वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

सोमवार  से आरम्भ हो रही लेख श्रृंखला की पृष्ठभूमि। 

18 मई 2023 का ज्ञानप्रसाद

जैसा कि पाठकों को शीर्षक से आईडिया हो ही गया होगा कि सोमवार से हम एक नई ज्ञानप्रसाद लेख शृंखला का आरम्भ कर रहे हैं जो अपनेआप में ज्ञान का एक  भंडार तो है ही लेकिन रोचकता की दृष्टि से देखा जाए, शायद ही हम शब्दों में वर्णन कर सकें। क्या है यह ज्ञान का भंडार और क्यों है इतना रोचक, इस विषय पर चर्चा करने से पूर्व अगर हम अपने  विलक्षण प्रयोग पर कुछ न कहें तो अनुचित ही होगा। 

हम उस प्रयोग की बात कर रहे हैं जो हमने सोमवार को आरम्भ किया और आप तक इस लेख के पहुँचने तक समापन होने की सम्भावना है।  हमारी तरफ से तो यह प्रयोग (Experiment) इस ज्ञानप्रसाद के बाद बंद ही समझा जायेगा लेकिन पाठकों, दर्शकों ,सहकर्मियों,साथियों ,सहपाठियों ,गुरुकुल विद्यार्थिओं  के लिए सदैव खुला रहेगा। दो घंटे से भी अधिक अवधि की तीन वीडियोस, 800वां ज्ञानप्रसाद  लेख और सुप्रसिद्ध मूवी  दो आँखें बारह हाथ का ब्लैक एंड व्हाइट प्रज्ञा गीत हमारी वेबसाइट पर सदैव उपलब्ध रहेगा। अपनी सुविधानुसार आप जब भी चाहें  हमारी वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। 

भांति भांति के प्रयोग करना हमारी hobby है ,वैज्ञानिक जी ठहरे, वोह भी कई दशकों के अनुभव वाले वैज्ञानिक। अपने घर में ही प्रयोगशाला बनाये बैठे हैं और आप जैसे समर्पित पाठकों पर  भांति भांति के प्रयोग किये जा रहे हैं। जो भी प्रयोग किये, उनसे जो भी परिणाम निकले, जो भी धारणाएं बनी आपके समक्ष प्रस्तुत कीं, आपकी स्वीकृति की स्टैम्प लगवाई और गुरु चरणों में शीश नवाते, श्रद्धा सुमन भेंट करते,चल पड़े आगे की ओर, एक और नए प्रयोग पथ पर।  परम पूज्य गुरुदेव-वन्दनीय माता जी तो हमारे पथ प्रदर्शक  तो हैं हीं लेकिन आपके सहयोग के बिना  कुछ भी संभव नहीं है। 

ज्ञानप्रसाद लेखों की रोचकता और लोकप्रियता का प्रतक्ष्य प्रमाण है कि हमारे कहने के बावजूद कि अगले 1-2 दिन कोई ज्ञानप्रसाद पोस्ट नहीं होगा, व्हाट्सप्प पर लगातार मैसेज आते रहे कि ज्ञानप्रसाद क्यों नहीं आ रहा। हमने तो मज़ाक में कुछ एक साथियों को लिख भी दिया था कि आपने हमारा 800वां लेख पढ़ना तो दूर, देखा भी नहीं। अगर देखा होता तो यह प्रश्न न करते। हमें यह सभी  मैसेज देख कर ज़रा सा भी आश्चर्य नहीं हुआ था क्योंकि इसकी पहले  से ही आशा थी। कई साथियों ने शायद सोचा होगा कि हम ऐसा गंभीरता से लिख रहे हैं लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है, व्यंग-विनोद भी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है और आप तो हमारे अपने ठहरे, हमारे दिल के करीब। 

