आज शनिवार है, साप्ताहिक विशेषांक का दिन, वीकेंड का दिन, ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के समर्पित गुरु शिष्यों/गुरुकुल विद्यार्थिओं के लिए प्रसन्नता एवं उत्सुकता भरा दिन। प्रसन्नता और उत्सुकता यह जानने की कि किस-किस साथी ने क्या-क्या नवीन योगदान दिया,योग्यताओं के गुलदस्ते में किस-किस सहकर्मी ने अपने श्रद्धा पुष्प समर्पित करते हुए पुनीत कार्य किया, एक ऐसा पुनीत कार्य जिसकी सुगंध ने विश्व भर में फैले परिवार के एक-एक सदस्य को दिव्यता एवं ऊर्जा प्रदान करके अनुपम योगदान दिया।
हर बार की भांति आज भी योगदान दे रहे सभी साथियों का ह्रदय की गहराईओं से धन्यवाद् करते हुए बहुत ही हर्ष और आनंद की अनुभूति हो रही है।
हमारे साथी हम से सहमत होंगें कि हर शनिवार को प्रकाशित होने वाले “साप्ताहिक विशेषांक” की सार्थकता को शब्दों में बाँध पाना असंभव ही लगता है। अनेकों नए तथ्यों की जानकारी तो मिलती ही है, research based results से कुछ ऐसे अविष्कार सामने आते हैं जो अद्भुत मार्गदर्शन का माध्यम भी बनते हैं। आज हमें ऐसे ही एक रिजल्ट की चर्चा करना उचित करना लग रहा है।
कल शुक्रवार को लगभग एक ही समय पर हमने दो वीडियोस अपलोड कीं, एक वीडियो साढ़े 16 मिंट लम्बी और दूसरी केवल 51 सेकंड लम्बी थी। इन पंक्तियों के लिखते समय तक पहली वीडियो को 651 दर्शकों ने देखा जबकि उसी समय में दूसरी वीडियो को 962 दर्शकों ने देखा। इन नम्बरों से यही Inference निकलता है कि मनुष्य का Retaining span दिन ब दिन कम होता चला जा रहा है। अगर दूसरी वीडियो केवल 15 सेकंड की होती तो शायद 962 से भी अधिक लोग देखते। वैसे तो मनुष्य के उतावलेपन और अस्थिरता के और भी अनेकों उदाहरण हम रोज़ ही देखते रहते हैं लेकिन यह भी कोई कम महत्वपूर्ण नहीं है। ऐसी स्थिति में अपने साथियों का समर्पित होकर इतने लम्बे लम्बे कमैंट्स लिखना अवश्य ही आश्चर्यजनक और अविश्वसनीय लगता है लेकिन है शत प्रतिशत सत्य ,हाथ कंगन को आरसी क्या।
आज के विशेषांक में हम सबको बहुत कुछ जानने और सीखने को मिलेगा, अपने साथियों की प्रतिभाओं का ज्ञान होगा,समर्पण की जानकारी मिलेगी। शब्द सीमा summary लिखने की आज्ञा तो नहीं दे रही लेकिन इतना अवश्य ही कहना चाहते हैं कि अरुण वर्मा भाई साहिब शांतिकुंज तीर्थसेवन का एक-एक पल हमारे साथ शेयर करते रहे, घर से चलने से लेकर घर वापिस आने तक, कहाँ कहाँ गए, क्या कुछ देखा, क्या कुछ किया आदि आदि। हम आशा कर रहे हैं कि भाई साहिब इसकी विस्तृत रिपोर्ट इस मंच पर शेयर करेंगें जो हम सबके लिए लाभदायक होगी।
इन्ही शब्दों के साथ आपको इस लोकप्रिय सेगमेंट, साप्ताहिक विशेषांक का आनंद लेने के लिए छोड़ते हैं।
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कमैंट्स सेक्शन
1.रेणु श्रीवास्तव : इस संदर्भ में मैं अपने साथ की घटना शेयर करना चाहूंगी।एक बार मैं अकेली स्लीपर क्लास में यात्रा कर रही थी उस समय AC डब्बे नहीं होते थे।एक मांगने वाला आया वह दिव्यांग था चल भी नहीं पा रहा था. मैंने उसे दो रूपये दिये। T.T. उसी समय टिकट चेक करने आया,उसने मुझसे कहा: बहन जी,आपने पैसे दिये, दिन भर मांग कर शाम को सब इकट्ठा कर शराब पियेगा। मैंने यही कहा पिछले जन्म का कर्म फल पा रहा है ,जो अभी करेगा उसका फल अगले जन्म में पायेगा।
कल प्रकाशित हुई “माँ की संस्कार शाला” वीडियो के लिए बहिन जी का विस्तृत कमेंट 672 शब्दों का तो है ही लेकिन उसमें जो कंटेंट है उसे देखकर, पढ़कर बहिन जी को बार बार नमन करते हैं। बहिन रेणु जी ने कितना ही समयदान करके वीडियो को देखते हुए साथ-साथ में पूरी की पूरी डिटेल्स इस कमेंट में लिख दी हैं। बहिन जी का यह पुरषार्थ इतना लाभदायक है कि अगर किसी को भी “माँ की संस्कारशाला” की लिखित जानकारी चाहिए तो इससे बढ़िया कोई और हो ही नहीं सकता, धन्यवाद् करते हैं बहिन जी।
शब्द सीमा के कारण हम इस कमेंट को यहाँ पर तो शेयर नहीं कर पायेंगें लेकिन स्मरण कराने के लिए समय-समय पर शेयर करते रहेंगें। विदुषी बहिन जी ने एक बार लिखा था कि लोग पढ़ने के मुकाबले, सुनना अधिक पसंद करते हैं, अगर ऐसी बात है तो इस जानकारी की ऑडियो बुक भी बनाई जा सकती है।
2.मंजू मिश्रा: अगर कोई हस्ट पुष्ट व्यक्ति माँगने आये, जो कार्य करने मैं सक्षम है उसे देकर ओर आलसी निकम्मा बना देते हैं उसमें कहीं न कहीं हम दोषी हो जाते हैं। ज्ञान का दान देकर सही रास्ता दिखाना चाहिए।
मेरे पास एक स्वस्थ आदमी भीख मांगने आया मैंने कहा तुम तो स्वस्थ तो कुछ काम क्यों नहीं करते, कुछ नहीं बोला मैंने कहा चलो सामने घास लगी है उसे निकाल दो, उसने मना कर दिया। मैंने कहा, “मैं तुम्हें भीख देकर भिखारी नहीं बनाना चाहती, कुछ काम करके कमा के खाओ।” गुरुदेव जी की बात याद हो आई थी हम भीख देकर भिखारी बना देते हैं। ज्ञान दो, समयदान करो, सहयोग करो।
एक और बात: एक बच्चा आया, बोला मुझे पढ़ने के लिए किताब खरीदनी है, कुछ पैसे देते तो मैं किताब खरीद लेता। उसकी मदद करने में मन प्रसन्न हुआ। निस्वार्थ भाव से किया गया दान सर्वोपरि होता है। आज का लेख महत्तवपूर्ण शिक्षाप्रद है।
3.सुमन लता : हमने एक कहानी पढ़ी थी ,आप में से बहुत से लोगों ने भी पढ़ी होगी।
एक आदमी रोज ट्रेन में भीख मांगता था। कोई उसे देता तो कोई दुत्कार देता। एक दूसरा व्यक्ति भी उसी ट्रेन से सफर करता था । वो उसे प्रतिदिन भीख मांगते देखता था। उस व्यक्ति ने भिखारी से कहा तुम रोज मांगते ही हो, देते तो किसी को कुछ भी नहीं, तो तुम्हें कोई भी मुफ्त में क्यों कुछ देगा। इस बात को सुनकर वो भिखारी बोला कि मेरे पास देने को है ही क्या जो मैं किसी को दे सकूं । लेकिन फिर उसने विचार किया कि साहब कह तो ठीक ही रहे थे। उसने अगले दिन कहीं से कुछ फूल तोड़े और स्टेशन पर आ गया । उसने भीख नहीं मांगी और पैसे के बदले फूल देने लगा। देखने ही देखते उसके सारे फूल बिक गए और पैसे भी मिले। उसे बहुत खुशी हुई ।अब वो भीख नहीं मांगता था। धीरे धीरे उसका फूलों का व्यापार चलने लगा। अब वो ट्रेन में भीख नहीं मांगता। बहुत दिनों बाद वो उन्हीं सज्जन व्यक्ति को दिखाई दिया । बहुत अच्छे कपड़े पहने ,एकदम सेठ साहूकार की तरह, तो उन्होंने उससे पूछा कि अब तुम दिखाई नहीं देते, क्या कोई लॉटरी लगी है ? तो उनसे हाथ जोड़कर बोला कि बाबू जी आपकी सीख का ही कमाल है।अब मैं फूलों का बहुत बड़ा व्यापारी हूँ , मेरे पास सब कुछ है। मैं अब किसी को भीख मांगते हुए देखता हूँ तो उसे अपने पास नौकरी दे देता हूँ।
यही है “देने और पाने” का सिद्धांत। दान के पीछे यदि नीयत साफ है तो निस्वार्थ भाव से किया गया दान सौ गुना फलदायी होता है और यही है “बोओ और काटो” का सिद्धांत। हमने यदि दान के बदले कुछ मांग लिया तो फिर दान नहीं सौदा होता है। तब फिर वापसी में अधिक पाने की आशा करना ही निरर्थक सिद्ध हो जाता है। इसीलिए ज्ञानदान को “सर्वोत्तम दान” माना जाता है। बाबा भारती और डाकू खड़गसिंह की कहानी भी सबने पढ़ी/ सुनी ही होगी । जब नकली साधु बने खड़गसिंह को छल से घोड़ा ले जाते समय बाबा भारती ने कहा था कि तुम ये बात किसी को मत बताना नहीं तो लोग कभी किसी जरूरतमंद गरीब पर दया नहीं करेंगे। इसीलिये कहा जाता है कि दान सुपात्र को ही देना चाहिए ।
4.उपासना : इस पाठशाला में उपस्थित होना मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है क्योंकि हर एक दिन हम नई बातें सीखते हैं, नई बातें करते हैं। इस परिवार में हर कोई, बड़ा छोटा, सभी बराबर तरीके से अपनी सोच, अपने विचार को प्रकट करते हैं। समस्या की बात करें तो ऐसी मुश्किलें आती हैं,लगता है कि इस समस्या का समाधान कहां से ढूंढ लाऊं। तभी इन विचारों को पढ़ते हुए, इन माध्यमों से प्रॉब्लम का समाधान हो जाता है। समस्या कभी समस्या नहीं लगती और जो समस्या बड़ी होती है तो वह ऐसे लगती है कि कि बस चुटकी भर में ही खत्म हो गई। धन्यवाद
गतिविधियां
1.मृतुंजय तिवारी:
आत्मीय भाई साहब / बहन ,
सप्रेम नमन!
