हर बार की भांति इस बार भी हमारे पास इतनी अधिक contributions पहुंची हैं कि सभी को शामिल करना संभव नहीं है। हमारी असमर्था के लिए जहाँ हम अपने साथिओं से क्षमाप्रार्थी हैं वहीँ उनका योगदान के लिए धन्यवाद् भी करते हैं। बहिन सुजाता उपाध्याय जी की बेटी की अनुभूति और सरविन्द जी के ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के बारे में विचार आने वाले सप्ताहों में अवश्य ही प्रकाशित किये जायेंगें।
अरुण त्रिखा एवं अरुण वर्मा जी के योगदान का विस्तृत वर्णन करें, पहले कुछ अपडेट आपके समक्ष रख लेना उचित होगा।
1.उपासना बेटी ने फ़ोन करके बताया कि नियमितता से ज्ञानप्रसाद लेख पढ़ती है लेकिन कॉमेंट करने में समस्या है।
2.पुष्पा बहिन जी ने “नियमितता” का शुभरात्रि सन्देश देखकर अपनी अनियमितता के बारे में अफ़सोस प्रकट किया।
3.सरविन्द भाई जी ने कानपुर में हो रहे यज्ञ के “कलश यात्रा” की फोटो शेयर की।
4.राजकुमारी बहिन जी के बड़े बेटे दीपक और बहु सुरभि को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई है जिसके लिए परिवार की हार्दिक बधाई।
5.नातिन कानुशी के जन्म दिवस पर मिले “बधाई संदेशों” को धन्यवाद् से रिप्लाई करके विदुषी बहिन जी ने शिष्टाचार की प्रथा का पालन किया है और OGGP के गौरव को बढ़ाया है।
6. कुसुम त्रिपाठी जी का तुलादान दर्शाती एक पिक्चर।
7. अरुण त्रिखा का अपडेट :
पिछले कई महीनों से हम मानव शरीर के सात चक्रों के बारे में स्टडी कर रहे हैं ,मन में जिज्ञासा है कि अगर गायत्री मंत्र का जाप इन सात Energy centres के ज्ञान के साथ किया जाए तो सोने पे सुहागा जैसा कार्य होगा। इन चक्रों को समझ पाना कोई आसान कार्य नहीं है, हम एक ऐसी pdf तैयार कर हैं जिसमें pictures ,diagrams आदि की सहायता ली जा रही है और ऐसी जानकारी शामिल की जा रही है जिसे पढ़कर कोई नौसिखिया भी चक्रों का ज्ञान प्राप्त कर लेगा।
जब हमने सात महासागर, सात महाद्वीप, सात रंग, सात सुर, सात ऋषि ,सात चक्र,सात फेरे,सात जन्म, सात वचन, सात बंधन आदि का sequence देखा तो हमारे मन में अचानक एक प्रश्न उठा कि digit 7 का अवश्य ही कोई अलग से महत्व होता होगा। इंद्रधनुष के सात रंग और वही सात रंग इन चक्रों के भी, अवश्य ही अध्यात्म और विज्ञान एक दुसरे से जुड़े हैं।
इन्ही updates के साथ आगे बढ़ते हैं।
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गुरुदेव की सुक्ष्म शक्ति हमारे स्वपन में भी कार्य कर गई -अरुण त्रिखा
बात 17 नवंबर 2023 की है, ब्रह्मवेला का समय ,लगभग प्रातः साढ़े 3 बजे। हम तो गहरी नींद में सो रहे थे। गुरुदेव का ऐसा अनुदान प्राप्त है कि बिस्तर में आते ही 5 मिनट में ही बहुत ही गूढ़ नींद आ जाती है और नींद डिस्टर्ब करने के लिए स्वपन भी बहुत कम ही आते हैं । आयु के वशीभूत रात दो बार नींद तो खुलती है लेकिन बाथरूम जाकर फिर से उसी तरह गूढ़ निद्रा अपने आगोश में ले लेती है।
आज गुरुदेव ने 1980s वाले शांतिकुंज के दर्शन करा दिए। उन दिनों शांतिकुंज का विकास हो रहा था, कुछ एक भवन ही बने थे। प्रवचन हाल के नाम पर टेंट लगाकर ही ज्ञानप्रचार किया जाता था। उन दिनों हमने आदरणीय वीरेश्वर जी जैसे अनेकों के प्रवचन सुने होंगे लेकिन गुरुदेव के मुखारविंद से प्रवचन सुनने का सौभाग्य कभी प्राप्त नहीं हुआ था, मात्र ऊपर उनके कक्ष में चरण स्पर्श ही कर पाए थे।
