वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

अखंड ज्योति पढ़ने से क्या लाभ मिलता है ?

15 जून 2023 का ज्ञानप्रसाद

गुरुवार के दिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार प्लेटफॉर्म से लेख श्रृंखला का अंतिम लेख प्रस्तुत किया जाता है। शुक्रवार को वीडियो और शनिवार को स्पेशल सेगमेंट के साथ ही सप्ताह का अंत होता है और रविवार वाले दिन  सभी को एक दिन के अवकाश की प्रतीक्षा रहती  है।

आज अखंड ज्योति लेख शृंखला का समापन  तो हो रहा है लेकिन अपने सूझवान सहकर्मियों से प्राप्त मार्गदर्शन के आधार पर हम कह सकते हैं कि गुरुदेव के किसी भी साहित्य का कभी भी समापन नहीं हो सकता। यह साहित्य इतना  अनंत एवं विशाल कोष है जिसे जितना अध्ययन करते जाएँ, भूख और प्यास और भी तीव्र होती जाती है। गुरुदेव से प्रार्थना है कि इस भूख-प्यास को कभी भी कम न होने दें। 

आज का ज्ञानप्रसाद “अखंड ज्योति पढ़ने से क्या लाभ मिलता है ?” हमारे लिए एक उच्च कोटि के मार्गदर्शक का कार्य करेगा। हमारे अनेकों साथी इस दिव्य पत्रिका के रेगुलर पाठक हैं और इसके बारे में पहले से ही परिचित हैं लेकिन ज्ञान का कभी अंत थोड़े होता है। हमारा विश्वास है कि इस लेख में भी बहुत कुछ नया जानने को मिलेगा। हम तो इस पत्रिका से प्राप्त हो रहे मार्गदर्शन को एक प्रकार से “जीवन साधना का सिलेबस” कह सकते हैं क्योंकि इसमें प्रकाशित हो रही  पाठ्य सामग्री अधिकतम “लेखनी का अमृतोपम पुण्य प्रसाद” है। अखंड ज्योति पत्रिका के  समर्पित पाठकों की अनुभतियाँ इस तथ्य की प्रतक्ष्य साक्षी हैं कि इसकी पाठ्य सामग्री से न जाने कितने परिवारों  में सतयुग का अवतरण हो चुका है। 

तो आइए इन्हीं opening remarks के साथ विश्वशांति की कामना करते हुए आज की गुरुकुल पाठशाला का आरम्भ करते हैं। 

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः ।सर्वे सन्तु निरामयाः ।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु ।मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

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अखण्ड ज्योति के जून 2023 अंक के अनुसार यह मासिक पत्रिका पिछले  87 वर्ष से सात भारतीय  भाषाओँ में  निरन्तर प्रकाशित होती आ रही है।इस पत्रिका की  पाठ्य सामग्री जितनी ज्ञानवर्धक है, उतनी ही आकर्षक भी। अपनी लोकप्रियता के कारण इसकी  सदस्य संख्या निरन्तर बढ़ती ही जा रही  है। 

इस पत्रिका में एक भी विज्ञापन नहीं छपता जबकि अन्य पत्रिकाओं के  प्रायः आधे पन्ने विज्ञापनों से भरे होते हैं। विज्ञापन देने का अर्थ होता है रुपया कमाना। हमारे पाठक भली भांति जानते हैं कि विज्ञापन प्रकाशित करने से पढ़ने वाले कंटेंट की क्या दशा होती है। विज्ञापन को ही इंग्लिश में Sponsorship कहा जाता है। 

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के समर्पित पाठक भलीभांति जानते हैं कि हमारे यूट्यूब चैनल पर जो भी कंटेंट प्रकाशित हो रहा है उसमें कोई भी विज्ञापन नहीं दिखता क्योंकि हमने  Monetize वाला बटन ही disable किया हुआ है। ऐसा करने का केवल एक ही उद्देश्य है कि यह चैनल केवल शुद्ध ज्ञानप्रसार के लिए ही है न कि किसी भी प्रकार के व्यापर के लिए।    

1940 से अखंड ज्योति के जन्म से ही गुरुदेव के ह्रदय में विचार थे  कि पत्रिकाओं को मात्र विक्रेताओं की मण्डी बनाकर उनके लाभांश में जो टुकड़ा मिल जाता है, उसे महत्व न दिया जाए। उन्होंने इस बात के लिए प्रयास किया कि  किसी प्रकार कागज छपाई का मूल्य पाठकों से लेकर उन्हें सर्वोत्कृष्ट पाठ्य सामग्री पहुँचाई जाय । गान्धी जी द्वारा सम्पादित पत्रिकाओं का भी यही दृष्टिकोण था। अखण्ड ज्योति ने भी विज्ञापन न छापने की नीति अपनाकर उसी मार्ग का अनुसरण किया है।

कलेवर की सुन्दरता, पाठ्य सामग्री की उत्कृष्टता मूल्य की दृष्टि से अत्यन्त सस्ती, ग्राहक संख्या की दृष्टि से अपने स्तर की अन्य समस्त पत्रिकाओं में अग्रणी, ऐसी-ऐसी कितनी ही विशेषताओं की दृष्टि से अखण्ड ज्योति का अपना कीर्तिमान है। इस पत्रिका में प्रकाशित हो रहे लेखों का प्रकाशन भारत की अन्य भाषा-भाषी पत्रिकाओं में जितनी बड़ी संख्या में होता है उतना कदाचित ही कहीं  हुआ है।

उत्कृष्टतावादी चिन्तन और आदर्शवादी व्यवहार से समन्वित देव जीवन किस प्रकार सामान्य अथवा जटिल परिस्थितियों के बीच जिया जा सकता है उसका अनुभवपूर्ण मार्गदर्शन अखण्ड ज्योति के पृष्ठों पर मिलता है। असंख्य परिजनों  ने इन प्रेरणाओं और परामर्श के आधार पर स्वयं  को बदला और ढाला है। पत्रिका का मार्गदर्शन एक प्रकार से “जीवन साधना का सिलेबस ” ही कहा जा सकता है।

स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन और सभ्य समाज की संरचना के लिए जिस फिलॉसोफी  की आवश्यकता है उसे अखण्ड ज्योति द्वारा तर्क, तथ्य, प्रमाण, संस्मरण आदि का आधार लेकर इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है कि कठिन समझा जाने वाला आत्मनिर्माण, सरलतापूर्वक सम्पन्न किया जा सके। व्यक्तित्व के समग्र निर्माण में सफल होने के लिए अखण्ड ज्योति के लेखों का आधार किसी अनुभवी एवं दूरदर्शी मार्गदर्शक के परामर्श जैसा ही उपयोगी सिद्ध होता है।

अखण्ड-ज्योति में जिस-तिस की,जहाँ-तहाँ से संकलन करके लिखी गयी पाठ्य सामग्री नहीं छपती । उसकी एक-एक पंक्ति के पीछे अगाध अध्ययन एवं प्रस्तुतकर्ताओं  का अनुभव भरा रहता है। इस पाठ्य सामग्री को अधिकतम “लेखनी का अमृतोपम पुण्य प्रसाद”  कहा जा सकता है।

जिस प्रकार शरीर को भोजन, वस्त्र आदि की आवश्यकता होती है उसी तरह आत्मा की भूख-प्यास बुझाने के लिए सदज्ञान को आवश्यक समझा जाता है। ज्ञान तो कहीं से भी मिल सकता है लेकिन सद्ज्ञान प्राप्ति के लिए उत्तम  सामग्री तलाश की जाती है। अक्सर कहा जाता रहा है कि बुद्धि तो सबके पास है लेकिन सद्बुद्धि किसी-किसी के पास ही होती है।  पाठकों के लिए अखंड ज्योति से उत्कृष्ट स्तर स्वाध्याय सामग्री  मिल सकना कठिन है। इसे चन्दन, पुष्पों द्वारा एकत्रित किया हुआ परम पौष्टिक मधु संचय कह सकते हैं।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शिक्षा, स्वास्थ्य, समृद्धि, शांति, सुरक्षा जैसे उत्तरदायित्व राजतंत्र के कन्धों पर आये  किन्तु चरित्रनिष्ठा, उच्च विचार, सद्भाव युक्त सहकारिता, जैसे उत्कृष्टतावादी तत्वों का राष्ट्रीय जीवन में समावेश करना धर्मतंत्र की जिम्मेदारी है। स्वतंत्रता प्राप्ति के दिन से ही अखण्ड ज्योति नैतिक क्रान्ति,बौद्धिक क्रान्ति एवं सामाजिक क्रान्ति के लिए प्रबल प्रयत्न कर रही है। धर्मतंत्र ने लोकशिक्षण प्रक्रिया को कार्यान्वित करने के लिए अखंड ज्योति की  युग-निर्माण योजना रचनात्मक संगठन श्रृंखला की तरह क्रियान्वित हो रही है। धर्मतंत्र को राष्ट्रीय प्रगति के चिन्तन पक्ष को उच्चस्तरीय बनाने की दृष्टि से अखण्ड ज्योति ने जो भागीरथी प्रयास किये हैं उन्हें अनुपम ही माना जाता है।

अखण्ड ज्योति मँगाने वाले मात्र किसी पत्रिका के पाठक भर नहीं होते बल्कि  वे एक सुगठित देव परिवार के सदस्य बनते हैं। मिशन के सूत्र संचालक के साथ उनका सम्पर्क एक सघन कुटुम्बी की तरह जुड़ जाता है और अति महत्वपूर्ण परामर्श एवं सम्भव सहयोग का सिलसिला चल पड़ता है। यह कौटुम्बिकता  कितनी सुखद एवं श्रेयस्कर सिद्ध होती है, इसके इस देव परिवार के परिजन भली-भाँति जानते हैं। अतः वे दूसरों को भी इस सघनता का आनन्द लेने के लिए आमन्त्रित करते रहते हैं।

भौतिक जानकारियों के अन्वेषण, प्रत्यक्षीकरण एवं प्रयोग के लिए जो कार्य विज्ञान क्षेत्र से हुआ है। उसी के समतुल्य आध्यात्म तत्वदर्शन को अखण्ड ज्योति इस प्रकार प्रस्तुत करती है जिससे अन्धविश्वास को नहीं तथ्यों को अपनाने वाली प्रखरता को ही मार्गदर्शन  मिलता है। फलतः अखण्ड ज्योति के प्रतिपादन बुद्धिजीवी वर्ग में भी  गहरी मान्यता प्राप्त करते चले जा रहे हैं।

धर्म, अध्यात्म और ईश्वर के नाम पर प्रचलित भ्रान्तियों और विकृतियों को निरन्तर दूर  करने तथा उनके स्थान पर उत्कृष्ट विवेकशीलता की प्रतिष्ठापना का जैसा प्रयत्न अखण्ड ज्योति ने किया है उसे अभूतपूर्व ही कहा जाता है। तत्वदर्शन की गूढ़ गुत्थियों का सरल और सहज मान्य जैसा प्रस्तुतीकरण इस पत्रिका के पृष्ठों पर किया जाता है उससे आस्तिकता, आध्यात्मिकता और धार्मिकता की जड़ें विचारशील वर्ग में दिनों दिन  गहरी होती चली जा रही है।

योग साधना गृहत्यागी वनवासी लोगों के लिए ही नहीं बल्कि सामान्य जीवन में सरलतापूर्वक अपनाई जाने वाली योग्य व्यक्तित्व का समग्र विकास करने की प्रक्रिया है, यह प्रमाणित करने में अखण्ड ज्योति का प्रतिपादन और प्रशिक्षण बहुत सफल ही रहा है।

आध्यात्मिक दृष्टि के आधार पर शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक क्षेत्रों में किस प्रकार सुखद सफलता पाई जा सकती है, स्वर्ग, मुक्ति, पूर्णता, ईश्वरदर्शन जैसे लक्ष्यों को किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है, इसका हृदयग्राही एवं अनुभव भरा मार्गदर्शन जैसा अखण्ड ज्योति के पृष्ठों पर मिलता है, वैसा अन्यत्र मिल सकना कठिन है।

अब तक तर्क और तथ्यों के आधार पर ही अखण्ड ज्योति के पृष्ठों पर अध्यात्म का विवेचन, निरूपण होता रहा है लेकिन अब उसके लिए भौतिक विज्ञान का भी सहयोग लिया गया है।  परम पूज्य गुरुदेव की दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान का जन्म हुआ था। संसार भर में अपने ढंग की अनोखी और प्रथम प्रयोगशाला, एक ऐसी साधन सम्पन्न प्रयोगशाला है जिसमें अध्यात्म सिद्धान्तों को विज्ञान अनुसंधान की तरह परीक्षण किया जा रहा है।  इस शोध संस्थान ने अध्यात्म को श्रद्धा के क्षेत्र से आगे बढ़ाकर वैज्ञानिक आक्षेपों का सामना करने के लिए चुनौती स्वीकार की है। लगभग 50 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई इस प्रयोगशाला का प्रथम चरण यज्ञ विज्ञान के अनेक पक्षों पर तथ्यपूर्ण परीक्षण करना था । इसके लिए बहुमूल्य साधन एवं वैज्ञानिक प्रतिभाएँ जुटाई गयीं।

परम पूज्य गुरुदेव ने अध्यात्म की महत्ता पर बल देते हुए बार-बार कहा है कि यदि  शरीर के लिए भोजन/ वस्त्र आदि की कमी करनी पड़े तो भी “अध्यात्म भोजन”  को प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए।  अध्यात्म भोजन को प्राप्त करने के लिए अखंड ज्योति जैसी पत्रिका की जितनी सराहना की जाए कम ही रहेगी। वर्षों पूर्व गुरुदेव द्वारा आरम्भ किया गया यह प्रयास आज भी उनके सूक्ष्म मार्गदर्शन में पाठकों के लिए ऐसी अनुपम सामग्री प्रदान कर रहा है जिसे “work in progress” की संज्ञा देना कोई गलत बात नहीं है। इस दिव्य पत्रिका का जनवरी 1940 वाला  प्रथम अंक उतना ही प्रभावशाली है जितना 2023 में इन पंक्तियों को लिखते समय जून 2023 वाला अंक।

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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 10  युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। आज का गोल्ड मैडल सुजाता जी को प्रदान किया जाता हैं।

 (1)सरविन्द कुमार-45,(2 )संध्या कुमार-35 ,(3) सुजाता उपाध्याय-51,(4) रेणु श्रीवास्तव- 25, (5 ) चंद्रेश बहादुर-35 ,(6) निशा भारद्वाज-33 ,(7 )वंदना कुमार-35,(8) पिंकी पाल-24 (9) प्रेरणा कुमारी-25,(10) मंजू मिश्रा-28  

सभी को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई   


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