वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

अपने सहकर्मियों की कलम से का 4 नवंबर 2023 का विशेषांक: आर्थिक सहयता

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की कार्यप्रणाली के अंतर्गत शनिवार को प्रस्तुत किया जाने वाला सेगमेंट पूर्णतया इस परिवार के साथिओं के योगदान पर ही आधारित होता है।   इस सेगमेंट की लोकप्रियता का मुख्य कारण साथिओं की गतिविधियां होती हैं जिनका अमृतपान प्रस्तुतकर्ता एवं पाठक/दर्शक, दोनों के लिए एक सुखद अनुभूति प्रदान करता है। 

आज के विशेषांक में केवल एक ही गंभीर विषय “आर्थिक सहायता /सहायता” पर चर्चा हो रही है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के दो साथिओं को जिस आर्थिक दुविधा का सामना करना पड़ा, उसे देखते हुए कुछ गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर योजनाबद्ध  planning से कार्य किया जाए तो कोई संशय नहीं कि अधिकतर कठिनाइओं का निवारण हो ही जाता है। गुरुदेव का सुरक्षा चक्र तो हर समय, हर परिस्थिति में उपलब्ध है ही लेकिन GOD HELPS THOSE WHO HELP THEMSELVES के तथ्य को भुलाना भी तो अनुचित ही होगा। सामने से आती गाड़ी से अपनी सुरक्षा तो हमारा विवेक ही कराता है, माँ गायत्री की उपासना विवेक का पाठ  ही तो पढ़ाती है। 

हमारी अति समर्पित आदरणीय बहिन सुमनलता जी ने आर्थिक सहायता के विषय पर मालवीय जी के एक मुट्ठी अनाज का उदहारण दिया है जिसकी सार्थकता सम्पूर्ण गायत्री परिवार में झंकृत हो रही है। उसी सन्दर्भ में परम पूज्य गुरुदेव के 1953 में गायत्री तपोभूमि मथुरा के निर्माण के समय वाले अखंड ज्योति में प्रकाशित शब्द नहीं भूलने चाहिए। गुरुवर लिखते हैं : 

अगर मां गायत्री चाहती तो किसी एक गायत्री साधक के हृदय में प्रेरणा भर देती और उसी से सारा मंदिर बनवा लेती लेकिन मां ने ऐसा नहीं किया। ऐसा इसलिए नही किया कि मां सभी को पुण्य का भागीदार बनाना चाहती थीं । इसी धारणा के कारण सभी परिजन शांतिकुंज,गायत्री तपोभूमि आदि को “अपना ही घर” समझते हैं। बेटियां तो इन्हें अपना मायका समझती है।

जहाँ तक सहायता करने का प्रश्न है, अरुण जी एवं सरविन्द जी ने इस परिवार में अपने परिश्रम से वोह जगह बनाई जिसके कारण सभी साथी योगदान देने में उत्सुक थे। परिवार में ऐसे भी so called साथी हैं जो गुरुदेव के दिव्य साहित्य को चार ग्रुप्स में शेयर करके, लाइक का अंगूठा लगा कर कह देते हैं कि इससे बढ़कर न तो हमारी पात्रता है और न ही समरथा। क्या हमारा गुरु इतना सस्ता है ? उसके लिए 24 घंटों में से 10 सेकंड लगाकर मांगों का अम्भार लिए बैठा है, ऐसे कभी भी काम नहीं चलता। हमारे गुरुदेव का विज़न तो बहुत ही क्लियर है, “तू मेरा कार्य कर, मैं तेरा कार्य करूँगा , इस हाथ दे  उस हाथ ले “ 

इन्हीं  शब्दों  के आज की स्पेशल कक्षा का शुभारम्भ होता है।   

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अभी कुछ ही समय पहले की बात है कि हमारी दो बहिनों ने परिवार के दो बच्चों को आर्थिक सहायता  प्रदान करके जो कीर्तिमान स्थापित  किया है, उसकी प्रशंसा के लिए शब्दों ने तो बहुत कुछ कह डाला,काश विज्ञान इतनी प्रगति कर पाता कि भावनाएं भी बोल उठतीं, सूक्ष्म के तार तो अवश्य ही जुड़े हैं।  

इस उदाहरण  से हम सबको बहुत कुछ  सीखने की आवश्यकता है, कुछ करने की आवश्यकता है ,कुछ ठोस एवं सार्थक कदम उठाने की आवश्यकता है। 

इन्ही ठोस क़दमों के मार्गदर्शन के उद्देश्य से हम लगभग रोज़ ही यूट्यूब पर  एक अलग से कमेंट पोस्ट करते रहे लेकिन उसका कोई भी रिप्लाई न मिला। ऐसा तो हो नहीं सकता कि परिजनों ने हमारे निवेदन को देखा न हो; हाँ, main  लेख में लिखना और कमेंट की फॉर्म में  लिखने में अंतर् तो अवश्य ही है लेकिन रिप्लाई की आशा अवश्य थी। खैर जो भी हो आखिरकार आदरणीय सुमनलता जी ने ही initiative लेकर इस विषय को गति प्रदान की, सुझाव भी दिए, हमारे कमेंट पर अपने विचार भी दिए।   उनका कमेंट यथावत शेयर कर रहे हैं : 