ज्ञानप्रसाद लेख एक मानसिक तृप्ति का साधन हैं, मानसिक भोजन हैं ; इस तथ्य को हमारी आदरणीय बहिन कुसुम त्रिपाठी जी का मैसेज प्रमाणित कर रहा है जब उन्होंने लिखा “कृपा करके कुछ भेजें, मन बहुत ही बैचैन है। पुस्तकों में अनेकों बार पढ़ चुकें हैं “गुरुदेव का साहित्य संजीवनी बूटी है” आज यह प्रतक्ष्य देख रहे हैं। यही कारण है कि हम इस प्राणदेई संजीवनी बूटी का, प्यास तृप्त करने वाले इस अमृतरुपी गंगाजल का अनादर सहन नहीं कर पाते। बहुत ही प्रसन्नता होती है जब आप जैसे समर्पित साथी हमारे आग्रह का सम्मान करते हुए  गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और निष्ठा प्रकट करते हैं। जिस प्रकार आपने हमारे प्रयोग को सफल करने में सहयोग दिया,  सभी के प्रति ह्रदय से आभार व्यक्त करते हैं। रेणु श्रीवास्तव, अरुण वर्मा, निशा भारद्वाज, प्रेरणा बिटिया, विदुषी बंता, संध्या कुमार और चंद्रेश बहादुर  जी ने जितना परिश्रम किया उसके लिए धन्यवाद् शब्द बहुत ही छोटा है। चंद्रेश जी ने प्रश्न पत्र की  कठिनता पर भी चर्चा  की लेकिन यह विषय  कठिनता से बढ़कर  Time-demanding अधिक था। अपनी पारिवारिक व्यस्तता को निभाते हुए  3-4 घंटे का समय निकाल पाना कोई आसान कार्य नहीं है। 1200 के मुकाबले में 322 कमैंट्स बहुत थोड़े लग रहे हैं लेकिन दो में से एक ही बात हो सकती थी,  यां  तो वीडियो देखें ,समझें और यां कमेंट करें।  लेकिन गुरुदेव ने रेणु श्रीवास्तव बहिन जी से यह असाधारण कार्य भी करवा लिया, उन्होंने part by part इतने विस्तृत कमेंट किये कि हम नमन किये बिना नहीं रह सकते। बहिन जी ने एक ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है जिसे ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के इतिहास में सदैव स्मरण किया जायेगा।  यह एक ऐसा कीर्तिमान है जो हम सबको सदैव  प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।

इस प्रयोग में एक ऐसा वर्ग भी था जिसने कमेंट करके ज्ञानप्रसार-प्रचार  की प्रणाली का प्रयोग तो नहीं किया लेकिन प्रतक्ष्य face to face चर्चा करते हुए समझने और समझाने का प्रयास किया। हमारी समझ-शक्ति ( जी हाँ समझ-शक्ति ) तो अनेकों ऐसे साथी pinpoint कर रही है लेकिन हमारी जीवनसंगिनी आदरणीय नीरा जी भी ऐसों की category में आ रही हैं।  पिछले तीन दिनों से लगातार  प्रतिदिन मंगलवेला में हैडफ़ोन लगाकर इन वीडियोस को देखती आ रही हैं, वीडियोस के  एक-एक अनमोल क्षण को अंतरात्मा में उतार रही है, जहाँ कहीं भी ज़रा सी भी शंका लगी एक समर्पित विद्यार्थी की भांति हमसे clarification भी मांग रही हैं।  काश हम आपको अपने घर का वातावरण चित्रित कर पाते। इतने बड़े घर में हम दोनों ही होते हैं। बेटी और बहु तो सुबह ही काम पर चले जाते हैं, स्वाध्याय और प्रज्ञागीतों से  गुंजायमान होता  घर पूर्णतया शांतिकुंज का ही प्रारूप होता है। हमारे साथियों को स्मरण  होगा कि हमने उगते हुए सूर्य भगवान के साथ इस घर की  शांतिकुंज से कैसे तुलना की थी।

तो overall हम यही कहेंगें कि हमारा-आपका  प्रयोग पूर्णतया सफल रहा और आप सभी इस सफलता के लिए बधाई के पात्र हैं। आप हैं तो हम हैं -आइए और अधिक समर्पण और ऊर्जा के साथ गुरु के प्रति कर्तव्यनिष्ठ हो जाएँ। 

इस चर्चा को यहीं पर समाप्त करते हुए आइए  सोमवार से आरम्भ होने वाली लेख शृंखला की संक्षिप्त बात कर लें। 

पिछले लगभग दो माह से हम एक पुस्तक का अध्ययन कर रहे हैं जिसका शीर्षक है “पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य दर्शन एवं दृष्टि”,  दर्शन और दृष्टि का अंग्रेजी अनुवाद होता है फिलॉसोफी और दृष्टि। 2012 में प्रकाशित हुई, मात्र 125 रूपए में उपलब्ध  यह पुस्तक, पुस्तक न होकर एक विशाल Encyclopedia है। 1911 में गुरुदेव के अवतरण से लेकर 2010 तक, उनके  100 वर्षों के  क्रियाकलापों का संकलन करना कितना जटिल होगा, आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं। हम किसी साधारण, हम जैसे इंसान की बात नहीं कर रहे हैं, बात कर रहे हैं एक  विशाल व्यक्तित्व की जिसने पांच शरीरों से काम किया। शत शत नमन है लेखक आदरणीय ब्रह्मवर्चस जी को, जिन्होंने इस पुस्तक में ऐसी ऐसी दुर्लभ बातों का वर्णन किया है जिन्हें  कहीं और ढूंढ पाना कठिन है। वह एक स्थान पर लिखते भी हैं कि इस पुस्तक में अनेकों स्थानों पर बिखरे हुए मोतियों को एकत्र करने का प्रयास किया गया है। 

