आज का प्रज्ञा गीत कुमोदनी बहिन जी की पसंद
आज कोई ज्ञानप्रसाद न होकर केवल कीर्तिमान पर संक्षेप में बात करेंगें।
कई बार जब हम कक्षा में प्रवेश करते ही announce कर देते थे कि आज कोई क्लास नहीं होगी, कोई पढ़ाई नहीं होगी, आज सारे का सारा पीरियड केवल अपने परिश्रमी विद्यार्थियों के लिए है तो imagine कीजिए किस लेवल की प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती थी। आखिर विद्यार्थी जो ठहरे। विद्यार्थी तो विद्यार्थी ही हैं, चाहे हमारी पोती आर्या की आयु के हों यां किसी पोस्ट ग्रेजुएट कक्षा के; छुट्टी किसको अच्छी नहीं लगती, और जब छुट्टी un- announced /अचानक मिल जाये तो आनंद कई गुना बढ़ जाता है। एक दिन हमनें यूँ ही आर्या से पूछा, “बेटे आपको सबसे अच्छा क्या लगता है” तो उत्तर मिला “स्कूल जाना लेकिन पढ़ने के लिए नहीं खेलने के लिए।”
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की पाठशाला में भी कुछ इसी प्रकार का वातावरण है। प्रातःकाल की अमृतवेला से लेकर शुभरात्रि सन्देश तक और फिर कल वाले ज्ञानप्रसाद तक सभी सहकर्मियों को ज्ञानप्रसाद को पढ़ने का,कमेंट करने का कोई भी प्रेशर नहीं है। जब से ज्ञानप्रसाद का प्रचलन आरम्भ किया है शायद आज का सन्देश सबसे छोटा और संक्षिप्त होगा, कारण केवल एक – celebration, celebration एवं celebration.
छुट्टी करके हमने celebration तो कर ली लेकिन क्या हम उन समर्पित सहकर्मियों को नमन किया बिना यह celebration अर्थहीन नहीं होगी, अवश्य होगी। सबसे छोटी सहकर्मी हमारी देवकन्या ओम्या से लेकर सबसे वरिष्ठ ईश्वर शरण पांडे जी तक, सभी के चरणों में नतमस्तक होते हुए धन्यवाद् के साथ आशीर्वाद की आशा कर रहे हैं, एक ऐसे आशीर्वाद की जिससे हम सभी ऊर्जावन होकर गुरुदेव के कार्य को सफलता के शिखर पर ले जाने का प्रण लें, संकल्प लें।
1200 से अधिक कमेंट, 32 सहकर्मियों द्वारा 24 आहुति संकल्प पूरा करना,कमोदनी बहिन और अरुण भाई साहिब द्वारा 100 से भी अधिक (125 और 113) आहुतियां प्रदान करना, एक अति सराहनीय कृत्य है जिसके लिए “धन्यवाद्” जैसा शब्द बहुत की कम है। अक्सर कहा जाता है कि “अपनों का धन्यवाद् करना तो formality होता है” लेकिन व्यावहारिक प्रथा का पालन करना कोई अनुचित नहीं है। हमारे सहकर्मियों को स्मरण होगा कि 20 सितम्बर 2022 वाले लेख को भी 1100 कमैंट्स मिले थे और 34 सहकर्मियों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया था। वह कीर्तिमान रेगुलर ज्ञानप्रसाद लेख के लिए था लेकिन वर्तमान कीर्तिमान उस सेगमेंट के लिए है जिसे लोकप्रियता की सर्वश्रेष्ठ पदवी जीतने का गौरव प्राप्त है।
जहाँ हम सभी आज इस कीर्तिमान को celebrate कर रहे हैं, किसी अनजान के लिए, जिसे ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की कार्यप्रणाली का ज्ञान नहीं है “गूंगे के गुड़ जैसा है।” उसके लिए तो कमेंट करना, जय गुरुदेव लिखना, धन्यवाद् लिखना आदि सब कमैंट्स की संख्या बढ़ाने के टोटके हैं, लेकिन उसे शायद ज्ञान नहीं है कि इस पुरषार्थ में कितने साथियों का समयदान, ज्ञानदान, समर्पण ,श्रद्धा और परिश्रम involved है। कुमोदनी बहिन जी द्वारा इतने गूढ़ मंत्र ऐसे ही लिखे जा सकते हैं ,रेणु बहिन जी के विस्तृत कमेंट जिनमें लेख का सम्पूर्ण निचोड़ होता है, ऐसे ही लिखे जा सकते हैं ,सुमन लता जी का अनुभवी मार्गदर्शन ऐसे ही मिल सकता है आदि आदि। यह गुरु का काम है, और ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के संचालक के निवेदन का सम्मान है। हमारे गुरुदेव ने इसी आदर्शवादिता के बीज हमारे रक्त में बो दिए हैं, जो अंकुरित होकर कई गुना फूट रहे हैं। हमारा तो उन सभी अनजान परिजनों से भी सादर निमंत्रण है कि आएं , इस सत्यकर्म में योगदान दें।
जो जो परिजन इन 1200 कमैंट्स( आहुतियों ) में involve रहे उन्हें कम से कम 1/10th पुण्य तो प्राप्त हुआ ही है जिसका अर्थ यह हुआ कि हर एक को 120 आहुतिओं का पुण्य मिला।
हम डॉक्टर प्रमोद भटनागर जी की एक वीडियो देख रहे थे जिसमें वह बता रहे थे कि गुरुदेव किस प्रकार अखंड ज्योति पाठकों की संख्या बढ़ाने पर ज़ोर दे रहे थे। जिस समय गुरुदेव सम्बोधन कर रहे थे उस समय पाठकों की संख्या 8 लाख थी। कह रहे थे कि अगर हर कोई परिजन एक वर्ष में एक पाठक बनाये तो एक वर्ष बाद संख्या 16 लाख हो जाएगी। गुरुदेव की बात सुनकर हमें भी लालच आ गया -ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का हर कोई सहकर्मी प्रतिदिन केवल 1 मिंट के लिए प्रकाशित वीडियो को देख ले तो व्यूज की संख्या कहाँ तक पहुँच पाएगी, अनुमान किया जा सकता है।
आज की इस स्पेशल वार्ता का समापन करें उससे पहले यही कहना चाहेंगें कि आज सभी परिजन कमैंट्स आदि की चिंता न करें, रिलैक्स करें एन्जॉय करें, इस कीर्तिमान को celebrate करें और गुरु के प्रति समर्पित हों। आज की संकल्प सूची पोस्टर की shape में प्रस्तुत है और जो कमैंट्स ईश्वर शक्ति लेख के reponse में पोस्ट हुए हैं उन्हें कल वाले लेख के साथ प्रकाशित करेंगें। एक ही समय दो सूचियां प्रकाशित करने से confusion पैदा हो सकता है।
जय गुरुदेव ,शुभ प्रभात