Month: August 2020


  • स्वच्छता भक्ति से भी बढ़कर है -हमारे गुरुदेव के साथ

    अपने गुरुदेव के जीवन पर आधारित कई पहलुओं पर हम लेख लिखते आ रहे हैं । जन्म से लेकर महाप्रयाण तक , दुर्गम हिमालय से लेकर दक्षिण भारत के महर्षि रमण आश्रम तक ,आंवलखेड़ा से शांतिकुंज तक ,भारत से अफ्रीका तक और संरक्षण से लेकर मार्गदर्शन तक। इन सभी लेखों को लिखने की प्रेरणा गुरुदेव…

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  • गुरुदेव के जन्म के समय कुछ विलक्षण (extraordinary ) घटनाएं – पार्ट 2

    आज का लेख कल वाले लेख का दूसरा पार्ट  है।  कल हमने जन्म से पूर्व  गुरुदेव के माता जी की अनुभूतिआँ चित्रित की थीं।  आज  वाले लेख में जन्म के बाद वाली विलक्षणताओं  का चित्रण है।  तो चलें फिर आंवलखेड़ा की  पावन भूमि की दिव्य हवेली में जिस में उस महान आत्मा ने जन्म लिया…

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  • गुरुदेव के जन्म के समय कुछ विलक्षण (extraordinary ) घटनाएं – पार्ट 1

    आज का लेख केवल दो पन्नों का है। यह पार्ट 1 है और पार्ट 2 कल प्रस्तुत किया जायेगा।इस पार्ट 1 में गुरुदेव के जन्म के पूर्व उनकी माता जी , आदरणीय दानकुंवरि देवी जी के साथ कुछ विलक्षण घटनाएं हुई थीं। आज के लेख में उन्ही घटनाओं का चित्रण करने का प्रयास है ।…

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  • गुरुदेव को श्रीराम आचार्य से “पंडित” श्रीराम आचार्य किसने बनाया

    आज के लेख में हम बताएंगें कि हमारे परमपूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य को पंडित की उपाधि से सुशोभित किसने और कैसे किया। गुरुदेव को अधिकतर लोग श्रीराम शर्मा के नाम से जानते थे और स्वाधीनता संग्राम में गाँधी जी के साथ स्वाधीनता के मतवाले होने के कारण श्रीराम मत्त के नाम से जाना…

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  • महर्षि रमण के साथ गुरुदेव की अकेले में भेंट-अंतिम ,पार्ट 3

    इन लेखों की कड़ी के पार्ट 2 में हम आपको गुरुदेव और रमण महर्षि के बीच संक्षिप्त वार्ता बता रहे थे।तो आओ चलें पार्ट 3 की ओर लगभग साढ़े आठ बजे गुरुदेव और आगुन्तकों के साथ रमण महर्षि की कुटिया के बाहर बैठे प्रतीक्षा कर रहे थे। महर्षि आये सभी ने अभिवादन किया। प्रणाम आदि…

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  • तमिलनाडु स्थित अरुणाचलम में रमण महर्षि के सानिध्य में गुरुदेव- Part 2

    जैसा कि हमने इन लेखों की कड़ी को जोड़ने की बात की थी आज का लेख गुरुदेव का रमण आश्रम और अरुणाचल में प्रवेश पर आधारित है। गुरुदेव के पास तो दिव्य दृष्टि थी उन्होंने 2000 किलोमीटर से सब कुछ देख लिया था और जैसा देखा वैसा ही पाया । हम इतने भाग्यशाली तोहैं नहीं…

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  • तमिलनाडु स्थित अरुणाचलम में महर्षि रमण के सानिध्य में गुरुदेव -Part 1

    आज का लेख आरम्भ करने से पूर्व हम अपने सहकर्मियों को कहना चाहते हैं कि अगले कुछ लेखों की कड़ी एक दूसरे के साथ बिल्कुल माला के मोतियों की तरह जुडी हुई होगी। हम इन सभी कड़ियों (अंकों ) को एक के बाद एक आप के समक्ष प्रस्तुत करते जायेंगें लेकिन आपसे यह अनुरोध करेंगें…

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  • अग्नि से अग्नि उठेगी

    आज का लेख बहुत ही भावनात्मक और प्रेरणा से भरपूर है। यह इसलिए है कि हमारे परमपूज्य गुरुदेव की दिव्य उँगलियों से उनके मार्गदर्शक के निर्देश पर लिखे हुए लेखों में से चुन कर यह लेख आपके समक्ष प्रस्तुत है। यह लेख अखंड ज्योति 1962 के जनवरी अंक में से लिया गया हुआ है। लेख…

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  • हमारे उत्तराधिकारी कौन हों ?

    अखंड ज्योति पत्रिका का दिसंबर 1964 वाला अंक अति ध्यान से पढ़ने वाला है। हमारा आज का लेख इसी अंक पर आधारित है। इस अंक की विशेषता यह है कि 1964 वाला वर्ष अखंड ज्योति पत्रिका का रजत जयंती ( silver jubilee ) वर्ष है। यह पत्रिका 25 वर्ष पूर्ण करके गोल्डन जुबली वर्ष में…

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  • हमारे गुरुदेव के कुछ अनुकरणीय सन्देश – उनकी पुस्तकों से

    बच्चे अपने माँ बाप से बहुत कुछ चाहते हैं अच्छे कपडे ,अच्छे जूते, अच्छा खाना ,अच्छे खिलोने , अच्छा बिस्तर ,अच्छा घर इत्यादि इत्यादि -the list goes on and on। यह बात तो अटल सत्य है ,हर कोई इसको मानता भी है और सदियों से इसको निभा भी रहा है। पर माँ बाप बच्चों से…

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