का कठिन कार्य सौंपा है। भैया जी की  श्रद्धा व समर्पण को हम सभी साथी, परिवारजन  नतमस्तक हैं l आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के इस प्लेटफार्म से जुड़े सभी साथिओं को प्रातःकाल,ब्रह्मवेला  में प्रतिदिन गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी साहित्य पर आधारित ज्ञानप्रसाद लेखों/वीडियोस के अमृतपान का सौभाग्य  प्राप्त होता है जिससे हम दिन भर ऊर्जावान रहते हुए सुखी एवं समुन्नत जीवन जी रहे हैं । हमारा  परम सौभाग्य है कि इस  परिवार से जुड़कर, अपनत्व की भावना से ओतप्रोत होकर, गुरुवर  के अमृत तुल्य ज्ञानप्रसाद का अमृतपान कर, हम अपने जीवन को कृतार्थ कर रहे हैं। ऐसा सौभाग्य विरले लोगों को ही मिलता है और जिसे भी यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है,समझ लेना चाहिए कि यह गुरुदेव की कोई विशेष अनुकम्पा ही हुई होगी। इस अनुकम्पा का जागृत उदाहरण हम स्वयं ही हैं l जब से हमने इस  परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित की है तब से अब तक हम अपने  जीवन में अनेकों  परिवर्तन अनुभव कर रहे हैं,आंतरिक कायाकल्प तो  इतना अधिक  हुआ  है  जिसकी हमें कल्पना भी नहीं थी। परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से परिवार के साथिओं ने हमें सामुहिक आशीर्वाद, स्नेह और प्रेम के रूप में वोह प्रसाद दिया है जिसे हम सदैव अपने मस्तक पर धारण करते हैं। इस परिवार से जुड़ने से पहले हम तो यह भी नहीं  जानते व समझते थे कि परिवार की परिभाषा क्या होती है।  हमारी दृष्टि में तो परिवार केवल  पत्नी ,बच्चों आदि तक ही सीमित था जो एकदम  गलत था। यह धारणा हमारी अज्ञानता के कारण थी। 

4 मार्च 2021 को जब हमने  आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी आरम्भ की और इस मंच के अंतर्गत  प्रकाशित अमृत तुल्य ज्ञानप्रसाद का अध्ययन किया तो हमारा अंतःकरण हिल उठा और समझ में आ गया कि अभी तक तो हम  अंधेरे में ही थे, हमारा परिवार बहुत बड़ा है। उसी दिन से हमने आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर,नियमितता एवं  सक्रियता से  प्रतिदिन ब्रह्मवेला में प्रकाशित होने वाले  ज्ञानप्रसाद लेखों का  गम्भीरतापूर्वक स्वाध्याय करने का संकल्प लिया। तभी से  हम  अपने जीवन को कृतार्थ कर रहे हैं व समस्त परिवारजनों  का स्नेह व प्रेम प्राप्त कर रहे हैं। इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि इस परिवार से जुड़कर हमें अनवरत आशातीत सफलता मिल रही है,अनेकों साथी इस परिवार के प्रकाश से ज्ञानोदय का लाभ उठा रहे हैं एवं धैर्य व सहन शक्ति का संचार भी हो रहा है।अगर इसे सर्वश्रेष्ठ व सर्वसुलभ सत्संग का विकल्प कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। 

आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के पवित्र व संस्कारित प्लेटफार्म में पहुँच कर सभी दिशाओं में ज्ञानार्जन एवं ज्ञानप्रसार की सम्भावना है जिसकी आज के युग में  महती आवश्यकता है।  ईश्वर ने अपने  सर्वश्रेष्ठ पुत्र के रूप में मनुष्य की रचना किसी देवता से कम नहीं की है लेकिन अध्यात्म विज्ञान से वंचित रहने के कारण मनुष्य एक  “भटके हुए देवता” की भांति मृगतृष्णा में  मारा मारा फिर रहा है,उसे नहीं मालुम  कि कस्तूरी तो उसकी नाभि में विराजमान है।   

इसी मृगतृष्णा का निवारण करने के लिए आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार दृढ़ संकल्पित है। आदरणीय अरुण भैया जी की निस्वार्थ भावना,जिनके समयदान,श्रमदान, विवेकदान आदि से ज्ञानप्रसाद प्रकाशित हो रहे हैं उनकी originality की  कोई तुलना  नहीं है। आपकी श्रद्धा,समर्पण,नियमितता, सहकारिता एवं सक्रियता को हम सदैव नतमस्तक हैं। हम सब भी एक  गिलहरी की भाँति परिश्रम करते हुए कमैंट्स/काउंटर कमैंट्स के रूप में पवित्र दैनिक ज्ञानयज्ञ में अपने विचारों की आहुतियाँ प्रदान करके योगदान देकर अपने जीवन का कायाकल्प कर रहे हैं। ज्ञानप्रसाद का एक-एक शब्द हमारे  अंतःकरण की गहराईयों में उतर कर, वर्षों से जमी मलीनता को दूर कर रहा  है जिससे अंतरात्मा पवित्र हो रही है l सुखी-समुन्नत जीवनयापन के लिए इस परिवार में सहभागिता सुनिश्चित करना बहुत ही महत्वपूर्ण है, इससे कम में गुरुवर  का सूक्ष्म संरक्षण,दिव्य सानिध्य प्राप्त कर असंभव है l 

अतः सभी से  करबध्द अनुरोध है कि अगर अपने जीवन को उच्चकोटि का बनाना है तो आज से ही,बल्कि अभी से अपना अमूल्य समय निकाल कर आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की गतिविधिओं में नियमतता से सहभागिता और सक्रियता सुनिश्चित करने का संकल्प लें। दैनिक ज्ञानप्रसाद  लेखों का नियमितता से  गम्भीरतापूर्वक अमृतपान करके  अधिक से अधिक लोगों को  प्रेरित करें, सभी का हित हो और आप पुण्य के भागी बनें l जो कुछ भी हम कर रहे हैं, यह सब परम पूज्य गुरुदेव का ही काम है। गुरुदेव  साक्षात महाकाल हैं और  जिनके सिर पर महाकाल का  हाथ होता है उसका कभी अमंगल नहीं हो सकता है l गुरुदेव द्वारा रचित विशाल साहित्य कोई साधारण कागज़ों का पुलिंदा नहीं है,इसमें एटम बम जैसी आत्मिक (एटॉमिक नहीं) शक्ति की  रचना की गयी है।   

विचारशील लोग जानते हैं कि मात्र देवदर्शन, तीर्थदर्शन व स्वध्याय आदि से किसी को भी  आध्यात्मिक विभूतियों का पिटारा हाथ नहीं लगता है l जब तक कोई भी कार्य सच्चे मन से, श्रद्धा से नहीं किया जाता,उसके सत्परिणाम हाथ में कैसे लग सकते हैं l विचार करने योग्य तथ्य यह है कि ऐसा नहीं कि लोगों को इस बात का ज्ञान नहीं है, अवश्य है लेकिन take it easy और chill यार, ऐशो आराम वाली प्रवृति से आध्यात्मिक लाभ मिलना असंभव है। गुरुदेव के साहित्य के प्रति भावनात्मक लगाव होना बहुत ही आवश्यक है। पूर्ण श्रद्धा, गहरे विश्वास के साथ ही ज्ञानप्रसाद लेखों का अमृतपान  करना चाहिए l ऐसा नहीं कि शास्त्र रचयिताओं को यह पता न होगा कि कर्म का फल तो आत्मपरिष्कार एवं लोकमंगल करने पर ही मिल पाता है, फिर क्या सोचकर उन्होंने एक बार नहीं बल्कि  अनेकों बार प्रतिदिन स्वाध्याय करने पर बल दिया है, परमार्थ परायण कार्य करके पुरुषार्थ कमाने का आधार बताया है  जिससे भटक रहे  मन को शांति मिलती है l  ज्ञानप्रसाद  लेखों का अमृतपान  करने से योग, तप, संयम व साधना जैसे पथ पर अग्रसर होने के लिए आवश्यक ऊर्जा व उत्साह स्वतः मिल जाते हैं। जिस किसी ने भी  इस पथ का अनुशीलन किया उसने  उल्लेखनीय विभूतियाँ व क्षमताएं अर्जित की हैं l तभी तो हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को “देवतुल्य” कहलाने का सौभाग्य मिला और भारत भूमि की गणना “एक श्रेष्ठ व जागृत देवालय” में की गई है l दुर्भाग्यवश आज ऐसी भावना कहीं खो सी गयी है l न तो देवतुल्य स्तर के व्यक्तित्व कहीं दिखाई पड़ते हैं और न ही ऐसे साधक मिल पाते हैं जो किसी गंभीर अभीप्सा को ध्यान में लेकर उन पवित्र शक्तियों से ओतप्रोत साहित्य का नियमित गम्भीरतापूर्वक स्वाध्याय कर उनका अनुसरण करें l 

परिणाम हम सबके समक्ष है; आज आध्यात्मिक साहित्य एक आडम्बर बन कर रह गया है और उसके पीछे का भाव व प्राण तिरोहित से हुए  प्रतीत होते हैं l यहाँ इन बातों के  लिखने का मुख्य उद्देश्य यही  है कि नियमितता से परम पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित साहित्य का स्वाध्याय किया जाए, इसी के द्वारा  परम पूज्य गुरुदेव की इच्छा व भावनाओं की अनुभूति हो सकती है  l यही कारण है कि परम पूज्य गुरुदेव  ने दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत ऐसे साहित्य का लेखन किया जिसे उन्होंने अपनी तप शक्ति से सींचा है।  इस साहित्य के  स्वाध्याय से  भारतीय संस्कृति की  गौरव-गरिमा का अनुभव कर पाना सम्भव है। दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत साहित्य का नियमित गम्भीरतापूर्वक स्वाध्याय कर भटकों को दिशा मिल पाना एवं मूर्छितों में नवचेतना का संचार कर पाना सम्भव है l हम सब प्रतिदिन प्रातःकाल की मधुर वेला में इस ज्ञान का अमृतपान करने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं, हमें  एक नई ऊर्जा प्रदान हो रही है, जिसकी अनुभूति दिन भर रहती है l सरल शब्दों में कहा जाए  तो परम पूज्य गुरुदेव का दिव्य साहित्य ऋषिसत्ताओं के सामूहिक शक्तिसंचार का ही प्रतिफल है। आदरणीय अरुण भैया श्रम, समय व् विवेक की पूंजी लगा कर इन ज्ञानप्रसाद लेखों का स्वाध्याय करने के बाद, ऑनलाइन रिसर्च करके, तथ्यों का विश्लेषण करके, रोचक बनाने के लिए पौराणिक कथाएं शामिल करके, गुरुदेव के मूल साहित्य को यथावत रखते हुए सरलीकरण करके यह  लेखन कार्य करते हैं, यह कोई साधारण कार्य नहीं है। ऐसे साहित्य का  नियमितता से, गम्भीरतापूर्वक स्वाध्याय करना और अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित करना हमारा परम कर्तव्य है। 

हम अपनी लेखनी को विराम देते हैं एवं हर गलती के लिए आपसे क्षमाप्रार्थी हैं।

सरविन्द पाल 

संचालक गायत्री परिवार

शाखा करचुलीपुर कानपुर

 उत्तर प्रदेश l

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संकल्प सूची को गतिशील बनाए रखने के लिए सभी साथिओं का धन्यवाद् एवं जारी रखने का निवेदन। आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 15 युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज चंद्रेश जी गोल्ड मैडल विजेता हैं।  

(1)वंदना कुमार-25   ,(2 ) सुमनलता-43   ,(3 )पिंकी पाल-24  ,(4) संध्या कुमार-45  ,(5) सुजाता उपाध्याय-51    ,(6) नीरा त्रिखा-26  ,(7)चंद्रेश बहादुर-57  ,(8)रेणु श्रीवास्तव-44 ,(9 ) अरुण वर्मा-24  ,(10)मंजू मिश्रा-30 ,(11) निशा भारद्वाज-25 ,(12) प्रेरणा कुमारी-25,(13) सरविन्द पाल -41,(14) स्नेहा गुप्ता-27,(15)अनुराधा पाल-24   सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


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