राहें नई दिखा जाता -प्रज्ञा गीत
24 अप्रैल 2023 का ज्ञानप्रसाद
आज सप्ताह का प्रथम दिन सोमवार है। रविवार के अवकाश के उपरांत हमारे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार होना,एक नए उत्साह का प्राकट्य होना स्वाभाविक होता है। सभी को जानने को जिज्ञासा होती है कि आज कौन से नए विषय पर चर्चा आरम्भ होने वाली है क्योंकि प्रायः हम सोमवार को ही नया टॉपिक आरम्भ करते हैं।
आज के ज्ञानप्रसाद में जिस लेख श्रृंखला की पृष्ठभूमि पर चर्चा की जाएगी उसके सूत्रधार तो गुरुदेव ही हैं लेकिन हमारे समक्ष लाने का प्रयास सरविन्द जी का हैं। अखंड ज्योति अक्टूबर 2021 में प्रकाशित “परमपिता परमात्मा ही हैं परमानन्द के स्रोत” बहुतों ने देखा होगा, पढ़ा भी होगा लेकिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में अपनी प्रथा के अनुसार इस लेख को न केवल छोटे-छोटे भागों में, समझकर, अपने शब्दों में लिख कर प्रस्तुत किया जायेगा बल्कि कमैंट्स के माध्यम से विस्तृत चर्चा भी की जाएगी। अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण,श्रद्धा, भक्ति एवं सम्मान व्यक्त करने का इससे सरल और सटीक मार्ग कौनसा हो सकता है।
लेखों को पढ़ने और कमेंट करने को बाधित करने के पीछे हमारा जो स्वार्थ है उसका उत्तर बहुतों को प्रोफेसर भटनागर जी की वीडियो में से मिल गया होगा। हम फिर से रिपीट कर देते हैं: विचार क्रांति केवल बातों से नहीं होनी है, इसके लिए अच्छा साहित्य हमारे ह्रदय की खुराक है। हमारी ज़िम्मेवारी केवल पढ़ने की ही नहीं है, अनेकों को पढ़ाने की भी है और पढायेगें तभी जब हम स्वयं पढेंगें। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार इस कार्य में सहायता देने में कृतसंकल्पित है।
अलग-अलग लोगों के लिए परामनन्द के स्रोत अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन एक आध्यात्मिक मनुष्य के लिए ईश्वर की सत्ता,शक्ति,व्यापकता का जानना, समझना, अंतर्मन में इस प्रकार उतारना और “उसी” में मिल जाना ही परमानन्द है। अगर यह मिलन “जल में चीनी” के मिलन जैसा हो तो फिर कोई शंका/ प्रश्न रहता ही नहीं है। आने वाले 3 लेखों में इन्ही दिव्य तथ्यों की चर्चा होने की सम्भावना है।
कुछ दिन पूर्व जब हमने बेटी अनुराधा को परिवार में स्वागत करना था तो हमने सरविन्द जी को दोनों बेटियों के परिचय के लिए लिखा था। भाई साहिब ने परिश्रम करके जो विस्तृत वर्णन लिखा था हम उस दिन तो प्रकाशित न कर पाए, आज प्रयास कर रहे हैं। आज हमें सरविन्द जी के व्यक्तित्व के बारे में जानने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। कुछ दिन पूर्व स्नेहा बेटी का परिचय भी प्रकाशित किया था।
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सरविन्द पाल जी का परिचय :
45 वर्षीय सरविन्द कुमार पाल जी उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर नगर के देहात क्षेत्र के एक बहुत ही छोटे से गाँव करचुलीपुर के मूल निवासी हैं जो जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर रिंद नदी के तट पर बसा हुआ है । सरविन्द जी एक छोटे से कच्चे मकान में अपने बच्चों के साथ रहते हैं और एक साधारण किसान परिवार से हैं ; मुख्य व्यवसाय कृषि है लेकिन अलग से Ripp detergent washing powder का व्यवसाय भी करते हैं । भाई साहिब के तीन बच्चे,पिंकी पाल, अनुराधा पाल व आयुष पाल, आजकल कानपुर नगर में किराए के मकान में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। बड़ी बेटी पिंकी का बायोलॉजी में B.Sc. फाइनल हो गया है और छोटी बेटी अनुराधा B.Sc. बायोलॉजी फर्स्ट ईयर में है। आयुष ने पिछले वर्ष High school पास किया था लेकिन क्रिकेट में प्राथमिकता के कारण Cricket Coach KDMA के सानिध्य में Cricket match की तैयारी कर रहा है l
परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि से तीनों बच्चे बहुत ही संस्कारित हैं और जो भी काम करते हैं या फिर कहीं जाते हैं तो सर्वप्रथम परम पूज्य गुरुदेव को प्रणाम करते हैं और जितना संभव हो सके गायत्री महामंत्र का जाप करते हैं । तीनों बच्चों में धीरे-धीरे परम पूज्य गुरुदेव के प्रति श्रद्धा व विश्वास बढ़ रहा है । इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि बच्चों को परम पूज्य गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य भी अनवरत मिल रहा है क्योंकि मिशन में आने से पहले बच्चों ने बड़ी-बड़ी समस्याओं का सामना किया। परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से अब सब कुछ ठीक हो गया है।
सरविन्द जी से पता चला कि उनकी सभी समस्याओं का कारण उनकी गलत तरीके से की गई कमाई थी। 1999 से 2011 तक लगभग 12 वर्ष सरविन्द जी पशु चिकित्सक रहे हैं। इस जॉब में वह दवा के मूल्य से लगभग दस गुना लाभ लेते थे l कमाई तो बहुत होती थी, 4000- 5000 रुपए रोज के बन जाते थे लेकिन पता ही नही चलता था कि पैसा कहाँ जा रहा है ।
एक दिन उनके अंतःकरण से आवाज आयी कि यह कमाई, हराम की कमाई है और इसे आज से ही, अभी से ही बन्द करना होगा अन्यथा बर्बाद होने से कोई नहीं रोक पायेगा। सरविन्द जी बताते हैं कि एकदम समझ आ गया कि हमारी और हमारे परिवार की समस्या का मूल कारण यही है, अतः हमने तत्काल निर्णय लिया और पशु चिकित्सक का व्यवसाय बंद कर दिया ।
इसके बाद सरविन्द जी दूसरा व्यवसाय करने लगे जिसमें मेहनत और ईमानदारी का पैसा आने लगा, इतना पैसा जिससे परिवार की जरूरतें पूरी होने लगी, परिवार में सुख-शांति का माहौल दिखने लगा l यह व्यवसाय राजनीति था। 2009-2014 के दौरान पांच वर्ष सरविन्द जी फतेहपुर जनपद संसदीय क्षेत्र से सांसद माननीय राकेश सचान के सांसद प्रतिनिधि थे। राजनीति जैसे क्षेत्र में रहकर भी उन्होंने अपने पद की गरिमा कायम रखने का प्रयास किया। किसी का भी, कोई भी कार्य किया/ करवाया, ईमानदारी के साथ ही कराया l दलाली के नाम पर कभी किसी से एक रुपया भी नहीं लिया और न ही अपने माध्यम से किसी अधिकारी व कर्मचारी को लेने दिया, चाहे किसी भी विभाग का काम रहा हो। बिना सुविधा शुल्क (service charge) लिए सभी कार्य पारदर्शिता के साथ किए/करवाए, गलत का साथ कभी दिया ही नहीं है।
यह समय सरविन्द जी के जीवन का Turning point था जब उन्हें परम पूज्य गुरुदेव से प्रेरणा मिली । यह वोह समय था जब उन्होंने आत्मसुधार की दृष्टि से हर सम्भव प्रयास किया।
सरविन्द जी ने बताया कि उन्हें और उनके परिवार को इस प्रयास का प्रतिफल मिल रहा है, एक ऐसा प्रतिफल जिसकी हमनें कभी कल्पना भी नहीं की थी। सरविन्द जी बताते हैं कि आज वह और उनका परिवार एक संस्कारित व पवित्र परिवार बन चुका है तथा परिवार में सुख-शांति का वातावरण है, एक ऐसा वातावरण जिसकी आज महती आवश्यकता है l
तीनों बच्चे व्यवस्थित, नियमित व संयमित जीवन जीने का अभ्यास कर रहे हैं और आशा है कि परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि व ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सामूहिक आशीर्वाद से तीनों बच्चे इस परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर एक सक्रिय भूमिका निभाते हुए गिलहरी की भाँति योगदान देकर जीवन का निर्वाह करेंगे। तीनों बच्चे अखिल विश्व गायत्री परिवार से अत्यंत प्रभावित हैं और आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के माध्यम से परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी विचारों का अमृतपान करेंगे और अपने जीवन का कायाकल्प करने में प्रयास करेंगें।
सरविन्द पाल जी के ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के बारे में विचार :
आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार एक ऐसा संस्कारित व पवित्र परिवार है जिसमें हम सब की सुप्त पड़ी प्रतिभा जगायी जाती है। हमारी दोनों बेटियाँ प्रतिदिन अपना योगदान देने हेतु जुड़ चुकी हैं तथा दैनिक ज्ञानप्रसाद के अमृत तुल्य महाप्रसाद का अमृतपान करने के लिए अपना समयदान देना शुरू कर चुकी हैं। दोनों बेटियों को इस अद्भुत कदम के लिए बहुत- बहुत साधुवाद, हार्दिक शुभाशीष एवं हार्दिक बधाई हो। दोनों पर परम पूज्य गुरुदेव, वन्दनीय माता जी एवं आद्यिशक्ति जगत् जननी माँ गायत्री की असीम अनुकम्पा सदैव बरसती रहे।
परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि व आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सामूहिक आशीर्वाद का ही परिणाम है कि तीनों बच्चे ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवनयापन कर रहे हैं और नैतिकता के आधार पर बच्चे खुश तो हम दोनों भी खुश हैं l यह हमारा परम सौभाग्य है कि परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि से हमें ऐसी संस्कारित संताने मिली जो कि हमारी हर कठिनाई में हमारे साथ हैं और हमें कभी भी विचलित नहीं होने देतीं। हमेशा ही हमारा धैर्य और साहस बँधाने का प्रयास करती हैं।
परम पूज्य गुरुदेव से निवेदन है कि इसी तरह की सुसंस्कारित व पवित्र संतानें सबको दें। हम तीनों बच्चों को आध्यात्मिक जीवन जीने की शिक्षा प्रदान करना चाहते हैं। यह शिक्षा आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार से ही मिल सकती है क्योंकि यही एक उत्तम पाठशाला है जिसमें भर्ती कराकर हम अपने सपने को साकार कर सकते हैं। यही विचारधारा है जिसके आधार पर हमने दोनों बेटियों का आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में प्रवेश करा दिया है l हमें पूर्ण विश्वास है कि इस परिवार की पाठशाला में, गुरुकुल में बेटियों को आप सबका भाव भरा स्नेह व प्यार मिलेगा जो बेटियों को एक उदहारण कायम करने में सहायता करेगा। परिवार के योगदान से बेटियां युवाशक्ति के रूप में नारी जागरण अभियान का कुशल नेतृत्व करते हुए पारिवारिक सामंजस्य हेतु अपने परिवार में एक दिव्य प्रकाश फैलाने का सराहनीय व प्रशंसनीय कार्य करेंगी जिसकी आज महती आवश्यकता है l
हमने तीनों बच्चों को परम पूज्य गुरुदेव के श्री चरणों में समर्पित कर दिया है जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य अनवरत मिल रहा है l बच्चों को आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार से जुड़ना, हमारी किस्मत का पिटारा खुलना है l और इसका सम्पूर्ण श्रेय आदरणीय अरुण जी को जाता है। आज यह परिवार न होता तो हम मिशन की विस्तृत जानकारी से वंचित रहे होते l यह इसी परिवार की देन है कि हम इतना सब कुछ जान पा रहे हैं और सभी आध्यात्मिक दृष्टि से लाभान्वित भी हो रहे हैं l
आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में हमारी हर समस्या का समाधान हो सकता है क्योंकि यह ईश्वरीय शक्ति प्रदर्शन का वह प्लेटफार्म है जिसमें सुप्त प्रतिभा जगायी जाती है और आपस में मिलकर सहयोग, प्यार व सहकार का पाठ पढ़ाया जाता है l इस परिवार की ही देन है कि आज हम आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत सम्पन्न हैं l
यह पंक्तियाँ उन सभी नए, अनजान परिजनों को मार्गदर्शन देने में सहायक हो सकती हैं जो अनमने मन से इस परिवार में अपनी भागीदारी व्यक्त कर रहे हैं यां इस परिवार में शामिल होने का मन बना रहे हैं।
ज्ञानयज्ञ व सूक्ष्म हवन :
आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में स्वयं का जुड़ना, परिवार का जुड़ना, सबके हित में है क्योंकि यह परिवार अपनेआप को मांजने का सर्वोत्तम विकल्प है। इस परिवार में गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी विचारों के रूप में दैनिक उपासना, साधना व आराधना करने का सौभाग्य मिलता है, परिवारजनों द्वारा ज्ञानप्रसाद के दिव्य हवनकुंड में कमेन्ट्स व काउन्टर कमेन्ट्स के रूप में निरंतर अर्पित की जा रही विचारों की आहुति से सभी गुरुदेव का आशीर्वाद, स्नेह एवं प्रेम प्राप्त करते हैं। परिवार में इसे “ज्ञानयज्ञ व सूक्ष्म हवन” के नाम से जाना जाता है l आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार जैसा परिवार किसी भाग्यशाली को ही प्राप्त होता है क्योंकि यह परिवार गुरुदेव के सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य के कवच से सुरक्षित है l परम पूज्य गुरुदेव साक्षात महाकाल हैं और उनके द्वारा प्रदान किये गए सुरक्षा चक्र के कारण कभी भी किसी का अमंगल नहीं हो सकता है, ऐसा हम सबका अटूट विश्वास है।
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 7 युगसैनिक ही पूर्णाहुति प्रदान कर सके। चद्रेश जी को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया जाता है।
(1) चंद्रेश बहादुर-31,(2)संध्या कुमार-26 ,(3) सरविन्द पाल-25,(4) पुष्पा सिंह-25,(5) वंदना कुमार-28,(6) मंजू मिश्रा-24,(7) पूनम कुमारी-24 सभी विजेताओं को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई।