वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

26 मई 2021 का ज्ञानप्रसाद – अपने सहकर्मियों से दो आशाएं

26 मई 2021 का ज्ञानप्रसाद – अपने सहकर्मियों से दो आशाएं
हमारे सभी बच्चों और वरिष्ठ सहकर्मियों को ह्रदय से नमन,साधुवाद और अपना कार्य पूरी निष्ठां से सम्पन्न करने के लिए शाबाशी। आज के ज्ञानप्रसाद में हम आपको स्मरण कराने का प्रयास करेंगें परमपूज्य गुरुदेव का महाप्रयाण दिवस 2 जून,1990 का दिन। वर्ष 1990 की गायत्री जयंती 2 जून को थी लेकिन इस वर्ष गायत्री जयंती 21 जून को आ रही है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार से कुछ अपेक्षाएं हैं ,आशाएं हैं। पिछले वर्ष हमने गायत्री यज्ञ की तीन वीडियो अपलोड कीं – आप पूछेंगें तीन वीडियो अपलोड करने का क्या औचित्य था। इस भागदौड़ की दुनिया में हर कोई अपनी समर्था और समय को ध्यान में रख कर कार्य करता है। सबसे बड़ी वीडियो 73 मिंट की थी और सबसे छोटी 17 मिंट की थी। सबसे छोटी वाली वीडियो को 115000 लोगों ने देखा और सबसे बड़ी वाली को 22000 लोगों ने देखा। तो आप देख सकते हैं कि समय का कितना अधिक महत्व है। हमें याद है कि हमारे सहकर्मियों ने सुझाव दिया था कि अगर ज्ञानरथ में कुछ दिन कार्य बंद भी करना पड़े तो आप वीडियो पर ध्यान केंद्रित करें। उड़ीसा से हमारे बहुत ही वरिष्ठ सहकर्मी आदरणीय जसोदा सिंघानिया जी और नैरोबी अफ्रीका से आदरणीय विद्या परिहार जी का मार्गदर्शन बहुत ही काम आया था। कार्य था भी बहुत कठिन। यज्ञ के दौरान एक-एक मन्त्र के उच्चारण को समझना, उसको हिंदी में समझाना और साथ -साथ में लिखित रूप में display होना एक अद्भुत कार्य था। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज द्वारा प्रकाशित pdf पुस्तकों में से मन्त्रों के फोटो प्रिंट लेकर ,मन्त्रों के उच्चारण के साथ -साथ attach करना कोई सरल कार्य नहीं था लेकिन परमपूज्य गुरुदेव ने यह करवाना था इसलिए हो गया। अब देख कर हैरानगी होती है कि यह सब कैसे सम्भव हुआ। ऐसी ही तो होती है गुरु -शक्ति, असम्भव को सम्भव करने वाली। तो आप सभी से एक निवेदन यह है कि इन तीनो वीडियो को देख कर, अपना कर्तव्य समझ कर प्रचार-प्रसार करें ताकि 21 जून तक अधिक से अधिक लोग इन वीडियो का लाभ उठा सकें। हम इतने दिन पूर्व इस प्रयास को इसलिए कर रहे हैं कि आने वाले प्रश्नों के उत्तरों का रिप्लाई कर सकें और उस दिन कोई भी श्रद्धावान इस पावन कार्य से वंचित न रह सके। हमें पूर्ण विश्वास है कि इस तरह की complete वीडियो आपको कहीं नहीं मिलेगी। वीडियो तो और भी हैं लेकिन साथ में पुस्तक भी रखनी पड़ती है। तीनो वीडियो के लिंक तो नहीं दिए जा सकते आज 17 मिंट वाली का देते हैं।

तो दूसरा निवेदन आपसे यह है कि हमने एक और वीडियो अपलोड की थी जिसका शीर्षक था ” इस पांच मिंट की वीडियो में गुरुदेव के 100 के लगभग चित्र ” इस वीडियो को भी लगभग 10000 लोगों ने देखा था। इस बार हमारा प्रयास है कि इसमें और चित्र add करें। इसकी प्रेरणा हमारे सहकर्मी सुजाता जी ने दी है। उन्होंने आदरणीय सविंदर पल जी को सम्पर्क करके हमें 20 के लगभग चित्र भेजे हैं ,उनमें से अधिकतर हमारे पास पहले ही हैं ,लेकिन माता जी की एक पुस्तिका भेजी है जिसमें रंगीन फोटो तो हैं लेकिन लिखा उड़िया भाषा में है। हमने हिंदी अनुवाद तो कर लिया है लेकिन अभी विचार- अधीन है। सुजाता बहिन जी को हमने निवेदन किया था लेकिन उड़ीसा निवासी होने के कारण हिंदी में समस्या हो। कोई बात नहीं गुरुदेव इसका भी विकल्प निकल देंगें।
तो आप सभी से निवेदन है किआपके पास गुरुदेव की कोई भी फोटो हों ,हमें भेज दें ताकि हम गायत्री जयंती वाले दिन अपने गुरुदेव को यह वीडियो समर्पित कर सकें।

गायत्री जयंती का महत्व
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि गायत्री जयंती ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष में ग्यारहवें दिन बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। इस दिन भक्तगण विशेष श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि गुरु विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र को इस दिन सबसे पहले सर्वसाधारण अर्थात् आम जनता के लिए बोला था और उसके बाद भक्तगण इसका अनुसरण करते है।
गुरु विश्वामित्र के बोले जाने के पश्चात इस पवित्र एकादशी को गायत्री जयंती के रूप में हर साल मनाया जाने लगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार ऐसा भी कहा जाता है कि इसे श्रावण पूर्णिमा के समय भी मनाना बहुत ही शुभ माना जाता है। यही नहीं अपितु ऐसा कहा जाता है कि सभी प्रकार के चारों वेद, पुराण, श्रुतियाँ भी सभी गायत्री से ही उत्पन्न हुए हैं, और इसी कारण इन्हें वेदमाता की संज्ञा दी गयी है।
गायत्री जयंती की तिथि को लेकर भिन्न-भिन्न मत सामने आते हैं। कुछ स्थानों पर गंगा दशहरा और गायत्री जयंती की तिथि एक समान बताई जाती है तो कुछ इसे गंगा दशहरे से अगले दिन यानि ज्येष्ठ मास की एकादशी को मनाते हैं। वहीं श्रावण पूर्णिमा को भी गायत्री जयंती के उत्सव को मनाया जाता है। श्रावण पूर्णिमा के दिन गायत्री जयंती को अधिकतर स्थानों पर स्वीकार किया जाता है। लेकिन अधिक मास में गंगा दशहरा अधिक शुक्ल दशमी को ही मनाया जाता है जबकि गायत्री जयंती अधिक मास में नहीं मनाई जाती।
जय गुरुदेव
सूर्य भगवान की प्रथम किरण आपके आज के दिन में नया सवेरा ,नई ऊर्जा और नई उमंग लेकर आए। जय गुरुदेव परमपूज्य गुरुदेव एवं वंदनीय माता जी के श्री चरणों में समर्पित


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