Month: July 2025
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मथुरा से विदाई के समय परम पूज्य गुरुदेव के संदेश, “एक और अदभुत लेख”
31 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद अप्रैल 1971 की अखंड ज्योति में एक लेख प्रकाशित हुआ था जिसका शीर्षक “विदाई सम्मेलनों के लिए आमंत्रण और प्रतिबंध” था। “अपनों से अपनी बात” की अति लोकप्रिय श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित हुए इस लेख को आधार बनाकर ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से दो छोटे-छोटे लेख पहले ही
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हमारे अज्ञातवास से गुरुदेव ने खींच कर ज्ञानप्रसाद लिखने को कहा
29 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद हम अपने साथिओं को अवगत करते आ रहे हैं, अपडेट करते आ रहे हैं कि क्रूज पर इंटरनेट की स्थिति कुछ विश्वसनीय नहीं है, बेटे ने 1000 डॉलर देकर एक पैकेज ख़रीदा तो है लेकिन कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर भी हमारे प्रयास से आज का छोटा सा ज्ञानप्रसाद
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“सुझाव बहिन सुमनलता जी का प्रयास हमारा”-हमारा 10 दिवसीय अज्ञातवास
आज जुलाई माह का अंतिम शनिवार है, हमारी आदरणीय बहिन सुमनलता जी के सुझाव एवं साथियों की स्वीकृति से जन्में इस अंक को लेकर हम आपके न्यायालय में उपस्थित हो चुके हैं। हर बार लिखते हैं कि हम कोई लेखक नहीं हैं, त्रुटियां होना स्वाभाविक है। हृदय में जो भी विचार उठते हैं उन्हें शब्दों
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धरती पर स्वर्ग का अवतरण कैसे विश्वसनीय है ?
24 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद अपने साथिओं से क्षमाप्रार्थी हैं कि आज का लेख,कल वाले लेख का भाग 2 न होकर एक Independent लेख है। लेख के शीर्षक बता रहा है कि गुरुदेव की “धरती पर स्वर्ग के अवतरण” की आशा एवं हमारा अनुसन्धान प्रयास इस दिशा में कितने विश्वसनीय हैं। लेख का अंत “एक
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ईश्वरेच्छा ही युग परिवर्तन का प्रबल कारण है-भाग 1
23 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद “नवयुग का अवतरण सुनिश्चित है और सन्निकट” शीर्षक से प्रकाशित अखंड ज्योति मई 1972 के दिव्य लेख को समझने के लिए हमने पिछले दो दिन पृष्ठभूमि का अध्ययन किया। दो भागों में प्रस्तुत होने वाले पहले भाग के ज्ञानप्रसाद में युग परिवर्तन में ईश्वर की इच्छा को माना गया है।
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उदाहरणों सहित युगसंधि एवं युगपरिवर्तन के कुछ प्रतक्ष्य लक्षण
22 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद कल वाले लेख की भांति आज भी अपने साथिओं से क्षमाप्रार्थी हैं कि युगसंधि,युग परिवर्तन, नवयुग, विचार क्रांति आदि विषयों से सम्बंधित ऑनलाइन जितना साहित्य एवं उदाहरण उपलब्ध हैं,उन्हें प्रस्तुत करना कोई सरल कार्य नहीं है, सिर चकराने जैसी स्थिति आना स्वाभाविक है। परम पूज्य गुरुदेव के संरक्षण में जितनी
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आने वाले लेखों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
21 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य से अवतरित हुई ज्ञानगंगा में दिव्य स्नान कर रहे सभी साथियों का अभिवादन। अखंड ज्योति मई 1972 वाले अंक में एक लेख प्रकाशित हुआ जिसका शीर्षक था “नवयुग का अवतरण सुनिश्चित है और सन्निकट”, इस लेख का शीर्षक जितना आकर्षक था उससे कहीं आकर्षक इसमें
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आत्मबल को प्रखर करने के सरल उपाय
17 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद आत्मबल का विषय कठिन,जटिल होने के बावजूद इतना रोचक है कि यदि सारा जीवन भी विषय का अध्यन करते रहें तो भी अनंत ही प्रतीत होता है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के ही मंच से इस विषय को बार-बार दोहराया गया है। मार्च 2025 में ही आत्मबल के विषय पर
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आत्मबोध (स्वयं को जानना) की अति सरल चर्चा
