वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

आने वाले लेखों की पृष्ठभूमि 

22 जून 2023 का ज्ञानप्रसाद

हम अपने सहकर्मियों से करबद्ध क्षमा प्रार्थी हैं कि आज का ज्ञानप्रसाद आने वाले लेखों का संक्षिप्त ट्रेलर दिखते हुए कई अन्य महत्वपूर्ण  सूचनाओं की और केंद्रित हैं।  हमें डर है कि साथी आज के ज्ञानप्रसाद  को कहीं स्पेशल सेगमेंट का ही दूसरा रूप न समझ लें।  इतनी बातें आज सुबह ही एकदम अचानक इक्क्ठी हो गयीं  कि हम साथियों के साथ शेयर किया बिना न रह सके। गुरुदेव ने ऐसे ही “प्यार ,प्यार और केवल प्यार” का गुरुमंत्र नहीं दिया है।     

हमारा प्रत्येक साथी, सहपाठी शक्तिपीठ ( शक्ति का अनुभव) के बारे में जानकारी रखता है ,कइयों को तो वहां जाने का परम सौभाग्य भी प्राप्त हो चुका  होगा, आज का ज्ञानप्रसाद आने वाले उन लेखों की पृष्भूमि वर्णन कर रहा है जिसने शक्तिपीठों के जन्म में योगदान दिया। केवल 24 शक्तिपीठों के संकल्प से आरम्भ हुए आज 2023 में  विश्व में इतने गायत्री शक्तिपीठ हैं कि शायद उनकी गणना करना भी संभव न हो पाए। शक्तिपीठों के  जन्म के पीछे परम पूज्य गुरुदेव का क्या उद्देश्य था, क्या विज़न था, क्या दृष्टि होगी, अवश्य  ही इन प्रश्नों के उत्तर ढूंढ कर साथियों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास तो होगा ही साथ में हमारे समर्पित, शिक्षित साथी भी अपनी योग्यता और शिक्षा से कमैंट्स/काउंटर कमैंट्स  के माध्यम से अधिकतम योगदान देकर गुरुदेव की लाल मशाल को हाथों में थामें सम्पूर्ण  विश्व में प्रकाश फैलाते ही जायेंगें।

परम पूज्य गुरुदेव ने गायत्री शक्तिपीठ को “चैतन्य तीर्थ” का संज्ञा दी है। चैतन्य को चेतना यां चित्त के साथ जोड़ना कोई अनुचित नहीं है। जिस स्थान पर जाकर, जिसका तीर्थसेवन करके हमारी चेतना का मार्गदर्शन होता हो ultimate bliss (  परम आनंद ) का अनुभव होता हो उसे ही शक्तिपीठ  कहा जायेगा। गुरुदेव ने शक्तिपीठों को प्रकाशदीप  भी कह कर संबोधन किया है ,ऐसे प्रकाशदीप जो दूर- दूर तक मानवता की शुभ किरणें फैलाने में सक्षम हों। 

एक बार आदरणीय योगेश शर्मा जी ने व्हाट्सप्प पर कमेंट करके हमारे लिए लिखा था, “भाई साहिब आप तो चलते फिरते शक्तिपीठ हैं, अमृत पिला रहे हैं।” हमने रिप्लाई देते हुए शायद लिखा था कि हम तो मात्र ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के साधारण से कार्यकर्ता हैं, अगर आपकी बात को सत्य समझ भी लें तो केवल  हम ही क्यों,गायत्री परिवार का एक-एक सदस्य, परम पूज्य गुरुदेव, वंदनीय जी का एक-एक बेटा-बेटी चलता फिरता शक्तिपीठ है, Mobile Shaktipeeth है। जिस प्रकार Mobile van रोगियों की चिकित्सा किए  जाती है, उसी प्रकार गायत्री परिवार के किसी भी सदस्य से बातचीत  करके टेस्ट किया जा सकता है कि वह चलता-फिरता शक्तिपीठ है कि नहीं। गायत्री परिवार के भाई बहिनों को मिलने पर, बात करने पर,हमारा व्यक्तिगत अनुभव तो यही कहता है कि क्या ऐसे लोग इसी दुनिया  में रहते हैं। हमारा परम सौभाग्य है कि हमारे छोटे से परिवार में भी वही जीवंत और जागृत आत्माएं जुड़ रही हैं/जुड़ी हुई है जिनके ह्रदय में सकारात्मक क्रियाओं  की अनंत/ तीव्र ज्वाला   भड़क रही है, भावनाओं का अथाह सागर ठाठें मार रहा है।

परम पूज्य गुरुदेव ने शक्तिपीठों से पहले देव मंदिर बनाने की योजना दी थी। यह देव मंदिर, ज्ञान मंदिर भी कहे जा सकते हैं। गुरुदेव बड़े- बड़े विशालकाय मंदिर बनाने के पक्ष में कभी भी नहीं थे, यही कारण था कि  घरेलू स्तर पर गायत्री ज्ञान मंदिर ( गायत्री मंदिर नहीं ) स्थापित करने की योजना बनाई।

जब भी धर्म की बात आती है, धर्म पर चर्चा की बात आती है तो इसके पक्ष और विपक्ष में गुटबाज़ी इतनी शक्तिशाली हो जाती है कि दोनों गुटों की तुलना बॉर्डर पर तने हुए सैनिकों से  की जा सकती है। ऐसी स्थिति हम में  से बहुतों को देखने का अवसर मिल चुका होगा लेकिन  

गुरुदेव ने धर्मतंत्र की सहायता से ही लोगों के विचारों को बदलने का प्रयास किया जिसके परिणाम हमारे सामने हैं। विचारों की बात करें तो हमें वर्षों पुराना उदाहरण  स्मरण हो रहा है।1987 की बात होगी यूनिवर्सिटी से कार्य समाप्त  करके हम कुछ कदम दूर स्थित Detroit River के किनारेअपने फ्रांस से आये साथी के साथ घूमने जाते थे। River के ऊपर बने शानदार एम्बेसडर ब्रिज को देख कर चर्चा होती थी कि यह ब्रिज दो देशों को जोड़ता है यां अलग करता है। सकारात्मक विचार के अनुसार यह  दो देशों कनाडा और अमेरिका को जोड़ता है जबकि नकारात्मक विचारों के अनुसार यह ब्रिज दो देशों को अलग करता है।

यही है सकारात्मक और नकारात्मक विचारों का युद्ध जिसकी आग में मानव झुलस रहा है, इस आग से निकलने का केवल एक ही उपाय है -सत्साहित्य का स्वाध्याय, केवल स्वध्याय ही नहीं ,अंतर्मन में उतारना। 

इस ट्रेलर को यहीं पर विराम देना उचित होगा क्योंकि कल वाले लेख के लिए इतना पर्याप्त  है। 

प्रस्तुत हैं कुछ अपडेट:  

आज सुबह शांतिकुंज में  जीवनदानी आदरणीय प्रोफेसर त्रिपाठी जी के व्हाट्सप्प मैसेज से पता चला कि आज डॉक्टर ओ पी शर्मा जी और डॉक्टर गायत्री शर्मा जी की मैरिज एनिवर्सरी है। बहुत बहुत धन्यवाद् त्रिपाठी जी। हमने उसी समय फ़ोन शांतिकुंज कनेक्ट  किया और अपनी शुभकामना देने के लिए डॉक्टर साहिब से बात की। लगभग 12 मिंट वीडियो काल हुई,हमनें, नीरा जी ने और हमारे बड़े बेटे अनिश ने डॉक्टर साहिब से आशीर्वाद प्राप्त किया, मन प्रसन्न हो गया।  हम जब  भी शांतिकुंज जाते हैं तो डॉक्टर साहिब के साथ ही यज्ञ तो करते हैं, उनसे मिल कर ऐसे लगता है जैसे किसी अपने से ही मिल रहे हों, पता नहीं बरसों का  सम्बन्ध हो। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का  प्रत्येक सहकर्मी हमारे साथ सामूहिक तौर से डॉक्टर साहिब और मैडम गायत्री शर्मा जी को वैवाहिक वर्षगांठ की बधाई एवं शुभकामना भेजने में ज्वाइन होता  है। 

इसी तरह की एक और शुभकामना के लिए हम सभी साथियों से  आग्रह करते हैं कि बेटी करिश्मा पांडे और अविनाश पांडे दम्पति को वैवाहिक वर्षगांठ की शुभकामना देने के लिए हमारे साथ ज्वाइन करें। करिश्मा बेटी, आदरणीय कुसुम त्रिपाठी बहिन जी की बेटी हैं और हमारी काव्या  की दादी जी हैं, वही काव्या बच्ची जो हम हमें “गुड नाईट दादा जी का voice मैसेज” भेजती है।  हम प्रयास करते हैं कि  उसी समय इस प्यारी सी  बच्ची को मैसेज भेज कर रिप्लाई  कर दें  लेकिन कई बार व्यस्तता में भूल जाते हैं, हमें विश्वास है कि हमारी काव्या  पोती हमें क्षमा कर देगी। 

करिश्मा बेटी Aroma Guest house की मालिक हैं, हमें स्मरण आ रहा है कि कुसुम जी को व्हाट्सप्प पर कनेक्ट होने में कोई समस्या आ रही थी तो उन्होंने ही सहायता की थी।

आज का प्रज्ञा गीत आदरणीय पुष्पा बहिन जी के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है।  पुरातन शैली में शांतिकुंज द्वारा  रिकॉर्ड किया गया प्रज्ञा गीत हृदय की गहराईओं को छु रहा है। बहिन जी ने ऑडियो फाइल भेजी लेकिन  हमारा सौभाग्य है कि हमें वीडियो  भी मिल गयी जिसे आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। बहुत बहुत धन्यवाद् बहिन जी।हम अपने साथियों के साथ गीत के लिरिक्स भी शेयर कर रहे हैं : 

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मुसीबत कितनी ही आये, नाम मत रुकने का लेना।

हृदय में रखना दृढ़- विश्वास, ज्योति कुछ दुनियाँ को देना ॥

पंथ है माना पथरीला, हजारों बीहड़ बाधायें ।

पड़ेंगे दुर्गम नदी पहाड़, और तूफानी झंझायें ॥

बिजलियाँ तुम्हें डरायेंगी, कड़क कर शोर मचायेंगी। 

प्रलय घन सी छा जायेंगी, हजारों तुम पर विपदायें ॥

पाँव में छाले पड़ जायें, नाम मत झुकने का लेना।

न मन में होना कभी- निराश, ज्योति कुछ दुनियाँ को देना ॥

छोड़कर पीछे, निकल गये, तुम्हारे साथी सब आगे।

रहे तुम अब तक सोये पड़े, नींद से सखे! न क्यों जागे ॥

अगर अब भी रह जाओगे, बहुत पीछे पछताओगे।

तीव्र गति से मंजिल की ओर, अभी भी अगर नहीं भागे ॥

तुम्हें कितना ही ललचायें, नाम मत रुकने का लेना।

रहे उज्ज्वल भविष्य की आश, ज्योति कुछ दुनियाँ को देना ॥

जिन्दगी एक कठिन संग्राम, विजय इसमें उसने पाई।

रहा जिसको “आराम- हराम ” बिना श्रम नींद नहीं आई ॥

उठो, कुण्ठाओं को छोड़ो, समय के साथ चलो दौड़ो।

अगर पग ढीला छोड़ दिया, रोक देगी कोई खाई ॥

पड़े कितनी ही विपदायें, हार का नाम नहीं लेना।

बने तब अजर- अमर इतिहास, ज्योति कुछ दुनियाँ को देना।

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आदरणीय चिन्मय जी कल सुबह कनाडा आ रहे हैं, हम उनसे 10 बजे मिल रहे हैं, कल ही उन्हें तीन और समारोहों में जाना है। 23 जून की सुबह को वोह कनाडा में ही मोंट्रियल में और 24 जून को न्यू जर्सी USA  और उसके बाद शिकागो  में होंगें। 

जिस किसी को गुरुदेव की अदृश्य शक्ति का मूल्यांकन करना हो तो चिन्मय जी की तरफ देख लें।  इंडिया से कनाडा तक की लम्बी फ्लाइट करने के बाद कई-कई दिनों तक लोगों को jetlag की शिकायत रहती है और ज़्यादा नहीं तो एक दिन तो सो कर नींद पूरी करनी पड़ती है लेकिन भाई साहिब तो सीधे हमारे साथ गोष्ठी में आ रहे हैं। इसी तरह की दृश्य हम 2019 में भी देख चुके हैं जब उनकी फ्लाइट लेट हो गयी थी लेकिन उस समय भी वोह एयरपोर्ट से सीधा यज्ञ पंडाल में आ गए थे। 

यह उन लोगों के लिए प्रतक्ष्य प्रमाण है जो परम पूज्य गुरुदेव को साधारण मानव समझने की गलती कर रहे हैं। 

आज का ज्ञानप्रसाद यहीं पर समाप्त करते हैं, प्रस्तुत है आज की संकल्प सूची। 

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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 9  युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। सरविन्द  जी आज के गोल्ड मैडल विजेता हैं । (1)सरविन्द कुमार-43 ,(2 )संध्या कुमार-32,(3) सुजाता उपाध्याय-30,(4) रेणु श्रीवास्तव-36,(5) सुमन लता-26  ,(6 ) चंद्रेश बहादुर-33 , (7)निशा भारद्वाज-30,(8 )मंजू मिश्रा-24 ,(9) अरुण वर्मा-38 ,(9 ) 

सभी को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई


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