https://drive.google.com/file/d/1YsH5HINMQN6ABXWtBeZqA2ulrmfOCOfr/view?usp=drive_link ( This is a google drive link, it is better to download this file)
गाँव के स्कूल में जब हम पांचवीं छठी जैसी छोटी कक्षाओं में होते थे तो शनिवार को आधा दिन पढ़ाई होना बहुत ही अच्छा लगता था। शनिवार की आधी छुट्टी की प्रतीक्षा ठीक उसी तरह होती थी जैसे इस स्पेशल सेगमेंट की होती है। आज के दिन हम सब लेख पढ़ने के झंझट से मुक्त होते हैं,प्रतीक्षा होती है कि अपनी साथिओं की कुछ सुने, कुछ अपनी सुनाएँ, प्रस्तुत की गयी उच्चकोटि की रेसिपी में कमेंट रुपी मसाले से औरअधिक रोचक बनाएं ताकि इस सेगमेंट को लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचाने में कोई भी कसर न रह जाए, लेकिन डायरेक्टर (यूट्यूब) साहिब के मूड का क्या करें, कभी-कभी हमारी कोई भी गलती नहीं होती फिर भी हमें दण्डित कर देते हैं।, जैसे आज किया हुआ है। हमारे अनेकों साथी हमें व्हाट्सप्प पर यूट्यूब के दंड के बारे में सूचित कर चुके हैं। अगर डायरेक्टर साहिब अपनी पत्नी से डाँट खाकर आते हैं तो इसका अर्थ यह तो नहीं है कि पत्नी के आगे तो भीगी बिल्ली बने रहें और हम पर रौब जमाते रहें ।
रेणु बहिन जी और चंद्रेश जी के कमेंट आपने पढ़े होंगें, फिर से रेफरन्स दे रहे हैं। गतिविधि सेक्शन में अशोक जी, प्रेमशीला मिश्रा जी, कुसुम त्रिपाठी जी और साधना सिंह के योगदान शामिल किये हैं। प्रेमशीला बहिन जी के बारे में अक्सर हमसे प्रश्न किये गए हैं हम बता दें की उनके पतिदेव जी की स्थिति स्थिर है ,दवाइयां ले रहे हैं, दो नसों में सूजन के कारण स्टंट नहीं डाला जा सकता। बहिन जी ने बताया है कि इसी में व्यस्त रहते हैं,ज्ञानप्रसाद पढ़ तो लेते हैं लेकिन कमेंट नहीं कर पाते- क्षमाप्रार्थी हैं।
गतिविधिओं की वीडियो के इलावा आज एक स्क्रीनशॉट साथिओं के साथ शेयर कर रहे हैं जिसमें हम देख सकते हैं कि कमैंट्स का मूल्यांकन कैसे किया जा रहा है। इसीलिए हम बार-बार निवेदन करते रहते हैं कि कमैंट्स-काउंटर कमैंट्स की प्रक्रिया को lightly न लिया जाए, गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का यह एक बहुत ही प्रभावशाली tool है। इसी यंत्र ने हमें आप जैसे साथिओं के साथ जोड़ा,जो समयदान, श्रमदान, ज्ञानदान, योगदान के माध्यम से इस ज्ञानरथ को हांकने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। परिवार का विश्व्यापी विस्तार होना एक बहुत ही गर्व की बात है जिसका सारे का सारा श्रेय आप सबको जाता है। अरुण वर्मा जी, सुमनलता बहिन जी, रेणु श्रीवास्तव जी आदि अनेकों साथी हमारे लिए बहुत ही सुन्दर शब्दावली प्रयोग करके हमारी ही सराहना करते आ रहे हैं, उनका ह्रदय से धन्यवाद् तो करते ही हैं लेकिन हमारे पास अपना तो कुछ भी नहीं है, सब कुछ गुरुदेव का ही तो है,फिर भी आप की बात मान लेते हैं- लेकिन उस में भी इतना अवश्य कहेंगें कि हमारा जो कुछ भी है,जितना भी है उसका ठीक से लोक कल्याण के लिए वितरण कर सकें, इससे बड़ा और क्या सौभाग्य होगा।
हमारे साथी हमारे हर निवेदन का सम्मान करते हैं ,निवेदनों की ही कड़ी में एक निवेदन और शामिल कर रहे हैं। यह निवेदन उन साथिओं के लिए है जिनका शनिवार के विशेषांक में योगदान होता है। बड़ी कृपा होगी अगर योगदान देने वाले साथी कमेंट अवश्य करें, कंटेंट से सम्बंधित कमेंट करना बहुत ही प्रभावशाली होता है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि हमारी बात को तो छोड़िये कि हम इतने परिश्रम से compile करके आपके समक्ष कंटेंट प्रस्तुत करते है (हम तो निस्वार्थ भाव से, बिना किसी वाहवाही के गुरुकार्य में सलग्न हैं ) , हमारे दिल पर क्या गुज़रेगी; यह योगदान दे रहे साथी की ज़िम्मेवारी बन जाती है कि वोह उसके प्रचार-प्रसार में हाथ बटानें का पुरषार्थ कमाएं।
