आज का स्पेशल सेगमेंट हर्ष और प्रसन्नता की पराकष्ठा दर्शा रहा है क्योंकि जब हम आज का फाइनल ड्राफ्ट लगभग पूर्ण कर चुके थे तो सरविन्द भाई जी ने बेटे आयुष पाल की फाइनल क्रिकेट मैच की ट्रॉफी जीतने की सूचना दी। सूचना प्राप्त होते ही हमने भाई साहिब को ट्रॉफी की पिक्चर और आयुष बेटे की धन्यवाद् वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए निवेदन किया, बेटी पिंकी ने दोनों ही कार्य एक दम पूर्ण करके इस परिवार की प्रथा को कायम रखा, बेटी का बहुत बहुत धन्यवाद्। सभी परिवारजन, विशेषकर सुमनलता बहिन जी, इस सूचना से बधाई के पात्र हैं।
वीरभद्र और देवदूत की चर्चा करते समय बहिन विदुषी जी ने सहायता कर रही दोनों बहिनों को इसी विशेषण से सम्मानित किया है। 1500 के लगभग कमैंट्स करने वाले साथिओं को कैसे भूल सकते हैं जिन्होंने समयदान करके, चाहे “जय गुरुदेव” ही लिखा, अपनी शुभकामना देने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी।
आर्थिक सहायता प्रदान करने का सुझाव बहुत ही उत्तम एवं पुनीत है लेकिन परम पूज्य गुरुदेव इस पक्ष में नहीं हैं कि कोई अलग से फण्ड वगैरह स्थापित किया जाए। यही कारण है कि हमारे अथक परिश्रम एवं प्रयत्न के बावजूद हमें इस दिशा में कोई सफलता नहीं मिल पायी। बहिन सुमनलता जी ने तो अपने कमेंट के माध्यम से इस चैप्टर को close ही कर दिया है। End निष्कर्ष तो यही निकलता दिख रहा है कि भविष्य में जब कभी भी आर्थिक समस्या आती है तो अपनी स्वेछा से, जितना जिस किसी से बन पाए, बिना किस दबाब के समस्याग्रस्त परिजन के अकाउंट में सीधा ही ट्रांसफर किया जाए ,न कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के माध्यम से। जब हम बार-बार पारदर्शिता का जाप करते रहते हैं तो उसका पालन करना भी हमारा कर्तव्य है। हमारी आँखें तो तब खुलीं जब टोरंटो वाली बहिन जी से आर्थिक सहायता के विषय पर एक घंटा बात होती रही, हमें तो ऐसा लग रहा था कि परम पूज्य गुरुदेव का अपना ही कोई देवदूत हमें रास्ता दिखा रहा है। उनका बार-बार कहना कि आप ज्ञानप्रचार-प्रसार का इतना उत्तम कार्य कर रहे हैं, उसी में आप विशेषज्ञ भी हैं, आपका कार्य सराहा भी जा रहा है तो उसी में और परिपक़्व होना उचित होगा। हमें तो यह गुरुदेव की डांट ही लग रही थी लेकिन इतना अवश्य कह सकते हैं कि गुरुदेव ने ऐसा चक्रव्यूह रचा जिसमें केवल दो बहिने ही प्रवेश कर सकीं। भविष्य में जब कभी भी सहायता का अवसर मिलेगा तो पात्रता का ख्याल रखा जाना बहुत आवश्यक होगा, जिसका परिवार से दूर दूर तक भी कोई सम्बन्ध नहीं है, मात्र जय गुरुदेव लिखने वाले के बारे में सोचना ही पड़ेगा।
आगे जैसी हरि इच्छा, गुरुदेव जो मार्गदर्शन देंगे, पालन करना अपना धर्म है
प्रस्तुत है साथिओं की भावनाएं एवं योगदान :
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पिता-पुत्र की भावना :
आदरणीय अरुन भइया जी हम बहुत ही हर्ष के साथ अवगत कर रहे हैं कि बेटे आयुष कुमार पाल ने पूज्य गुरुदेव की कृपा व आप सबके सामूहिक आशीर्वाद से फाइनल क्रिकेट मैच जीतकर ट्राफी अपने पक्ष में कर ली है, इसके लिए आप सभी बहुत बहुत बधाई के पात्र हैं।