1.सुमनलता जी का कमेंट : आ.भाई साहब प्रतिदिन ज्ञानरथ सहयोगियों से अपील कर रहे हैं कि आर्थिक सहायता विषय पर अपने सुझाव दें। हमें लगता है कि परिजन इसमें अपना मंतव्य शायद इसीलिए नहीं दे पा रहे हैं कि हम सब ऑनलाइन जुड़े हुए हैं।सब एक दूसरे से बहुत बहुत दूर है। व्यक्तिगत रूप से अनभिज्ञ हैं, तो आर्थिक समस्या का समाधान कैसे हो सकता है। 

यह सत्य है कि हम में से कोई भी एक दूसरे को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता। लेकिन हम यदि “वसुधैव कुटुम्बकम्” के गुरुदेव के इस भाव को स्वीकार करें तो हम एक परिवार है और परिवार विश्वास पर आधारित होता है। 

हमारा सुझाव यह है कि सर्व सहमति से अपने किसी भी एक सहयोगी को कैशियर के रूप में चुना जाए । जो सारा लेखा-जोखा रख सके। फिर जो भी सहयोगी इस कार्य के लिए तैयार हैं, उनके नाम पंजीकृत /रिकॉर्ड में रख लें । फिर गुरुदेव ने जो अंशदान का संकल्प दिया है उसका पालन करते हुए एक छोटी सी राशि (10/ से 100/, रुपए के बीच) निर्धारित कर दी जाए। यह शायद किसी को भी भारी नहीं लगेगी। पंजीकृत सहकर्मी के नाम से प्रतिमाह रजिस्टर की जाती रहे। जब भी किसी को आवश्यकता हो तो वो उसमें से ले सके। ऑनलाइन बैंकिंग की तरह डिजीटली रकम एकत्र होती रहे । आवश्यकता पड़ने पर जिन जिन के नाम पर जितनी धनराशि रजिस्टर होगी ,तब वो उस पैसे को “चयनित कैशियर” के नाम खोले गए ज्वाइंट अकाउंट में ट्रांसफर कर देगा और वहां से उचित व्यक्ति को दिया जाना  संभव हो सकेगा।

यह हमारा व्यक्तिगत सुझाव है। इसका आलोचनात्मक/सकारात्मक विचार अवश्य करें। इसमें कुछ भी addition/alteration आप अपने विवेकानुसार कर सकते हैं । या इसको सदन के पटल से हटा भी सकते हैं। 

2.अरुण त्रिखा का सुमनलता जी को रिप्लाई : 

बहिन जी अमूल्य समय निकाल कर,अमूल्य सुझाव देने के लिए हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। बहुत ही सुंदर और प्रैक्टिकल सुझाव है, यही सुझाव हमारे मन में कई दिनों से आ रहा था। नीरा जी इंडिया में किट्टी पार्टी से संबंधित रही हैं, वही मॉडल इस परिवार के लिए हमें सुझा रही थीं। उनकी मम्मी ने “कमेटी” डाल-डाल कर 6 बच्चों के (तीन अपने और तीन नीरा जी के चाचा के) विवाह तक कर दिए। कहने का अर्थ यह है की युग चाहे इंटरनेट का हो, पुराने मॉडल आज भी सक्रिय हैं, प्रैक्टिकल हैं। हमें आशा है कि कोई समर्पित साथी अवश्य ही अपनेआप को इस पुनीत कार्य के लिए ऑफर करेगा। गुरुदेव हमें शक्ति दें तो हम स्वयं को ऑफर करने को तैयार हैं लेकिन हमारा तो एक ही शरीर है, गुरुदेव की भांति पांच नहीं। हमने इस सुझाव को circulate करते समय “आर्थिक सहायता/ सहायता” को भी हाईलाइट करने का प्रयास किया था, जिसका अर्थ था कि ज्ञानरथ परिवार में अनेकों प्रतिभावान विभूतियां हैं जो आर्थिक सहायता के स्थान पर टेक्निकल सलाह प्रदान कर सकते हैं उदाहरण के लिए “विद्या लक्ष्मी” जैसे योजनाओं से बच्चों को एजुकेट कराना, बच्चों को 18 वर्ष की आयु से ही आर्थिक दृष्टि से आत्म निर्भर बनाना, एवम अन्य कई और सुझाव जिससे दुविधा के क्षणों में राहत मिलने की संभावना हो। हम गुरुदेव के आशीर्वाद से ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार को एक fururistic directional role model का स्वप्न देख रहे हैं, सभी के सहयोग से इस स्वप्न के सार्थक होने के आशा है। धन्यवाद 

3.सुमनलता  जी का अरुण त्रिखा को रिप्लाई: भाई साहब सब सहयोगी आपको अपना मार्गदर्शक मानते हैं, आपके नाम पर सहमति सहजता से हो जाएगी। लेकिन ये आप पर एक अतिरिक्त दायित्व हो जाएगा। यह संभव हो सकता है कि अभी आप के नाम से आरंभ हो जाए। एक बार आरंभ हो जाएगा तो फिर आप अपने सहायक के रुप में किसी भी विश्वस्त सहयोगी को इस दायित्व के लिए कह सकते हैं। अभी तो सहमति बन जाए तो आरंभ किया जाए‌। जो हालात आज अरुण वर्मा भाई साहब, सरविंद भाई साहब पर अचानक से आ गए वो किसी पर भी कभी भी आ सकते हैं। स्वाभिमानी परिजन कहने में भी संकोच करते हैं। लेकिन जब स्वयं का अनुदान होगा तो लेने में भी संकोच नहीं होगा।जैसा कि मालवीय जी ने कहा था कि एक मुट्ठी अनाज हर घर से लो,जिस से सबको लगे कि कांग्रेस हमारा संगठन है।आ.चिन्मय जी बता रहे थे कि गुरुदेव ने बच्चों से कहा है कि यहां जो निर्माण कार्य संपन्न हो रहा है उसमें एक ईंट तुम भी लगा दो। जिससे हमेशा गर्व महसूस करो कि शांतिकुंज में तुम्हारा भी योगदान है।

 Renu Srivastav  जयगुरूदेव,भाईजी, मेरे विचार से इस तरह की समस्या से शायद ही किसी को सामना करना पर सकता है। बैंक से भी education loan like Vidya luxmi scheme started in 2015, की सुविधा है। फिर भी यदि किसी को आवश्यकता पड़ेगी तो व्यक्तिगत सहायता इस परिवार से अवश्य मिलेगा। इस उदेश्य से फंड इकट्ठा करना और रख रखाव में परेशानी अधिक बढे़गी और किसी की ज़िंदगी  का ठिकाना नहीं है।मेरे अनुसार इस तरह परमानेंट सौलुशन मुश्किल है। बाकी  जैसा सबका और आपकी राय हो,शनिवार के सेगमेंट में अवश्य लिखें। सादर नमन।

Arun Verma अगर हम सभी इस परिवार के द्वारा एक ऐसा फंड का शुभारंभ करें जिससे किसी जरूरतमंद परिवारों को मदद मिल सके, किसी एक पर बोझ न हो, छोटा छोटा राशि जमा करें तो जितने भी परिवार के सदस्य हैं उन सभी को बेसमय किसी तरह का आर्थिक मदद की जरूरत पड़े तो किया जा सकता है, और वो व्यक्ति जिन्होंने इस पैसे से अपना काम चलाया वो धीरे धीरे कर उस राशि को वापस कर दें, किसी तरह की परेशानी भी नहीं होगी और काम भी हो जायेगा।

आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार के नाम से एक सामुहिक फंड बना लिया जाए जिसमें पूरे परिवार का एक छोटी सी राशि का योगदान हो जिससे परिवार के किसी भी जरूरत मंद सदस्य की विषम परिस्थिति में आर्थिक सहायता की जा सके, इससे परिवार के सभी सदस्यों को पुण्य का लाभ मिल सकेगा और किसी भी एक सदस्य पर भार नहीं पड़ेगा क्योंकि आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार का हर सदस्य अपनी समर्था व श्रद्धा के अनुसार जरूरत मंद की आर्थिक सहायता दिल खोलकर प्रसन्नता पूर्वक करना चाहता है जो कि इस प्रकार बहुत ही सहजता से संभव हो सकेगा l अतः आदरणीय अरुन भइया जी हम आपसे और आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार के सभी सदस्यों से करबध्द निवेदन करते हैं कि आदरणीय संध्या बहन जी व आदरणीय हमारे परम प्रिय अनुज अरूण कुमार जी के विचारों को शिरोधार्य किया जाए और इसे बहुत ही जल्द अमल में लाया जाए जो कि वर्तमान में निहायत आवश्यक व न्याय संगत है

इस विषय पर जब हम सुझावों की बात कर रहे हैं तो चंद्रेश जी के नकारात्मक अनुभवों  को भी नकारा नहीं जा सकता।  भाई साहिब के अभी भी 85000 रुपए फंसे हुए हैं।

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संकल्प सूची को गतिशील बनाए रखने के लिए सभी साथिओं का धन्यवाद् एवं जारी रखने का निवेदन। आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 12  युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज संध्या जी और सुजाता  जी गोल्ड मैडल विजेता हैं। (1)अरुण वर्मा-38  ,(2 )सुमनलता-32  ,(3 )रेणु श्रीवास्तव-39  ,(4) संध्या कुमार-44  , (5) सुजाता उपाध्याय-45 ,(6 ) चंद्रेश बहादुर-31  ,(7) मंजू मिश्रा-30 , (8)नीरा त्रिखा-26 ,(9) सरविन्द कुमार-31 ,(10 )स्नेहा गुप्ता-27,(11)पुष्पा सिंह-25,(12) प्रेरणा कुमारी- 27  

सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


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