पूज्यवर के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर अनुभूति श्रृंखला  का चौथा  अंक – सरविन्द कुमार पाल का योगदान

 1 फ़रवरी  2023  का ज्ञानप्रसाद

सूक्ष्म सत्ता, परम पूज्य गुरुदेव जो-जो मार्गदर्शन हमें प्रदान करते हैं हम बड़ी ही श्रद्धा से अपने सहकर्मियों के समक्ष प्रस्तुत कर देते हैं। इसी कड़ी में  हमारी अंतरात्मा निर्देश दे रही है कि  गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस के अंतर्गत प्रस्तुत की जा रही दिव्य लेख श्रृंखला का अमृतपान उसी कोठरी में किया जाए जहाँ 15 वर्षीय बालक श्रीराम का मार्गदर्शक  दादा गुरु से 1926 की वसंत पंचमी को साक्षात्कार हुआ था। आइये आंवलखेड़ा आगरा  स्थित, उसी कोठरी  में चलें, गुरु चरणों का सानिध्य प्राप्त करें और उनके समक्ष वर्णन की जा रही एक और समर्पित साधक की आपबीती का ध्यान से अमृतपान करें।  उसी दिव्य कोठरी का चित्र हम हर लेख के साथ attach  करते आ  रहे हैं। आदरणीय ज्योति बहिन जी के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपना  25 फ़रवरी 2021 को शूट किया गया यह दिव्य चित्र शेयर करने की आज्ञा दी। 

  

परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर प्रस्तुत की जा रही विशेष शृंखला में सरविन्द पाल जी की  एक और अनुभूति प्रस्तुत है जिसमें जो एक  सच्ची घटना पर आधारित है। लेखनी में प्रयास यही किया गया है कि पाठकों को सच में विश्वास हो जाए कि परम पूज्य गुरुदेव सच में एक्सीडेंट के समय कंधे पर उठा कर भागदौड़ करते हैं। अपने  सहकर्मियों  के साथ हम उस वीडियो को कई बार शेयर  कर चुके हैं जिसमें गुरुदेव कह रहे हैं “परमात्मा न करे आपका एक्सीडेंट हो जाए ……….”  यह वीडियो सरविन्द जी के एक्सीडेंट पर शत प्रतिशत सही साबित हो रही है।    

सहकर्मियों द्वारा प्रस्तुत की गयी सभी contributions को प्रकाशन से पूर्व भलीभांति, ध्यान से एडिट करना, syntax, grammer इत्यादि ठीक करना हमारा कर्तव्य है लेकिन कल और आज वाले ज्ञानप्रसाद लेखों में हमने भावनावश कुछ अपने विचार भी add किये थे, हो सकता है पाठकों ने हमारी भाषा और लेखनी को पहचान लिया हो। ऐसा करने में इस बात की सावधानी  सदैव ही बरती जाती है कि प्रस्तुत कर रहे सहकर्मी के विचारों के साथ कोई भी खिलवाड़ न किया जाए, originality बरकरार रखी  जाए, क्या करें भावनाओं का ही तो सारा खेल है, कई बार अपनेआप को रोकने में असमर्थ पाते हैं।  

तो आइए कोठरी में अपनी अपनी जगह सुरक्षित करें, गुरुचरणों में नमन करें,विश्वशांति की कामना करें  और गुरुदेव के सानिध्य में आदरणीय सरविन्द जी द्वारा वर्णन की जा रही एक्सीडेंट की घटना का अमृतपान करें। 

“ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥    

2017 को हमारे साथ घटित घटना का संक्षिप्त विवरण   

हम सरविन्द कुमार पाल, करचुलीपुर, कानपुर, उत्तर प्रदेश से हैं और हमारी प्रस्तुति बिल्कुल  सत्य घटना पर आधारित है।  हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारी  कहानी पढ़ने के बाद आपके मन में  हमारे परम पूज्य गुरुदेव के बारे में जो भी कोई शंका, असमंजस, दुविधा की स्थिति स्थान ले चुकी है उस स्थिति की  ज़ंजीरें एकदम टूट जाएंगीं और आप स्थिर होकर सार्थकता की दिशा में कदम बढ़ाने को तत्पर हो जायेंगें। घटना के अंत में लिखे गए  पैराग्राफ ध्यान से, बार-बार पढ़ने के लिए आग्रह कर रहे हैं।       

घटना  8 फरवरी 2017 की है जब  हम मासिक वेतन पर  एक रियल एस्टेट  कम्पनी में Cash collection  का काम करते थे। प्रतिदिन हमें मोटर साईकिल से 200-250 किलोमीटर  का सफर तय करना पड़ता था।  ऐसे ही Cash collection  के सिलसिले में ही  हम उस दिन बुधवार को  अपने  वरिष्ठ साथी महेन्द्र सिंह कुशवाहा के साथ  ग्राम पंचायत   जनपद बाँदा गए हुए थे। महेन्द्र जी  ग्राम पंचायत नंदापुर, जनपद फतेहपुर उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। शाम  6 बजे का समय होगा, हम दोनों  वहाँ से वापस लौट रहे थे, लगभग 25 किलोमीटर ड्राइव किया होगा  कि एक हिरण सड़क  पार करता हुआ अचानक  मोटर साईकिल के ठीक सामने आ गया और मोटर साईकिल से टकरा गया। इस एक्सीडेंट से मोटर साईकिल कई बार लुढ़क कर सड़क के बीच आ गिरी और हम बेहोश हो गए। इस भयानक एक्सीडेंट को  हमने केवल  टक्कर होते ही देखा और उसके बाद हमारी आँखें तो  बंद हो गई लेकिन महेन्द्र जी को होश था ।  लगभग एक घंटे तक होश नहीं आया,  हमारे वरिष्ठ साथी महेन्द्र भी चोट से  हिल गए, बियाबान जंगल में अकेले होने के कारण विचलित थे । हमारे शरीर में बहुत चोटें आई  थीं, दाहिनी  आँख के नीचे बहुत बड़ा घाव हो गया था, खून बंद ही नहीं हो रहा था। इस  सम्पूर्ण घटना को  देखकर महेन्द्र जी  बहुत ही घबरा  गए थे। घबराना  स्वाभाविक था क्योंकि जिस स्थान पर यह घटना हुई थी उसके आसपास का क्षेत्र घने जंगल से घिरा हुआ था। सारा क्षेत्र जंगली जानवरों और  बदमाशों का अड्डा था। परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से हमें लगभग एक घंटे बाद होश आया, चेहरे में कई जगह से खून बह  रहा था, मोबाइल फोन और हेलमेट सड़क  के दूसरी तरफ जा गिरे थे। घोर अंधेरी रात्रि थी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। 

इस विषम परिस्थिति में परम पूज्य गुरुदेव ने  न जाने कहाँ से हमारी सहायता  के लिए  दो फरिश्ते भेज दिए जिन्होंने हम दोनों  की सहायता  की। इन दो अपरिचित व्यक्तियों ने  हम दोनों भाइयों के हालात का जायज़ा  लिया और धीरज बंधाया कि आप लोग घबड़ाओ नहीं, हम आप लोगों की पूरी मदद करेंगे l हम लोगों के बहुत गंभीर  चोटें आयी  थी और हमारी बाइक व अन्य सामान इधर-उधर बिखर गया था। दोनों सज्जन पुरुषों ने अंधेरी रात्रि में बिखरा हुआ सामान,हेलमेट, मोबाइल फोन व बैग में रखे हुए 80000 रुपये एकत्र किये , सुरक्षित करके हमें  उपलब्ध कराया तथा अपनी गाड़ी से दवा लेकर First aid भी प्रदान की। उन्होंने हमें  डाक्टर के पास ले चलने के लिए भी आग्रह  किया लेकिन हमने मना कर दिया। हमने कहा कि आपका बहुत बहुत धन्यवाद्, आप लोग बिल्कुल चिन्ता न करें, अब हम काफी ठीक हैं और आराम से घर पहुँच जाएंगे। इसके बाद  हम दोनों भाइयों ने  उन अपरचित सज्जन पुरुषों का  धन्यवाद किया और अपने घर की ओर चल दिए   l 

हमारे पास बैग में 80000  रुपए थे लेकिन इस सूनसान क्षेत्र में, बियाबान जंगल में, रात के अँधेरे में कुछ भी अनहोनी न हुई । हाइवे होने के बावजूद दोनों तरफ से आने-जाने वाले वाहनों का आवागमन भी रोक दिया गया था नहीं तो हम कहाँ  जिन्दा बच पाते।  हाइवे पर वाहनों का आवागमन बहुत तेज़ होता है और इन वाहनों से कुचलने में एक सेकंड भी नहीं लगता, लेकिन घटना के समय दोनों तरफ से भी आवागमन ठप हो गया था और परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि से ही हम दोनों भाइयों का सुरक्षित हो पाना संभव हो पाया। 

यह सब इसलिए संभव हो पाया कि हमें गुरुदेव की शक्ति पर पूर्ण विश्वास है । जब भी हम गाड़ी चलाते हैं यां खाली होते हैं तो परम पूज्य गुरुदेव, परम  वन्दनीया माता जी,आदिशक्ति जगत् जननी माँ गायत्री का स्मरण करते हुए गायत्री महामंत्र का जाप करते रहते हैं l आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि स्नेह व प्यार के रूप में सदैव परम पूज्य गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य अपने बच्चों पर बना रहता है। इसमें तनिक भी संदेह व संशय नहीं है कि परम पूज्य गुरुदेव साक्षात महाकाल हैं और  जिनके सिर पर महाकाल का हाथ होता है उनका कभी भी अमंगल नहीं हो सकता है। यदि परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि न होती तो हमारा तो “राम नाम सत्य” हो गया होता और आज हम आप से इस तरह वार्तालाप न कर रहे होते। 

