सप्ताह का सबसे लोकप्रिय सेगमेंट “अपने सहकर्मियों की कलम से” लेकर हम अपने समर्पित सहकर्मियों के बीच आ चुके हैं, इसे लोकप्रिय बनाने में सहयोग देने के लिए आपका जितना भी धन्यवाद् करें कम है।अपने सहकर्मियों द्वारा पोस्ट की गयीं सभी contributions ही हैं जिन्होंने इस स्पेशल सेगमेंट को “सबसे लोकप्रिय” की संज्ञा देने में योगदान दिया है। हमारा तो सदैव यही उद्देश्य रहा है कि इस छोटे से समर्पित परिवार के समस्त योगदान एक dialogue की भांति हों, एक वार्तालाप की भांति हों ताकि एक “संपर्क साधना”, communication process, के द्वारा इसे lively बनाया जाए। थोड़े से प्रयास से ही हमें जो सफलता प्राप्त हुई है उसे आप स्वयं ही देख रहे हैं। परम पूज्य गुरुदेव से प्रार्थना करते हैं कि अपनी अनुकम्पा सदैव हम पर बरसाते रहें ताकि हम और भी अधिक प्रगति कर सकें। आज तक की प्रगति का श्रेय हम अपने गुरु को देते हैं जिन्होंने आप जैसी दिव्य आत्माओं को, हीरों को चुन-चुन कर हम जैसे निर्धन की झोली में डाल दिया और हम इन हीरों को एक समर्पण की माला में पिरोने में सदैव प्रयासरत रहते हैं। हमें तो बार-बार सन्देश मिलते रहे कि आपका काम पोस्ट करना है, कोई पढ़े या न पढ़े ,कोई देखे या न देखे , कोई सुने या न सुने, यह track करना असम्भव है, लेकिन हमारे गुरु ने इस असम्भव को संभव कर दिखाया। आज की परिस्थिति ऐसी है कि छोटे से छोटा कमेंट, छोटे से छोटा योगदान भी हमारी दृष्टि से, अंतःकरण से ओझल नहीं हो सकता।
यह स्पेशल सेगमेंट शनिवार को प्रस्तुत किया जाता है, शनिवार को यहाँ कनाडा में Weekend celebration की भांति मनाया जाता है। हम सब भी तो एक समर्पित, परिश्रमी विद्यार्थी की भांति सारा सप्ताह क्लासें अटेंड कर रहे होते हैं, होमवर्क करके assignments submit (कमैंट्स) कर रहे होते हैं, अधिक से अधिक नम्बर (संकल्प सूची गोल्ड मैडल) लेकर सबसे ऊपर आने की रेस में लगे होते हैं। इसी परिश्रम को ध्यान में रखते हुए रविवार को अवकाश करके भौतिक और आंतरिक आराम का प्रयास किया जाता है। प्रयास तो हमारा भी यही होता है कि रविवार को पूर्ण आराम किया जाये, लैपटॉप और फ़ोन महाराज को भी आराम दिया जाए लेकिन हम से भरपूर प्रेम करने वाले, हमारे हृदय के करीब, हमारे सहपाठी हमारी ही तरह हमसे फ़ोन पर voice call, video call करने में उतावले होते हैं। किसी न किसी का फ़ोन आ ही जाता है और बस फिर क्या है, हमारा तो दिन ही बन जाता है। एक घंटा फ़ोन करना तो नार्मल होता है उससे अधिक भी हो सकता है।
हमारी सबसे छोटी सहपाठी परमप्रिय पोती काव्या त्रिपाठी ने voice message छोड़ा था ,”गुड नाईट दादा जी ,हमारा पढ़ने में मन नहीं लगता, कैसे लगेगा, थोड़ा सा आईडिया दीजिये।” केवल सात वर्षीय, ग्रेड 2 की नन्ही सी बच्ची इतना matured मैसेज छोड़ सकती है, बिल्कुल ही अविश्वसनीय, आश्चर्यजनक किन्तु सत्य है।इन नन्हे मुन्नों पर गुरुदेव का हाथ है। फ़ोन करके कई प्रकार के ideas तो दिए लेकिन आश्चर्यजनक बात थी कि 2 और 4 के tables तोते की भांति रटे हुए थे, न केवल रेगुलर बल्कि बीच- बीच में से भी। जो बच्ची 3 घंटे लगातार स्थिर होकर बैठ सकती है, पढ़ सकती है, तो उससे और अधिक आशा करना over ambitious होना ही कह सकते हैं।
कल ही प्रिय संजना बेटी से कुछ मिंट के लिए ही किसी विषय पर बात हुई लेकिन मन नहीं भरा। अगर कोई इतना आदर,सम्मान,प्यार दे तो तृष्णा बढ़ती ही जाती है क्योंकि Love is contagious ,यह एक छूत की बीमारी है, इतनी तेज़ी से फैलती है कि इसे रोक पाने के लिए कोई भी antibiotic काम नहीं करता। सभी साथियों, सहपाठियों, सहकर्मियों को इस छूत (प्रेम) की बीमारी ने इतनी बुरी तरह ग्रस्त कर लिया है कि क्या कहें । हमें तो इसका एक ही उपाय नज़र आ रहा है और वह है “पूर्ण समर्पण।” जब हम उस दिव्य शक्ति को, गुरु को समर्पित हो जाते हैं तो बाकि सब बिल्कुल ही नगण्य (गया गुज़रा) लगता है। स्कूल की मॉर्निंग प्रेयर की यह पंक्तियाँ “दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना” समर्पण की दिशा में बिल्कुल फिट बैठती हैं।
हर बार जब यह सेगमेंट लिखने का प्रयास करते हैं तो सबसे बड़ी चुनौती यही रहती है कि किस को शामिल करें और किसे अगले सेगमेंट तक शिफ्ट कर दें। सारा सप्ताह आप द्वारा भेजी गयीं contributions ही इस सेगमेंट की लोकप्रियता और आप सबकी सक्रियता का प्रमाण हैं। हमारे पास सिवाय क्षमा याचना के और कोई विकल्प रहता ही नहीं है, आज भी अगर कुछ मिस हो गया हो तो क्षमाप्रार्थी हैं।
बहिन सुमनलता जी ने अपने उच्च ज्ञान से समय-समय पर अनेकों विशेषणों (गायत्री, सत्संग,अमृतमंथन,दक्ष शेफ आदि ) से इस परिवार को/हमें सुशोभित किया है, जो बहुत ही सराहनीय है।सत्संग और दक्ष शेफ के सन्दर्भ में बहिन जी के लिखे कमेंट यथावत ही प्रस्तुत कर रहे हैं।
“ज्ञानरथ के रूप में प्रतिदिन सत्संग का आयोजन करने के लिए हार्दिक आभार। हमारे लिए तो सबसे बड़ा सत्संग यही है।यहां भी हम सब एकत्र होते हैं।सत्संग का विषय होता है ज्ञानप्रसाद, चर्चा और विचारों का आदान प्रदान, कमेंट और काऊंटर कमेंट के माध्यम से होता है । तो इतना ज्ञानवर्धक सत्संग आयोजित करने के लिए हार्दिक आभार। सत्संग का आरंभ तो ज्ञानप्रसाद के स्वाध्याय के साथ ही होता है, जिसका प्रारूप आपके द्वारा तैयार किया जाता है, हम तो सभी पढ़ने के पश्चात मात्र अपने-पने विचार प्रस्तुत करते हैं। हमारे कमेंट का आधार भी तो वो दिव्य ज्ञानप्रसाद होते हैं।आपके माध्यम से हम सबको अपनी बुद्धि को ,ज्ञान को बढा़ने अवसर प्राप्त हुआ है। हम सदैव आपके नतमस्तक आभारी हैं।”
