वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

“अपने सहकर्मियों की कलम से” का 1 जुलाई 2023 का अंक -निशा भारद्वाज, साधना सिंह और प्रेम शीला मिश्रा जी का योगदान 

आज शनिवार है और हम अपने नियत समय पर नियत टाईमटेबल के अनुसार ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में “अपने सहकर्मियों की कलम से” का 1 जुलाई का अंक लेकर हाज़िर हो चुके हैं।हम जानते  हैं कि  हमारे सहकर्मी/साथी इस लोकप्रिय सेगमेंट की सप्ताह भर प्रतीक्षा करते है।  इस सेगमेंट की लोकप्रियता का आधार हमारे साथियों की contributions होती हैं जिससे बहुत कुछ जानने को मिलता है क्योंकि चार दिन तो हम सभी क्लासें  ही attend करते  रहते हैं। इस सेगमेंट की तुलना  कॉलेज के Tutorial से की जा सकती है जिसमें ज्ञानप्राप्ति का मार्ग कुछ practical type होता है। 

गुरुपूर्णिमा का महापर्व सोमवार 3 जुलाई को आ रहा है, सभी को परिवार की ओर से इस पावन पर्व की शुभकामना। इस पावन पर्व के  लिए हमने सोमवार से आरम्भ हो रहे सप्ताह के लिए एक बहुत ही रोचक और दिव्य प्लान chalk out किया हुआ है। सरविन्द जी ने दो लेख लिख कर भेजे  हैं, हमने दो वीडियो चुन कर अलग से रख लीं  थीं कि अगर गुरुदेव की फोटोज पर आधारित वीडियो न बन सकी तो यह back up के लिए लाभदायक रहेगी।  हुआ भी कुछ ऐसा ही-हमारी अपनी फोटो लाइब्रेरी, सुजाता जी की कंट्रिब्यूशंस,अखंड ज्योति गुजराती का योगदान, चिन्मय जी की सहायता और न जाने कितने ही प्रयास किये गए, हम उलझते ही गए और वीडियो बनाना स्थगित करना पड़ा। सारा मटेरियल बहुत ही दिव्य और दुर्लभ है, जल्दबाज़ी से काम नहीं बनेगा, इसके लिए बहुत सा  समय लगने की सम्भावना है। हमारी साधना बहिन जी ने स्मरण भी कराया था कि इस बार गुरुपूर्णिमा पर कोई अनुभूति नहीं मांगी, कहीं भूल तो नहीं गए ? बहिन जी का धन्यवाद् करते हैं। 

शांतिकुंज से circulate हो रहे संकल्प पत्र को सभी ने देख लिया होगा। इस पत्र  में अनुष्ठान, गायत्री जाप, यज्ञ संकल्प, समयदान आदि का आग्रह किया गया है, आइए हम सब भी अपने समर्था और स्थिति के अनुसार कुछ संकल्प  लेकर अपने गुरु के चरणों में समर्पित हो जाएँ। जल्दबाज़ी में संकल्प तो सभी ले लेते हैं, लेकिन सही मायनों में संकल्प वही होता है जो पूर्णतया तक पहुँच पाता  है। हमारे सभी साथी ( यहाँ तक कि बच्चे भी) इतने योग्य और समझदार  हैं कि उन्हें बताने की कोई आवश्यकता नहीं है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार को  उनसे क्या आशाएं हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि आज तक हमने किसी से कुछ नहीं माँगा क्योंकि “बिन मांगे मोती मिले, मिले न मांगे भीख”

आज के स्पेशल सेगमेंट में तीन बहिनों की contributions का संक्षेप में वर्णन है, इस वर्णन के बाद हम उस प्रयोग पर चर्चा  करेंगें जिसका रिफरेन्स हमने 27 जून वाले लेख में किया था। 

प्रस्तुत है हमारी बहिनों की contributions :                   

1.शक्तिपीठों की लेख श्रृंखला के सन्दर्भ में हमारी साधना बहिन जी का कमेंट : 

आज के लेख में जो चलती फिरती शक्तिपीठ के बारे में जी वर्णित  है उसके बारे में मैं कुछ जानकारी देना चाहूंगी।  मैं जहां रहती हूं यहां शक्तिपीठ नहीं है गुरुदेव ने  यहां शक्तिपीठ बनाने की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन यहीं  से 6 किलोमीटर की दूरी पर एक  शक्तिपीठ है। मेरा सौभाग्य है कि इस शक्तिपीठ की स्थापना के समय मैं उपस्थित  थी और 20  जून को मनाई गयी 33वीं वर्षगांठ के समय भी मैं वहां उपस्थित रही  भाई साहब आप सही लिखे हैं कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का प्रत्येक  कार्यकर्ता एक चलता फिरता शक्तिपीठ है जो  समय और अवसर की  तलाश नहीं करते, जब भी, जहां भी समय मिलता है, मौका मिलता  है, वहीं  गुरुदेव का काम करके कर्तव्य पूर्ण कर लेते हैं। 20 जून को उस शक्तिपीठ में दिनभर कार्यक्रम कराने का मौका मुझे प्राप्त हुआ जिसके कुछ क्लिप्स परिवार में शेयर कर रहे हैं। 

2.निशा बहिन जी की गुप्त नवरात्री की अनुभूति : 

आदरणीय अरुण भईया जी सादर प्रणाम। आज मैं कॉमेंट न करने के लिए आपसे और परम पूज्य गुरुसत्ता से क्षमा प्रार्थी हूं क्योंकि  आज  इस तरह से काम में उलझी रही कि चाह कर भी कुछ न लिख पाई।  आदरणीय अरुण भईया ,गुप्त नवरात्रि में मैने 24000 का अनुष्ठान रखा। इस अनुष्ठान में   मेरा अनुभव बहुत ही अच्छा रहा है  21 तारीख को मुझे  ज्वाला जी  और बाबा बालक नाथ के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। बीच-बीच में  लोक सेवा का भी मौका मिला। हर बार की तरह इस नवरात्रि में भी  गुरुदेव ने  बहुत ही मनभावन अहसास दिलवाए। पहले पूजा उपासना करते समय हलवे की और मीठे पकवानों की  सुगंध आती थी तो मैं गुरुदेव से कहती थी कि अच्छा आज मुझे आपने हलवा  खिलवाया,तो गायत्री माता और गुरुदेव की तस्वीर  देखने पर लगता कि मुस्करा रहे हैं और मैं पूरा दिन उसी अहसास में रहती। मुझे कोई भूख प्यास नहीं लगती थी। आज सुबह अमरूदों की पूजा उपासना करते हुए सुगंध आ रही थी। गुरुदेव इस तरह से मेरे खाने पीने का  ख्याल रखते हैं और मां गायत्री  ढाई-तीन बजे के बीच किसी कन्या के रूप में स्वपन में आकर जगा देती है।  निजी कठिनाइयों के बीच अनुष्ठान में यह दिव्य अहसास मेरा मनोबल बढ़ाते हैं।  जय गुरुदेव जय माता दी सादर प्रणाम

3.प्रेम शीला बहिन जी के पतिदेव : 

भाई जी प्रणाम – हालात कुछ ऐसे हो गये हैं कि हम फोन उठा ही नहीं पा रहे हैं।  मेरे पतिदेव की एंजियोग्राफी हुई थी तो पता चला कि कुछ ब्लाकेज़ है पर अभी 15 जून को जब डॉक्टरों की टीम एंजियोप्लास्टी करने लगी तो बीमारी कुछ अधिक ही बढ़ी हुई है।  ऐसे में अभी एक स्टेंट  डाला गया और अब दवाओं का तथा स्टंट का असर देखने के लिए डाक्टर के सम्पर्क में लगातार रहना है और उनकी देखभाल भी बहुत एहतियात से करना है जिसके कारण हम इस समय आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का लेख न तो पढ़ पा रहे हैं और न ही कमेंट कर पा रहे हैं सभी भाई बहनों से विनम्र निवेदन है कि अपनी इस बहन की विषम परिस्थिति में सहयोग और क्षमा करें।  आप सब का सहयोग बस इतना ही चाहिए कि गुरुसत्ता से प्रार्थना करें कि हमारे पतिदेव शीघ्र ही स्वस्थ्य हो जायें और हम फिर से गुरुकार्य में सतत् लगे । धन्यवाद जय गुरुदेव जय माताजी 

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हमारा नवीन प्रयोग : 

हमारे नए प्रयोग की एक झलक तो साथियों ने कल के शुभरात्रि सन्देश में देख ली है जिसमें हमने  शुभरात्रि सन्देश को और अधिक  रोचक बनाने की धारणा  से यूट्यूब Short के रूप में प्रस्तुत किया। अपने  साथियों को पसंद आया कि नहीं, यह तो कमैंट्स ही बताएंगें लेकिन हमारे परिश्रम और समय को देखा जाए तो शब्द ही न सूझ पाए। जितने घंटे हमने इस 60 सेकंड की video Short बनाने में लगाए, स्वास्थ्य की स्थिति देखते हुए कहा जा सकता है “It is not worth it” लेकिन नए नए प्रयोग करना तो हमारी hobby है ,वैज्ञानिक जो ठहरे। 

पुरानी प्रणाली से भी शुभरात्रि भेजते रहेंगें लेकिन साथियों के ह्रदय में प्रश्न उठ रहा होगा कि इतना परिश्रम करके क्या achieve कर लिया तो कृपया पढ़ते रहिये शायद, उत्तर मिल ही जाए। दूसरा प्रयोग कमैंट्स और काउंटर कमैंट्स  से सम्बंधित है। आप सभी कमैंट्स-काउंटर कमैंट्स की शक्ति से भलीभांति परिचित हैं ,इस प्रयोग से हम सबको  क्या achieve हो रहा है, किस प्रकार से परिवार का विस्तार हो रहा है, कैसे श्रद्धा और समर्पण की भावना का प्राकट्य हो रहा है, कैसे सभी अपना योगदान दे रहे हैं, कैसे सारे इसमें involve रहते हैं, कैसे यह प्रोसेस एक दूसरे को जोड़े हुए है। हालाँकि इस छोटे से परिवार में गुरुकार्य के सिवाय  और कोई भी कार्य यां फिज़ूल की बात नहीं होती है, फिर भी पारिवारिक सम्बन्ध बनते ही जा रहे हैं, अपनत्व और मानवता वटवृक्ष की भांति ऐसे फलती ही जा रही है कि जब दूरस्थ क्षेत्रों से सराहना के शब्द मिलते हैं तो अपने साथियों के चरणों में शीश नवाने को मन करता है। हमारा मानना है कि यह सब सफलता “समय” की घोर इन्वेस्टमेंट के बिना संभव नहीं हो पाया है। चिन्मय  जी भी कह रहे थे और हमारा भी मानना है कि दिन के घंटे तो 24 ही होते हैं, उन्ही 24 घंटों के सदुपयोग से ही कुछ प्राप्त किया जाता है। हम गुरुदेव तो हैं नहीं कि पांच शरीरों से काम कर सकें। 

इस सन्दर्भ में सभी से करबद्ध निवेदन करते हैं  कि कमैंट्स-काउंटर कमैंट्स के प्रोसेस में से “हमें कुछ स्वतंत्र कर दें” ताकि हम अपने स्वास्थ्य पर थोड़ा ध्यान दे  सकें। हम जानते हैं और बहुतों ने बार-बार लिखा भी है कि अगर आप कमेंट का रिप्लाई नहीं करते तो हमें अच्छा नहीं लगता, आपका कमेंट हमें अद्भुत ऊर्जा प्रदान करता है। मानते हैं, लेकिन इस involvement ने हमें ऐसा बना दिया है कि  हमें सिवाय ज्ञानरथ परिवार के और कुछ सूझता भी नहीं है, यहाँ तक  कि अपना स्वयं का परिवार भी नहीं । हमें पूर्ण विश्वास है कि यह केवल  गुरुकृपा ही है जो हमसे सब कुछ करवा रही है लेकिन यह सब  स्वास्थ्य  की बलि देकर हो रहा है। 

करबद्ध निवेदन है कि कोई भी सहकर्मी हमारे स्वास्थ्य के बारे में कुछ ऐसा वैसा न सोचे, हम केवल अपने लिए, स्वयं के लिए कुछ quality time, Me Time की याचना कर रहे हैं। 

अगर कभी हमारा कमेंट न भी आए तो समझा जाय कि रेणु बहिन, सुमन लता बहिन ,अरुण वर्मा भाई आदि  हमें  ही represent  कर रहे हैं। 

इसी सन्दर्भ में दूसरी बात जो हम शेयर करना चाहते हैं वह यह है कि हमारे साथी/ सहपाठी इतने योग्य और शिक्षित हैं कि हम चाहते हैं कि  उनके द्वारा पोस्ट किये कमेंट  सभी बड़े ही श्रद्धा और ध्यान से पढ़ें। इतने परिश्रम से लिखे गए कमेंट, ह्रदय की गहराईओं से निकले शब्द यूँ ही नहीं निकलते, उनमें जो भावना छिपी होती है उसे हर कोई आत्मसात करे, यही मानवता है, यही समर्पण है। 

इस प्रोसेस को  क्रियान्वित करने के लिए हम सप्ताह भर के चुनिंदा  कमैंट्स को एक अलग फाइल में सेव करते रहेंगें और स्पैशल सेगमेंट में शब्द सीमा को लाँघ कर pdf फॉर्मेट में प्रकाशित करेंगें। यह प्रक्रिया उन साथियों के लिए ( विशेषकर बच्चों के लिए ) बहुत सहायक होगी जो कभी कभार अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए प्रकट हो जाते हैं। अवश्य ही उन्हें कुछ अलग ही मिलने वाला है जिससे नियमितता सुनिश्चित हो पाए।

आज के लिए इतना ही, प्रस्तुत है आज की संकल्प सूची। 

आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 7  युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज की सूची दर्शा रही है कि आज के गोल्ड मैडल विजेता अरुण जी और संध्या जी हैं। दोनों  को हमारे हार्दिक बधाई हो। 

(1)संध्या कुमार-59,(2) सुजाता उपाध्याय-39,(3) रेणु श्रीवास्तव-42 ,(4)चंद्रेश बहादुर-39, (5 )मंजू मिश्रा-24,(6) अरुण वर्मा-58,(7) सुमन लता-27 

सभी को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई                 


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