वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

अपने सहकर्मियों की कलम से – ज्योति गाँधी, योगेश कुमार, प्रेरणा कुमारी एवं चंद्रेश बहादुर जी का योगदान 

13 मई 2023 का ज्ञानप्रसाद

सप्ताह का सबसे लोकप्रिय सेगमेंट प्रस्तुत है -शब्द सीमा के कारण कुछ और लिखने में असमर्थ हैं। 

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1.गुरुदेव की शक्ति -हमारे व्यक्तिगत विचार 

ज्योति गाँधी जी ने व्हाट्सप्प पर कमेंट करके पूछा ,”क्या आपने गुरुदेव, माता जी को देखा है ?” प्रश्न पढ़ते ही एक दम मस्तिष्क में स्वामी विवेकानंद जी द्वारा गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस को किया गया प्रश्न “ क्या आपने भगवान को देखा है ?” घूम गया। शायद ऐसी ही  होती है विचारों के प्रसार की गति, स्पीड;  न तो हमने विवेकानंद जी के देखा है, न ही रामकृष्ण परमहंस को,न ही कलकत्ता के दक्षिणेश्वर मंदिर को, लेकिन ज्योति बहिन के प्रश्न ने मस्तिष्क पटल पर एक दम सारे काल्पनिक दृश्य वीडियो रील की भांति चला दिए। हमें तो ऐसा लगा कि जिन चित्रों से  हमारा परिचय केवल इंटरनेट ने ही कराया, क्या सच में ऐसे ही हैं। खैर आइए आगे बढ़ते हैं।

हमारे द्वारा “हाँ देखा है” कहने पर ज्योति जी ने कहा कि कैसा अनुभव था ? तो हमारे उत्तर “गूंगे के गुड़ जैसा” का  काउंटर प्रश्न  आया कि “मैं कुछ समझ नहीं पाई।” तो हमने लिखा “आपको शायद गूँगें के गुड़ वाली बहुचर्चित कहानी याद नहीं है” उत्तर मिला “नहीं है,कृपा करके आप ही बताने का कष्ट करें तो ज़्यादा  अच्छा रहेगा।” आगे जो वार्ता हुई उसके लिए इतना ही बताना काफी होगा कि बहिन जी ने लिखा,“आपने बिल्कुल सही कहा है, हम गुरुदेव का प्यार, सानिध्य और मार्गदर्शन पाकर निहाल हो गए हैं”

गुरुकुल पाठशाला में इस विषय की चर्चा करने का अभिप्राय, एक तो विचारों की शक्ति और गति से परिचित होना था, दूसरा उन साथियों को गुरुदेव की शक्ति से परिचित कराना था जिनके मन मस्तिष्क में उठ रहे अनेकों प्रश्न जो हमारे कुछ साथियों को परिवार में टिक पाने में अड़चन डाल  रहे हैं। साथियों के न टिक पाने के पीछे उनका भी कोई कसूर नहीं है क्योंकि आज के समय में लाखों की संख्या में  धर्म गुरु फिर रहे हैं, जो तरह- तरह के marketing प्रलोभन प्रयोग करके रिझाने में लगे हुए हैं। जो हथकंडे  मल्टीनेशनल बिज़नेस को चलाने और प्रमोट करने में प्रयोग किये जाए हैं, उन्ही का प्रयोग यह धर्मगुरु भी निरंतर किये जा रहे हैं। तो इस स्थिति में हमारे साथी ,विशेषकर युवा साथी, हमारे पास क्यों टिकेंगे। उन्हें जीवन में ऊँची उड़ान भरनी है, उन्हें अंदेशा है कि किसी धर्मगुरु ( परम पूज्य गुरुदेव समेत)  के कारण, इस ऊर्जावान, मूल्यवान उड़ान से पहले ही पंख न कट  जाएँ। मेरा गुरु कोई product नहीं है, उसे किसी मार्केटिंग की आवश्यकता नहीं है। ऐसे भटके हुए साथियों को गुरुदेव के बारे में कौन बताएगा? हमारे सहविद्यार्थियों  को आदरणीय महेंद्र शर्मा जी वाली वीडियो अवश्य ही स्मरण होगी जिसमें वोह बता रहे हैं कि मेरे गुरु के पास शक्तियां हैं,“गुरु की शक्ति के बारे में  बताएगा कौन ” उन शक्तियों को टेस्ट कैसे  किया जाये।  महेंद्र शर्मा जी जैसे अनेकों जीवनदानी जो इन  शक्तियों को try and test कर चुके हैं ,जिन्होंने  अपना समस्त जीवन ही गुरु को समर्पित कर दिया, जिन्हें गुरुदेव का  दिव्य सानिध्य प्राप्त हुआ, वही तो बता सकेंगें। 

जब हमने ज्योति जी को गूँगें की गुड़ वाली बात लिखी तो उद्देश्य तो यही था कि यह अनुभव करने वाली स्थिति है, वर्णन करने वाली नहीं। अनेकों लोगों को गुरुदेव के सानिध्य में भिन्न भिन्न अनुभूतियाँ होना भी उनकी पात्रता पर निर्भर है। आज भी शांतिकुंज के प्रांगण में कदम रखते ही जिस दिव्यता का अनुभव हमें होता है, हो सकता है किसी और को अलग होता हो यां होता ही न हो। ऐसा लिखने में हमारा कतई भी मनतब  नहीं है कि  हमारी पात्रता किसी अन्य से अधिक है। हम तो गुरुदेव के बहुत ही निम्न स्तर के डाक बाबू हैं, सेवक हैं।  

2.स्पेशल सेगेमेंट की लोकप्रियता – प्रेरणा बिटिया  

जब भी कोई सहकर्मी  कार्य करता है  तो स्वाभाविक है कि उसे परिवार के समक्ष लाया जाए। बुद्धपूर्णिमा पर प्रेरणा बिटिया ने गृहे गृहे गायत्री यज्ञ करवाया और उसकी कुछ वीडियो और pictures भेजीं जिन्हें हम पिछले सेगमेंट में प्रकाशित न कर पाए, एक कारण तो यह था कि शुक्रवार प्राप्त हुई contribution को प्रकाशित करना कठिन होता है, दूसरा कारण कि इतनी अधिक contributions प्राप्त होती हैं कि चयन करना चुनौती तो है ही, साथ में  तब तक प्रथम rough ड्राफ्ट लगभग तैयार हो चुका  होता है। हमें  सेगमेंट की लोकप्रियता और बेटी की उत्सुकता का आभास तब हुआ जब उसने जानना चाहा कि “प्रकाशन क्यों नहीं हुआ और  contributions मिली भी हैं कि नहीं। हमारी बेटी who cares वाली प्रवृति की तो है नहीं।  

इसीलिए हम  हर बार  क्षमा प्रार्थी होते हैं कि जो रह गयी हैं उन्हें अगले सप्ताह प्रकाशित करेंगें। 

निम्नलिखित जानकारी प्रेरणा बेटी के ही शब्दों में है:                      

परम आदरणीय चाचाजी आपके श्री चरणों में नतमस्तक होकर भाव भरा सादर प्रणाम स्वीकार करें।आज मैंने तीन घरों में गृहे गृहे गायत्री महायज्ञ संपन्न कराया।परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से तीनों यज्ञ निर्विघ्न रूप से संपन्न हुए। मैंने सभी को अखंड ज्योति पत्रिका भी वितरण किया। मुझसे जितना हुआ मैंने गुरुदेव के विचारों को उन सभी लोगों के हृदय में स्थापित करने की पूरी कोशिश की। बोलते-बोलते मेरा गला रूंध सा गया था परंतु गुरुदेव ने शक्ति दी और मैंने सभी को बहुत अच्छे  से समझाया।अब आगे गुरूदेव की महिमा, जैसा मार्गदर्शन करते जाएंगे वैसा मैं करती जाउंगी। मैंने बलिवैश्व यज्ञ के बारे में भी बताया। उनमें से दो महिलाएं बलिवैश्व के लिए तैयार भी हो गई है। सचमुच में  मन बहुत प्रसन्न हो गया। हे गुरुदेव आपकी महिमा अपरम्पार है।जय गुरुदेव।

अटैच की गयी वीडियो में पूनम जी की भी एक फोटो है, उन्होंने  भी अपने घर एवं  अन्य घरों में यज्ञ करवाया।

3.गुरूदेव “को” तो मानते है पर गुरूदेव “की” नही मानते- योगेश कुमार  जी   

योगेश जी द्वारा पोस्ट किया गया निम्लिखित कमेंट बहुत कुछ कह रहा है : 

परम पूज्य गुरूदेव ने दादा गुरूदेव की हर बात का पूर्णतया  से पालन किया, कोई आनाकानी नही और  गुरूदेव कहाँ पहुँच  गये। एक हम लोग है गुरूदेव “को” तो मानते है पर गुरूदेव “की” नही मानते। इन पंक्तियों में (को और की ) commas के अंदर लिखे शब्दों पर ध्यान देने की ज़रुरत है  

अखंड ज्योति संस्थान मथुरा के डा. घनश्याम पाराशर बाबूजी  कहते हैं, ”कार्यकर्ता गुरूदेव की जेब  काटने चाहते हैं, काम न करने के हज़ार  बहाने बनायेंगें, अनुदान समयदान नही देंगें। लोभ मोह मे फंसे हैं, निकलना ही नही चाहते।” गुरूदेव को लाख लाख प्रणाम, प्रणाम, प्रणाम

योगेश जी को अखंड ज्योति संस्थान मथुरा मे 2006 से 2018 तक समयदान का सौभाग्य  प्राप्त हुआ। योगेश जी के ज्ञानरथ के बारे में साथियों को पहले भी बता चुके हैं अब कुछ और जानकारी प्राप्त हुई है। 

2010 से  आगरा नगर में MG रोड पर ज्ञानरथ लगा रहे हैं। हाँ ज्ञानरथ लगा रहे हैं, चला नहीं रहे हैं। टाटा एस वैन पर 5 x 7 फुट की रेक पर पुस्तकें लगाते  हैं , साथ में एक फोल्डिंग बेड रखा हुआ है, उस पर साहित्य लगते हैं। लाइट टीवी लगा है ,स्पीकर  भी है जिस पर गायत्री मन्त्र  बजता है और गुरुदेव के प्रवचन और शांतिकुंज के वीडियो दिखाए जाते हैं। यह ज्ञानरथ शाम चार बजे से रात्रि आठ बजे तक प्रतिदिन 4 घंटे नियमित चल रहा है। खरीददार को पुस्तक पसंद न आने पर 100 % वापिस करने की गारंटी देते हैं लेकिन आज तक कोई भी वापिस करने नहीं आया।  

जब हम यह पंक्तियाँ लिख रहे थे तो उसी समय भाई साहिब ने दो वीडियो भेजीं, अगर पहले भेजी होती तो आज ही शेयर कर देते, अब  अद्भुत वीडियो को देखने के लिए पाठकों को प्रतीक्षा करनी होगी।    

वह बताते हैं कि गुरूदेव अपने जीवनकाल मे सबसे अधिक अखंड ज्योति संस्थान मथुरा में ही   रहे हैं। अधिकांश साहित्य का लेखन अंखड ज्योति के साधना कक्ष मे हुआ है। अंखड ज्योति संस्थान मे रहकर ही गुरूदेव ने गायत्री तपोभूमि मथुरा का निर्माण किया है तथा यहीं से शांतिकुंज हरिद्वार का जन्म हुआ।  गुरूदेव ने 24- 24 लाख  के गायत्री महापुरश्चरण यहीं  रहकर पूरे किये हैं। औसत साढ़े छे घन्टा साधना तथा साढ़े  चार घन्टा लेखन करते थे। Gayatri तपोभूमि मथुरा विश्व के प्रथम गायत्री मंदिर आजकल का पुनर्निर्माण कार्य चल  रहा है, मंदिर का एक भाग जो सैंपल के तौर पर तैयार किया गया है वह चित्र में दिख रहा है। पूरा मंदिर इसी तरह का बनेगा ,रंग बदलती लाइट्स लगाई जाएंगी। योगेश जी की जानकारी से पता चला कि  24 गायत्री माता स्थापित होगी तथा यज्ञ शाला व गायत्री माता , गुरूदेव ,माताजी व महाकाल का मंदिर सभी दूसरी मंजिल पर बनेगें और  नीचे प्रदर्शनी भवन बनेगा।  करीब 32करोड  रूपये का मकराना पत्थर लगेगा एक फोटोग्राफ सफेद पत्थर का है।

निर्माणाधीन गायत्री तपोभूमि की लेटेस्ट  फोटोज भी योगेश जी ने ही  भेजी हैं     

आजकल 2023 में घीआ मंडी मथुरा स्थित अखंड ज्योति संस्थान   का भी  पुर्ननिर्माण हो रहा है। इस पुनर्निर्माण लगभग दो वर्ष  का समय लगने की सम्भावना है। गुरूदेव का विशाल स्मारक बन रहा है, इसलिए दर्शन बन्द है, आफिस भी कहीं और जगह शिफ्ट किये हुए हैं।  

योगेश जी हमारा रिफरेन्स देते हुए लिखते हैं, “भाई साहब ने वीडियोज बनाये हैं।” हम योगेश जी के बहुत आभारी हैं, उन्होंने नवंबर 2019 में आदरणीय चतुर्वेदी जी के साथ वीडियोस को बनाने में हमारा सहयोग दिया था। हमारे साथी हमारे चैनल पर “भूतों वाली बिल्डिंग” सर्च करके इस वीडियो को देख सकते हैं। योगेश जी  लिखते हैं की गुरुदेव ने इस बिल्डिंग का वर्णन हमारी वसीयत और विरासत पुस्तक मे स्वंय किया है। 

साथियों को प्रेरित करने के उद्देश्य से योगेश जी लिखते हैं,”डाक्टर साहब आनलाइन ज्ञानरथ के माध्यम  से अमृत पिला रहे हैं ।” ऐसा ही एक और कमेंट उन्होंने लिखा था, “ डॉक्टर साहिब मक्खन खिला रहे हैं, हज़म करने के लिए भजन करना चाहिए तभी हज़म होगा”

4.10 मई को चंद्रेश जी का 60th बर्थडे था। उस  दिन से वोह सीनियर  सिटीजन हैं।यहाँ कनाडा में 65 th बर्थडे पर प्राइम मिनिस्टर हस्ताक्षर करके एक शुभकामना सर्टिफिकेट भेजते हैं।    

जानकारी उसी दिन मिली थी, लेख शब्द सीमा के कारण कुछ अधिक न लिख पाए थे, इसलिए इस सेगमेंट के लिए रिज़र्व कर दिया था।  परिवार की ओर से भाई साहिब को इस शुभ दिन की बहुत-बहुत शुभकामना, परमपूज्य गुरुदेव अपने अनुपम अनुदान भाई साहिब पर सदैव अपने अनुदान बरसाते रहें, वह अपनी सक्रियता से  ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में योगदान देते रहे।  रिटायरमेंट के बाद परिवार की ज़िम्मेदारियों से भी कुछ  रिटायरमेंट ली जाए तो परमार्थ कार्यों में योगदान देते हुए जीवन स्वर्गीय बनाने से कोई नहीं रोक सकता। परम पूज्य गुरुदेव ने जीवन  के इस पड़ाव के लिए भी बहुत ही सुन्दर मार्गदर्शन दिया है।  

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आज  की  24 आहुति संकल्प सूची  में 8  युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। सुजाता जी   स्वर्ण पदक विजेता घोषित हुई  हैं । 

(1)संध्या कुमार-34,(2 )सुजाता उपाध्याय-52,(3 )सरविन्द पाल-31 ,(4) चंद्रेश बहादुर-41 ,(5 )स्नेहा गुप्ता-24,(6 )अरुण वर्मा-25,(7) वंदना कुमार-27,(8) सुमन लता-29, रेणु श्रीवास्तव-29                       

सभी को हमारी  व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई।


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