वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

परम आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी के  USA-Canada प्रवास  का प्रथम दिन

“अपने सहकर्मियों की कलम से” स्पेशल सेगमेंट का 24 जून 2023 का अंक 

आज का यह स्पेशल सेगमेंट परम आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी के  USA-Canada प्रवास  के प्रथम दिन पर केंद्रित है।

आज का ज्ञानप्रसाद आरम्भ करने से पहले अपने साथियों से गोल्ड मैडल विजेता की बार- बार हो रही गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हैं।  कल वाली सूची में भी अरुण जी विजेता होने थे लेकिन सुजाता जी को दर्शाया गया था। बार बार गलती करने वाले को जो भी सज़ा आपको ठीक लगे हम सहर्ष स्वीकार करेंगें। कल वाली गलती तो नीरा जी ने लगभग 16 घण्टे बाद नोटिस की, यूट्यूब पर तो हम ठीक  कर सकते थे लेकिन व्यस्तता इतनी अधिक थी कि 12 घंटे कार्य करने के बाद ही यह सेगमेंट लिख पाए हैं। हाँ अपनी सज़ा से बचने के लिए हम एक ही सुझाव दे सकते हैं कि संकल्प सूची देखकर तुरंत हमें सूचित करें ताकि संशोधन हो सके। शायद व्हाट्सअप ने भी एडिटिंग की ऑप्शन introduce कर दी है   

हम सब जानते हैं कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के प्लेटफॉर्म से शनिवार की सुबह को प्रकाशित होने वाला यह स्पेशल सेगेमेंट कितना स्पेशल और लोकप्रिय है। हम यह भी जानते हैं कि इस सेगमेंट की लोकप्रियता का श्रेय हमारे समर्पित सहकर्मियों, साथियों ,सहपाठियों को जाता है जिनके अथक परिश्रम से ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की प्रसिद्धि विश्वव्ख्यात हुए जा रही है। इस प्रसिद्धि के मापदंड दृशय और अदृश्य दोनों ही दिख रहे हैं। दृश्य मापदंड तो हम प्रतिदिन ज्ञानप्रसाद लेखों के माध्यम से देख ही रहे हैं लेकिन अदृश्य मापदंडों का प्रकटीकरण तब होता है जब आयोजनों में हमसे ऐसे परिजन आकर  आभार व्यक्त करते हैं जिन्हें  न तो हम जानते हैं, न देखा है, न को सोशल मीडिया पर हमसे कनेक्ट हुए हैं, बताते हैं कि हम आपके लेख पढ़ते हैं और बहुत ही ऊर्जा मिलती है।  ऐसे परिजन हमें केवल ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के यूट्यूब चैनल के माध्यम से ही जानते हैं। कल कुछ ऐसे ही पलों की अनुभितियाँ हुईं जिनके लिए हमने  परम पूज्य गुरुदेव का ह्रदय से आभार तो व्यक्त किया ही, साथियों के योगदान को सराहते हुए अपने को रोक नहीं पाए जिन्होंने गुरुदेव से मार्गदर्शन लेकर इन प्लेटफॉर्म को आगे ले जाने में  कोई कसर नहीं छोड़ी। परिवार के प्रति आदरणीय चिन्मय जी ने भी आदर एवं सराहना व्यक्त की है जिसके लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं। उनका यह कहना की यह गुरुदेव द्वारा संचालित योजना है इसका विस्तार होना तो निश्चित ही है। 

आज के स्पेशल सेगमेंट में आदरणीय चिन्मय पंड्या जी के USA-Canada प्रवास के प्रथम दिन का बहुत ही संक्षिप्त विवरण है। हम साधना बहिन जी से क्षमाप्रार्थी हैं कि उनके द्वारा भेजी गयी जानकारी, फोटो और वीडियो को अगले सेगमेंट के लिए postpone करना पड़ रहा है क्योंकि चिन्मय जी के प्रवास के सम्बन्ध में दो दिन हम इतना व्यस्त रहे कि अपनी समर्था के अनुसार  जो प्रकाशित कर रहे हैं ,इतना ही कर सके। सुबह सात बजे से रात 9 बजे तक 14 घंटे में  चिन्मय जी जितने परिजनों को मिल गए , जितने आयोजनों में शामिल हो गए, दांतो तले ऊँगली दबाये बिना नहीं रह सकते। कल फिर से वही प्रश्न पूछने को विवश हो गए कि “ आप कैसे इतना काम कर पाते हैं” जो हमने अपने रेडियो इंटरव्यू में पूछा था। उनका उत्तर आज भी वही था “यह सब गुरुदेव ही तो कर रहे हैं”

आज का  संक्षिप्त विवरण Toronto और उसके आसपास के परिजनों से सम्बंधित है, हम केवल देवांग जी के निवास पर ही शामिल हो पाए, लेकिन जो जो हम जानकारी मिलती गयी आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। शांतिकुंज  के EMD डिपार्टमेंट में अगले दिनों प्रपात होने वाली जानकारी आपके समक्ष लाने का प्रयास करेंगें। 

सारी जानकारी इस छोटी सी वीडियो में प्रस्तुत की जा रही  है जिसे हमने अपने कैमरे में तो कैद किया ही लेकिन अन्य साधनों से भी उपलब्ध हुई हैं। 

तो आइए विश्वशांति की कामना के साथ इस अति संक्षिप्त सेगमेंट का शुभारम्भ करते हैं। 

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामयाः ।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः अर्थात सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने।हे भगवन हमें ऐसा वर दो।

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शांतिकुंज के युवा प्रतिनिधि आदरणीय डाॅ चिन्मय पण्ड्या अपने 10  दिवसीय विदेश प्रवास के प्रथम चरण में कनाडा के Pearson International Toronto  आज 22 जून 2023 को  land किए।  पूर्व से ही पहुंची शांतिकुंज टीम और स्थानीय परिजनों ने पुष्प  भेंटकर उनका आत्मीय स्वागत किया। दुर्भाग्यवश हम (अरुण त्रिखा) इस बार एयरपोर्ट न पहुँच पाए क्योंकि फ्लाइट के land होने का समय बहुत ही Early morning था और हमारे फैमिली  डॉक्टर् के निर्देश का पालन करना हमारा कर्तव्य था। 

स्वागत अभिनंदन के पश्चात चिन्मय जी  श्री सुधीर पटेल जी  के आवास पर  पहुंचे और घर में  स्थापित गायत्री मंदिर में पूजा अर्चना की, उसके बाद  स्थानीय गायत्री  परिजनों से भेंट/ परामर्श किया।

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सुधीर जी के निवास  के बाद लगभग 10:30 बजे चिन्मय जी अपनी समर्पित टीम के साथ    Brantford  स्थित श्री देवांग सिंह  जी के आवास पर पहुंचे। हमें भी पत्नी नीरा जी के साथ  वहां पहुँचने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। लगभग दो घंटे चिन्मय जी के साथ व्यतीत करने के बाद हमारा हमारा अनुभव/अनुभूति कुछ निम्नलिखित शब्दों में  वर्णन की जा सकती है : 

1.घर में  प्रवेश करते ही हम सभी परिजन उनके  दिव्य दर्शन करके कृतार्थ हो गए।  हमारे समेत अनेकों  परिजनों ने उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने सभी को “ऐसा मत किया कीजिये” कह कर बीच में ही रोक दिया। नमन है ऐसे व्यक्तित्व को, नमन है परम पूज्य गुरुदेव को, वंदनीय माता जी को जिनके सानिध्य में चिन्मय जी ने जन्म लेकर घुटनों के बल चलना सीखा। 

2. हैरानगी की  बात थी कि उन्हें एक-एक परिजन का नाम तक याद था और नाम से ही सम्बोधन कर रहे थे। हैरानगी इस बात की भी है कि विश्व का कोई ही कोना होगा जिसे चिन्मय जी के चरणों का सौभाग्य प्राप्त न हुआ होगा लेकिन सभी के नाम याद रखना अपने में ही अद्भुत है, यह दिव्यता का ही एक उच्चकोटि उदहारण है। 

3.आते ही सबसे पहला कार्य हम सभी ने देवांग जी के निवास पर स्थापित पूजागृह में चिन्मय जी के साथ पूजा अर्चना की। हम सभी ने चिन्मय जी को गायत्री मंत्र बोलते कई बार देखा/ सुना है लेकिन जो दिव्यता हमें आज अनुभव हुई उसका वर्णन करना संभव नहीं है।  

4.इसके बाद हम सभी basement में गोष्टी में शामिल होने के लिए पहुंचे। यहाँ भी उनके बारे में एक बात बताना आवश्यक है: 

चिन्मय जी के लिए एक सोफा चेयर पर बैठने का इंतज़ाम किया गया  था लेकिन उन्होंने पूछा आप सब कहाँ बैठोगे। जब उन्हें पता चला कि हम भूमि पर ही बैठेंगें तो उन्होंने ने भी भूमि पर हमारे साथ ही बैठना उचित समझा। हमारी वरिष्ठता  और knee surgery के कारण सभी ने हमें सोफे पर ही बैठने का आग्रह किया ,अनुचित तो लग ही रहा था लेकिन …….. 

5.आदरणीय  राकेश शर्मा जी ने विकसित हो रहे कनाडा के एकमात्र गायत्री  शांतिवन आश्रम के निर्माण की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की एवं आगामी योजना पर विचार विमर्श हुआ । शांतिवन आश्रम कनाडा के नार्थ में Sunridge एरिया में 261 एकड़ भूमि   में फैला है।  विचार विमर्श में चिन्मय जी ने इस आश्रम को एक आरयण्क के रूप में विकसित करने का सुझाव  दिया जहाँ साधक आकर दिव्य प्राकृतिक वातावरण में साधना करें। उन्होंने आरयण्क  में गायत्री माता मंदिर,महाकाल मंदिर,सजल श्रद्धा प्रखर प्रज्ञा और एक लाइब्रेरी का सुझाव दिया जो  गुरुदेव के  साहित्य  से सुशोभित हो। चिन्मय जी ने कुछ ऐकडेमिक कोर्स आरम्भ करके DSVV के साथ certification का भी सुझाव दिया। इस प्रकार शांतिवन में साधना केंद्र के साथ-साथ ऐकडेमिक सेण्टर का भी सुझाव आया।  गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी शर्मा जी की जन्मशताब्दी वर्ष 2026 में शांतिवन में होने वाले  के कार्यक्रमों पर भी चर्चा हुई। 

6.गोष्ठी के अंतिम चरण में हमनें (अरुण त्रिखा) चिन्मय जी से अखंड ज्योति 1990 के अगस्त अंक में आ रही समस्या का स्मरण कराया। हम चकित रह गए जब उन्हें न केवल पिछले कुछ समय से हमारे बीच चल रही वार्ता का पूरी तरह स्मरण था बल्कि उन्होंने उसका समाधान भी अपने लैपटॉप में से निकाल कर दे दिया। एक बार फिर हमारे लिए अपने अंतर्मन की स्थिति  का वर्णन करना असम्भव है। परम पूज्य गुरुदेव के महाप्रयाण के बाद 200 पन्नों  यह अंक  स्मृति विशेषांक के रूप में प्रकाशित हुआ था 

7.इस संक्षिप्त से समरोह का समापन देवांग दम्पति द्वारा तैयार किए गए  भोजन से हुआ,चिन्मय जी की बातों से पता चला कि  वोह केवल एक ही समय  भोजन करते हैं। जहाँ हम स्वादिष्ट भोजन के लिए देवांग दम्पति का धन्यवाद् करते हैं वहीँ हमें प्रदान किया जा रहे सम्मान के भी आभारी हैं 

8.हमारे पूछने पर चिन्मय जी बता रहे थे कि इस प्रवास के दौरान उन्हें Montreal कनाडा एवं USA के अनेकों स्थानों पर हो रहे आयोजनों में जाना है जिनमें  New Jersey, Pennsylvania, Chicago, Long Island आदि मुख्य हैं 

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गोष्ठी के तुरंत बाद आदरणीय चिन्मय जी का सीनियर कार्यकर्ता श्री मयूर भाई के साथ  प्रस्थान हुआ।  इस अवसर पर DIYA( Divine India Youth Association)  ग्रुप  से जुडे युवाओं से आत्मीय मिलन हुआ और कनाडा के युवाओं को नकारात्मकता से बचने और सकारात्मक के साथ आगे बढने के लिए प्रेरित किया।

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22 जून को  ही शाम को सात बजे चिन्मय जी  ने Mississauga स्थित हिन्दू मंदिर और कल्चरल सेंटर में परिजनों को सम्बोधन किया।

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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 10  युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। अरुण जी आज के गोल्ड मैडल विजेता हैं । (1)संध्या कुमार-43,(2) सुजाता उपाध्याय-41,(3) रेणु श्रीवास्तव-30,(4)चंद्रेश बहादुर-33 , (5 )मंजू मिश्रा-24 ,(6) अरुण वर्मा-63,(7) सुमन लता-27, (8) स्नेहा  गुप्ता-30,(9)सरविन्द पाल-30, (10 )निशा भारद्वाज-27     

सभी को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई


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