बेटे आयुष कुमार पाल का कहना है कि हमारा जो भी विकास और चमत्कार हो रहा है वह सब लीलाधारी परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि व आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सामुहिक आशीर्वाद से ही संभव हो रहा है जिसके लिए हम आप सबके श्रीचरणों में शत-शत नमन वन्दन करते हैं। आप सबका सामुहिक आशीर्वाद सदैव मिलता रहे और हम परम पूज्य गुरुदेव की कृपादृष्टि से प्रगति पथ पर अग्रसर होते रहें। हमारी सम्पूर्ण सफलता का श्रेय आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार को अनवरत मिलता रहे ताकि हम भी दूसरों के काम आ सकें क्योंकि हमें भी किसी का सहयोग मिल रहा है और इस दिव्य आशीर्वाद को हम कभी नहीं भूल सकते। यह जीत हमारी नहीं, आप सबकी है और इसी तरह आपकी जीत जारी रहेगी। हर जीत में पारदर्शिता स्पष्ट दिखाई देगी एवं सुविधा मुहैया कराकर जीत कभी हासिल नहीं करेंगे, चाहे खेलना बंद ही क्यों न करना पड़े, यह हमारा दृढ़ संकल्प है l यह ट्राफी हमारी नहीं,परिवार के सभी सदस्यों की है,धन्यवाद्, जय गुरुदेव।
गतिविधियां:
1.पुष्पा बहिन जी ने समाचार पत्र की कटिंग द्वारा पटना में 6 से 10 दिसंबर के बीच हो रहे 251 कुंडीय यज्ञ के बारे में सूचित किया है
2.संजना बेटी का पूर्ण नियमितता का पालन करते हुए, ज्ञान से भरपूर कमेंट यथावत ही शेयर कर रहे हैं :
आज के ज्ञान प्रसाद का अमृतपान हमने सुबह ही कर लिया था परंतु कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कमेंट क्या करें या इसमें हम अपना योगदान कैसे दे सकते हैं।
शाम तक हमने यहां विश्वविद्यालय में अपने मन के अनुसार खुद की दुविधा को गुरु जी की पुस्तकों में ढूंढने की कोशिश की। बहुत खोजने के बाद मेरी मन: स्थिति को समझते हुए गुरु जी ने एक पुस्तक मेरे सामने प्रस्तुत की जिसका नाम है “समस्याओं का समाधान-अध्यात्म”। इसकी पहली लाइन ने ही मेरी समस्याओं का समाधान करने में सहमति जताई और वह यह थी कि
“बुद्धिवादियों का एक वर्ग बहुत समय से यह कहता आया है कि सभी प्रकार की विपत्तियां आर्थिक कठिनाइयों के कारण उत्पन्न होती है “।
इस पुस्तक के अगले दस पन्ने पढ़ने तक मेरी बेचैनी थोड़ी शांत हुई कि समस्याओं का कारण “आर्थिक स्थिति नहीं बल्कि हमारी मन: स्थिति है।” ऐसा लग रहा है पुस्तक की एक एक लाईन गुरु जी ने मेरे लिए ही लिखी है और यह भी लग रहा है अभी ही वो सारी लाईनें आप सभी के साथ शेयर कर दूं।
इसलिए मैं आदरणीय सर से अनुरोध करूंगी कि वो इसे भी लेख श्रंखला में शामिल करें। आदरणीय रेणु मैम को हमारा भाव भरा सादर प्रणाम एवं ह्रदय से कोटि कोटि धन्यवाद बहुत ही सरल सा उपाय सुझाने के लिए कि सभी वेद माता गायत्री ट्रस्ट में अंशदान करते जाएं और समय आने पर परम पूज्य गुरुदेव जी अपने किसी “देवदूत” को जरूर भेजेंगे यह हमारा परिपूर्ण विश्वास है ।
3.पूनम जी का मस्तीचक यज्ञ में शामिल होना :
परम आदरणीय बड़े भैया जी भावभरा सादर प्रणाम। हम दोनों को 251 कुंडीय विराट गायत्री महायज्ञ मस्तीचक सारण छपरा में परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से सम्मिलित होने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ । संजना के पापा जी तो 29 अक्टूबर को ही चले गए थे ।मैं बिहटा से और गायत्री परिजनों के साथ 31 को गई और कलश यात्रा में सम्मिलित हुई ।लगभग 10000 से भी ऊपर महिला और बच्चियां मिल कर कलश यात्रा में सम्मिलित हुई ।सभी महिलाएँ मस्तीचक गायत्री शक्तिपीठ से कलश लेकर लगभग 7-8 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर यज्ञस्थल में पहुंची ।कलश यात्रा में हाथी, ऊंट, घोड़े विभिन्न प्रकार की झांकियां और प्रज्ञा गीत डीजे के साथ बहुत ही आनंदमय वातावरण था ।लगभग डेढ़ 2:00 बजे हम लोग यज्ञस्थल पहुंचे और उसके बाद सभी पति-पत्नी को जोड़े में यज्ञकुंड पर बैठाया गया। लगभग 5:30 बजे शाम पूजा खत्म हुई । दूसरे दिन 1 नवंबर से सभी लोगों के लिए यज्ञ शुरू हुआ । 