शब्द सीमा का संकेत है कि सीधा स्पेशल सेगमेंट की बात की जाए।
कमैंट्स सेक्शन
1.अरुण जी ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान के लेख पर कमेंट करते हैं कि हम इस बात से बिल्कुल अनजान थे कि यज्ञ के माध्यम से हम कितना बड़ा उपकार का काम कर रहे हैं। यज्ञ की महत्ता अब समझ में आ रही है, अब हम उन लोगों को जवाब दे सकते हैं जो कहा करते हैं कि यज्ञ करके, घी को अग्नि में जलाकर बर्बाद करते हैं और प्रदुषण फैलाते हैं। ऐसे लोगों को मुँहतोड़ जवाब देने के लिए उत्तर मिल गया है। यज्ञ से प्रदुषण फैलता नहीं है बल्कि यह प्रदुषण का सफाया करने का मूलमंत्र है।
2.अरुण जी ने प्रज्ञागीत पर भी कमेंट करके लिखा कि ज्ञानप्रसाद के साथ सटीक बैठ रहा है।
सभी साथियों ने देखा ही होगा कि हमारा सदैव प्रयास रहता है कि जो लेख श्रृंखला चल रही होती है उसी से मेल खाते प्रज्ञागीत और शुभरात्रि सन्देश हों, तभी तो मंगलवेला से रात्रि तक गुरुवर के विचारों के साथ हमारी involvement रहेगी।
3.बेटी स्नेहा गुप्ता जी ने माँ गायत्री में श्रद्धा व्यक्त करते अति सुन्दर शब्द तो लिखे ही हैं, धैर्य, श्रद्धा, विश्वासपूर्वक निरंतर शरण में रहने का सन्देश भी दिया है। बेटी के विश्वास को और परिपक्व कराते हुए हमने निम्लिखित पंक्तियों वाला सुन्दर भक्ति गीत भी भेज दिया था ।
“सौंप दे अपने जीवन की डोर प्रभु के हाथ, फिर आएगी जब जब मुश्किल होगा वोह तेरे साथ,कर ले तू इतना तू यकीन तुझे होगा न कोई ग़म”
बेटी आगे लिखती हैं : मुझे विश्वास है कि मां गायत्री अभी मेरे पूर्व जन्म के कर्मबंधनों को काट रही हैं , जिस दिन यह बंधन कट जायेंगे उस दिन मैं अपनी सुखद अनुभूति अपने परम स्नेही परिजनों से साझा करूगी। अभी आप सब आशीष दीजिए कि मेरी श्रद्धा, विश्वास, निष्ठा साधना अटूट हो, अटल हो।
4.सुमन लता और वंदना बहिन जी की कमैंट्स चैट से पता चला कि वंदना जी अपनी डेढ़ वर्षीय बेटी काशवी को गायत्री मंत्र, सूर्य देवता की पूजा सिखा रही हैं ,बच्ची जैकारा भी लगाती है ,क्या बात है। Children specialists का कहना है कि इस आयु में प्राप्त हुआ ज्ञान बहुत दूर तक जाता है।
5.सरविन्द जी की आंख की समस्या का शीघ्र से निवारण हो ऐसी गुरुदेव से प्रार्थना करते हैं।
6 .बेटी पिंकी, अनुराधा बेटी की परीक्षा में substitute की ड्यूटी निभा रही है , इसलिए परिवार में सक्रियता कम है।
अनुभूति सेक्शन
1.अरुण त्रिखा:
आज सुबह हमारी नींद नियमित समय से लगभग डेढ़ घंटा देर से खुली, शायद रात को कुछ उखड़ी-उखड़ी सी नींद आयी थी। डेढ़ घंटा लेट से जागने का अर्थ है, सभी कार्य लेट होते जाते जाएं यां fixed लिस्ट में से किसी महत्वपूर्ण कार्य को मिस/ स्किप कर दें। सुबह का समय पहले से ही इतना टाइट होता है कि कुछ भी सोचने की सुध तक नहीं रहती । स्वाध्याय,अगले दिन के ज्ञानप्रसाद की प्लानिंग, शुभरात्रि सन्देश का चयन, इस संदेश को वीडियो यां पोस्टर फॉर्म में बनाना, दैनिक यज्ञ करना, आज Aquafit क्लास के लिए भी जाना था। सूझ नहीं रहा था कि कौन सा कार्य स्किप किया जाए। मस्तिष्क ने यही कहा कि यज्ञ के 22 मिंट मिस किए जाएँ क्योंकि भागदौड़ में यां तो कोई भी कार्य ठीक से नहीं होगा और दुर्घटना का भी चांस होता है। बचपन से ही commitment की आदत बन चुकी है,कोई भी कार्य जब निर्धारित समय पर पूर्ण नहीं होता तो स्वयं को कोसने के इलावा और कोई विकल्प दिखता ही नहीं है। कोसते समय कई बार स्वयं को ऐसा कहते हुए धिक्कारते भी हैं,”अरे कोई बात नहीं, हम भगवान तो नहीं हैं, इंसान ही तो हैं।”
आज भी कुछ इसी असमंजस में दिन का आरम्भ हो रहा था। औरों को नसीहत खुद मियां फजीहत वाली कहावत अभी स्वयं पर फिट कर ही रहे थे कि गुरुदेव का मार्गदर्शन एकदम प्रतक्ष्य मिल गया। सभी को तो कहते हैं कि सूर्य की प्रथम किरण की लालिमा हमें ऊर्जा प्रदान करे लेकिन खुद निराशा और कोसना ,आखिर हो क्या गया ,कभी-कभी होता है,यज्ञ न हुआ तो क्या हो गया ,रोज़ ही तो करते हैं। इस तरह के प्रश्न उठ ही रहे थे कि किसी ने व्हाट्सप्प पर एक पोस्ट भेजी जिसमें “गुरुवर की धरोहर भाग 2” के पृष्ठ 78 का स्क्रीनशॉट था। गुरुदेव बता रहे थे :
हमारे गाँव आँवलखेड़ा के स्कूल में एक तिहाई विद्यार्थी सारे आगरा जिले के वजीफे हड़प ले जाते थे। किस कारण ? क्योंकि वहाँ गुरुजी थे, मास्टर साहब नहीं । हमारे गुरूजी ने स्कूल को गुरुकुल बना दिया था । बच्चे स्कूल में ही सोते थे । गुरु जी सबेरे उठाकर माँ की तरह कुल्ला कराते, नहलाते व फिर पढ़ाते । “नींद आती तो धमकाते नहीं थे । कहते अच्छा सो जा, पर जल्दी उठ जाना, देर तक मत सोना ।”
हमने गुरुदेव के शब्द अपने ऊपर अप्लाई कर लिए,और कोसना, धिक्कारना बंद कर दिया और पूर्ण ऊर्जा से कहते हुए उठ खड़े हुए “अरे बेटा, आज फिर गुरुदेव ने मार्ग दिखा दिया।”
2.साधना सिंह जी की अनुभूति – सतगुरु मैं तेरी तेरी पतंग :
आज के प्रज्ञागीत के बारे में एक कहानी है। बात 2020 की है, मैं पहली बार दिल्ली गई थी, उपासना बेटी के साथ रह रही थी। एक दिन इसी प्रज्ञागीत को बजाते कोई गली में आया, मुझे अच्छे से समझ नहीं आया क्योंकि यह पंजाबी में था। मैंने उपासना को बताने का कोशिश की लेकिन वह भी समझ नहीं पाई। मेरे दिमाग में यह चल रहा था कि फिर से वह प्रज्ञागीत सुनने को मिले। कुछ दिन बाद फिर से वह प्रज्ञागीत बजता हुआ गली में आया, उस दिन मैंने जल्दी से फोन से रिकॉर्ड कर लिया। उस समय से मैं यह गीत हमेशा सुनती आ रही हूँ और सबको शेयर भी करती हूँ। कितना मार्मिक है यह प्रज्ञागीत,है तो यह पंजाबी में है लेकिन फिर भी मैं समझ लेती हूँ।
गतिविधयां सेक्शन
1.आदरणीय भईया जी मेरी बहन की शादी को 13 साल हो गए हैं लेकिन उनके कोई बच्चा नहीं है, वो इस बात को लेकर बहुत दुःखी रहती है अपनी तरफ से उन्होंने बहुत कोशिश की। मुझे तो इतनी चिंता होती है थी कि 10 सालों से इतनी दवाइयां खाती है कहीं किडनी खराब न हो जाए। जीजा जी, बच्चा गोद लेने के लिए मना कर रहे थे कि कल को कोई कुछ ऐसा वैसा न कहे।
जिनसे बच्ची गोद ली है वोह मेरी रिश्तेदारी में है। उनके पहली बार बेटा हुआ था लेकिन दूसरे दिन ही भगवान के घर वापिस चला गया। उसके बाद यह उनकी चौथी बेटी है लेकिन वो देना नहीं चाहते थे कि लोग क्या कहेंगे। बहुत समझाने के बाद वे माने लेकिन उनकी भावनाएं वो ही समझ सकते हैं।
जैसे ही हम हॉस्पिटल पहुंचे तो बच्ची के माता पिता बहुत रो रहे थे कि उनकी नन्ही सी जान कुछ समय के बाद ही पराई हो जायेगी। उनको देख कर रूम के सभी लोग रोने लगे, बहुत ही नाजुक पल थे। जब बच्ची की मां को दवा के लिए पैसे दिए तो उन्होंने नहीं लिए और बच्ची के पिता कह रहे थे कि अपनी बच्ची को पालने का मेरा फ़र्ज़ है लेकिन पत्नी की विवशता देख कर उन्होंने यह कुर्बानी दी है।
निशा जी लिखती हैं कि एक पल के लिए तो मेरा मन कर रहा था कि हम वापिस चले जाएं
लेकिन भविष्य की सोच कर जैसा चल रहा था चलने दिया और मन ही मन गायत्री मंत्र के साथ-साथ गुरुदेव से यही प्रार्थना की कि सभी को हिम्मत दें। अंत में जब बच्ची को देने की बारी आई तो बच्ची की मां का रो-रो कर बुरा हाल था। मेरी आंखे भी बहुत नम थी। उसने अपनी बच्ची को 500 रुपए दिए तो मैने अपनी बहन से कहा कि मां का आशीर्वाद समझ कर रख लो लेकिन यह यह दुख थोड़े ही समय के लिए है आगे बच्ची का भविष्य बहुत ही सुरक्षित है
मेरी बहन लड्डू गोपाल जी की सेवा करती है और उसने बच्ची का नाम राधे-राधे रख दिया है
मैने इस पुनीत कार्य के लिए अपनी जी जान एक लगा दी। यह बच्ची मेरे पति के ताया जी की बेटी की पोती है तो जैसे ही मुझे पता चला मैं तो तभी ताया जी की सभी बहुओं के घर जाकर जैसा भी हो पाया मनाने की भरपूर कोशिश करती रही, सबसे अधिक मुश्किल जीजा जी को मनाना था। मेरी तबियत बहुत खराब थी, बहुत ही सिरदर्द हो रहा था अगर आज सिरदर्द शुरू हो जाए यो तीन-चार दिन तो लग ही जाते हैं। इसका असर आप मेरे कॉमेंट में भी देखते होंगे कि कई बार मैं बहुत कम लिख पाती हूँ। बच्ची की चाहत और गुरुदेव की कृपा से सब अच्छे से हो गया। अब तो मेरी बहन के ससुराल के साथ पूरे गांव में और हमारी रिश्तेदारी में खुशी का माहोल है।
निशा जी लिखती हैं कि मैं तो पहले भी सभी की मदद करती थी लेकिन अब गुरुकार्य समझ कर करने में जो आनंद आता है उसकी बात अलग ही है। समय ने बहुत कुछ सिखा दिया है, मां गायत्री ने भले बुरे की पहचान करना सिखा दिया है। माँ गायत्री से प्रार्थना है कि मुझे बुरे लोगों से दूर रखना और मेरे परिवार को अपनी शरण में ले लो मां, जितना विश्वास मैं आप पर और गुरुदेव में करती हूं वैसी ही कृपा मेरे परिवार पर करना। बहिन जी की इन पंक्तियों को पढ़कर हम यही कहेंगें : “सौंप दे अपने जीवन की डोर प्रभु के हाथ, फिर आएगी जब जब मुश्किल होगा वोह तेरे साथ,कर ले तू इतना तू यकीन तुझे होगा न कोई ग़म”
2.आदरणीय कुसुम त्रिपाठी बहिन जी की छोटी पोती और काव्या की छोटी बहिन रूही का आज जन्म दिन है, इस नन्ही सी ,प्यारी सी बच्ची को हम सभी बधाई देते हुए कामना करते हैं कि बच्ची पर गुरुकृपा का अनंत प्रवाह बरसता रहे।
3. पुष्पा सिंह जी ने अपनी महिला मंडल में संपन्न हुए यज्ञ की वीडियो भेजी हैं जिनमें से चयन करके एक छोटी ही वीडियो आप से शेयर कर रहे हैं।
4. आज का प्रज्ञा गीत पुष्पा बहिन जी के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है। लगभग सात दशक पूर्व राष्ट्रीय कवि प्रदीप द्वारा रचित और गाया गया वामन अवतार मूवी का यह भक्ति गीत आज भी अनेकों को प्रेरित कर रहा है।बहुत बहुत धन्यवाद् बहिन जी।
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 9 युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज सरविन्द जी गोल्ड मैडल विजेता हैं। (1)संध्या कुमार- 43 ,(2) सुजाता उपाध्याय-37,(3) रेणु श्रीवास्तव-36 ,(4) सुमन लता-33 ,(5) चंद्रेश बहादुर-29 ,(6) सरविन्द पाल-50 ,(7 ) सुजाता उपाध्याय-33,(8 ) मंजू मिश्रा-30,(9) अरुण वर्मा-25
सभी को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई
