वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार “हृदय परिवर्तन की एक जादुई मशीन” है -प्रस्तुति सरविन्द पाल 

8 मई 2023 का ज्ञानप्रसाद

जितनी बेसब्री से हम स्पेशल सेगमेंट की प्रतीक्षा करते हैं उससे कहीं अधिक उत्सुकता से हम सोमवार के ज्ञानप्रसाद की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि यह सप्ताह का आरम्भ होता है और ज्ञानप्रसाद में कुछ नया अवश्य  होता है। 

आज के ज्ञानप्रसाद में आदरणीय सरविन्द जी ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार को ह्रदय परिवर्तन की जादुई मशीन कह रहे हैं, क्यों और कैसे है, यह तो हमारे पाठक अध्ययन के बाद ही जान पायेंगें लेकिन हमें विश्वास है कि परिवार के अनेकों साथियों ने ऐसा ही अनुभव किया होगा। प्रकाशन से पूर्व हमें  अपने विचारों के प्रवाह को रोक पाना कठिन होता है,यही कारण है कि भाई साहिब के submit होने से लेकर आप तक पहुँचने तक बहुत कुछ एडिट हो चुका  होता है, लेकिन भावना यथावत ही रहती है। तो आइए चलें आज की गुरुकुल पाठशाला में। 

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आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार  की जितनी प्रशंसा  की जाए कम है क्योंकि इस प्लेटफार्म में प्रतिदिन अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने वाले का अंतःकरण परिष्कृत होता  जाता है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है l परिवार का प्रत्येक प्रयास, चाहे वोह लेख हो, वीडियो हो, शुभरात्रि सन्देश हो यां फिर सप्ताह का सबसे लोकप्रिय सेगमेंट “अपने सहकर्मियों की कलम से” हो, एकदम “जादुई” कार्य  करता है। सहकर्मी अपने अंतःकरण में हो रहे परिवर्तन देख तो नहीं पाता लेकिन परिवर्तन होता ही जाता है। ऐसा इसलिए है कि इसका  प्रत्येक प्रयास किसी  ईश्वरी शक्ति द्वारा निर्देशित है, एक ऐसी शक्ति जिसके द्वारा हमारी सोई हुई  प्रतिभा जगायी जाती है। यह हमारे गुरुदेव की ही दिव्य शक्ति है जिनका  सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य हम सभी सहकर्मियों पर निरंतर एवं नियमित रूप से  बरस रहा है। पूज्यवर की ही प्रेरणा और मार्गदर्शन का प्रतिफल है कि आज सम्पूर्ण विश्व में हमें  “ज्ञान की ज्योति” जलाने का परमार्थ परायण सौभाग्य  प्राप्त हो रहा है, एक ऐसा सौभाग्य जो हर किसी को प्राप्त नहीं हो सकता,जिसमें कार्यकर्ताओं का चयन परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की कठिन चयन प्रणाली के द्वारा ही संभव हो पाता है।   

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार   के सूत्राधार एवं  संचालक डॉ अरुण  त्रिखा  जी  द्वारा लगाई  श्रम, समय व ज्ञान  की पूंजी का लाभ सभी को नियमित रूप से  मिलता जा  रहा है।  इस प्लेटफॉर्म के अंतर्गत  प्रकाशित हो रहे लेखों का नियमित एवं  गम्भीरतापूर्वक स्वाध्याय करने वाला व्यक्ति स्वयं को बहुत ही भाग्यशाली अनुभव कर रहा है क्योंकि उसे  निरंतर ज्ञान का दुर्लभ अनुदान  प्राप्त  रहा है l 

आज के युग में सोशल मीडिया साइट्स पर हम सब प्रतिदिन देख रहे हैं कि कितने ही नए प्रतिभाशाली गुरु प्रकट हो रहे हैं। ज्ञान प्राप्त करने की तो कोई तंगी नहीं, महंगाई नहीं है, कई बार तो चयन करना ही कठिन लगता है कि कौन सा गुरु Real है और कौनसा Fake. सही मायनों में देखा जाए तो Fake गुरु का analysis करना इतना कठिन भी नहीं है   क्योंकि वह जिस आशा व विश्वास के साथ आते हैं,जब उन्हें वह नहीं  मिलता तो उन्हें  उड़नछू होते समय नहीं लगता। जब हम चमत्कारी गुरुओं की, हथेली पर सरसों ज़माने वाले गुरुओं की चर्चा कर रहे हैं तो ऐसे  शिष्यों की भी कमी नहीं जो चमत्कार की तलाश में होते हैं । नवंबर 1995 में तालकटोरा स्टेडियम दिल्ली में आयोजित पूर्णाहुति यज्ञ समारोह में भूतपर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपाई  जी के शब्द आज स्मरण हो आए हैं। श्रद्धावान गायत्री साधकों के सैलाब को देख कर वाजपाई जी ने कहा था:

भीड़ तो सब इकट्ठी कर लेते हैं,पर ऐसी अनुशासित, सुसंस्कृत और साधना-समर्पित भीड़ विरले ही देखने को मिलती है।”   

आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में कर्म की पूजा होती है और उसी के अनुसार ही आशातीत सफलता प्राप्त होती है l इस परिवार का प्रत्येक सदस्य निस्वार्थ  भाव से सम्पूर्ण नियमितता एवं श्रद्धा से  समयदान करके सहभागिता सुनिश्चित कर रहा है और निष्काम भाव से  परिवार के इस महायज्ञ में  कमेन्ट्स/काउन्टर कमेन्ट्स के रूप में अपने विचारों की आहुति अर्पण करते हुए  योगदान देता है। परिवार के प्रत्येक सहकर्मी का अटूट विश्वास है कि परम पूज्य गुरुदेव प्रत्येक  सहकर्मी को उसकी पात्रता के अनुसार अपने  आध्यात्मिक व भौतिक अनुदानों का वरदान देते हैं। यह ऐसे अनुदान होते हैं  जिनकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। गुरुदेव ने स्वयं इन अनुदानों को प्राप्त करने के लिए श्रद्धा, नियमियता एवं समर्पण की सरल सी शर्त निर्धारित की  हुई है। अभी अभी अपलोड हुई वीडियो में परम पूज्य गुरुदेव जहाँ नियमितता पर बल दे रहे हैं वहीँ अन्त्तिम seconds में डांटते हुए कह रहे हैं कि “कीमत तो चुका, मक्कार कहीं का, प्रणाम करता है और दुनिया भर के वरदान मांगता है।” 

जब सच्चे और पवित्र मन से सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी तब ही कहीं  कुछ प्राप्त करने की आशा की जा सकती है, अन्यथा कुछ भी  मिलने वाला नहीं है l इतिहास में समर्पण, श्रद्धा और गुरुभक्ति के अनेकों उदाहरण मिल जायेंगें, सभी गुरु  आदरणीय एवं पूजन योग्य हैं।  

दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार जैसे दिव्य परिवार में जिस किसी की भी सहभागिता नियमितता पूर्वक सम्पन्न होती है वह बहुत ही भाग्यशाली होता है और वह कोई साधारण आत्मा नहीं बल्कि बहुत ही श्रेष्ठ व महान दिव्य आत्मा होती है। ऐसा इसलिए है कि हमें  परम पूज्य गुरुदेव, वंदनीय माता जी एवं माँ गायत्री की  विराटता का अनुभव होने लगता है। जिस किसी को भी इस विश्व्यापी किन्तु छोटे से  परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए,नियमित समयदान का परम सौभाग्य प्राप्त हो रहा है उसे  समझ लेना चाहिए  कि वह एक उच्कोटि की उपासना, साधना व आराधना कर रहा है। वह एक ऐसी साधना कर रहा है जिसका प्रतिफल उसे हर क्षण प्राप्त हो रहा है l 

OGGP जैसे दिव्य प्लेटफॉर्म से  जुड़ने वाले किसी भी सहकर्मी का अमूल्य समय कभी भी नष्ट नहीं जा सकता,ऐसा हमारा अटूट विश्वास है। इस अटूट विश्वास का आधार हमारा (सरविन्द कुमार पाल) का, स्वयं का जीवन है। हम तो मानते हैं कि हमारे लिए परम पूज्य गुरुदेव का “बोओ और काटो” वाला सिद्धांत पूरी तरह से सार्थक सिद्ध हुआ है। हम निरंतर, नियमित रूप से अनवरत इस परिवार की गतिविधियों में ज्ञानदान, समयदान एवं  श्रमदान देते रहे और गुरुदेव ने  इस तुच्छ से योगदान को अनेकों गुना करके हमें वापिस कर दिया है l 

जो कोई भी इन पक्तियों को पढ़ रहा है हम उससे निवेदन एवं अपील करते हैं कि कभी भी  किसी के बहकावे व संशय में आकर इस दिव्य परिवार के बारे में  भ्रमित न हों । हम सबका यह परम  कर्तव्य बनता है कि इस परिवार में  विश्वास और निष्ठा का बीजारोपण करते हुए ही योगदान करें। अगर इससे कम  हुआ तो पछताने के सिवाय और  कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। 

किसी भी संस्था,परिवार आदि में आने जाने की प्रक्रिया बहुत ही स्वाभाविक और प्राकृतिक है। नए साथियों  का आना  और पुराने साथियों का नए विकल्प, नए अवसर ढूंढते हुए चले जाना कोई अस्वाभाविक बात नहीं है। नवागंतुकों से  करबध्द विनम्र प्रार्थना है कि अगर सच्चाई के मार्ग पर अग्रसर होना चाहते हैं तो नैतिकता के आधार पर इस परिवार की गतिविधियों में नियमितता से अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए अपने अमूल्य  समय का दान करें, प्रतिबद्धता के साथ दैनिक प्रकाशित हो रहे लेखों का नियमितता से गम्भीरतापूर्वक स्वाध्याय करें, कमैंट्-काउंटर कमेंट की प्रक्रिया में अधिक से अधिक सक्रियता दिखाएँ और फिर देखें जीवन का कायाकल्प कैसे होता जाएगा। जो लोग भूले भटके इस परिवार में कभी-कभार टेस्ट करने के लिए आते हैं और गुरुदेव से अनुदान की आशा रखते हैं तो यह उनकी  सबसे बड़ी भूल है। ऐसे साथियों के लिए “भटका हुआ देवता” जैसा विशेषण प्रयोग करने में हमें कोई भी हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।   

हाँ यह सच है कि भटके हुए देवताओं के लिए यह बहुत ही उत्तम परिवार है बशर्ते कि वोह इस परिवार के साथ परिवार जैसे सम्बन्ध तो बनाएं, अपनी निष्ठा और समर्पण साबित तो करें। यह  परिवार भटकन को दूर करने का बहुत ही  श्रेष्ठ विकल्प है क्योंकि यहाँ मनुष्य की  सुप्त प्रतिभा को झकझोड़ कर जगाया जाता  है, गुरुकुल  पाठशाला में ज्ञानार्जन करते हुए सभी परस्पर सहयोग,आदर, सम्मान, प्रेम और सहकारिता का पाठ भी पढ़ते  हैं  l 

दिन का शुभारम्भ गुरुदेव के साहित्य पर आधारित दैनिक ज्ञानप्रसाद लेख से होता है जो हमारे संचालक द्वारा  नियमितता से  प्रातःकाल की मंगलवेला में आपके इनबॉक्स में पोस्ट किया जाता है। इस ज्ञानप्रसाद के साथ अटैच किया गया प्रज्ञा गीत हम सब की सुबह को जो दिव्यता प्रदान करता है उसे शब्दों में वर्णन संभव नहीं है, गूँगें के गुड़ की भांति केवल अनुभव ही किया जा सकता है। फिर भी कमेंट करके परिवारजन बताते हैं कि शुभरात्रि सन्देश तक हम इस प्रज्ञा गीत को गुनगुनाकर शक्ति प्राप्त करते रहे। दैनिक शुभरात्रि संदेश जिसके द्वारा प्रत्येक साथी की सुखद नींद की कामना की जाती है, गुरुदेव के साहित्य पर ही आधारित होता है।

हम सभी पाठकगण  निर्मल ह्रदय से दैनिक ज्ञानप्रसाद का निरंतर अमृतपान करते हैं,जैसे  जैसे अमृत की  बूँदें हमारे अंतकरण में शक्ति का संचार करती जाती हैं, विचारों की आंधी सी उठती अनुभव होती दिखती है। इस आंधी का वेग तभी कम हो पाता  है जब तक  हम कमेंट करके vomit out नहीं कर देते। परिवार में आदरणीय अरुण वर्मा जैसे साथी भी हैं जो सबसे पहले कमेंट करने वालों में से हैं, हम सभी जानते हैं कि उस समय भारतीय समयानुसार सुबह के चार बजे होते हैं।   

हम स्वयं के अनुभव से कह सकते हैं कि आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार जैसा खूबसूरत प्लेटफार्म बड़े ही सौभाग्य से  मिलता है और जिसे यह प्लेटफार्म मिल जाता है उसका तो भाग्य ही बदल जाता है। हम,सरविन्द पाल, स्वयं ही इस statement के जीवंत उदाहरण  हैं।  सचमुच में इस  परिवार में जुड़ने से हमारा भाग्य तो बदला ही है,हम और  हमारे बच्चे बहुत खुश हैं l भौतिक दृष्टि से हमारे पास कुछ भी नहीं है लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से हम सपरिवार बहुत सम्पन्न हैं, परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से हमारे लिए हर परिस्थिति का सामना करना  बहुत ही सहज एवं  सरल हो गया है। हम आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं और इस दिव्य परिवार के सूत्राधार व संचालक आदरणीय अरुण भैया जी को  नमन वन्दन करते हैं जिनके पुरषार्थ से इस प्लेटफार्म का जन्म हो पाया। हमारे तीनों बच्चे भी अपना अमूल्य समय निकाल कर समयदान करते हुए लाभ प्राप्त कर रहे हैं। तीनों बच्चों को गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य अनवरत मिल रहा है। बच्चे इस परिवार से जुड़ कर अपने आपको बहुत ही सौभाग्यशाली मानते  हैं, इस युवा शक्ति को नमन वन्दन है। 

परम पूज्य गुरुदेव से विनम्र प्रार्थना करते हैं कि इन बच्चों पर अपने दिव्य अनुदानों की वर्षा करें ताकि गुरुदेव के सपने साकार करने में सहायक बन पाएं l

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आज  की  24 आहुति संकल्प सूची  में 12    युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। अरुण  जी स्वर्ण पदक विजेता घोषित हुए हैं । 

(1)रेणु  श्रीवास्तव-29 ,(2 )संध्या कुमार-34 ,(3 )सुजाता उपाध्याय-33,(4  )सरविन्द पाल-47,29 ,(5 ) चंद्रेश बहादुर-28 ,(6)  पिंकी पाल-24,(7 ) कुमोदनी गौराहा-30 , (8 ) सुमन लता-29 ,(9  ) स्नेहा गुप्ता-36 ,(10 ) अरुण कुमार-51,(11) पूनम कुमारी-26, (12) वंदना कुमार-24                  

सभी को हमारी  व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई।


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