2 नवंबर को परम आदरणीय चिन्मय भैया जी और बिहार के गवर्नर यज्ञ स्थल में आए और उसके बाद 500 बेड वाले अस्पताल का उद्घाटन हुआ ।अस्पताल में बहुत ही सुंदर सूर्य मंदिर, गायत्री मंदिर, सजल श्रद्धा प्रखर प्रज्ञा और परम पूज्य गुरुदेव की प्रतिमा स्थापित की गई है ।शाम को दीप यज्ञ का कार्यक्रम हुआ । 3 नवंबर को लगभग 3:00 बजे सुबह से ही लोगों की भीड़ यज्ञ स्थल के बाहर जमा हो गई । यज्ञ स्थल के बाहर Barricade तोड़-तोड़ कर आगे आने के चक्कर में भगदड़ मचा दिए। व्यवस्था तो बहुत ही अच्छा थी लेकिन गायत्री परिजनों के अलावा अन्य लोगों की भीड़ भी बहुत ज्यादा थी जिस कारण दो लोगों को प्राण भी खोने पड़े । 3 नवंबर को पूर्णाहुति के बाद हम लोग अपने घर को वापस लौटे । जिस भाव को लेकर गए थे उसी भाव को लेकर घर वापस आए, बहुत ही आनंद आया । परम पूज्य गुरुदेव वंदनीय माताजी गायत्री माता के श्री चरणों में कोटि-कोटि नमन।
4..अरुण वर्मा जी और आदरणीय बहिन सुमनलता जी के बीच हुई व्हाट्सप्प चैट ( अरुण जी के अनुरोध पर) परिवार के समक्ष रख रहे हैं।
अरुण वर्मा जी : दीदी आप से करबद्ध निवेदन है कि कृप्या आप अपना अकाउंट डिटेल भेज दें तो मैं पैसा भेज सकूँ, एक दो दिन में पेमेंट मिलने वाला है, आपका बहुत बहुत धन्यवाद,दीदी
सुमनलता जी: आप परेशान मत होइए। जब सुविधा हो भेज दीजिएगा। दीपावली का त्योहार है। घर पर भी जरूरत हो सकती है। आप दिसंबर से देख लीजिएगा। तब मैं बेटे से पूछ कर नंबर भेज दूंगी क्योंकि ऑनलाइन transactions वही करता है। उसने ही अपने अकाउंट से भेजे थे। मैं जानती हूं कि आपको यह सहायता ऋण जैसी लग रही है और आप जल्द से जल्द उतारना चाहते हैं, लेकिन आपके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी है। आप अपनी दीदी की बात मान लीजिए। हमें कोई परेशानी नहीं होगी। अगले महीने से सहर्ष स्वीकार कर लेंगे। जब गुरुदेव हमारे पिता हैं तो उस नाते से हम भाई-बहन हुए न । भैया मैंने अपने जीवन में बहुत-बहुत कुछ देखा और अनुभव किया है। मुझे तो सब में मैं ही दिखाई देती हूं। सब मेरे अपने ही है। फिर गुरुदेव ने जो हमेंसिखाया है,उसका पालन करना हमारा कर्तव्य है। कात्यायनी पूरे ज्ञानरथ परिवार की बेटी है। आपने देखा होगा कि बिटिया को सलेक्ट होने पर सभी ने शुभकामनाएं दी। उस समय मेरी खुशी का अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता। गुरुदेव और माताजी का आशीर्वाद आपके पूरे परिवार पर अनवरत रहे। आप जानते हैं , ये घटनाक्रम गुरुदेव ने तभी तैयार कर दिया था जब आप शांतिकुंज गए थे।शांतिकुंज जाकर ऐसा ही होता है।आप हमेशा इसका श्रेय मुझे देते हैं,जब कि ये अनुकंपा तो गुरुदेव की थी।इस लिए मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगी कि मुझे इसके लिए इतना सम्मान मत दीजिए। जय गुरुदेव
5 . आज उपलोड हुई वीडियो में पंकज जी और हमारे द्वारा शेयर की गयी वीडियो भी देख लें।
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संकल्प सूची को गतिशील बनाए रखने के लिए सभी साथिओं का धन्यवाद् एवं जारी रखने का निवेदन। आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 9 युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज संध्या जी गोल्ड मैडल विजेता हैं। (1)अरुण वर्मा-30 ,(2 ) सुमनलता-29,(3 )नीरा त्रिखा-29,(4) संध्या कुमार-60 , (5) सुजाता उपाध्याय-52 ,(6) सरविन्द कुमार-31,(7) निशा भारद्वाज-28,(8) मंजू मिश्रा-31,(9) चंद्रेश बहादुर-43, (10) सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।