हमें  पूर्ण विश्वास है कि परम पूज्य गुरुदेव ने हमें  आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के साथ जुड़ने के लिए ही बचा लिया क्योंकि गुरुदेव ने अपना आशीर्वाद प्रदान करके अवश्य ही  हमसे कोई बड़ा कार्य करवाना है। हमारा परम सौभाग्य है कि आज हम परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि से आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार के सदस्य हैं और परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी विचारों का अमृतपान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। 

वह जीवन ही क्या जिसमें उतार-चढ़ाव न हों, संघर्ष न हो क्योंकि ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है। मुर्दादिल क्या ख़ाक जिया करते हैं। कायर होते हैं वोह जो  जीवन में संघर्ष से पहले ही हथियार डाल  देते हैं। जब से हम  आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सक्रियता के साथ योगदान दे रहे हैं तब से हम अपनेआप में  बहुत ही अच्छा महसूस कर रहे हैं और परम पूज्य गुरुदेव की कृपादृष्टि व आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार के अपने सभी आत्मीय सूझवान व समर्पित पाठकगण व सहकर्मी भाइयों व बहनो के सामुहिक आशीर्वाद  से सभी बिगड़ी बातें  व बिगड़े काम बनते चले जा रहे हैं, परम पूज्य गुरुदेव के प्रति हमारी श्रद्धा व निष्ठा अटूट होती जा  रही है, आत्मविश्वास बढ़ रहा है और आत्मसंतुष्टि मिल रही है । 

हम सबको एक संकल्प लेने की परम आवश्यकता है और वह संकल्प निम्नलिखित है 

जब परम पूज्य गुरुदेव हर परिस्थिति  में हम  बच्चों की सहायता करते हैं, रात दिन नहीं देखते ,गर्मी सर्दी नहीं देखते तो और हम बच्चों का  परम कर्त्तव्य बनता है कि हम परम पूज्य गुरुदेव को समर्पित होकर उनके साहित्य को कभी न भूलें । उसका अधिक से अधिक स्वाध्याय करें,समझें; अगर समझ न  आये तो किसी की सहायता लें, समझने के बाद औरों को पढ़ाएं, समझाएं, इसी तरह एक कभी न समाप्त होने वाली human chain की रचना करें।  

हम सभी को आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के प्लेटफार्म से जुड़कर परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी विचारों को आत्मसात् कर अपने जीवन में उतारना चाहिए।   अधिक से अधिक लोगों को भी प्रेरित करने के लिए प्रयास करना चाहिए क्योंकि केवल अपने  कल्याण के बारे में सोचना तो शुद्ध स्वार्थ ही है, प्रयास ऐसा हो  जिससे सबका कल्याण हो। यही कारण है कि प्रत्येक ज्ञानप्रसाद का आरम्भ ही विश्वव्यापी  सुखशांति की कामना से करते हैं। 

आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार एक ऐसा सुसंस्कारित व पवित्र परिवार है जिसमें हम सबकी सुप्त पड़ी प्रतिभा जगायी जाती है,परस्पर  प्यार व सहकारिता  का पाठ पढ़ाया जाता है। यह प्लेटफॉर्म आपस में सत्संग करने का बहुत ही उत्तम माध्यम  है।  अतः आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार में जुड़ कर परम पूज्य गुरुदेव के अमृत तुल्य ज्ञान प्रसाद का अमृतपान  करने का सौभाग्य प्राप्त करें। 

इस ज्ञानप्रसाद का समापन करने से पूर्व बता दें कि शुक्रवार को रिलीज़ हो  रही केवल 6 मिंट की वीडियो में आदरणीय सुजाता बहिन जी हमें सिनापली ओड़िशा के 251 कुंडीय यज्ञ के प्राँगण से आशीर्वाद प्राप्त करायेंगीं ,धन्यवाद बहिन जी। 

आज की  24 आहुति संकल्प सूची में 7   सहकर्मियों ने संकल्प पूरा किया है। अरुण  जी फिर से गोल्ड मेडलिस्ट हैं,उन्हें बधाई और उन सभी का धन्यवाद् जिन्होंने गोल्ड मैडल दिलवाने और  सभी को संकल्प पूर्ण करने में सहायता की। 

(1)संध्या कुमार-35,(2 ) रेणु  श्रीवास्तव-34 ,(3 ) सुजाता उपाध्याय-24,(4)अरुण वर्मा-54  ,(5 )सरविन्द पाल-31   ,(6)वंदना कुमार -33,(7) चंद्रेश बहादुर सिंह-27 

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