2 फ़रवरी 2023 का ज्ञानप्रसाद
एक बार फिर से ब्रह्मवेला का समय है, आइये आंवलखेड़ा आगरा स्थित, उसी कोठरी में चलें, गुरु चरणों का सानिध्य प्राप्त करें, अपनी-अपनी जगह सुरक्षित करें, गुरुचरणों में नमन करें और आज वर्णन की जा रही दो समर्पित साधकों की अनुभूति का अमृतपान करें। माँ बेटी की इस समर्पित जोड़ी को OGGP का सादर नमन है। हम सबकी प्रिय होनहार बेटी संजना जो देव संस्कृति विश्वविद्यालय में Psychology की विद्यार्थी है DSVV के बारे में बता रही है। बेटी का धन्यवाद् करते हैं कि उसने हमारे आग्रह पर इस टॉपिक पर ज्ञान का प्रसार किया। पूनम जी 2022 के सत्संग की अनुभूति वर्णन कर रही हैं। हर बार की तरह आज भी दिव्य कोठरी का चित्र लेख के साथ attach है। आदरणीय ज्योति बहिन जी ने हम सबका आभार व्यक्त किया है कि उनके चित्र के माध्यम से सभी को दिव्य कोठरी के दर्शन हो रहे हैं।
आइये विश्वशांति की कामना करें और माँ बेटी के दिव्य विचारों का अमृतपान करें।
“ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
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1.संजना कुमारी की देव संस्कृति विश्वविद्यालय के बारे में अनुभति :
हम देव संस्कृति विश्वविद्यालय (DSVV) के विद्यार्थी है, यहाँ के वातावरण के बारे में जो अनुभव करते हैं वही लिखने का प्रयास कर रहे हैं।
DSVV का वातावरण तो गूँगें के गुड़ की भांति केवल अनुभव ही किया जा सकता है ,वर्णन नहीं किया जा सकता लेकिन फिर भी शब्दों में पिरोने का प्रयास करेंगें। यहाँ के बाद और कहीं भी जाएँ, फीकापन ही नजर आता है। यहां की दिनचर्या में हर स्टेप पर निजी और सामूहिक तौर पर जीवन जीने की कला सिखाई जाती है जो कहीं और ट्रेनिंग के बाद शायद ही ऐसा श्रेष्ठ व्यक्तित्व बन पाए। इसी पद्धति पर अनेकों गुरुकुल हैं लेकिन वहां के नियम और अनुशासन शायद सिर्फ बच्चों पर थोपने के लिए होंगे। DSVV के शिक्षक स्वयं बच्चों के साथ प्रातः ब्रह्मवेला में यज्ञ से लेकर दिन भर के सभी क्रियाकलापों को अपने आचरण द्वारा प्रस्तुत करके भारतीय संस्कृति के मूल्यों के महत्त्व का संदेश देते हैं।
गंगा की गोद, हिमालय की छाया, परम पूज्य गुरुदेव का दिव्य संरक्षण,प्रज्ञेश्वर महाकाल का घोंसला, देवताओं और ऋषियों की सिद्धभूमि होने के कारण DSVV की आध्यात्मिक ऊर्जा की प्रचुरता से हमारे चिंतन,चरित्र एवं व्यवहार की जड़ें मजबूत हो रही हैं एवं मन स्वतः ही निर्मल हुए जा रहा है।आज विज्ञान के नाम पर जो विनाशकारी कार्य किए जा रहे हैं किसी से छुपे नहीं,सांस तक लेना मुश्किल है, कोरोना काल इसका अच्छा उदाहरण है। DSVV में विद्यार्थियों को अध्यात्म का वैज्ञानिक स्वरूप सिखाया जाता है जो हमारे जीवन को संतोष, शांति व मन की एकाग्रता प्रदान करता है।यहां ऋषि मनीषियों के अध्यात्म की गौरवमई जीवनशैली सिखाई जाती है जो आज के धर्म के बिगड़ैल रुप से हमें सावधान करते हैं। यहां केवल डिग्रीयां नहीं बल्कि जीवन में उपयोग आने वाले कौशल उद्यमिता भी सिखाई जाती हैं। प्रकृति से जुड़ना सिखाया जाता है जो कि बहुत ही उपयोगी एवं आवश्यक है क्योंकि आज की बिगड़ी भौतिकवादिता और तकनीक के कारण न जाने कितनी बड़ी संख्या में लोग अवसाद के शिकार हो रहे हैं। यहां अनुशासन का कड़ाई से पालन होता है क्योंकि बुद्धि हमारे पास चाहे जितनी भी हो लेकिन उसे व्यवस्थित दिशा नहीं दी गई तो अच्छे अच्छों का जीवन खराब होते देर नहीं लगती। परम पूज्य गुरुदेव के सूत्र लोकरंजन से लोकमंगल के द्वारा बच्चों की कला का सुनियोजन संस्कृति के उत्थान के लिए करना सिखाया जाता है जिसको हमने बहुत ही अच्छी तरह महसूस किया है। आज लोगों के पास कला की तो कमी नहीं है लेकिन दिशा की कमी जरूर है, जो मानवीय गरिमा को लगातार नीचे ही गिराते जा रही हैं।आज के समय में ऐसा कदम और विचार और कहीं नहीं दिखता। परम पूज्य गुरुदेव जी के सद्ग्रंथ में जीवन के सारे आयामों के पीड़ा एवं पतन का समाधान है। यह समूचा अनमोल धरोहर अन्य विषयों की पुस्तकों के साथ बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए DSVV के अत्यंत दिव्य एवं प्रेरणा से भरे पुस्तकालय में उपलब्ध हैं। पढ़ाई के साथ उद्यमिता के गुण भी सिखाएं जातें हैं।
यूनिवर्सिटी के प्रांगण में स्थित प्रज्ञेश्वर महाकाल मंदिर तो हम बच्चों का सबसे पसंदीदा स्थान है। इस दिव्य स्थान पर आकर हम अपने मन की एकाग्रता के साथ बहुत ही आसानी से पढ़ाई को उंचें स्तर तक पहुंचा सकते हैं।
DSVV में सर्वांगनीय विकास की हर व्यवस्था है जैसे कि विभिन्न स्पोर्ट्स, NCC, स्काउट गाइड,NSS,आदि। DSVV में पढ़ रहे विद्यार्थीओं का महाकाल और विश्वविद्यालय से एक अद्भुत कनेक्शन बन जाता है, जो मायके से भी बढ़कर होता है।अगर कोई समस्या आती भी है तो “स्वयं भगवान हमारे गुरु” के अंश आदरणीय चिन्मय सर का स्नेहपूर्ण मार्गदर्शन एवं दिव्य मुस्कान से तुरंत गायब हो जाती है। चिन्मय जी के पास क्या बच्चे, क्या बड़े सभी परेशान हुए जाते हैं और समाधान पाकर, प्रसन्न होकर बाहर आते हैं। इतना ऊंचा पद और व्यक्तित्व होने के बावजूद, एक प्रतिकुलपति के रूप में बहुत सादगी से सभी से मिलते हैं। हमारा दावा है कि उनके जैसा अपनत्व एवं निस्वार्थ भाव से सहयोगऔर मार्गदर्शन कहीं और प्राप्त हो ही नहीं सकता ।
विद्यार्थियों को शुरुआती दिनों से ही अपने career को लेकर CSGP ( Department of career, support, guidance and progression) द्वारा जागरूक किया जाता है,ताकि उन्हें अंतिम वर्षों में भारी उलझनों से न गुज़रना पड़े।
DSVV में एशिया का प्रथम बाल्टिक सेंटर बना है जो बाल्टिक देशों के साथ मिलकर संस्कृति, भाषा, कला एवं अध्ययन के क्षेत्र में Joint projects पर कार्य हो रहा है। बाल्टिक महासागर के पूर्वी तट के तीन देश -Estonia. Latvia और Lithuania को Baltic nations का नाम दिया गया है ।
परम श्रद्धेय डॉ प्रणव पंड्या जी जो DSVV के चांसलर हैं, की गीता एवं ध्यान की क्लास शिक्षा को और भी दिव्यता प्रदान करती है जिसके आनंद के आभास का गान करना असंभव है।असंभव इसलिए क्योंकि जब हम उनकी संवेदनाओं से झंकृत होते हैं तो हम नि:शब्द हो जाते हैं।
DSVV के अंतर्गत कराई जाती ज्ञानदीक्षा से दीक्षांत समारोह तक की परंपरा DSVV को और भी विशेष बनाते हैं जहां देश के राष्ट्रपति से लेकर प्रांतों के मुख्यमंत्री तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
DSVV में एकदम ragging free environment है इसलिए बच्चों को कोई भी समस्या नहीं आती।
जीवन प्रबंधन की कक्षाएं और आध्यात्मिक जीवनशैली इसे और भी ज्यादा खास बनाती है जहां गुरुजी की युग निर्माण के सूत्रों से अवगत कराकर विद्यार्थियों को उनके अंदर की शक्ति का बोध कराया जाता है। यही कारण है कि DSVV को युवाओं को गढ़ने की टकसाल कहा जाता है जो गुरुजी के सपनों को 2002 से निरंतर गति प्रदान कर रहा है। विद्यार्थी अपने कोर्स के अंतिम वर्षों में इंटर्नशिप के माध्यम से देश के विभिन्न शक्तिपीठों के द्वारा दीप यज्ञ, हवन,प्रज्ञायोग और गुरु जी के सप्त आंदोलनों और विचारों को जन जन तक फैलाते हैं एवं युग निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करतें हैं। इस वर्ष कुल 121 टोलियां अपने गंतव्य को निकली हैं।हर टोली पांच कार्यक्रम आयोजित करेंगी और इस तरह एक माह के इस प्रोग्राम के द्वारा विचार क्रांति अभियान के कुल 500 कार्यक्रम आसानी से पूरे हो जाएंगे। It is a university with a difference that’s why I am proud to be a dsvvian.जब गुरु परमात्मा बनकर दिल पर राज करने लगते हैं तो कलम रुकती नहीं, इसे रोकना पड़ता है। किसी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हैं। हे परमात्मा हम सबको सद्बुद्धि दे एवं सभी को उज्जवल भविष्य के मार्ग पर आगे बढ़ाएं । जय गुरुदेव, जय शिव शंभू
2. पूनम कुमारी जी की अनुभूति:
बात पिछले वर्ष 5 फरवरी 2022 के परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस की है। मेरे मन में भाव जगा कि क्यों न अपने घर इस वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर एक सत्संग रखा जाए। मैंने इस भाव को अपने परिवार में रखा तो सबकी सहमति बन गई। फिर उसकी तैयारियां होने लगीं। संजना बिटिया और बेटे शुभम ने मिलकर बहुत अच्छी तैयारियां की।कैरम बोर्ड पर गुरुदेव के सद्विचारों की स्टीकर लगाएं और अखंड ज्योति पत्रिका का पुस्तक मेला लगाया । घर-घर जाकर दोनों बच्चों ने गायत्री परिजनों एवं सभी को आने का निमंत्रण दिया। ठंड बहुत थी। सत्संग की व्यवस्था छत पर खुले में ही की थी क्योंकि नीचे रुम छोटा था।उस दिन मौसम भी खराब था , चारों तरफ़ बादल छाए हुए थे।लग रहा था कि अब बारिश हो जाएगी लेकिन मेरे मन में पूर्ण विश्वास था कि सत्संग की शुभारंभ के बाद बारिश नहीं होगी और हुआ भी कुछ ऐसा ही।देवस्थापना के बाद दीपक प्रज्ज्वलित कर सत्संग की शुरुआत गायत्री मंत्र, गुरु वंदना से की गई। गायत्री परिवार के वरिष्ठ परिजनों द्वारा गायत्री की महत्ता और इनकी आज के लिए उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया। सभी आए परिजनों ने उस ठंड में भी गंभीरता से सारी बातों का श्रवण किया। सभी को अंत में प्रसाद,देवस्थापना की एक तस्वीर और एक अखंड ज्योति देकर विदा किया, एवं सत्संग निर्विघ्न संपन्न हुआ।
हमारे परिवार के वरिष्ठ पाठक चाचा जी ने तो यहां तक कह दिया कि लग रहा है कि पूनम पर गुरुदेव सवार हो गए हैं। उसके बाद से हमारे जीवन में और भी सौभाग्य के क्षण आ रहें हैं जैसे हमारा उसी वर्ष परम पूज्य गुरुदेव के 2011 जन्म शताब्दी वर्ष के कितने लंबे समय के इंतजार के बाद शांतिकुंज जाना संभव हो पाया, संजना बिटिया का DSVV में admission होना। परम पूज्य गुरुदेव जी की कृपा से इस बार की वसंत पंचमी में नौ दिवसीय सत्र में हम सभी शांतिकुंज में होंगे। जिस समय हम यह पंक्तियाँ लिख रहे, परिवार ने नौ दिवसीय सत्र सम्पन्न कर लिया है और संजना बिटिया के अनुसार मम्मी पापा ट्रैन में वापिस जा रहे हैं।
गुरु जी बोलते हैं तू एक कदम तो बढ़ा उसके बाद मैं संभाल लूंगा,यह हम शत् प्रतिशत अनुभव कर रहे हैं। सचमुच गुरुदेव बहुत दयावान हैं।निश्चय ही हम अंधकारमय जीवन से बाहर आ रहें हैं और इसके लिए गुरु ऋण तो हम नहीं चुका सकेंगे परंतु गिलहरी की भांति गुरु जी की अनुकंपा से छोटे प्रयास जारी रखेंगे । जय गुरुदेव,जय विश्व वंदनीय माताजी, जय गायत्री माँ ।
डॉ अरुण त्रिखा जी के मार्गदर्शन में हमारा जीवन दिन प्रतिदिन धन्य होते जा रहा है । आपको किस तरह धन्यवाद करें समझ नहीं आ रहा है, बस परम पूज्य गुरुदेव से प्रार्थना है कि आपका मार्गदर्शन सदा प्राप्त होता रहे। जय गुरुदेव
अगली अनुभति अब सोमवार को प्रस्तुत होगी, कल हम सिनापलि ओडिशा चलेंगें।
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 11 सहकर्मियों ने संकल्प पूरा किया है। अरुण जी फिर से गोल्ड मेडलिस्ट हैं,उन्हें बधाई और उन सभी का धन्यवाद् जिन्होंने गोल्ड मैडल दिलवाने और सभी को संकल्प पूर्ण करने में सहायता की।
(1)संध्या कुमार-28,(2 ) रेणु श्रीवास्तव-38,(3 ) सुजाता उपाध्याय-24,(4)अरुण वर्मा-65 ,(5 )सरविन्द पाल-31,(6)वंदना कुमार -24,(7) चंद्रेश बहादुर सिंह-35,(8)निशा भारद्वाज -28,(9)विदुषी बंता-35,(10) मंजू मिश्रा-34,(11)सुमन लता-26