16 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद- अखंड ज्योति मई 1972 पिछले दो दिन से शरीर,मन और आत्मा के विषय पर चर्चा चल रही है, अनेकों उदाहरण दिए गए हैं,यथासंभव सरलीकरण का भी प्रयास किया गया है, साथिओं का सहयोग भी मिल रहा है, इस सामूहिक प्रयास का ही रिजल्ट है कि Step by step, एक एक
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दिल तो बच्चा है जी
15 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद- अखंड ज्योति मई 1972 कल आरम्भ हुई “शरीर और मन” की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए आज का लेख,अंतिम पंक्तियों में “आत्मा” की बात कर रहा है। आज तो “आत्मा की बात” केवल सरसरी तौर से ही की गयी है,कल इसकी विस्तृत चर्चा की योजना है। आज के लेख में
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स्वयं को पहिचानें
14 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद-अखंड ज्योति मई 1972 हमारे साथी जानते हैं कि आजकल चल रही लेख श्रृंखला में वंदनीय माता जी के मुखारविंद से परम पूज्य गुरुदेव के सन्देश/निर्देश हम सब तक पंहुच रहे हैं। मई 1972 की अखंड ज्योति में इस विषय को कवर करते हुए भांति भांति के लेख प्रकाशित हुए, सभी
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विश्व ब्रह्मांड में सतगुरू समान कोई नहीं-गुरु पूर्णिमा के लिए सरविन्द कुमार पाल जी के श्रद्धासुमन
9 जुलाई 2025 का दिव्य ज्ञानप्रसाद आज की भूमिका आरम्भ करने से पहले ही आद सरविन्द जी से करबद्ध क्षमाप्रार्थी हैं की उन्होंने यह श्रद्धासुमन पिछले वर्ष भी गुरुचरणों में भेंट किये थे लेकिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के नियत टाईमटेबल में फिट न होने के कारण इनका प्रकाशन संभव न हो पाया। इस बार
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गुरुपूर्णिमा को समर्पित एक अद्भुत लेख
8 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद-अखंड ज्योति मई 1972 शब्द सीमा के वशीभूत आज का ज्ञानप्रसाद लेख बिना किसी भूमिका के आरम्भ हो रहा है, लेकिन इतना तो कह ही दें कि कैसा संयोग है कि गुरुपूर्णिमा के दिनों में गुरु-शिष्य सम्बंधित लेख प्रस्तुत हो रहा है। ****************** गुरु और शिष्य मिलकर एक दूसरे का सहयोग
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प्रगति और सफलता के लिए “सहयोग” का योगदान
7 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद हमारे साथी भलीभांति जानते हैं कि आजकल हम वंदनीय माता जी के मुखारविंद से उस शिक्षा का अमृतपान कर रहे हैं जिसे परम पूज्य गुरुदेव ने उस समय बताया था जब गुरुवर अपनी हिमालय यात्रा को छोड़कर माता जी के हार्ट अटैक के कारण शांतिकुंज आये थे। साथी यह
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“अपने सहकर्मियों की कलम से” का 5 जुलाई 2025 शनिवार का अंक
हर बार की भांति आज के विशेषांक का भी इन्हीं शब्दों से शुभारम्भ कर रहे हैं कि “हम कोई लेखक नहीं हैं” जैसे-जैसे, जो-जो विचार मन में उठ रहे हैं, बिना किसी शब्दावली आदि की चिंता किये लिखे ही जा रहे हैं क्योंकि विश्वास है कि यदि कोई त्रुटि हो भी गयी तो हमारे परमप्रिय
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उपासना की सफलता, साधना पर निर्भर है-2
3 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद-अखंड ज्योति मई 1972 शब्दसीमा का प्रतिबंध आज सीधा लेख की ओर जाने का निर्देश दे रहा है। ********************* उपासना से पाप नष्ट होने का वास्तविक अर्थ यह है कि ऐसा व्यक्ति जीवन साधना के प्रथम चरण (साधना) का परिपालन करते हुए दुर्भावनाओं और दुष्प्रवृत्तियों के दुष्परिणाम समझ चुका है और
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उपासना की सफलता साधना पर निर्भर है-1
2 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद–अखंड ज्योति मई 1972 आज के लेख की चर्चा इतनी अधिक है कि बार-बार अनेकों प्लेटफॉर्मस पर इस विषय को समझने/समझाने का प्रयास किया जाता रहा है, अनेकों को समझ आती है लाभ भी होता है लेकिन ऐसे साधकों की संख्या भी कम नहीं है जो इंस्टेंट लाभ की तलाश में