जिस गति से subscribers और views में वृद्धि हो रही है, उसका श्रेय भी आप सभी को ही जाता है। हम इस तथ्य से भलीभांति परिचित हैं कि न तो हमारे चैनल पर views, और न ही subscribers, millions में आने के सम्भावना है क्योंकि हमें अपनी योग्यता का भलीभांति ज्ञान है। जो कुछ हो रहा है, बहुत ही अच्छा हो रहा है, जो होगा, इससे भी अच्छा ही होगा क्योंकि ईश्वरीय योजना में ईश्वररूपी निष्ठावान साथी निस्वार्थ परिश्रम कर रहे हैं। साथिओं का आना, थोड़ी देर रुकना, स्वाद चखना, चमत्कार ढूंढना आदि तो लगा ही रहता है, इसे उनका दुर्भाग्य न कहें तो और क्या कहें, पात्रता में, qualifications में, योग्यता में ही कहीं कमी रहती है की सिलेक्शन नहीं हो पाता।
आशा करते हैं कि आज का यह विशेषांक भी किसी प्रकार से कम लोकप्रिय नहीं होगा क्योंकि इसका शुभारम्भ सुमनलता बहिन जी के ज्ञानवर्धक कमेंट से हो रहा है :
परमगुरुसत्ता को प्रातःकाल का नमन।OGGP के सभी परिजन पाठकों का सूर्योदय कालीन अभिवादन।आपने आज गुरुकुल प्रणाली के लिंक को भेज कर हमारी बचपन की यादों को पुनः ताजा कर दिया।गुरुकुल कांगड़ी ,जो विश्वविद्यालय है,उसके परिसर की जीवन शैली से हम भलीभांति परिचित हैं।हमने उस प्रकार के दिव्य, संयमित ,और अनुशासनबद्ध वातावरण में ही अपना प्रारंभ का जीवन बिताया था। यहां जिस गुरुकुल का कार्यक्रम दिखाया जा रहा है वो शायद उसी गुरुकुल कांगड़ी से संबद्ध है क्योंकि इस प्रकार के कार्यक्रम हमने अनेक बार वहां देखे हैं।स्वामी दयानंद सरस्वती जी के समर्पित शिष्य स्वामी श्रद्धानंद जी ने इसे कांगड़ी गांव में आरंभ किया था जो गंगा पार हुआ करता था। बरसात के समय पानी बढ़ जाने के कारण विद्यालय को भी क्षति पहुंचती थी इसलिए उन्होंने हरिद्वार क्षेत्र में जमीन लेकर इसे वहां स्थापित किया जो आज विश्वविद्यालय है । गुरुदेव ने भी देवभूमि हरिद्वार में शान्तिकुञ्ज बनाया है।गुरुकुल कांगड़ी में पहले केवल छात्रों को ही शिक्षा दी जा रही थी। वोह समय सह-शिक्षा का नहीं था। स्वामी श्रद्धानंद जी के स्वर्ग गमन के पश्चात गुरुकुल का कार्य उनके सुपुत्र इंद्र विद्या वाचस्पति जी ने संभाल लिया।तब देश के कुछ राज्यों में कन्याओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से कन्या गुरुकुल खोले गए। देहरादून, झज्जर(हरियाणा),नरेला दिल्ली आदि के नाम हमें याद है। इन सभी कन्या गुरुकुलों का संचालन गुरुकुल कांगड़ी से ही होता था। केवल मात्र स्नातकोत्तर परीक्षा ही गुरुकुल कांगड़ी में सामूहिक रूप से होती थी।अब तो वहां भी सहशिक्षा आरंभ हो गई है। गुरुकुल का नाम आते ही पूरा समय एक फिल्म की भांति आंखों के सामने घूम जाता है। इस वीडियो में जो संगोष्ठी दिखाई जा रही है ,ऐसी संगोष्ठियां हमें अपने आरंभिक जीवन की याद दिलाती हैं। वहां जब दीक्षांत समारोह होता था तो वो चार दिन तक चलता था ,जिससे जलसा कहते थे तब।उसमें विडिओ में दिखाए जा रहे कार्यक्रम निरंतर होते रहते थे । अब हम अपनी बात समाप्त करते हैं ,क्योंकि गुरुकुल की इतनी यादें हैं कि लिखना आरंभ करें तो एक पुस्तक लिखी जा सकती है। अपने सहयोगियों से क्षमा प्रार्थी हैं।
1.सुमनलता बहिन जी:
कोई भी सेगमेंट,कोई भी दिन ऐसा नहीं होता जिसमें सुमनलता बहिन जी का वर्णन नहीं होता, यह उनके सहयोग एवं सहकारिता का प्रतक्ष्य प्रमाण है। क्या यह उदाहरण उन लोगों के लिए एक प्रबल प्रेरणा का स्रोत नहीं बन सकता जो कभी कभार दर्शन देकर गुरु के ऊपर अहसान जताते हैं ? और गुरु से कुछ न कुछ मांगते ही रहते हैं।
संसार की तरह प्रकृति का भी यही विधान है, Nothing is available for free,इस हाथ दे उस हाथ ले और गुरुदेव ने बहुत ही स्पष्ट किया हुआ है, तू मेरा कार्य कर, बाकि सब मुझ पर छोड़ दे।
2.रेणु श्रीवास्तव बहिन जी:
बहिन जी की आपबीती भी हम सभी को सदैव प्रेरित करती रहेगी। इस कहानी के अंतर्गत किसी को लखनऊ में घायल सारसपक्षी मिला जिसने अपने घर लाकर उसकी सेवा की, वह स्वस्थ हो गया। बाद में यह पक्षी ऐसा मित्र बना कि उनकी थाली में साथ खाना खाता, कहीं बाहर जाते तेा उनके स्कूटर के पीछे पीछे उड़ कर जाता। वन विभाग वालों को पता चला तो वे उसे चिड़ियाघर भेज दिया गया। कुछ दिनों तक तो दोनों व्यथित थे। अब जब भी वो चिड़ियाघर सारस से मिलने जाते प्रसन्न होकर खूब नाचता है। बहिन जी ने बताया था: मेरे घर भी कई तरह के पक्षी आते हैं मैं भी उनके लिये दिन में तीन बार दाना डालती हूँ। बडे पक्षियों के लिये तथा छोटे पक्षियों के लिये अलग अलग प्लेट में बाजरा और काकुन डालती हूँ । 20 -25 की संख्या में छोटी चिडिया आती है देखकर बहुत अच्छा लगता है। मेरे अनुपस्थिति में भी मैं दाना रखकर आती हूँ ताकि उन्हें भूखा न रहना पड़े।हमें पशु पक्षियों से भी उतना ही प्रेम करना चाहिये जितना अपने आप से करते हैं।
3.आदरणीय चंद्रेश जी ने भी 100 वर्ष पुरानी कुंडी की बात लिखी थी जिसमें पक्षियों को फीड करने की व्यवस्था प्रचलित है।
गतिविधियां सेक्शन
1.प्रेमशीला मिश्रा जी के सहयोग से माता जी के महाप्रयाण दिवस पर यह सूचना शेयर की गयी है :
भाद्र शुक्लपक्ष पूर्णिमा, सजल श्रद्धा से परिपूर्ण वातसल्य की प्रतिमूर्ति माता भगवती देवी के महाप्रयाण दिवस के सन्दर्भ में एक प्रोग्राम आयोजित किया गया यह आयोजन प्रज्ञा महिला मंडल मानस एन्क्लेव इन्द्रा नगर लखनऊ द्वारा किया गया। इस आयोजन में सवालक्ष गायत्री महामंत्र का अखंड जप, वेदमूर्ति तपोनिष्ठ प्रखर-सजल ओजस्विता से परिपूर्ण गुरुसत्ता का सूक्ष्म एवं कारण स्वरूप की सघन संरक्षित उपस्थिती में दीपयज्ञ सम्पन्न कराया गया। आदरणीया पूनम दीदी एवं डाक्टर K.C.Sharma के दिशा निर्देशन में शंख ध्वनि कर वैदिक मंत्रोच्चारण करके संपन्न कराया गया। परम पूज्यनीय गुरुदेव एवं माता जी का स्नेहाशीष हम सब पर यूं ही बरसता रहे।
2.अशोक जी का योगदान वीडियो में शमिल किया गया है। पूनम जी ने लिखा:आज बिहटा में परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से दीपयज्ञ कार्यक्रम में प्रज्ञागीत गाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
संजना बेटी ने बताया : विंध्याचल धाम में माता विंध्यवासिनी के जागरण में हमारे पापाजी के द्वारा गीत की प्रस्तुति दी।
3.कुसुम त्रिपाठी बहिन जी ने एक छोटी सी वीडियो भेजी जिसमें वोह गायत्री मन्त्र उच्चारण का अभ्यास करा रही हैं। साथ में काव्या बेटी भी दिखाई दे रही है, काव्या बेटी रोज़ रात को हमें गुड नाईट दादा जी कहकर ऑडियो मैसेज भेजती है।
4. साधना सिंह जी ने आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी की फोटो भेजी है ,जिसे आपके समक्ष रख रहे हैं।
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आज की संकल्प सूची यूट्यूब समस्या के कारण अस्त व्यस्त हुई पड़ी है। 300 से भी कम कमेंट हैं और वंदना जी, सरविन्द जी और चंद्रेश जी ही 24 के magic नंबर तक पहुँच पाए। तीनों का धन्यवाद् एवं बधाई।