आपको यह बताते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है कि शिष्य शिरोमणी शुक्ला बाबा की तपस्थली में अखिल विश्व गायत्री परिवार शान्तिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान एवं शांतिकुंज से आए वरिष्ठ प्रतिनिधी के मार्गदर्शन में दिनांक 30 जुलाई को प्रातः 10 बजे से 251 कुण्डीय विराट गायत्री महायज्ञ के यज्ञशाला निर्माण हेतु वैदिक विधि विधान से भूमि पूजन का कार्यक्रम रखा गया हैं। आप सभी इस अवसर पर सादर आमंत्रित है।
जो परिजन इस भूमि पूजन समारोह में अपनी स्थूल भागीदारी सुनिश्चित करने में असमर्थ हैं, उनसे निवेदन है आप अपने अपने गृह स्थान से ही निर्धारित समय पर 30 जुलाई रविवार 12:30 pm से 1:30 pm तक इस यज्ञ की सफ़लता के निमित गायत्री महामंत्र का जप करें एवं अर्जित अध्यात्मिक ऊर्जा को इस आयोजन को सफल बनाने में समर्पित करें।
निवेदक
मृत्युंजय तिवारी (मुन्ना जी)
प्रबंध ट्रस्टी, गायत्री शक्तिपीठ – मस्तीचक, अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल, सारण, बिहार।
2 .पुष्पा सिंह बहिन जी का प्रभावशाली ऑडियो गीत “ज्योति से ज्योति जगाओ सद्गुरु” दर्शा रहा है कि कि हमारे समर्पित सहकर्मी कितने प्रतिभाशाली हैं। हम सब के लिए यह एक अति गर्व अनुभव करने की बात है। बहिन जी को सभी परिवारजनों की बहुत बहुत बधाई। पाठक इस गीत को दिए गए लिंक में सुन सकते हैं।
3 . आज के साप्ताहिक विशेषांक को final shape दे रहे थे तो आदरणीय डॉक्टर चंद्रेश बहादुर ”ध्रुव” जी ने अपनी पुस्तक का आवरण पृष्ठ हमारे साथ शेयर किया, यह एक और गर्व अनुभव करने वाला विषय है। आइए हम सब साथी भाई साहिब को बधाई देकर सम्मानित करें।
4 .कल गुरुवार को देव संस्कृति विश्विद्यालय का 43वां ज्ञानदीक्षा समारोह संपन्न हुआ, गर्व की बात है कि हमारी बेटी संजना का भाई शुभम इस समारोह में शामिल हुआ और उसे गुरुदेव का संरक्षण प्राप्त हुआ। शुभम बेटे ने BSc योगिक साइंस में एडमिशन ली है।
शांतिकुंज गायत्री परिवार द्वारा प्रकाशित हुई ज्ञानदीक्षा की सम्पूर्ण वीडियो हमने अपने पास सेव करके रख ली है, समय आने पर इस महान पर्व की महत्ता, कर्मकांडों सहित अपने साथियों के साथ शेयर करने की योजना है।
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 10 युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज के गोल्ड मैडल विजेता चंद्रेश जी और संध्या जी हैं, उन्हें हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई। (1)संध्या कुमार- 36,(2) सुजाता उपाध्याय-25 ,(3) रेणु श्रीवास्तव- 32 ,(4) सुमन लता-24 ,(5) चंद्रेश बहादुर-36 ,(6) सरविन्द पाल-25 ,(7) मंजू मिश्रा-25 ,(8 ) वंदना कुमार-24,(9) कुमोदनी गौरहा-24,(10) विदुषी बंता -25
सभी साथियों के सहयोग, समर्पण, समयदान एवं श्रमदान के लिए हमारा नमन ।

