14 फ़रवरी 2023 का ज्ञानप्रसाद
हमारे न चाहने के बावजूद हमें आज के ज्ञानप्रसाद में पांच छोटी-छोटी अनुभूतियाँ शामिल करनी पड़ रही हैं क्योंकि कोई भी combination work नहीं कर पाया। हमारे सहयोगियों ने देखा होगा कि शब्द सीमा को ध्यान में रखते हुए हम एक बड़ी अनुभूति के साथ छोटी को attach कर देते थे लेकिन आज कोई भी विकल्प काम नहीं कर पाया। हमारे लिए हर कोई अनुभूति बहुत ही महत्वपूर्ण है।
ऐसा प्रतीत हो रहा कि गुरुवार तक अनुभूतियों के धारावाहिक का समापन हो जायेगा। कल और परसों के एपिसोड के लिए दो बहुत ही सुन्दर अनुभूतियाँ प्रकाशित होने के लिए उतावली हो रही हैं। उन दोनों बहिनों के योगदान और सक्रियता को नमन करते हैं।आइए पूज्यवर के जन्म स्थली की पावन भूमि की माटी को मस्तक पर धारण करें, उस दिव्य कोठरी में चलें जिसका दृश्य हमें ज्योति बहिन जी के सहयोग से प्राप्त हो रहा है और बिना किसी देरी के आज के सत्संग का शुभ आरम्भ कर दें।
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1.राजकुमारी कौरव, नरसिंहपुर
गुरु सत्ता के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम। बसंत पंचमी पर्व पूज्यवर का आध्यात्मिक जन्म दिवस है ।
गुरु सत्ता से जुड़ने का सौभाग्य 1999 में प्राप्त हुआ। हमारे नरसिंहपुर(मध्य प्रदेश) में 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन हुआ, हम यज्ञ में सम्मिलित हुए और गुरु दीक्षा भी ली। पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा से हम पति पत्नी ने गायत्री मंत्र लेखन का संकल्प लिया जिसे आठ वर्ष में 1999-2007 में पूर्ण किया। पूज्य गुरुदेव, माँ गायत्री की कृपा अनुदान/वरदान हमेशा मिलते रहे हैं। अगर हम यह लिखें कि जो कभी सोचा भी नहीं था वोह बी मिल गया तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।अभी 24 वर्ष (1999-2023) की तपस्या पूर्ण होने पर गुरुदेव ने 24 कुंडीय यज्ञ सम्पन्न कराया। हम दोनों को निरंतर अनुभूतियां हुईं और जो लोग नये जुड़े हुए हैं उनको गुरुदेव माताजी ने प्रत्यक्ष दर्शन दिए। धन्य हैं गुरुदेव आप और आपकी लीलाएं। जय गुरुदेव, जय माता दी
2.मंजू मिश्रा, पटना
बात उन दिनों की है जब मैं 1997 फरवरी में अपने छोटे भाई की शादी में नागदा (M.P) गई हुई थी। घर के सभी पुरुष बारात गये हुए थे। घर में सिर्फ स्त्रियां ही थीं । ठंड का मौसम था अतः नहाने के लिए immersion rod से पानी गरम करना था। शादी में अधिक सदस्य थे तो 2 immersion rod का इस्तेमाल हो रहा था। एक ही स्विच बोर्ड में दोनों rods को साथ-साथ प्लग करने की व्यवस्था थी। मेरी मम्मी थी या कोई और ठीक से याद नहीं आ रहा,उन्होंने पानी गरम करने के लिए rod को पानी से भरी बाल्टी में लगाया और स्विच ऑन कर दिया, लेकिन स्विच उस rod का ऑन हो गया जो रजाई के पास रखी थी। इस गलती के कारण रजाई में आग लग गयी। चार-पांच रजाईयां एक साथ रखी हुई थी, सो ऊँची-ऊँची लपटें उठने लगीं। लपटें बिजली के तार को छूने वाली थीं। मैं अपने डेढ़ वर्षीय बेटे आयुष को नहला कर बाथरूम से बाहर आई, देखा घर में अफरा-तफरी मची हुई है। मुझे हमेशा मन ही मन परम पूज्य गुरुदेव को याद करने की आदत थी। मैने देखा आग लगी हुई है, मुझे नहीं पता कैसे हुआ, एक बाल्टी पानी लाई और जय गुरुदेव करके आग पर एक मग पानी डाला। आश्चर्य की बात है कि एक मग पानी से इतनी बड़ी आग कैसे बुझ गयी। इतने में बाहर कुछ बच्चे गेंद खेल रहे थे, अचानक उनकी गेंद घर के अन्दर आ गई। गेंद कभी भी घर के अन्दर नहीं आई, इस बार घर के अंदर ही नहीं, ड्राइंग रूम में। एक लम्बा सा बच्चा गेंद लेने आया। मैंने कहा “बेटा cutout निकाल दो यानि लाइट काट दो।” उसने तुरंत निकाल दिया। इस तरह परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से बहुत बड़ा हादसा होते-होते टल गया।
जब भी इस घटना के बारे में सोचती हूँ तो दिल दहल जाता है। मेरे गुरुवर आपको कोटि-कोटि प्रणाम। जबसे मेरी शादी हुई है तभी से गुरुदेव मेरी नैया के खेवनहार हैं। उन्हीं की कृपा से मेरा जीवन चल रहा है। गुरु की कृपा से आज मेरे पास सब कुछ है। मेरे गुरुदेव को पता है कि मंजू और उसके परिवार को क्या देना है। हर समय मुझ नादान का ध्यान रखा है। ऐसे गुरु को पाकर में धन्य हो गयी। चरण कमलों में कोटिशः प्रणाम, वन्दन
3.कुसुम त्रिपाठी,आरा, बिहार
1997 में शांतिकुंज से दीक्षा लेकर आयी तो समयदान, अंशदान का संकल्प लिया। अशंदान तो कर लेती लेकिन समय का क्या करूँ, समझ नहीं आता। अखण्ड ज्योति पढ़ रही थी, लिखा था, “ तू मेरा काम कर, मैं तेरा करुगाँ।” एक ब्राह्मण होने के नाते लोगों में बहुत श्रद्धा थी। वह जानते थे कि मैं बहुत अच्छे से गुरुदेव के कार्य कर लेती होगी परन्तु उस समय मुझे कुछ भी नहीं आता था और न ही प्रशिक्षण लिया था। दीप यज्ञ का प्रोग्राम मिला। दीपयज्ञ और डफली थोड़ी सी आती थी। बेटा 15 वर्ष का था, मुझे स्कूटर से पहुंचा दिया। इतना भव्य प्रोग्राम हुआ कि मैं आश्चर्यचकित हो गयी। यह है विश्वास का परिणाम। इधर घर में सासू माँ और बच्चे अकेले थे। घर में बिजली बंद हो गयी। बेटा कुछ ढूंढने गया तो बहुत बड़ा सॉप ने पकड़ लिया। सारे मुहल्ले के लोग घर में आ गए, सासु माँ खुब रो रही थी, हमारे पति उस समय देवघर में पोस्टेड थे। सभी ने पूछा बहु कहाँ गयी है तो सासु माँ बोली: एक पीली साड़ी और एक डुगडुगी लेकर गई है, घर का कार्य सम्पन्न करने के बाद उसका रोज़ का यही नियम है। जब मैं घर आयी तो शाम के सात बज गए थे। बहुत सारा खून फैला हुआ था। मैं तो देखकर बहुत घबडा गई, पता चला कि बगल में नटसब रहता है उसी ने सांप को मारा। मेरी सासु माँ तो रोये ही जा रही थी और बोल रही थी कि मेरा तो घर ही उजड़ गया होता। मेरे मन में तो अखण्ड ज्योति की वही आवाज़ गूँज रही थी “तू मेरा काम कर, मैं तुम्हारी सभी ज़िम्मेदारियाँ निभाउंगा।” ऐसे हैं मेरे गुरुदेव।
4.वंदना कुमार, बिहार, दिल्ली
सरविंद भाई जी की अनुभूति से मेल खाती मेरी भी एक अनुभूति है जिसे में संक्षेप में आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ।
एक बार ऑफिस के सहयोगियों ने प्लान बनाया कि कहीं घूमने चलें तो हम लोग गुड़गांव से सोहना रोड होते हुए दमदमा झील घूमने निकल पड़े। निकल तो पड़े लेकिन मेरा मन कुछ अजीब ही अनुभव कर रहा था और तबीयत भी कुछ ठीक नहीं थी। मेरा मन कर रहा था कि मैं गाड़ी से उतर जाउं, लेकिन हम बहुत दूर निकल चुके थे, अकेले वापस लौटना कठिन लग रहा था। थोड़ी देर की ड्राइव के बाद हम अपनी डेस्टिनेशन पर पहुँच गए, लंच वगैरह किया लेकिन अंतर्मन में पता नहीं क्यों घबराहट सी हो रही थी। सब लोग बोटिंग में व्यस्त थे, मैं एक ही राउंड बोटिंग करके वापस अपनी जगह आकर बैठ गई। किसी भी बात में मन नहीं लग रहा था। देखते ही देखते वापिस जाने का समय हो गया, सब लोग वापस आने लगे।
ड्राइवर ने खाली समय देखा तो शराब पी ली और नशे की हालत में ही गाड़ी चलाता गया । आजकल जो सड़क एकदम बदल गई है और बहुत ही व्यस्त हो गई है, उस समय कच्ची थी। ड्राइवर जैसे तैसे गाड़ी चलाए जा रहा था। मेरा मन शुरू से ही किसी अनहोनी को लेकर चिंतित था। कच्ची सड़क पर गाड़ी फुल स्पीड से,इधर-उधर, झटके खाती, टेढ़ी तिरछी चल रही थी और आखिरकार पलट गई। इस एक्सीडेंट में मेरे बाएं हाथ की कलाई में रगड़ आ गई और ब्लीडिंग होने लगी। बाकी लोगों को भी चोटें आईं । शाम का समय था,अंधेरा होने लगा था, सुनसान अंजान जगह थी। ऊपर से लुटेरे डाकुओं का भी डर था। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। ऐसे में एक गाड़ी आती दिखाई दी और हमारे पास आकर स्वयं ही रुक गई। ड्राइवर ने मुस्कुराते हुए दरवाज़ा खोल दिया और हम लोग बिना कोई देर किए उस गाड़ी में बैठ गए । ड्राइवर हमें हॉस्पिटल तक ले गया जहां हम लोगों की मरहम पट्टी हुई।
अगर वह भाई साहब न आते तो पता नहीं हमारा क्या होता। वह ड्राइवर कौन था,कहाँ से आया और कहां चला गया, किसी को कुछ भी नहीं पता चला। मुझे तो इतना ही समझ आता है कि वह डाइवर यां तो खुद गुरुदेव ही होंगे या उनका कोई दूत जिसने हमें सकुशल हॉस्पिटल पहुंचा दिया। जय गुरुदेव
दिए गए यूट्यूब लिंक के 1:27 मिंट को देखने से हमारे पाठकों की सभी शंकाओं का समाधान हो जाना चाहिए https://youtu.be/t8cvsJ38E-E
5.डॉ चंद्रेश बहादुर, प्रतापगढ़ (UP)
परम पूज्य गुरुदेव जी के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन। परम वंदनीय माता जी को अनवरत नमन। आपको बारंबार प्रणाम।
अनुभूति साझा करने के क्रम में छोटी छोटी सी दो अनिभूतियाँ प्रस्तुत हैं।
पहली घटना सितम्बर 2018 की है। मेरी तृतीय पुत्री कुमारी संवेदना सिंह के हृदय में छेद था। बाईपास सर्जरी के लिए किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ में एडमिट कराया गया। उस दिन कुल 17 बाई पास सर्जरी के आपरेशन हुए जिसमें केवल मेरी बिटिया का ही आपरेशन सफल नहीं हुआ। डेढ़ माह बाद उसी मेडिकल कॉलेज में हृदय विभाग के विभागाध्यक्ष के नेतृत्व में 1 नवम्बर 2018 को ओपेन हार्ट सर्जरी का आपरेशन हुआ। साढ़े तीन घंटे के आपरेशन के बाद लगभग 18 घंटे बाद बेटी को होश आया। परम पूज्य गुरुदेव जी की कृपा से यह आपरेशन पूर्ण सफल रहा। आज बेटी पूर्णतया स्वस्थ है।
दूसरी घटना 2016 की है। मैं अपनी नई स्कूटी से सायं 7:00 बजे दूध लेने जा रहा था,घर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर अचानक एक नीलगाय ज़ोर से टक्कर मार कर चली गई। लगभग 5 मिनट तक मुझे होश नहीं था,बाद में कुछ लोगों द्वारा घर पहुंचाया गया। लग रहा था कि कोई भयंकर फ्रैक्चर हो गया लेकिन परम पूज्य गुरुदेव जी की कृपा से केवल रीढ़ की हड्डी में थोड़ी सी सूजन ही आयी थी। परम पूज्य गुरुदेव जी की कृपा से मुझे एवं स्कूटी को खरोंच तक नहीं लगी। जय गुरुदेव।
आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 10 सहकर्मियों ने संकल्प पूरा किया है,अरुण जी सबसे अधिक अंक प्राप्त करके गोल्ड मैडल विजेता हैं।
(1)रेणु श्रीवास्तव-38,(2)संध्या कुमार-37,(3 )अरुण वर्मा-56 ,(4 )सरविन्द कुमार-26,(5 )निशा भारद्वाज-26 ,(6)पुष्पा सिंह-24,(7) चंद्रेश बहादुर-33,(8)संजना कुमारी-24,(9)मंजू मिश्रा,(10)सुमन लता-24
सभी को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई क्योंकि अगर सहकर्मी योगदान न दें तो यह संकल्प सूची संभव नहीं है। सभी सहकर्मी अपनी-अपनी समर्था और समय के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिन्हें हम हृदय से नमन करते हैं। जय गुरुदेव