क्या है इस अमूल्य पुस्तक में : 

हम कई बार कह चुके हैं कि किसी भी बात को विस्तार से कहना आसान होता है, लेकिन विस्तृत-विशाल बात को संक्षेप में कहना बहुत ही कठिन कार्य होता है। Job-interviews में एक बहुत ही कॉमन प्रश्न पूछा  जाता है,” Tell us about yourself in 2 minutes” हम जन्म के दिन से रामकहानी आरम्भ  कर देते हैं और दो मिंट भूल ही जाते हैं जब interviewer  रोक कर कहते हैं OK OK thats fine. पिछले दो महीने से हमारी यही हालत बनी हुई है। अगर हमसे कोई कहे कि युगतीर्थ शांतिकुंज के बारे में 2 पन्नों का निबंध लिखो तो शायद हमारा भी वही हाल हो जो इंटरव्यू देने वाले का था। इसलिए हम नमन कर रहे हैं इस पुस्तक के लेखक को जिन्होंने 100 वर्ष के विशाल  क्रियाकलापों  को मात्र 474 पन्नों में संकलित करके एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया। इतना ही नहीं हम जैसे पाठकों के लिए शांतिकुंज ,ब्रह्मवर्चस ,तपोभूमि मथुरा ,आंवलखेड़ा ,अखंड ज्योति संस्थान, शक्तिपीठ, ज्ञानपरीक्षा, शिविर ,अश्वमेध यज्ञ, DSVV, मीडिया विभाग ,संगीत, शांतिकुंज फिल्म्स, स्वाध्याय, आवास व्यवस्था, विदेशी गतिविधियां, गुरुदेव की हिमालय यात्राएं आदि आदि। हम तो कहेंगें कि इस पुस्तक में अनेकों ऐसी बातें जानने का अवसर प्राप्त हो सकता है जिनसे हम अनजान हैं। आने वाले दिनों में ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के प्रत्येक गुरुकुल  विद्यार्थी के  लिए एक चुनौती भरा कार्य प्रतीक्षा कर रहा है – करो य मरो जैसी स्थिति  आने वाली है। ऐसा  इसलिए है कि यदि लेख का शीर्षक है “शांतिकुंज” ,आप समझेंगें कि  इसका क्या पढ़ना है, यह तो हम पिछले 50 वर्षों से पढ़ते आए हैं लेकिन इसे नकार कर आप वो महत्वपूर्ण तथ्य miss कर देंगें जो कहीं भी उपलब्ध नहीं हैं -फिर हम तो यही कहेंगें “ढूढ़ते रह जाओगे” इसलिए गंभीरता से कह रहे हैं – लेखक के परिश्रम का सम्मान तभी हो पायेगा जब लेख का एक एक शब्द अंतःकरण में उतारा जायेगा ,यही है सच्ची श्रद्धा। 

तो हम इन पंक्तियों का  यहीं पर समापन  करते हैं और आप fasten your seat belts -we are about to  take off.

भारत में शुक्रवार को मूवी रिलीज़ होने प्रथा बहुचर्चित है, गुरुदेव के मार्गदर्शन में हमें भी शुक्रवार को ही वीडियो रिलीज़ करने की प्रेरणा मिली हुई है। History TV के सौजन्य से रिलीज़ हुई शांतिकुंज की स्वर्णजयंती को समर्पित वीडियो कल के ज्ञानप्रसाद का विषय होगा। शायद हम में से बहुतों को पता ही होगा कि History TV एक Canadian कंपनी है। 

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आज के ज्ञानप्रसाद का समापन यहीं पर होता है लेकिन 24 आहुति संकल्प सूची के बाद। इस बार यह सूची अर्थहीन लगती है लेकिन सम्मान की दृष्टि से बहुत अर्थ प्रकट कर रही है।   

आज  की  24 आहुति संकल्प सूची  में केवल 3 युगसैनिकों ने ही संकल्प पूर्ण किया है, तीनों साथी   स्वर्ण पदक विजेता घोषित हुए हैं  । 

(1)संध्या कुमार-35,(2) अरुण वर्मा-34,(3) चंद्रेश बहादुर-32                         

सभी को हमारी  व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई                              

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