अपने सहकर्मियों की कलम से -अनुभूतिओं पर लाभदायक चर्चा। 

11  फ़रवरी 2023

आज का स्पैशल सेगमेंट “अनुभूति सीजन 02” पर आधारित है । संकल्प सूची के साथ  समापन करने से पहले राजकुमारी बहिन जी और डॉ चंद्रेश  जी की contributions का संक्षिप्त विवरण दिया गया है। 

सप्ताह  का सबसे लोकप्रिय सेगमेंट “अपने सहकर्मियों की कलम से” लेकर हम अपने समर्पित सहकर्मियों के बीच आ चुके हैं, इसे लोकप्रिय बनाने में सहयोग देने के लिए आपका जितना भी धन्यवाद् करें कम है।अपने सहकर्मियों  द्वारा पोस्ट की गयीं सभी contributions  ही हैं जिन्होंने इस स्पेशल सेगमेंट को  “सबसे  लोकप्रिय” की संज्ञा देने में योगदान दिया है। हमारा तो सदैव यही उद्देश्य रहा है कि इस छोटे से समर्पित परिवार के  समस्त योगदान एक dialogue की भांति हों, एक वार्तालाप की भांति हों ताकि एक “संपर्क साधना”, communication process, के द्वारा इसे lively बनाया  जाए। थोड़े से प्रयास से ही हमें जो  सफलता प्राप्त हुई है उसे आप स्वयं ही देख रहे हैं। परम पूज्य गुरुदेव से प्रार्थना करते हैं कि अपनी अनुकम्पा सदैव हम पर बरसाते रहें ताकि हम और भी अधिक प्रगति कर सकें। आज तक की प्रगति का श्रेय हम अपने गुरु को देते हैं जिन्होंने आप जैसी दिव्य आत्माओं को, हीरों को  चुन-चुन कर हम जैसे निर्धन की झोली में डाल दिया और हम इन हीरों को एक समर्पण की माला में पिरोने में सदैव  प्रयासरत रहते हैं। हमें तो  बार-बार सन्देश मिलते रहे कि आपका काम पोस्ट करना है, कोई पढ़े या न पढ़े ,कोई देखे या न देखे , कोई सुने या न सुने, यह track करना असम्भव है, लेकिन हमारे गुरु ने इस असम्भव को संभव कर दिखाया। आज की परिस्थिति ऐसी है कि छोटे से छोटा कमेंट, छोटे से छोटा योगदान भी हमारी दृष्टि से, अंतःकरण से ओझल नहीं हो सकता। 

यह स्पेशल सेगमेंट शनिवार को प्रस्तुत किया जाता है, शनिवार को  यहाँ कनाडा में Weekend celebration की भांति मनाया जाता है। हम सब  भी तो एक समर्पित, परिश्रमी विद्यार्थी की भांति सारा सप्ताह  क्लासें अटेंड कर रहे होते हैं, होमवर्क करके assignments submit (कमैंट्स) कर रहे होते हैं, अधिक से अधिक नम्बर (संकल्प सूची गोल्ड मैडल) लेकर सबसे ऊपर आने की रेस में लगे होते हैं। 

आजकल तो बहुत ही  महत्वपूर्ण लेख शृंखला चल रही है जो परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर आधारित है।  इस शृंखला का आरम्भ 26 जनवरी को हमारी ही व्यक्तिगत अनुभूति से  किया गया था। हमारी आदरणीय बहिन मंजू मिश्रा जी से कल रात ही बात हो रही थी तो उन्होंने इच्छा व्यक्त की  कि हम भी अपनी कोई अनुभूति लिखें, शायद उन्होंने हमारी 26 जनवरी वाली अनुभूति देखी  नहीं थी। इस शृंखला के अंतर्गत अब तक  हम 9 अंक प्रस्तुत कर चुके हैं, अभी और कितने अंक  बाकी हैं कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि अभी भी परिजन लेख कर भेजे जा रहे हैं, कब तक आते रहेंगें, कहना कठिन है। ऐसा  है परम पूज्य  गुरुदेव के प्रति हम सबका स्नेह एवं प्यार ।  

प्रत्येक अनुभूति को सम्मान देना, उसे ध्यान से पढ़ना, एडिट करना, अपने सहकर्मियों के लिए ऐसी शैली (बिना किसी change के) में प्रस्तुत करना कि उन्हें किसी भी प्रकार से समझने में कोई confusion न हो हमारा परम सौभाग्य एवं कर्तव्य है। शायद इसी कलाकृति के कारण हमारे सहयोगी हमें इतना स्नेह, प्यार,अपनत्व, आदर, सम्मान दिए जा रहे हैं। कलाकृति के विषय पर हम स्वयं बात करें तो self-praise हो जाएगी जिससे हम सदैव दूर ही भागते हैं परन्तु हमारी ही  अति आदरणीय बहिन सुमन लता जी ने हमें “एक दक्ष शेफ” की उपाधि  दी थी। दाल, सब्ज़ी, सलाद  तो बाज़ार  से हर कोई लाता  है लेकिन presentataion का इतना बड़ा role होता है कि पांच सितारा में पहुँचते है वही वस्तु हज़ारों में बिकती है जो रेहड़ी/ढाबे पर कितनी कम कीमत में बिकती है। शायद हम सब की ओर से व्यक्त की जा रही श्रद्धा, परिश्रम  और समर्पण ही है जो हमें नित नए साथियों से जोड़े जा रहा है। हम सबने एक संकल्प लिया है कि चाहे कमेंट है यं ज्ञानप्रसाद लेख  यं कोई और विषय ,quality से समझौता कदापि सहन नहीं किया जायेगा।  

अनुभूतियों वाला स्पेशल सेगेमेंट अभी पिछले वर्ष ही आरम्भ किया था, केवल एक ही वर्ष में इसमें दो गुना वृद्धि हुई है जिसे हम 100% progress कह सकते हैं। एक बार फिर इसका श्रेय हमारे समर्पित साथियों, सहकर्मियों ,सहपाठिओं,भाई-बहिनों, बच्चों को जाता है जिनकी श्रद्धा के सामने हम सदैव ही नतमस्तक होते हैं। गुरु को भी वही शिष्य प्रिय होता है जो पूर्ण परिश्रम और श्रद्धा से, बिना किसी बहानेबाज़ी के अपना होम वर्क पूर्ण करता है। ऐसे शिष्य के लिए ही  गुरु हिमालय से  भागता हुआ आता है।

हम अपने सभी साथियों का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने “अनुभूति स्पेशल सीजन S02”  को सफल बनाने में अथक परिश्रम किया और ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार को गौरवान्वित कराने  में  कोई भी कसर नहीं छोड़ी। ऐसा हम इसलिए  कह रहे हैं कि जिन परिस्थितयों में साथियों ने अपनी contributions हमें भेजीं उनसे हम भलीभांति परिचित हैं और नमन करते हैं। इन परिस्थितियों का एक संक्षिप्त सा जनरल मूल्यांकन, बिना किसी व्यक्ति विशेष की ओर  निर्देशित  किये , प्रस्तुत करने की  आज्ञा  चाहते हैं ताकि भविष्य में इन कठिनाइओं का निवारण हो सके। “साथी हाथ बढ़ाना,एक अकेला थक जाये तो मिल कर हाथ बढ़ाना” केवल गाने और गुणगनाने के लिए नहीं है ,इसे practical शेप देना हम सबका परम कर्तव्य है। जिस किसी को भी कोई भी समस्या आ रही हो उसे परिवार की समस्या समझ कर solve करने का प्रयास ही सही मायनों में गुरु भक्ति है। 

भविष्य की बात हम इसलिए कर रहे हैं कि हमें ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का भविष्य बहुत ही प्रकाशवान दिख रहा है। जो भी सौभाग्यशाली सहकर्मी हमारे साथ जुड़े हुए हैं य जुड़े रहेंगें उनके लिए आने वाले समय में इस तरह के अनुभूतिओं के सीजन 03, 04 आदि आते ही रहेंगें क्योंकि गुरुपूर्णिमा, गायत्री जयंती दूर नहीं हैं।  हमें विश्वास है कि जितनी सक्रियता सहकर्मियों ने अनुभूति सीजन 02 में दिखाई है उससे कहीं अधिक आने वाले seasons में दिखाई जाएगी। अनेकों कारणों के अतिरिक्त इस सक्रियता का  एक मुख्य कारण यह है कि हर कोई इसे अपने परिवार का समझ कर, सम्पूर्ण दाइत्व से, अपनत्व की भावना से इस कार्य में योगदान दे रहा है। यही कारण है कि जो भी प्रयास आरंभ किया जाता है उसे भरपूर सफलता मिल रही है, गुरु की योजना जो ठहरी। 

इस योजना को आगे ले जाने के लिए सहकर्मिओं को आ रही समस्याओं के निवारण से पूर्व उन समस्याओं को जानना बहुत ही आवश्यक है जो उनके आड़े आ रही हैं। कुछ एक समस्याओं का विवरण निम्नलिखित lines में दे रहे हैं लेकिन उनसे भी अधिक अनेकों और हैं :          

बहुत से साथियों ने  टेक्नोलॉजी का पर्याप्त अभ्यास न होने के बावजूद लिखने का सफल प्रयास किया, टाइप किया, एक बार नहीं, कई-कई बार write और rewrite किया, कई बार उनके  फ़ोन ने समस्या खड़ी  कर दी, इंटरनेट weak  हो गया, रिचार्ज समाप्त हो गया, फ़ोन पर टाइप करने  के बजाए पुरातन मार्ग अपनाते हुए कागज़-पैन  का प्रयोग किया, सियाही लाइट (light ) होने के कारण स्क्रीनशॉट इतना लाइट हो गया कि  हमें पढ़ने में समस्या आयी,  proper light न होने के कारण shade ( छाया) पड़ता रहा, एक ही पन्ने पर लगभग 3 पन्नों जितना मटेरियल इतना तंग-तंग लिखा गया  कि न तो हम समझ पाए और न ही गूगल महाराज। गूगल महाराज की सहायता लेने का प्रयास किया तो उन्होंने  कुछ का कुछ ही समझ लिया। बहुत से सहयोगियों  ने इंग्लिश में ही टाइप करना prefer किया, उसमें समस्या तो  कम  थी लेकिन MUN को “मन” न समझते हुए कुछ और ही समझ लिया गया, FIR को “फिर” न समझ कर फायर समझ लिया। 

ऊपर लिखी सभी स्थितियों को अड़चन य समस्या कहना हमें उचित नहीं लग रहा क्योंकि इस में कुछ भी Negative  नहीं है।  यह तो अपनी-अपनी  choice है, किस को हिंदी लिखनी अच्छी लगती है, तो कोई इंग्लिश लिखने में comfortable है, कोई पेपर-पैन से  comfortable है। हमें थोड़ा  सा अधिक प्रयास करना पड़ा, इसमें कोई समस्या नहीं है क्योंकि हम तो सब कार्य गुरुकार्य समझ कर ही कर रहे हैं उसी में हमारी ख़ुशी है।

लेकिन एक निवेदन तो करबद्ध अवश्य ही करना चाहेंगें कि अगर इस टेक्नोलॉजी के युग में कुछ थोड़ा-थोड़ा सीखना आरम्भ कर दें ,चाहे अपनी ही स्पीड से ,धीमी गति से ही सही, हमें विश्वास है कि  आनंद ही आनंद है। सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध होने के कारण इतना सरल है कि कुछ भी सीखा जा सकता है और फिर सीखने की कोई उम्र थोड़ी होती है। टेक्नोलॉजी ने सही मायनों में हमारा जीवन सुखमय बनाया है। समस्या केवल आरंभ करने की है, गुरुदेव तो बार-बार कह चुके हैं “तू  एक कदम तो उठा, बाकी मैं सब संभाल लूँगा। इसी सन्दर्भ में हमें यूनिवर्सिटी के दिनों की एक बात याद आ रही है। डेस्कटॉप कंप्यूटर का नया नया  युग था। हमारे वाईस चांसलर ने ऑर्डर किया कि सभी को computer-literate होना चाहिए। हम लोग कंप्यूटर सेंटर में कंप्यूटर सीखने जाते थे। सेंटर के टीचर हाथ पकड़-पकड़ कर (छोटे बच्चों की तरह) की बोर्ड पर उँगलियाँ रखाते थे (जैसे कभी हमारे पापा ने हाथ पकड़ कर alphabets सिखाये थे), mouse का right /left बटन चलाना सिखाते थे।  मज़ा तो तब आया जब  एक दिन कम्यूटर सिखा  रहे Sir  ने  Mouse को पकड़ कर ज़ोर से डाँटते हुए कहा, “यह चूहा है कंप्यूटर का Mouse,डरो मत यह  कहीं आपको खा नहीं जाएगा” क्योंकि पढ़ने वाले सारे के सारे वरिष्ठ थर और पढ़ाने वाले सभी छोटे-छोटे बच्चे। वरिष्ठों को पढ़ाना कोई आसान कार्य नहीं है ,इसीलिए परिवार में  बच्चों से जब भी कोई बात पूछो तो वोह समस्या को  solve करने के तरीके बताने के बजाए, solve करना  prefer करते हैं, क्योंकि उनकी धारणा है कि इन बूढ़ों के साथ कौन माथा पच्ची  करेगा।  उन्हें शायद यह मालूम नहीं कि यह बूढ़े इनके बाप हैं। गूगल सर्च बार में कोई भी प्रश्न enter करके किसी भी प्रश्न का उत्तर step by step मिल जाता है। ऐसी स्थिति ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार में बिल्कुल नहीं है, हम सब एक दूसरे का हाथ पकड़ कर “साथी हाथ बढ़ाना” गाते-गाते ही सीख जायेंगें ,ऐसा हमें अटूट विश्वास है। 

तो आइये आज से ही संकल्प लें कि PLAY STORE में से gboard डाउनलोड कर लें और हिंदी में टाइप करना शुरू कर दें, अधिकतर साथी तो हिंदी में ही कर रहे हैं, जो नहीं कर रहे उन्ही से यह  निवेदन है। साथियों ने हमें फ़ोन करने बताया है कि यह केवल झिझक ही है, इस झिझक को ही उतार फेंकना है।

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1.डॉ चंद्रेश जी ने निम्नलिखित जानकारी शेयर की है जिसे हम आपके समक्ष यथावत रख रहे है :   अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में  2024 में होने वाले अश्वमेध यज्ञ  के क्रम में देश के सभी घरों में एक कुण्डीय गायत्री यज्ञ शान्तिकुंज के प्रतिनिधियों द्वारा मेरे आवास, दिलराज निकेतन में हुआ। हवन के समय कुण्ड से निकलने वाली  दिव्य ज्वाला में अश्व की छवि  स्पष्ट दिखाई पड़ी, जो क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बन गया। 2. राजकुमारी बहिन जी ने तेंदूखेड़ा यज्ञ के शुभारम्भ की वीडियो शेयर की है।

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आज की 24 आहुति संकल्प सूची के बारे में केवल इतना ही कह सकते हैं कि शायद कोई यूट्यूब समस्या थी।  सुजाता बहिन जी गोल्ड मेडलिस्ट हैं।  

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