आज के स्वप्न में हम देखते हैं कि गुरुदेव प्रवचन तो समाप्त कर चुके हैं और प्रश्न-उत्तर सेशन चल रहा है। सभी लोग नीचे फर्श पर ही बैठे थे,कोई कार्पेट/दरी आदि भी नहीं बिछी थी। हम सबसे आगे बैठे थे, याद तो नही कि क्या पूछा था, हमने गुरुदेव से कोई प्रश्न पूछा। गुरुदेव ने संक्षेप में समाधान किया और साथ में ही एक पुस्तक हाथ में थमा दी। हम पुस्तक लेकर बैठ गए। पुस्तक को उल्ट पलट कर देखने लगे। पुस्तक का कवर नीले रंग का लैमिनेटेड पन्ना था और उसके अंदर मात्र चार सफेद कागज़ फोल्ड किए हुए थे और ऐसा लग रहा था किसी अबोध बच्चे ने इन कागज़ों को स्टेपल किया हो । स्टेपल भी ठीक से लगे नहीं थे। चार पन्नों पर प्रिंट के बजाय,नीले पैन से गुरुदेव ने स्वयं ही लिखा था। यह स्थिति भी उन दिनों के शांतिकुंज की थी, आज तो करोड़ों की प्रिंटिंग मशीनें लगी हैं। गुरुदेव अपनी बहुचर्चित धोती कुर्ता वाली पोशाक( संलग्न पिक्चर) में औरों के साथ व्यस्त हो गए और हम उस 4 पन्नों की किताब को उलट पलट कर देखते रहे,स्वप्न वहीँ टूटा और हम फिर गहरी नींद के आगोश में खो गए।जब नींद खुली तो मस्तिष्क पर जोर डालने से पता चला कि स्वपन वाला शांतिकुंज बिल्कुल वैसा ही था जैसा हमने 40 वर्ष पूर्व देखा था।
गुरुदेव की सूक्ष्म शक्ति का अनुभव हमें उस समय हुआ जब हम बिस्तर से निकल कर कर इधर उधर चलने फिरने लगे। पिछले एक मास से शायद अधिक बैठने के कारण हमारी कमर में असहनीय दर्द चला आ रहा था। दवाई तो कोई भी ली नहीं थी, यही सोच रहे थे कि यह दर्द खुद ही ठीक हो जाएगी। आज स्वपन के बाद चल फिर कर ,उठ बैठ कर देख रहे हैं कि कहां दर्द थी, कुछ पता ही नही चल रहा था। अब इसको गुरुदेव की सुक्ष्म शक्ति न कहा जाए तो और क्या कहें?
हमने स्वप्न को हुबहू वैसे ही लिखा है जैसा हमें दिखा, बिना किसी फेर बदल के।
“है न बिल्कुल अद्भुत,आश्चर्यजनक किंतु सत्य।”
गुरुदेव द्वारा 4 पन्नों की handwritten पुस्तक देना शायद हमारे लेखन की ओर ही संकेत है। कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि गुरुदेव की योजना वही जाने, हम तो मात्र कठपुतली हैं, जैसा नचाएंगें, नाचते जायेंगें।
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अरुण वर्मा जी की लेखनी को वर्णित करता कमेंट :
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के आज का दिव्य ज्ञान प्रसाद में परम पूज्य गुरुदेव ने पांच समस्याओं के बारे में वर्णन किया है जिसमें आज सिर्फ एक समस्या जो शारीरिक समस्या है उसके बारे में परम आदरणीय अरुण भैया जी के कठिन परिश्रम से परम पूज्य गुरुदेव के अनमोल साहित्य से अनमोल कटेंट को निकालकर हम सभी के सामने परोस दिया है, अब हमारे ऊपर निर्भर करता है कि इस रेसिपी में से हमारे अंदर कितना पचाने की क्षमता है।
परम आदरणीय अरुण भैया जी ने सबसे पहले इस बात पर चर्चा की , किसी ने कमेंट्स के जरिये यह विचार रखा कि आप इतना मेहनत करके, गुरुदेव के साहित्य को अंत: करण में उतारकर, औनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के प्लेटफार्म पर अंकित करते हैं, इससे अच्छा होगा कि गुरुदेव के साहित्यों का रेफरेंस ही भेज दें, सब स्वयं ही पढ़ लेंगें।
जिस किसी भाई साहब या बहन जी ने यह सुझाव दिया है उनका बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ लेकिन साथ में यह भी कहना चाहूंगा कि अगर गुरुदेव के साहित्य का रेफरेंस ही भेजना है तो फिर भेजने की मेहनत करने की भी क्या जरूरत है, क्योंकि गायत्री परिवार के लगभग सभी परिजन गुरुदेव का साहित्य तो खरीदते ही हैं। यहाँ एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि क्या वो गुरुदेव का साहित्य सही समझ के साथ और नियमितता से पढ़ते हैं ? जहाँ तक हमारा विश्वास है कि शायद ही कुछ लोग नियमितता पूर्वक पढ़ पाते होंगे, मैं भी हर महीने अखंड ज्योति और युग निर्माण पत्रिका लेता हूँ क्या मै पूरा पढ़ पाता हूँ कदापि नहीं, यह बिलकुल सत्य है।
औनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का प्लेटफार्म ही एक,मात्र ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसके माध्यम से पूर्ण नियमितता से गुरुदेव के अनमोल विचारों का अमृतपान कराया जा रहा है और इन विचारों के प्रति श्रद्धा का मूल्यांकन भी किया जा रहा है। मूल्यांकन की प्रक्रिया के अंतर्गत एक दूसरे के विचारों को आत्मसात कर अपने-अपने विचार शेयर किये जाते हैं, जिससे विचारों का आदान प्रदान होता है और एक परिवार सा वातावरण create हो जाता है। विचारों (कमैंट्स) का यह सिलसिला सारा दिन चलता रहता है जिसका पूर्णविराम शुभरात्रि संदेश के साथ ही किया जाता है। दिन भर जब भी, जिस किसी को भी समय मिलता है वो अपने विचार शेयर करते हैं,
क्या ऐसा वातावरण अकेले पुस्तक पढ़ने में create हो सकता ?, कदापि नहीं।
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार एक विश्वस्तरीय विचारक्रांति अभियान है जो परम पूज्य गुरुदेव के सूक्ष्म मार्गदर्शन में निरंतर अग्रसर हो रहा है, यही कारण है कि इस परिवार के सभी सदस्यों को गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण एक सुरक्षा चक्र की भांति प्रदान हो रहा है। सद
ज्ञानप्रसाद में आज का विषय शारीरिक समस्या का है, परम पूज्य गुरुदेव बता रहे हैं की इस समस्या का निवारण अध्यात्म से हो सकता है। भैया जी आपने बिल्कुल सही कहा है कि “हेल्थ इज वेल्थ” यानि स्वस्थ शरीर ही सबसे बड़ा धन है। शरीर स्वस्थ है तो मनुष्य जो भी धन कमाता है वोह सारा परिवार के विकास में खर्च होता है और सदैव सुखी जीवन का अनुभव होता है। अगर शरीर स्वस्थ नहीं है तो लाखों कमाई करके भी मनुष्य दुःखी ही रहेगा क्योंकि शरीर तकलीफ में तो रहता ही है, साथ ही साथ धन भी डाॅक्टर और दवाई में ही खर्च होता जाता है। धन होने के बावजूद भी सुखी वातावरण का अभाव ही रहता है। इसलिए स्वस्थ शरीर, सुखी परिवार ही सच्चा सुख है।
भैया जी, इस अनमोल विषय को समझाने में आपने बहुत अच्छे से मार्गदर्शन किया है जिसके लिए तहेदिल से आपका बहुत बहुत हार्दिक अभिनंदन व स्वागत करता हूँ। सभी परिवारजनों पर परम पूज्य गुरुदेव परम वंदनीय माता दी एवं माँ गायत्री की असीम कृपा बनी रहे।
स्नेहा बेटी की पथरी :
शारीरिक समस्या के लेख के बाद हमारी बेटी स्नेहा ने अपनी पित्त पथरी की बात हम सबके समक्ष रखी और संकल्पित होकर Naturopathy से उसके साथ युद्ध करने का संकल्प वर्णन किया। बेटी की माँ, बड़ी माँ और बुआ जी ने ज्ञान के अभाव में इसी बीमारी के कारण अपना जीवन गँवा दिया। बेटी को “आकर्षण सिद्धांत” बहुत ही प्रभावित कर रहा है, दिवाली वाले दिन से ही पूरी तरह रसाहार पर जीवन व्यतीत करते हुए इस बीमारी से युद्ध करते हुए संकल्पित बेटी को शक्ति प्राप्त हो, ऐसी हम सबकी शुभकामना है।
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का आर्थिक सहायता का उदाहरण तो हम सबने अभी अभी देखा है लेकिन स्नेहा बेटी के सम्बन्ध में आदरणीय रेणु बहिन जी द्वारा लखनऊ आकर इलाज करवाने का सुझाव देना और किसी भी सहायता के लिए ऑफर करना, एक और कीर्तिमान है। ऐसा है हमारा छोटा सा समर्पित परिवार।
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संकल्प सूची को गतिशील बनाए रखने के लिए सभी साथिओं का धन्यवाद् एवं जारी रखने का निवेदन। आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 13 युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज सरविन्द जी गोल्ड मैडल विजेता हैं।
(1)वंदना कुमार-28,(2 )सुमनलता-27,(3)पुष्पा सिंह-25,(4)संध्या कुमार-49,(5)सुजाता उपाध्याय-42,(6)नीरा त्रिखा-29,(7)पूनम कुमारी-27,(8)रेणु श्रीवास्तव-41,(9) अरुण वर्मा-25,(10)मंजू मिश्रा-24,(11) निशा भारद्वाज-24,(12) प्रेरणा कुमारी-24,(13) सरविन्द पाल-52
