24 अगस्त 2023 का ज्ञानप्रसाद
आज के ज्ञानप्रसाद का शुभारम्भ भारत के गौरव को शत शत नमन किए बिना अधूरा ही रहेगा, चाँद की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग को समस्त विश्व द्वारा एक कीर्तिमान माना जा रहा। प्रत्येक भारतीय के लिए यह कदम गर्व का एक स्वर्णिम पल है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार को हमारी व्यक्तिगत एवं सामूहिक बधाई।
पिछले कई दिनों से हम “गुरुवर की धरोहर पार्ट 3” का अध्ययन कर रहे हैं, “हमारा कुटुंब तब और अब” चैप्टर को analyse करके अपने साथियों के समक्ष लाकर हमें बहुत ही प्रसन्नता हो रही है। आशा करते है कि आज का ज्ञानप्रसाद भी ज्ञान की ज्योति जगाने में पूर्णतया सहायक होगा।
सिकुड़ती संकल्प सूची का विश्लेषण करते हुए हम कुछ तथ्य अपने साथिओं के समक्ष लाना चाहेंगें। उपासना बेटी का फ़ोन खराब है और उसने नया फ़ोन लेना है, सरविन्द जी के गांव में बिजली की समस्या है जिससे फ़ोन चार्ज नहीं हो पाता, अरुण जी को हमने स्वयं रोका हुआ है, रेणु जी कल से USA यात्रा में होंगें, कइयों के रिचार्ज भी समाप्त हो जाते हैं आदि आदि। इस स्थिति में “साथी हाथ बढ़ाना” वाला गीत ही एकमात्र विकल्प है।
इन्ही शब्दों के साथ आज की गुरुकुल कक्षा का शुभारम्भ गुरुचरणों में समर्पित होकर करते हैं।
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परम पूज्य गुरुदेव अपने बच्चों को बता रहे हैं कि बेटे आशीर्वाद की मांग मत कर, पहले आशीर्वाद की कीमत तो अदा कर। बेटे, जो तू आशीर्वाद-आशीर्वाद माँगता रहता है, वह जीभ की नोंक से कह देने भर से नहीं दिया जाता, उसे आशीर्वाद नहीं कहते। आशीर्वाद के लिए मनुष्य को वर्षों की घोर तप साधना द्वारा अर्जित अपना पुण्य देना होता है, मनोयोग देना होता है।
आज तो हज़ारों-लाखों लोग बेइन्ताह पैसा खर्च करके बड़े-बड़े आयोजनों में देखे जा सकते हैं, जहाँ एक सेकंड में ही, बिना कोई पात्रता चेक किये, सब आर्शीवाद न केवल प्राप्त ही हो जाते हैं बल्कि उनके पूर्ण होने की गारंटी भी दी जाती है। इस controversial विषय पर तो कुछ भी कहना अनुचित ही होगा लेकिन हम अपने गुरुदेव के बारे में दृढ़ता से कह सकते हैं कि पात्रता के बिना कोई भी आशीर्वाद पाना असंभव है। गुरुदेव फटकार लगाते हुए कहते हैं कि आशीर्वाद इतना सस्ता नहीं है कि जीभ हिलाई और आशीर्वाद मिल गया। बेटे तू तो उसी तरह जीभ हिलाकर राम के नाम को भी हज़म करता होगा, गायत्री मंत्र को शर्बत बनाकर पीना चाहता होगा, भगवान् के साथ और पता नहीं क्या कुछ करतब करता होगा। केवल जीभ हिलाने से आशीर्वाद मिलने के सन्दर्भ में गुरुदेव कहते हैं कि तू तो चाहता है कि केवल जीभ हिलाऊं और मुझे सब कुछ मिल जाए। मेरे साथ बैंक में चल और जीभ हिलाकर बोलना, “मुझे 2000 रुपए चाहिए” अगर अकाउंट में बैलेंस है तो भी withdrawal फॉर्म तो भरना ही पड़ेगा, आज ATM का युग है तो पॉकेट में से कार्ड तो निकालना ही पड़ेगा, कार्ड मशीन में डालना ही पड़ेगा, पिन नंबर डालना पड़ेगा, withdrawal की instruction डालनी पड़ेगी, ATM के अनुसार हो सकता है कुछ और भी instructions हों , इतना करने के बाद ही 2000 रुपए आपके हाथ में आ सकते हैं। यह उदाहरण तो आधुनिक युग का है ,कंप्यूटर युग का है, जहाँ सब कुछ आटोमेटिक है, सब कुछ इन्सटैंट है। सब कुछ होने के बावजूद भी कितने ही steps फॉलो करने के बाद ही 2000 रुपए आपके हाथ लग सके, ज़रा सोचिये भगवान् का आशीर्वाद इतना सस्ता कैसे हो सकता है कि जीभ हिलाने से ही मिल जाए, ऐसा कोई आशीर्वाद नहीं होता।
युग की पुकार सुनिए :
गुरुदेव बच्चों से ही पूछ रहे हैं कि आशीर्वाद पाने के लिए क्या करना होगा ?गुरुदेव कहते हैं कि मैंने आपको इसलिए बुलाया है कि मुझे आपकी आवश्यकता आन पड़ी है, कैसी आवश्यकता ? हमने 30 वर्ष पहले यह कुटुंब बनाया था और तभी से आपको बुला रहे थे। अब हम आपसे पूछते हैं कि क्या आपके लिए संभव है कि आप अपनी दैवी संपदा का सबूत दे पाएँ । क्या आपके लिए यह संभव है कि आप अपने त्याग का, बलिदान का, परोपकार का और परमार्थ का कोई प्रमाण दे सकें, हाँ कि न ?
हमें तो सुप्रसिद्ध प्रज्ञा गीत का पंक्तियाँ स्मरण हो आयीं :
जरूरत आन पड़ी है,
“काल की भी चाल मोड़ो तुम।”
यह समय ने पुकार की है,
युग ने पुकार की है,
धर्म ने पुकार की है,
मानवी सभ्यता ने पुकार की है
पुकार की है, कि आपके पास कुछ है तो दीजिए। गुरुदेव कहते हैं कि हम जानते हैं कि आपके पास धन नहीं है क्योंकि अगर धन होता तो आप इधर आते ही नहीं ,आप धन को multiply करने में लगे होते। मैं आपकी गरीबी से भलीभांति परिचित हूँ लेकिन इस गरीबी और परेशानी के बीच भी मेरी चमकती आँखें बता रही हैं कि अभी भी आपके पास बहुत कुछ है। आप अपार संपदा के स्वामी हैं,एक ऐसी संपदा जिसके आगे सभी धन भी फीके पड़ जाएँ और वह सम्पदा है : आपका ह्रदय,आपका कलेजा, आपका दिल,आपका श्रम । अगर आप अपने मन, अपने हृदय और अपने श्रम की बूँदें लगा सकते हों, तो इस परीक्षा की घड़ी में आपका यहाँ आना सार्थक है। अब परीक्षा की घड़ी सामने आ गई है। इसको हमने “पुर्नगठन योजना” का नाम दिया है। हम अपने जवान हुए कुटुम्ब से क्या कराना चाहते थे और क्या करा सकते हैं ? बेटे, हमने जीवन भर सपने ही देखे हैं और उन सपनों को पूरा होते देखा है। हमने गायत्री तपोभूमि का सपना तब देखा था जब यह बनी भी नहीं थी। उस समय हमारे पास मात्र 6000 रुपये थे, हमने अखंड ज्योति में गायत्री तपोभूमि का एक नक्शा छापा था। लोगों ने कहा था-आपने तो बड़ा लंबा-चौड़ा सपना छाप दिया। हमने कहा था- हम तो ऐसी ही गायत्री तपोभूमि बनाएँगे। कटाक्ष करते हुए कहा था कि गुरुदेव पता नहीं कहाँ सोए बैठे हैं, 6000 रुपए से इतनी विशाल तपोभूमि बनाने चले हैं, यह तो 600,000 रुपयों से भी बन जाए तो देख लेंगें। गुरुदेव का सपना पूरा होकर कर रहा। जब तपोभूमि बन कर पूरी हुई तो उस चित्र से पूरी तरह मिल रही थी जो 3-4 वर्ष पूर्व अखंड ज्योति में प्रकाशित हुआ था। आजकल तपोभूमि में निर्माण कार्य चल रहा है, कल ही उसकी एक वीडियो देख रहे थे जिसमें आदरणीय ईश्वर शरण पांडे जी बता रहे थे कि इस विशालकाय मंदिर में केवल मार्बल ही 31 करोड़ रुपए का लगना है, यह भगवान् की योजना नहीं तो और क्या है।
ठीक इसी तरह का स्वप्न ,युग निर्माण का स्वप्न गुरुदेव ने देखा है –
“युग को बदलेंगे, नया जमाना लाएँगे,दैवीय सभ्यता और दैवीय संपदा की फिर से स्थापना करेंगे। हम असुरता को चैलेंज करेंगे। क्यों? क्योंकि हम मनुष्यता से प्यार करते हैं, क्योंकि हम मानवी भविष्य को उज्ज्वल बनाना चाहते हैं, क्योंकि हमको अपनी नई पीढ़ियों के बारे में बड़ी उमंग है, हम अपनी नई पीढ़ियों को बहुत प्यार करते हैं, जिन मुसीबतों से हम गुज़र रहे हैं,अपने बच्चों को नहीं गुज़रवाना चाहते, क्योंकि हम अपने बच्चों को बहुत प्यार करते हैं।”
गुरुदेव कहते हैं, हम इसी नई सभ्यता को लाने के लिए, नया युग लाने के लिए प्रयत्न कर रहे हैं और उस प्रयत्न के लिए आपसे सहयोग माँगते हैं।
हमें इस समय उस पुस्तक का स्मरण आ रहा है जिसका शीर्षक है “समस्त विश्व को भारत के अजस्र अनुदान। ” इस पुस्तक में परम पूज्य गुरुदेव ने भारत के योगदान और विश्वगुरु बनने का सपना देखा हुआ है। आज 23 अगस्त 2023 को गुरुदेव का सपना तब साकार हुआ जब चंद्रयान 3 ने चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करके चार देशों की सूची में अग्रिम भूमिका निभाई। विश्व के करोड़ों/अरबों भारतीयों के लिए यह गर्व का विषय है। भारत के प्रधान मंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी जो लैंडिंग के समय साउथ अफ्रीका में थे, ISRO को बधाई देते समय वही शब्द बोल रहे थे जो परम पूज्य गुरुदेव एवं अन्य मनीषियों द्वारा बोले जा रहे हैं – “वसुधैव कुटुंबकम, एक परिवार, एक भविष्य”
परम पूज्य गुरुदेव ने वर्तमान समय को परीक्षा की घड़ी कहा है। ऐसा इसलिए कहा है कि उन्होंने अनेकों अनुदान देने हैं और अनुदान तो उन्हीं को दिए जा सकते हैं जो परीक्षा में उत्तीर्ण हो पायेंगें। गुरुदेव ने हमारी जीवात्मा में शक्ति का संचार करना है जिसे वोह “दैवीय संपदा” कहते हैं।
दैवीय संपदा/सभ्यता क्या होती है ?
गुरुदेव बता रहे हैं कि दैवीय सभ्यता का अर्थ भजन करना नहीं होता बल्कि जीवन को दैवीय सभ्यता के अनुरूप ढाल लेना होता है। छोटे-से अनुदान के रूप में हर एक से हमने समय माँगा है। हमने जो कार्यक्रम बनाए हैं, सब एक ही उद्देश्य से बनाए हैं। वह सब इसलिए बनाए हैं कि हम में से कोई भी व्यक्ति निष्क्रिय न रहने पाए। हर एक से कहा है कि अगर आपके अंदर निष्क्रियता है, तो उसे दूर कीजिए और सक्रियता का विकास कीजिए। अपने युग निर्माण परिवार के हर सदस्य को हम मिशन के लिए सक्रिय देखना चाहते हैं। हमने सभी को सक्रीय रखने के लिए ड्यूटी सौंपी है। हमने उन मनुष्यों के लिए जो घोर व्यस्त हैं कुछ कार्य सौंपा है, जिनके पास योग्यता है, उनको भी कार्य सौंपा है और कहा है कि आप इस विचारधारा को फैलाने में योगदान दीजिए, हमारी सहायता कीजिए ।
गुरुदेव ने सबसे महत्वपूर्ण सहायता का वर्णन करते हुए कहा कि आप हमारी जो पत्रिकाएँ पढ़ते हैं, उन्हें आप पाँच व्यक्तियों को पढ़ाइए। अगर आप पुस्तकालय नहीं चला सकते हैं, तो कोई बात नहीं, लेकिन आप एक पत्रिका को पाँच व्यक्तियों को तो पढ़ा ही सकते हैं, उन्हें दो महीने का समय दीजिए। ऐसा करने से हमारा मिशन केवल दो महीने में ही पाँच गुना हो जाएगा। केवल इतनी सरल सहायता से ही, जो कार्य हमने अकेले 30 वर्ष में किया, आप केवल एक वर्ष में ही कर सकते हैं। यह तो बहुत ही सरल गणित है।
बहिन विनीता पॉल जी का आज के शुभरात्रि सन्देश पर दिया गया कमेंट यहाँ रेफर करना उचित है। “आप एक ज़िंदा इंजन हो” शीर्षक से प्रकाशित हुए शुभरात्रि सन्देश को पढ़कर विनीता जी ने लिखा कि उनके पास गुरुदेव के साहित्य का अमृतपान करने के बाद कम से कम 60 लोगों के sms आते हैं।
परम पूज्य गुरुदेव झोला पुस्तकालय, चल पुस्तकालय में योगदान देकर मिशन के कार्य में हाथ बटाने का सुझाव भी दे रहे हैं। गुरुदेव अनेकों बार दिन के दो घंटे समयदान की बात कर चुके हैं, जो कि ज़रा भी कठिन नहीं है, इंटरनेट युग में तो और भी सरल हो चुका है। केवल एक ही चीज़ की आवश्यकता है और वोह है “दृढ़ संकल्प शक्ति” जिसके लिए हम अपने साथियों को सदैव प्रेरित और प्रोत्साहित करते रहेंगें।
इसी के साथ अल्प विराम और आप प्रतीक्षा करिये कल की वीडियो का।
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 7 युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज रेणु बहिन जी गोल्ड मैडल विजेता हैं।
(1)संध्या कुमार-30 ,(2) सुजाता उपाध्याय-33 ,(3)चंद्रेश बहादुर-30, (4 )वंदना कुमार-24 ,(5 )मंजू मिश्रा-25 (6) रेणु श्रीवास्तव-45,(7 ) अरुण वर्मा-30
सभी को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई