वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

15  अप्रैल , 2023,अपने सहकर्मियों की कलम से, आयुष, रामनारायण कौरव जी, राजकुमारी कौरव जी , राहुल आचार्य जी , पूनम कुमारी जी  एवं सुमन लता जी  का योगदान 

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15  अप्रैल , 2023,अपने सहकर्मियों की कलम से, आयुष, रामनारायण कौरव जी, राजकुमारी कौरव जी , राहुल आचार्य जी , पूनम कुमारी जी  एवं सुमन लता जी  का योगदान 

सप्ताह  का सबसे लोकप्रिय सेगमेंट “अपने सहकर्मियों की कलम से” लेकर हम अपने समर्पित सहकर्मियों के बीच आ चुके हैं, इसे लोकप्रिय बनाने में सहयोग देने के लिए आपका जितना भी धन्यवाद् करें कम है।अपने सहकर्मियों  द्वारा पोस्ट की गयीं सभी contributions  ही हैं जिन्होंने इस स्पेशल सेगमेंट को  “सबसे  लोकप्रिय” की संज्ञा देने में योगदान दिया है। हमारा तो सदैव यही उद्देश्य रहा है कि इस छोटे से समर्पित परिवार के  समस्त योगदान एक dialogue की भांति हों, एक वार्तालाप की भांति हों ताकि एक “संपर्क साधना”, communication process, के द्वारा इसे lively बनाया  जाए। थोड़े से प्रयास से ही हमें जो  सफलता प्राप्त हुई है उसे आप स्वयं ही देख रहे हैं। परम पूज्य गुरुदेव से प्रार्थना करते हैं कि अपनी अनुकम्पा सदैव हम पर बरसाते रहें ताकि हम और भी अधिक प्रगति कर सकें। आज तक की प्रगति का श्रेय हम अपने गुरु को देते हैं जिन्होंने आप जैसी दिव्य आत्माओं को, हीरों को  चुन-चुन कर हम जैसे निर्धन की झोली में डाल दिया और हम इन हीरों को एक समर्पण की माला में पिरोने में सदैव  प्रयासरत रहते हैं। हमें तो  बार-बार सन्देश मिलते रहे कि आपका काम पोस्ट करना है, कोई पढ़े या न पढ़े ,कोई देखे या न देखे , कोई सुने या न सुने, यह track करना असम्भव है, लेकिन हमारे गुरु ने इस असम्भव को संभव कर दिखाया। आज की परिस्थिति ऐसी है कि छोटे से छोटा कमेंट, छोटे से छोटा योगदान भी हमारी दृष्टि से, अंतःकरण से ओझल नहीं हो सकता। 

यह स्पेशल सेगमेंट भारतीय समय को base मानते हुए शनिवार की ब्रह्मवेला में प्रस्तुत किया जाता है।  जब अधिकतर लोग इस समय  गूढ़ निद्रा का आनंद ले रहे होते हैं, ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के समर्पित साथी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे होते हैं। प्रतीक्षा की बात हम इतने विश्वास से  इसलिए कह रहे हैं  कि अगर लिखते-लिखते कुछ सेकंड  लेट हो जाये तो हमें मैसेज आने आरम्भ हो जाते हैं। यही श्रद्धा हमसे क्या कुछ करवा लेती है, हम कह पाने में असमर्थ हैं।

पिछले कुछ दिनों में हमारे सहकर्मियों की उत्सुकता के उदहारण नार्मल से कुछ अधिक देखने को मिले।  कारण केवल एक ही था -हम इतने सतर्क नहीं थे जितना हमें होना चाहिए था। एक दो बार तो शुभरात्रि सन्देश ही मस्तिष्क में से निकल गया। आदरणीय सुमन लता बहिन और रेणु श्रीवास्तव बहिन जी ने एकदम मैसेज करके याद कराया, हमने उसी समय पोस्ट तो कर ही दिया लेकिन क्षमा प्रार्थी जैसे शब्दों से चापलूसी भी कर डाली, अपनेआप को डांट  भी दिया कि ऐसा बहाना आगे से नहीं सहन किया जायेगा। हमारी धर्मपत्नी नीरा जी हमसे अक्सर पूछ लेती हैं “आज शुभरात्रि सन्देश पोस्ट हो गया क्या ?” खैर  जो भी हो हम अपनेआप को अनुशासित करने का पूर्ण प्रयास करेंगें, विश्वास कीजिये।    

आज के इस स्पेशल सेगमेंट में आयुष ( सरविन्द पाल जी  के सुपुत्र),पति-पत्नी जोड़ी- रामनारायण कौरव जी, राजकुमारी कौरव जी , राहुल आचार्य भाई साहिब , पूनम कुमारी जी(संजना बेटी के मम्मी)  एवं हमारी आदरणीय बहिन  सुमन लता जी के योगदान से  सुशोभित हो रहा है। राजकुमारी बहिन जी हमें बड़े भाई कहकर सम्बोधित करती हैं, बहुत अच्छा लगता है। हमने सारे योगदान ढाई मिंट की वीडियो में समेटने का प्रयास किया है। 

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के स्तम्भ “शिष्टाचार, आदर, सम्मान, श्रद्धा, समर्पण, सहकारिता, सहानुभूति, सद्भावना, अनुशासन, निष्ठा, विश्वास, आस्था, प्रेम, स्नेह, नियमितता,शालीनता” जिनका पालन करना हम सबका परम कर्तव्य है, हमें एक समर्पित  परिवार की भांति जोड़े हुए है। आज हम ऑनलाइन के युग में रह रहे हैं, एक-एक इंसान ने अनेकों व्हाट्सअप ग्रुप, फेसबुक ग्रुप, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि के कितने ही ग्रुप बनाये हुए हैं, कईयों को तो यह भी नहीं मालूम कि यह मेंबर मेरे ग्रुप में है भी कि नहीं,रोज़ नए ग्रुप बनते हैं, पुराने टूटते हैं, भागदौड़ का ज़माना है। लेकिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में एक uniqueness क्रिएट करने का प्रयास है, जो औरों से अलग हो, जहाँ अपने गुरु के प्रति समर्पण हो ,उनके लिए निष्ठापूर्वक कुछ करने की ज्वाला भड़क रही हो, दिखावा बिल्कुल न हो – शायद यही बातें हम सबको एक माला में पिरोये  हैं।

एक-एक साथी के योगदान  का विवरण और उद्देश्य प्रकाशित करते हुए हमें जो आंतरिक प्रसन्नता होती  है उसे केवल हम ही अनुभव कर सकते हैं  -गूंगे का गुड़ जो ठहरा।

हम इस  तथ्य से भलीभांति परिचित हैं कि परिवार, (विशेष तौर से संयुक्त परिवार) में से कुछ निश्चित समय निकाल पाना कितना कठिन है। हमारी  बहिनों से कई बार फ़ोन पर बात से, व्हाट्सअप मैसेज से, इस तरह की जानकारी मिली है लेकिन रेणु श्रीवास्तव ,सुमनलता ,अरुण वर्मा, संजना बेटी एवं अन्य कइयों ने इस कार्य को भी इतना सरल कर दिया है कि  क्या कहें। उनके कमैंट्स ही सारे लेख को बयान कर डालते हैं। कल वाली शांतिकुंज की वीडियो को कौन नहीं जानता, यही जानकारी कितनी बार पहले भी पोस्ट हो चुकी होगी  लेकिन रेणु बहिन जी का कमेंट इस HD वीडियो से भी अधिक वर्णन कर रहा है। अगर कोई ऐसा परिजन जिसे शांतिकुंज के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है और वह शांतिकुंज जाना चाहता है तो इस कमेंट से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता। बहुत बहुत धन्यवाद् बहिन जी। इसी तरह सुमन लता बहिन जी का एक कमेंट आपके समक्ष रख रहे हैं जिससे आपको ऐसी दुर्लभ  जानकारी मिल रही जिसे compile करने के लिए हम जैसे अनगढ़ लेखक को कितनी ही रिसर्च करनी  पड़ती। यह कमेंट बहिन जी ने निर्झर बेटे के गुरुकुल को देखने के बाद लिखा था।  हमारे पाठकों को स्मरण आ गया होगा कि निर्झर हमारी स्नेहा बेटी का बेटा  है। बहिन जी ने लिखा है कि “ गुरुकुल की इतनी यादें हैं कि लिखना आरंभ करें तो एक पुस्तक लिखी जा सकती है।” लेकिन हमारी ओर से open invitation है कि इस विषय पर और अधिक जानकारी सार्वजानिक करें, हमें तो व्यक्तिगत लाभ होगा ही, और पाठकों के लिए भी यह जानकारी रोचक होगी। गुरुकुल का अर्थ पुरातन प्रथा की ओर न जाकर, अपनी लुप्त हो रही परम्परा को जीवित करना है।  अभी कल की ही बात है भारत की किसी  यूनिवर्सिटी में convocation पर विद्यार्थीओं को अंगेज़ी ड्रेस को नकार कर शुद्ध भारतीय भेष भूषा  में डिग्रियां प्रदान की गयीं। यही है नवीन  भारत। 

आज का स्पेशल सेगमेंट केवल ढाई मिंट की वीडियो है जिसमें सभी के योगदान को जानकारी के साथ चित्रित करने का प्रयास किया गया है , बैकग्राउंड में चल रहा गायत्री मन्त्र आपके ह्रदय को अवश्य ही छू लेगा। 

सुमन लता बहिन जी का कमेंट : 

परमगुरुसत्ता को प्रातःकाल का नमन।OGGP के सभी परिजन पाठकों का सूर्योदय कालीन अभिवादन।आपने आज गुरुकुल प्रणाली के लिंक को भेज कर हमारी बचपन की यादों को पुनः ताजा कर दिया।गुरुकुल कांगड़ी ,जो विश्वविद्यालय है,उसके परिसर की जीवन शैली से हम भलीभांति परिचित हैं।हमने उस प्रकार के दिव्य, संयमित ,और अनुशासनबद्ध वातावरण में ही अपना प्रारंभ का जीवन बिताया था। यहां जिस गुरुकुल का कार्यक्रम दिखाया जा रहा है वो शायद उसी गुरुकुल कांगड़ी से संबद्ध है क्योंकि इस प्रकार के कार्यक्रम हमने अनेक बार वहां देखे हैं।स्वामी दयानंद सरस्वती जी के समर्पित शिष्य स्वामी श्रद्धानंद जी ने इसे कांगड़ी गांव में आरंभ किया था जो गंगा पार हुआ करता था।  बरसात के समय पानी बढ़ जाने के कारण विद्यालय को भी क्षति पहुंचती थी इसलिए  उन्होंने हरिद्वार क्षेत्र में जमीन लेकर इसे वहां स्थापित किया जो आज विश्वविद्यालय है । गुरुदेव ने भी देवभूमि हरिद्वार में शान्तिकुञ्ज बनाया है।गुरुकुल कांगड़ी में पहले केवल छात्रों को ही शिक्षा दी जा रही थी। वोह समय सह-शिक्षा का नहीं था। स्वामी श्रद्धानंद जी के स्वर्ग गमन के पश्चात गुरुकुल का कार्य उनके सुपुत्र इंद्र विद्या वाचस्पति जी ने संभाल लिया।तब देश के कुछ राज्यों में कन्याओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से कन्या गुरुकुल खोले गए। देहरादून, झज्जर(हरियाणा),नरेला दिल्ली आदि के नाम हमें याद है। इन सभी कन्या गुरुकुलों का संचालन गुरुकुल कांगड़ी से ही होता था। केवल मात्र स्नातकोत्तर परीक्षा ही गुरुकुल कांगड़ी में सामूहिक रूप से होती थी।अब तो वहां भी सहशिक्षा आरंभ हो गई है। गुरुकुल का नाम आते ही पूरा समय एक फिल्म की भांति आंखों के सामने घूम जाता है। इस वीडियो में जो संगोष्ठी दिखाई जा रही है ,ऐसी संगोष्ठियां  हमें अपने आरंभिक जीवन की याद दिलाती हैं। वहां जब दीक्षांत समारोह होता था तो वो चार दिन तक चलता था ,जिससे जलसा कहते थे तब।उसमें विडिओ में दिखाए जा रहे कार्यक्रम निरंतर  होते रहते थे । अब हम अपनी बात समाप्त करते हैं ,क्योंकि गुरुकुल की इतनी यादें हैं कि लिखना आरंभ करें तो एक पुस्तक लिखी जा सकती है। अपने सहयोगियों से क्षमा प्रार्थी हैं।

एक निवेदन : 

वीडियो के सम्बन्ध में “एक निवेदन” करना चाहेंगें, निवेदन तो पहले भी क्या था लेकिन शायद नकार दिया गया क्योंकि अगर ऐसा न होता तो यह समस्या अब न आयी होती। वीडियो में पूनम जी द्वारा भेजी गयी फोटोज को ध्यान से देखने की आवश्यकता है। गायत्री माता वाली फोटो Horizontal होने के कारण पूरे स्क्रीन पर आ रही है जबकि अन्य तीन फोटो लेते समय फ़ोन vertical पकड़ा हुआ था और इतनी छोटी फोटो हैं कि  ज़ूम किये बिना पहचानना संभव नहीं है। ज़ूम करने से फोटो blurr हो जाती है।  और कोई चाहे कुछ  भी कहे, Rule of Thumb यही है कि फ़ोन  हमेशा ही Horizontal पकड़ा जाए और वीडियो लेते समय vibration इतनी कम हो कि शायद सांस भी रोकना पड़े। 

आशा है हमारे निवेदन का सम्मान करते हुए इस विषय को गंभीरता से लिया जायेगा क्योंकि Take it easy, who cares, क्या फर्क पड़ता है जैसे बातों से हमारा दूर ही रहना उचित है।     

इन्ही शब्दों के साथ आज के इस स्पेशल सेगेमेंट का समापन करते है और प्रस्तुत है संकल्प सूची। हमारे अनेकों सहकर्मियों ने यूट्यूब की समस्या की जानकारी दी, जिस पर किसी का भी कोई कण्ट्रोल नहीं है। 

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आज की 24 आहुति संकल्प सूची : 

आज के  24 आहुति संकल्प में 8  युगसैनिकों की भागीदारी रही है।आज सरविन्द जी  ने सबसे अधिक अंक प्राप्त करके गोल्ड मेडल प्राप्त किया है।  भाई साहिब को  बहुत बहुत बधाई। 

(1) सरविन्द कुमार-37,(2) सुमनलता-29,(3)संध्या कुमार-24,(4 )वंदना कुमार-31,(5) निशा भारद्वाज-25,(6  )स्नेहा गुप्ता-29,(7 ) प्रेरणा कुमारी-25,(8) पुष्पा  सिंह-26          

सभी विजेताओं को हमारी  व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई। 

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