“हमने एक बार पहले अपनी अभिव्यक्ति में कहा था कि जैसे एक दक्ष शेफ अपनी डिश को सर्वोत्तम बनाने के लिए पूरे मनोयोग से इस प्रकार से तैयार करता है कि खाने वाले उसे पसंद ही न करें बल्कि सराहना भी करें जिससे वो डिश प्रसिद्ध भी हो जाए और खाने वाले के लिए स्वास्थ्यप्रद भी हो। उस डिश के लिए वो अपना पूरा श्रम,बुद्धि और ध्यान लगा देता है, और वही कार्य आप भी हमारे लिए कर रहे हैं।पूरी क्षमता, योग्यता और मनोयोग से लेखों का संपादन करते हैं, बिना किसी शंका के हमें अधिक से अधिक प्रामाणिक जानकारी प्राप्त हो सके, बिल्कुल उस शिक्षक की तरह जो अपने विद्यार्थियों को सफल बनाने में अपना सर्वश्रेष्ठ देता है। इसके लिए धन्यवाद तो छोटा शब्द है।फिर भी बहुत बहुत आभार धन्यवाद और नमन”
विशेषणों की ही कड़ी में बहिन जी ने हम जैसे तुच्छ मानव के लिए “प्रज्ञा अभियान के संपादक” का विशेषण प्रयोग करके सम्मान प्रदान किया है, हम बहिन जी के बहुत ही आभारी हैं। प्रज्ञा अभियान पाक्षिक शांतिकुंज से प्रकाशित होने वाला समाचार पत्र है जिसमें गायत्री परिवार सम्बंधित समाचार, गतिविधियां वर्णन की जाती हैं। शायद बहिन जी का कहना ठीक ही हो क्योंकि हम भी तो हर सप्ताह ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार से सम्बंधित गतिविधियां compile करके आपके चरणों में प्रस्तुत करते हैं।
आज के स्पेशल सेगमेंट में मुख्यतः तीन ही पक्षों को चित्रित करने का प्रयास किया गया है। तीनों पक्ष अपने-अपने स्थान पर दिव्य हैं और गुरु के प्रति समर्पण, आत्मिक शांति, ज्ञान के प्रचार प्रसार में सराहनीय कदम हैं। आज का सेगमेंट अधिकतर फोटो एल्बम ही है।
अब आरम्भ होता है आज का रिपोर्ट कार्ड।
1.देव संस्कृति विश्वविद्यालय में अखंड ज्योति नेत्र हॉस्पिटल का VC यूनिट खुला।
हम सबके लिए सौभाग्य एवं गर्व की बात है कि शान्तिकुंज, हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल का VC यूनिट का उद्घाटन वसंत पर्व के पावन अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने गुरुसत्ता को समर्पित किया। DSVV Eye and Tele Ophthalmology Centre नामकरण के साथ यह सेंटर शान्तिकुंज एवं विश्वविद्यालय के कार्यकर्त्ता, प्रज्ञा परिजनों एवं स्थानीय आम जनता को लाभान्वित करेगी।
साथ ही आपका अखंड ज्योति अपने अत्याधुनिक Tele-Ophthalmology शृंखला की शुरुआत गुरुवर के आध्यात्मिक महासागर शान्तिकुंज, हरिद्वार से शुभारंभ किया जिसका उद्घाटन भी इसी कार्यक्रम में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या भाई साहब के कर कमलों से हुआ।
यह सभी कार्यक्रम अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख श्रद्धेय डॉक्टर प्रणव पंड्या जी एवं आदरणीय जीजी के नेतृत्व तथा दिशा निर्देश में आयोजित किया गया।
आपका अखंड ज्योति नेत्र हॉस्पिटल भारत के सबसे बड़े नेत्र हॉस्पिटलों में से एक है जिसकी स्थापना परम पूज्य गुरूदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के प्रारंभिक शिष्यों में से एक पूज्य पंडित रमेश चंद्र शुक्ला बाबा ने मस्तीचक में किया है। ज्ञात हो कि अखंड ज्योति नेत्र हॉस्पिटल का यह नेत्रदान यज्ञ की प्रेरणा गुरूवर एवं वंदनीय माता जी ने शुक्ला बाबा को दिया था। अखंड ज्योति में प्रतिवर्ष 70,000 लोगों का निशुल्क नेत्र आपरेशन किया जाता हैं तथा वंदनीय माताजी के जन्म शताब्दी वर्ष 2026 तक प्रति वर्ष 2,00,000 निःशुल्क नेत्र ऑपरेशन करने का क्षमता प्राप्त कर लेगा।
आदरणीय मृतुन्जय तिवारी भाई साहिब का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने यह जानकारी हमारे साथ शेयर की।
2.राजकुमारी कौरव जी द्वारा साहित्य वितरण
नर्मदा जयंती के पावन पर्व पर गुरुदेव आचार्य श्रीराम शर्मा द्वारा सृजित साहित्य अखंड ज्योति पत्रिका एवम् अन्य साहित्य ,ज्ञान प्रसाद का वितरण अखिल विश्व गायत्री परिवार करेली नरसिंहपुर द्वारा किया गया। उसी से सम्बंधित कुछ चित्र हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। आजकल बहिन जी यज्ञ करवाने में व्यस्त हैं। 24 गांवों में 5 कुंडीय यज्ञ कराने का संकल्प लिया है,आज कलश यात्रा है। आप इस महान कार्य में सहभागी हैं; इसके लिए आपको धन्यवाद एवं अभिनंदन।
3.संजना बेटी ने मम्मी पापा के साथ सम्पन्न किया नौ दिवसीय सत्र
जहाँ हम ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के माध्यम से गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर अनुभूतियों की श्रृंखला आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं वहीँ हमारी बेटी संजना कुमारी और उसके मम्मी पापा ने युगतीर्थ शांतिकुंज में नौ दिवसीय सत्र करके गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया। हमारा विश्वास है कि इस विशेष समय पर यह सत्र करना अपनेआप में ही एक बड़ा सौभाग्य है। सौभाग्य हम इस लिए कह रहे हैं कि कई बार संयोग बनते-बनते ही कई वर्ष बीत जाते हैं। हम तो इसे इस प्रकार भी कहते आये हैं कि जब तक गुरुकृपा नहीं होती कुछ भी कर पाना संभव नहीं होता। उसी गुरुकृपा का/संयोग का एक उदाहरण आदरणीय सुमनलता जी ने भी दिया है। 2021 में शांतिकुंज की स्वर्ण जयंती पर बहिन जी का शांतिकुंज जाना एक संयोग ही तो है , श्रद्धेय डॉक्टर साहिब और आदरणीय जीजी से आशीर्वाद लेना कोई कम नहीं है। उसी आशीर्वाद से बहिन जी हर वर्ष शांतिकुंज जा रही हैं।
आज के सेगमेंट का यहीं पर समापन होता है अब हमारी मुलाकात सोमवार की ब्रह्मवेला में एक नई अनुभूति से होगी, लेकिन जाने से पहले प्रस्तुत है आज की संकल्प सूची।
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 7 सहकर्मियों ने संकल्प पूरा किया है और सभी गोल्ड मेडलिस्ट हैं जिसके लिए उन्हें बधाई और उन सभी का धन्यवाद् जिन्होंने गोल्ड मैडल दिलवाने में सहायता की।
(1)संध्या कुमार-27,(2 )सरविन्द कुमार-28,(3 ) सुजाता उपाध्याय-24 ,(4)रेणू श्रीवास्तव-26 ,(5) चंद्रेश बहादुर सिंह-24,(6)वंदना कुमार-26,(7)सुमन लता-24