“इस स्पेशल सेगमेंट के साथ एक गूगल ड्राइव लिंक भी था जो इस समय उपलब्ध नहीं है।”
हम सब जानते हैं कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से शनिवार को प्रस्तुत होने वाला स्पेशल सेगमेंट इतना स्पेशल होता है, इतना रोचक और लोकप्रिय होता है कि सारा सप्ताह इसकी बेसब्री से प्रतीक्षा रहती है।
पांच दिन हम सब परम पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित साहित्य का अमृतपान करते हैं और छठे दिन शनिवार को एक स्पेशल सेगमेंट प्रस्तुत करके एक उत्सव के रूप में मनाते हैं। इस स्पेशल सेगमेंट में जितनी प्रसन्नता हमारे सहयोगियों को अपने योगदान भेज कर होती है उससे कहीं अधिक हमें इन contributions का चयन करके,बार-बार पढ़कर और प्रकाशित करने में होती है। इन्ही contributions में हमारे लिए भांति-भांति के निर्देश और सुझाव भी होते हैं जिन्हे हम बिना झिझक आप सबके समक्ष रखते हैं ताकि हमारे कार्य प्रणाली पर कोई भी ऊँगली न उठा सके। लेकिन फिर भी बार-बार त्रुटियां होती ही रहती हैं और हम साथियों के सहयोग से संशोधन करते ही रहते हैं।
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के समर्पित साथियों के समक्ष कुछ भी प्रस्तुत करते समय हमें अपनी अयोग्यता का संकोच तो अवश्य ही रहता है लेकिन जिस सदुद्देश्य से हम प्रस्तुत करते हैं अवश्य ही लोकहितकारी रहता होगा, ऐसा हमारा विश्वास है। आगे हमारे साथी ही जाने क्योंकि उनके मूल्यांकन के आगे कुछ भी नहीं है।
श्रावणी पूर्णिमा और रक्षाबंधन से सम्बंधित आदरणीय सरविन्द जी के द्वारा प्रस्तुत लेख उन्ही दिनों में प्रस्तुत होने चाहिए थे, जिसके कारण हमें टाइम टेबल में कुछ बदलाव करना पड़ा,साप्ताहिक वीडियो सेक्शन के स्थान पर “गुरुदेव की हिमालय यात्रा पर आधारित हमारी जिज्ञासा” लेख प्रस्तुत करना पड़ा। बहिन विदुषी जी का विस्तृत, ज्ञान से भरपूर कमेंट आप सबने पढ़ लिया होगा,इसे आने वाले किसी स्पेशल सेगमेंट में प्रस्तुत करने की योजना है। अवश्य ही बहुत महत्वपूर्ण जानकारी है। बहिन सुमनलता जी ने शुक्रवार को प्रकाशित होने वाली वीडियो के बारे में कमेंट करके हमें सावधान किया, जिसके लिए हम ह्रदय से आभारी हैं।
स्पेशल सेगमेंट के कमैंट्स सेक्शन में बहिन सुमनलता जी की रक्षाबंधन से सम्बंधित कहानी, बहिन मीरा जी की स्वप्न अनुभूति और गतिविधि सेक्शन में प्रेरणा बिटिया की स्टेज पर प्रथम प्रस्तुति और पुष्पा जी द्वारा गया गया भजन है।
विश्वशांति की कामना के साथ प्रस्तुत है आज का स्पेशल सेगमेंट । ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने। हे भगवन हमें ऐसा वर दो।
कमैंट्स सेक्शन
1.सुमनलता जी की रक्षाबंधन से सम्बंधित कहानी
हमें एक बड़ी पुरानी कहानी याद आ रही है जो अपनी मां से सुना करते थे। एक बहन को उसका भाई राखी के अवसर पर बहुत से उपहार दिया करता था। कालांतर में बहन का विवाह एक बहुत अमीर घर में हो गया। दुर्भाग्यवश धीरे- धीरे भाई की आर्थिक स्थिति खराब होती चली गई।अब वो इतना निर्धन हो गया कि अपनी बहन को मंहगे उपहार देने की स्थिति में नहीं रहा। रक्षाबंधन का त्यौहार आया तो भाई से जो भी बन पड़ा लेकर बहन के घर चला गया। अब अपने गरीब फटेहाल भाई को देख कर बहन बिल्कुल भी खुश नहीं हुई। भाई को एक कमरे में बैठा कर अंदर चली गई। बहुत देर प्रतीक्षा करने के बाद भी नहीं आई तो भाई ने कहला भेजा कि बहुत देर हो गई है,अब मुझे चलना होगा, राखी बांध देती तो मैं घर चला जाता। तब बहन ने आकर बड़ी उपेक्षा से राखी तो बांध दी ,लेकिन भाई को पानी तक नहीं पूछा और पुनः घर के भीतर चली गई। भाई कुछ देर बैठा ,फिर किसी से कहला भेजा कि बहन अब मैं जा रहा हूँ। भाई का नाम भोपाल था। भाई चलने को उठा तो अंदर से बहन की आवाज आई “ठहर रे भोपाल, अभी लाती हूँ मांड़ (मांड़ पके हुए चावलों से निकाले हुए पानी को कहते है)। दुःखी हो कर भाई वहां से चला गया।
बहन से कुछ सहायता की आशा से आया था ,लेकिन उसका रूखा व्यवहार देख कर बिना कुछ कहे ही चला गया। समय तो सभी का बदलता है। धीरे-धीरे भाई फिर पहले की तरह संपन्न हो गया। तब वह बहन भाई को मिलने आई। भाई न बड़े प्यार से व्यवहार किया और बहन से पूछा कि बहन बता इस बार राखी पर तेरे लिए क्या लाऊं तो बहन झट से बोली कि भैया मेरे लिए बोलती जूती लाना (ऐसी जूतियां जो चलते समय आवाज़ करती हैं) भाई ने कहा कि ठीक है।
भाई रक्षाबंधन के दिन बहिन के घर फिर पहुंचा, बहुत सारे उपहार और बोलने वाली जूती लेकर।बहन बड़ी खुश हुई। बहिन ने सबसे पहले अपनी जूतियां लेकर पैरों में पहन लीं और जैसे ही चलने लगी तो जूतियों से आवाज आती है “ठहर रे भोपाल अभी लाती हूँ मांड़।” बहन भाई से कुछ कह नहीं पाई और बहुत शर्मिंदा हुई।
Moral of the story : भाई बहन का संबंध केवल आर्थिक ही नहीं है,दोनों का संबंध बराबरी का होता है I
3.मीरा देवी जी का स्वप्न: , सरविन्द कुमार पाल जी द्वारा वर्णित :
यह सत्य घटना 7 अगस्त 2023, सोमवार प्रातःकाल की मधुर वेला की है जिस समय दिव्य शक्तियों का भ्रमण होता है l हमारी जीवनसंगिनी मीरा देवी पाल ने बताया कि सुबह के लगभग 3:00 बजे होंगे और हम सो रहे थे कि स्वप्न में परम वन्दनीया माता जी हमारे यहाँ आयी हैं, घर के बाहर शंकर भगवान का काफी बड़ा चबूतरा बना है, उसमें आसन लगाकर बैठी हैं। हम भी माता जी के पास बैठ गए, हमें एक दिव्य अनुभूति हुई जो निम्नलिखित है : माता जी ने अपने स्नेह व प्यार से हमें भाव विभोर कर दिया और अपनी अमृतवाणी से हमारा उचित मार्गदर्शन किया l इस तरह माता जी हमारे पास काफी देर तक रुकीं और अच्छी-अच्छी बातें की l इस तरह परम पूज्य वन्दनीया माता जी का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य पाकर बहुत खुशी हुई और असीम आत्मानंद की आत्मानुभूति हुई l
पूज्य गुरुदेव व परम वन्दनीया माता जी कोई साधारण मानव नहीं, बल्कि वह इंसान के रूप में साक्षात भगवान हैं जो कि सूक्ष्म रूप में अपने बच्चों के साथ एक बाडीगार्ड की तरह सदैव रहते हैं जिसे अनुभव किया जा सकता है क्योंकि हम जब से अपने ससुराल में आए हैं, देखते चले आ रहे हैं कि हर विषम परिस्थितियों में वह दोनों हमारे साथ होते हैं और परिवार का माहौल सुखमय व शांतिमय बनाते हैं l परम पूज्य गुरुदेव व परम वन्दनीया माता जी ने हमें कठिन से कठिन विषम परिस्थितियों का सामना करने की सहन शक्ति प्रदान की है, जिसके परिणाम स्वरूप हम *”जो प्राप्त है, वही पर्याप्त है”* के सिद्धांत पर चलते हैं l तभी तो हम और हमारा परिवार विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी खुश है l हम लोग जो भी कार्य करते हैं उसे भगवान का कार्य समझकर करते हैं और उसे श्रद्धा व विश्वास के साथ परम पूज्य गुरुदेव के श्री चरणों में समर्पित कर देते हैं l हम दोनों ने और तीनों बच्चों-पिंकी पाल, अनुराधा पाल व आयुष कुमार पाल ने भी अपनेआप को परम पूज्य गुरुदेव के श्रीचरणों में समर्पित कर दिया है। नैतिकता के आधार पर माता-पिता का कर्त्तव्य निभाने का परमार्थ परायण कार्य करके पुरुषार्थ कमाने का कार्य कर रहे हैं जिसका लाभ अनवरत मिल रहा है।
इस सारे प्रयास में आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की अहम् भूमिका है, जिसके मार्गदर्शन से प्रेरित होकर आज हमें अपनी अनुभूतियाँ लिखने का सौभाग्य मिला और यह सब परम पूज्य गुरुदेव की कृपादृष्टि का ही प्रतिफल है l आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सूत्राधार व संचालक आदरणीय अरुन भइया जी आप बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं जिन्होंने हमें एक ऐसा संस्कारित प्लेटफार्म दिया जिसमें हम अपनी अंतर्वेदना व्यक्त कर सकते हैं। यह अंतर्वेदना अनेकों परिजनों में शेयर होती है, और हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारी छोटी सी अनुभूति से अधिक से अधिक लोगों को प्रेरणा मिलेगी।
बहिन मीरा जी लिखती है कि हम नियमित पूजा-पाठ व आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित नहीं कर पा रही हैं, इसका मूल कारण शिक्षा का अभाव है, नहीं तो हम भी आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते l परम पूज्य गुरुदेव,परम वन्दनीया माता जी, माँ गायत्री माता के प्रति श्रद्धा व विश्वास कम नहीं है बल्कि दिन ब दिन बढ़ ही रहा है। आप सबका आशीर्वाद व मार्गदर्शन अनवरत मिल रहा है जिससे हमारी सुप्त प्रतिभा जग रही है। आशा करते हैं कि आप इसी तरह हम सबका उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन कर मनोबल बढ़ाने का परमार्थ परायण कार्य अनवरत करते रहेंगें।
बहिन जी अंत में लिखती हैं कि आज की इस अनुभूति में जो कुछ भी लिखा जा रहा है वह हमारे जीवनसाथी आदरणीय सरविन्द कुमार पाल के कर-कमलों द्वारा ही लिखा जा रहा है जिसके लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं।
गतिविधि सेक्शन ( वीडियो देखें
प्रेरणा बिटिया का पुरुषार्थ :
परम पूज्य गुरुदेव ने तो मेरी एक इच्छा पूरी कर दी की मैंने मंच पर संगीत दिया और दूसरी इच्छा थी कि मैं मनीष भैया से थोड़ा बात करूं और उनके साथ फोटो लूं। गुरुदेव ने इस इच्छा को भी पूरा कर दिया। कार्यक्रम के समापन के बाद जब मनीष भैया जा रहे थे तब मैंने हिम्मत करके (मुझे दूसरे लोगो से बात करने में थोड़ी हिचक होती है)उनसे कहा कि भैया आपसे बात करनी है और फोटो भी लेना है “तो उन्होंने कहा कि ठीक है बेटा, बताओं कैसी हो और क्या कर रही हो अभी ” मैंने सब बता दिया। उसके बाद मैंने उनके साथ फोटो भी लिया। सचमुच मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में नहीं पिरो पा रही हुं। मुझे गुरुदेव ने इतनी खुशी दी की मै बता नहीं सकती।अब बस गुरुदेव से प्रार्थना है कि वो मुझे इतनी शक्ति प्रदान करें ताकि मैं उनका काम नित निरंतर करती रहूं।किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।जय महाकाल।।
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 12 युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज सुजाता और मंजू बहिन गोल्ड मैडल विजेता हैं। (1)संध्या कुमार-35 ,(2) सुजाता उपाध्याय-52 ,(3)सरविन्द पाल-29 ,(4 ) चंद्रेश बहादुर -32 ,(5 )नीरा त्रिखा-26 , (6) रेणु श्रीवास्तव-31 ,(7)निशा भारद्वाज -42 ,(8 ) सुमनलता-26 ,(9 ) मंजू मिश्रा-49,(10) प्रेरणा कुमारी -36, (11) अरुण वर्मा-35,(12) वंदना कुमार-33
सभी को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई।