वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

“सप्ताह का एक दिन पूर्णतया अपने सहकर्मियों का” 9  अप्रैल ,2022

एक बार फिर शनिवार का की दिन आ गया है , वह दिन जो केवल अपने सहकर्मियों का ही होता है।  अपने सूझवान सहकर्मी अपनी  और प्रतिभा को हम सबके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह प्रयास अभी कुछ दिन पहले ही आरम्भ किया है।  इस प्रयास से जहाँ सहकर्मियों को अपनी प्रतिभा उजागर करने का अवसर प्राप्त होता है वहीँ पर हम सब उनकी प्रतिभा से प्रभावित और प्रेरित हुए बिना नहीं रह सकते। 

आज के इस विशेष सेगमेंट में आद सविन्दर  कुमार जी, आद राजकुमारी कौरव जी ,आद ज्योति गाँधी जी और हमारी ( अरुण त्रिखा ) contributions हैं। Contribute करने के लिए सभी का हृदय से आभार। 

7 अप्रैल वाले लेख पर विदुषी जी का कमेंट बहुत ही उच्च कोटि का था। शब्द सीमा के कारण आज प्रकाशित करने में असमर्थ हैं,  किसी अगले एपिसोड में प्रकाशित करेंगें।  ऐसे कमैंट्स से सभी को प्रेरणा मिलना सुनिश्चित है ( Sorry but you have to wait )

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आदरणीय  ज्योति गाँधी : 

 ज्योति बहिन जी लिखती हैं कि विचार क्रांति अभियान जिस तेजी से चल रहा है उसमे कुछ भागीदारी , उत्तरदायित्व हम सभी का बनता है । अभी बच्चों  के माध्यम से, गुरुदेव के विचारो पर , छोटी-छोटी वीडियो बनाई जा रही है  ओर वो प्रसारित की  जा रही है। ताकि हमारी आज कि युवा पीढ़ी इसे देखे ओर इसमें बदलने का प्रयास करे। उन्होंने चार वीडियोस भेजीं हैं जिन्हें  हमने 2 मिनट की वीडियो में compile किया है।   जैसे ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार का सदैव प्रयास रहा है कि जहाँ कहीं भी प्रतिभा मिले उसे प्रोत्साहित करना चाहिए ,और यह तो छोटे, नन्हे  बच्चे ठहरे, इनका तो और भी अधिक हक़ बनता है। ज्योति जी के बाल संस्कारशाला प्रयास को  ह्रदय से नमन  करते हैं। 

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अरुण त्रिखा :

हमारी  अनुभूति केवल दो दिन पुरानी  ही  है।  हमें तो   विश्वास ही नहीं हुआ कि  ऐसा हुआ भी कि नहीं। हम 7 अप्रैल का शुभरात्रि सन्देश और 8 अप्रैल की “युगतीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार दिव्य दर्शन” वीडियो बनाने में व्यस्त थे। कई लेख देखे, कितनी ही वीडियो देखीं ,प्रयास यही था कि बेस्ट से बेस्ट ही प्रकाशित किया जाये।  समय लगभग चार बजे सुबह ब्रह्म मुहूर्त होगा।  पता नहीं क्या विचार आया  कि कहीं उड़ कर एक दम  शांतिकुंज पहुँच जाएँ । विचार आते ही ऐसा लगा गुरुदेव कह रहे हों तो रोका किसने है। हम कई बार कह चुके हैं  हमारे तो प्राण ही शांतिकुंज में बसे हुए हैं।  अब्रॉड सेल वालों से 2019 में बात करते यही विषय आया था – तो उन्होंने भी यही कहा था “ भाई साहिब आपको रोका किसने है? यह तो आप ही का घर है आप जब चाहें ,जितना चाहें इधर रह सकते हैं।” इन्ही विचारों में मग्न हम इतना डूब चुके थे कि वीडियो देखते रहे लेकिन आँखों में से प्रेम की बहती  अश्रुधारा ने विवश सा कर दिया।  हम अपने आपको शांतिकुंज परिसर में ही उपस्थित समझने लगे। विचारों की गति भी कितनी सुपरफास्ट होती है। कहाँ से कहाँ ले जाते हैं।   इन्ही विचारों में समय भागता जा रहा था, नित्य कर्म भी लेट हो रहा था। हम जल्दी से सब कुछ समेट  कर उठे और  पत्नी नीरा जी को यह भावना बताई।  उन्होंने परामर्श देते हुए कहा कि हम गर्मी की ऋतू तो सहन ही नहीं कर सकते तो जैसे पहले अक्टूबर- नवंबर में जाते हैं तो चले जायेंगें।  यह विचार और भावुकता यहीं पर रुक जाती तो ठीक था लेकिन हमारे हृदय में एक और फीलिंग आ रही थी – जैसे हम कहते हैं कि हमारे प्राण शांतिकुंज में ही बसे हैं तो कितना अच्छा हो अगर जीवन-लीला का अंत भी इस दिव्य पावन स्थल में हो जाये।  परन्तु  यह सौभाग्य तो उच्च स्तर के साधकों को ही प्राप्त हो सकता है। जहाँ तक प्राण बसने की बात है -आज  वीडियो अपलोड करने  से पहले न जाने कितनी बार देख-देख कर चेक कर रहे थे  तो फिर आँखों में आंसू आ गए।हमने  तो अपनेआप को  गुरुदेव के लिए  समर्पित कर दिया है, जो-जो कुछ वह करवाना चाहेंगें, बिना कोई प्रश्न किये अनवरत करते ही जायेंगें।  एक ही इच्छा है कि परम पूज्य गुरुदेव एवं वंदनीय माता जी का हमारे ह्रदय में वास हो। जय गुरुदेव  

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आदरणीय   सरविन्द कुमार:        

ॐ श्री गुरुवे नमः l दिव्यता से ओतप्रोत आनलाइन ज्ञान रथ परिवार किसी अनुष्ठान, पूजा-पाठ, जय, उपासना साधना व आराधना से किंचितमात्र भी कम नहीं है क्योंकि इसके भाव भरे शब्दों का जब हम स्वाध्याय व गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करते हैं और Comment के रूप में अपने विचारों की अभिव्यक्ति लिखते हैं  तो नैतिकता के आधार पर परम पूज्य गुरुदेव के श्री चरणों में हमारा हृदय विशाल होकर विराजमान हो जाता है। स्वार्थ का कहीं भी नामोंनिशान नहीं होता है।  यही  है ऑनलाइन ज्ञानरथ के प्रत्येक सदस्य की सर्वश्रेष्ठ व सर्वसुलभ उपासना, साधना व आराधना l एक बहुत ही पक्की डोर हम सबको  जागरूक कर एक अद्भुत परिवार से जोड़े रखे है जिसका नाम है  “आनलाइन ज्ञानरथ परिवार।” इस परिवार के सूत्रधार और संचालक आदरणीय अरुण त्रिखा भैया ने आज के युग को देखकर  ही ऑनलाइन शब्द जोड़ा है। जब  सबकुछ ऑनलाइन हो रहा है तो ज्ञानरथ क्यों पीछे रह जाये और टेक्नोलॉजी का लाभ  क्यों न लिया जाये।

परिवार के सदस्य कमैंट्स और काउंटर-कमैंट्स की प्रथा का बहुत ही श्रद्धा से पालन करते हुए  पुनीत व पवित्र महायज्ञ में अपने विचारों की अभिव्यक्ति लिखकर आहुति के रुप में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर रहे हैं। यह एक निहायत ही  आवश्यक व न्याय संगत  प्रथा है जिससे सभी को  पुण्य फल प्रदान हो रहा  है l 

सभी परिजनों के लिए गुरुकार्य में हाथ बटा कर,श्रेय प्राप्त करने का यह एक unique मार्ग है विशेषकर उन लोगों के लिए जो अक्सर पूछते रहते हैं कि  हम गुरुकार्य में कैसे योगदान कर सकते हैं । हम तो सभी को यही निवेदन करते रहते हैं कि इस प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित हो रही contributions  पर अधिक से अधिक Comments व Counter Comments करके पुरुषार्थ कमाने का सराहनीय कार्य अनवरत करते रहना चाहिए। जब आप प्रेरित होते हैं तो अन्य  आत्मीय देवतुल्य सज्जनों  को भी इस पुनीत कार्य के लिए प्रेरित करना अपना उत्तरदाईत्व समझें l यह एक कटु सत्य है कि  सत्कर्म  और पुण्य कार्य कभी बेकार नहीं जाते हैं और अपने उचित समय में निश्चित ही  अंकुरित होकर यथोचित फल देते हैं। 

हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि  सभी आत्मीय  सहकर्मी  आज से ही नवरात्रि महापर्व में संकल्पित होकर निस्वार्थ भाव से अपने विचारों की आहुति इस पुनीत व पवित्र महायज्ञ में डालकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेंगे और अपने परिवार के अद्भुत  24 आहुति संकल्प को और अधिक गति प्रदान करने का सराहनीय व प्रशंसनीय कार्य करेंगे l 

इसी आशा के साथ हम अपनी लेखनी को विराम देते हुए अपनी हर किसी गलती के लिए आप सबसे क्षमाप्रार्थी हैं और  गुरुदेव से आप सबके अच्छे स्वास्थ्य व उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करते हैं।  परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि आप और आप सबके परिवार पर सदैव बनी रहे। ****************** 

आदरणीय राजकुमारी कौरव :

2017में मेरा बड़ा बेटा दिल्ली गया हुआ था।  लौटते समय मथुरा रुका । वहां कृष्ण जन्म भूमि के दर्शन किए उसके बाद मुझे फोन पर  बोला मैं तपोभूमि जाना चाहता  हूं लेकिन कोई वाहन नहीं मिल रहा और मुझे भूख भी लगी है। उस समय दोपहर का एक बज रहा था।  मैंने बोला खाना खाओगे तो मंदिर बंद हो जायेगा, दर्शन नहीं हो पायेंगे।  बेटा बोला देखता हूं।  जैसे ही फोन बंद किया, साइकिल पर एक सज्जन आये और बोले,  “बेटा तपोभूमि जाना है, मैं छोड़ देता हूं।”  बेटे को लगा मजाक कर रहे हैं। यह मुझे  साइकिल पर क्यों  ले जायेंगे।  इतने में वह  बोले, “जल्दी बैठो मंदिर बंद हो जायेगा।” उनके साइकिल पर बैठ कर मेरा बेटा तपोभूमि पहुंचा।  वह सज्जन  गेट पर रूके और बोले,”जाओ दर्शन करो, भोजन करो।” बेटे ने कहा- आप भी चलें।  वह  बोले- मैं नहीं जाऊंगा, मैं मुस्लिम हूं पर मैं गुरुदेव को जानता हूं और अखंड ज्योति पढ़ता हूं।  इतना कहकर  वह चले गए।  बेटा अंदर गया, रजिस्ट्रेशन  काउंटर पर  बैठे भैया बोले- पहले आप भोजन कर लें।  बेटे ने भोजन किया और भोजनालय बंद हो गया । बेटे ने घर आकर जब  सारी बातें बताईं तो हम सब आश्चर्य चकित रह गए कि मुस्लिम भाई ने साइकिल पर छोड़ा और भोजन करने को कहा।  अंदर बैठे भैया ने भी पहले भोजन का कहा।  भोजनालय में यह  आखिरी व्यक्ति थे।

जब हम यह वृतांत सुन रहे थे  तो हम सब गुरुदेव के चरणों में  नतमस्तक हो गये।  हमारा मन अगाध श्रद्धा से भर उठा। श्री गुरु सत्ता के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम नमन वंदन। हमें तो ऐसा लगा कि  मुस्लिम भाई कोई और  नहीं स्वंय गुरुदेव ही  थे।

इस अद्भुत अनुभूति का  समापन करते हुए बहिन जी ने हमें लिखा की  वह  4मई को शांतिकुंज जा रहे हैं।  8 मई को केदारनाथ धाम जायेंगे।  गुरुदेव की कृपा हुई तो त्रियुगीनारायण के दर्शन भी मिलेंगे। जय गुरुदेव  

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24 आहुति संकल्प 

शांतिकुंज वीडियो  के अमृतपान उपरांत 6   समर्पित सहकर्मियों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है, यह समर्पित सहकर्मी निम्नलिखित हैं :

 (1) संध्या कुमार -35   , (2 ) अरुण वर्मा -35  ,(3  ) रेणू श्रीवास्तव-35 ,(4  ) सरविन्द कुमार -49, (5 ) प्रेरणा कुमारी -35, 

सरविन्द कुमार जी 49  अंक प्राप्त करके गोल्ड मैडल विजेता घोषित किये जाते हैं, उनको  हमारी व्यक्तिगत और परिवार की सामूहिक बधाई। सभी सहकर्मी अपनी अपनी समर्था और समय के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिन्हे हम हृदय से नमन करते हैं और आभार व्यक्त करते हैं। धन्यवाद्


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