पूज्यवर के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर अनुभूति श्रृंखला  का दूसरा  अंक – अंजलि पांडे और अरुण वर्मा का योगदान

30 जनवरी 2023  का ज्ञानप्रसाद    

आज फिर, कुछ भी लिखने से पहले हम आंवलखेड़ा की उस पावन कोठरी में नतमस्तक होंगें जहाँ दादा गुरु 1926 की वसंत पंचमी वाले दिन 15 वर्षीय बालक श्रीराम से साक्षात्कार करने हिमालय से आये थे। इस लेख के साथ संलग्न किया गया चित्र हमारी  ही सहकर्मी आदरणीय ज्योति गाँधी जी का है जिसमें वह अपनी बेटी के साथ उसी दिव्य कोठरी में दिखाई दे रही हैं। यह फोटो उन्होंने 25 फ़रवरी 2021 को शूट किया था। हम चाहते हैं कि प्रत्येक अनुभूति आरम्भ करने से पूर्व इस दिव्य स्थली के दर्शन करके अपनेआप को कृतार्थ करें, इसी चाहत के कारण यह चित्र अनभूति की हर  क़िस्त को दिव्यता प्रदान करेगा।  

अनुभूतियाँ प्रस्तुत करने से लगभग एक माह पूर्व हमने अपने समर्पित सहकर्मियों को  अनुभूतियाँ लिखने के लिए  सादर निमंत्रण दिया था। हमें बड़ी प्रसन्नता है कि हमारे इस आग्रह को अटूट सम्मान मिला है जिसके लिए हम सदैव आभारी रहेंगें।वैसे तो परम  पूज्य गुरुदेव से सम्बंधित अनेकों  अनुभूतियां ऑनलाइन/ऑफलाइन उपलब्ध है ,लेकिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सहकर्मियों  की अनुभतियों का हमारे ह्रदय में एक विशेष स्थान है। सहकर्मियों से आग्रह करने का अर्थ है उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहित करना, उन्हें गुरु के प्रति समर्पण व्यक्त करने का अवसर प्रदान  करना और जो सहकर्मी सुप्त स्थिति में हैं उनकी चेतना में चिंगारी फूँक कर विस्फोट करना। 

परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर प्रस्तुत की जा रही विशेष शृंखला में आज दो सहकर्मियों, अंजलि पांडे और अरुण वर्मा जी की अनुभूतियाँ प्रस्तुत की गयी हैं। दोनों अनुभूतियाँ पढ़ने के बाद गुरुदेव के प्रति  सहकर्मियों का विश्वास और दृढ होगा। जो कोई  गुरुदेव को नहीं जानता, उनकी शक्ति से परिचित नहीं है, उसके लिए कोई भी अनुभूति कोई विशेष महत्व नहीं रखती क्योंकि उसकी आंखों पर अविश्वास, अश्रद्धा  की पट्टी बंधी हुई है, हमें उसी पट्टी को उतार फेंकने में प्रयास करना है। अनुभूति श्रृंखला का प्रकाशन इसी दिशा में एक कठिन लेकिन सम्भव  प्रयास है                

आइए  गुरुसत्ता के श्रीचरणों में बैठ कर विश्वशांति के लिए प्रार्थना  करें और सत्संग के पथ  पर अग्रसर होते चलें।  

“ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि पर हमारी श्रद्धांजलि। 

_______________

1.गुरुदेव ने मेरे पति का ह्रदय परिवर्तन कर दिया ,प्रस्तुतकर्ता  अंजलि पांडे 

आदरणीय डॉक्टर अरुण त्रिखा जी सादर प्रणाम।  26 जनवरी को गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर  मैं अपनी सहेली अंजली पांडे की एक दिव्य गुरुकृपा की घटना  शेयर करना चाहती हूँ , पूर्ण विश्वास है कि इस अनुभूति से अनेकों  परिजनों का  परम पूज्य गुरुदेव के प्रति श्रद्धा और विश्वास  बढ़ेगा  

2022 की चैत्र नवरात्रि में मैं पहली बार नवरात्रि साधना के लिए शांतिकुंज  गई थी, वहां मुझे एक सच्ची गुरुभक्त मिली।  हम एक ही कमरे में ठहरे थे । इस गुरुभक्त का नाम अंजलि पांडे है और वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से हैं। अंजलि जी  बहुत ही जागरुक महिला हैं, मिशन का कार्य पूरी लगन से करती हैं, अपने घर में नित्य यज्ञ करती हैं और घर-घर जाकर यज्ञ कराती  हैं।  यज्ञ से जो भी धनराशि इक्क्ठी होती  है उसे अपने नजदीकी शक्तिपीठ में भेंट कर देती हैं। वहां  के शक्तिपीठ के निर्माण कार्य में उनका और उनके पति का बड़ा योगदान है।  यह बात अंजलि जी के साथ गायत्री साधना करने आई निर्मला नामक बहिन जी ने बताया था। अनुष्ठान के बाद हम सभी वापिस अपने-अपने घर आ गए थे लेकिन एक सप्ताह  बाद अंजली जी दोबारा अपने बच्चों के साथ शांतिकुंज आ गईं। अंजलि जी ने पहले युग शिल्पी सत्र  किया और उसके बाद गोशाला में अपनी सेवा दी।  लगभग डेढ़ माह  बाद वे घर वापिस आने लगी तो उनके अंतर्मन से आवाज़ आई कि उन्हें शांतिकुंज में ही रहना चाहिए, वापिस  घर नहीं जाना चाहिए।  निजी जिंदगी में अंजलि  जी बहुत दुःखी थीं, उनके पति  तलाक देने को  कह रहे थे लेकिन अंजलि  जी को अपने बच्चों की चिंता थी। उनके पति उन्हें  इस बात के लिए भी कह रहे थे की जितनी भी प्रॉपर्टी और पैसा उन्होंने अंजली के नाम किया है उसे कानूनी कार्रवाई से वापिस कर  दे। अंजली जी भी  तलाक के मुआवजे की राशि नहीं  चाहती थीं।   अंजली जी इतना ही चाहती थी की तलाक के बाद  बच्चों  को कोई तकलीफ न हो।   अंजली जी के पति कुवैत  में रहते हैं, वे तीन साल बाद घर आ रहे थे लेकिन अलग रहना चाहते थे। अंजली जी ने इतना ही सोचा था कि बच्चों को घर छोड़ कर वापिस  शांतिकुंज आ जाऊंगी  घर जाने से पहले अंजली जी ने समाधि स्थल पर नतमस्तक होकर गुरुदेव से प्रार्थना की कि आप ही मुझे  बताएं कि मैं क्या करूं, बच्चों की खातिर घर वापिस जाऊं या आजीवन यहीं रहूं। गुरुदेव ने मार्गदर्शन दिया कि  बेटी तू घर वापिस जा, अंजली जी को आभास हो रहा था कि  गुरुदेव किसी का भी घर नहीं तोड़ते। अंजली जी के पति भी गायत्री माता और गुरुदेव के ही भक्त हैं।  गुरुशक्ति और मार्गदर्शन ने ऐसा कार्य किया कि उनके पति बजाए घर जाने के  एयरपोर्ट से सीधे शांतिकुंज ही आ गए।  समझ नहीं आया कि गुरुदेव ने कब और कैसे उनका हृदय परिवर्तन कर दिया, यह तो गुरुदेव ही जानें।  शांतिकुंज  आकर उन्होंने अंजली से इतना ही कहा,” अंजली अब घर चलो, बहुत तमाशा हो गया।”   वे चार महीने घर पर रहे,  सारा समय बहुत ही प्यार से रहे, कोई  कलह क्लेश नहीं किया।  तीन बार सपरिवार शांतिकुंज भी गए।  यह सभी  बातें मुझे अंजली जी ने पिछले महीने ही फ़ोन पर बताई थीं।  

परम पूज्य गुरुदेव से यही प्रार्थना है कि हम सब पर निरंतर अपनी कृपा बनाए रखें और हम सब गुरुकार्य  करते हुए अपने जीवन को सफल बनाएं। परम पूज्य गुरुदेव परम वंदनीय माताजी और वेदमाता गायत्री के चरणों में कोटि कोटि नमन वंदन 

2.बेटा तु क्यों चिंता करता है, तेरा गुरू बहुत बड़ा है वो हर हाल में तेरे संग खड़ा है, प्रस्तुतकर्ता अरुण वर्मा 

परम पूज्य गुरुदेव परम वंदनीय माता दी की कृपा दृष्टि से आज हमारी छोटी  बेटी पटना बिहार के कुर्जी होली फैमली काॅलेज में B.Sc. Nursing  की पढ़ाई कर रही है। 2021 में बेटी का नामांकन हुआ था जिसका  श्रेय परम पूज्य गुरुदेव को ही जाता है क्योंकि 10 अक्टूबर 2020  को परीक्षा हुआ था और 12 अक्टूबर को ही रिजल्ट आ गया। हम इस आशा में थे  कि इतनी  जल्दी रिजल्ट तो आएगा नहीं , इसलिए हम अपने ससुर जी के साथ दोनों बेटियों को लेकर  परिवार सहित 14 अक्टूबर को  शांतिकुंज हरिद्वार  के लिए निकल गये। दीक्षा संस्कार में दोनों बेटियों को  दीक्षा दिलवाई। संजोगवश  उस दिन रविवार था और रविवार परम पूज्य गुरुदेव का विशेष  दिन होता है।  शांतिकुंज से आने के बाद बेटी ने रिजल्ट चेक किया तो पता चला कि रिजल्ट तो 12 अक्टूबर को ही निकल गया था,अब तो 10 दिन लेट हो गया था।  काॅलेज से पता चला  कि रिजल्ट निकलने के 2 दिन के अंदर आकर अपनी  क्रम संख्या ले लेनी थी  नहीं तो सीट फुल हो जाने पर नामांकन नहीं हो पायेगा।  हमें तो उम्मीद ही नहीं थी  कि एडमिशन होगा फिर भी दूसरे दिन काॅलेज में गये तो बेटी का नंबर 30वाॅं था, कुल सीटें 60 थीं। शांतिकुंज  से आने के बाद मैं बहुत खुश था कि अब एडमिशन सुनिश्चित हो गया है।  30 अक्टूबर को ओरल एक्जाम हुआ,11 नवम्बर को मेडिकल टेस्ट हुआ और  29 नवम्बर को एडमिशन हो गया। यह सब गुरुकृपा ही कही जा सकती है कि बिगड़ते कार्य ठीक हो रहे थे। हमें तो ऐसा लग रहा थे कि हरिद्वार से ही बुरी आत्माएं हमारा पीछा कर रही थी क्योंकि हमारे ऊपर तीन बार हमले हुए लेकिन तीनों बार गुरुदेव ने रक्षा करके बचा लिया।  

पहला हमला हरिद्वार में गंगा तट पर स्नान करते समय मेरा पैर पत्थरों के  बीच फँस  गया, जबरदस्ती निकालने के दौरान पूरा पैर लहुलुहान हो गया था लेकिन चलने फिरने में तनिक भी दर्द नहीं हो रहा था, दूसरा हमला शांतिकुंज  से आने के ठीक दूसरे दिन हुआ जब मोटर साइकिल के सैलेन्सर से मेरा पैर बुरी तरह जल गया था तीसरा हमला तब हुआ जब दो दिन बाद हमारे ससुर  जी घर से रुठकर कहीं चले गये, और अंत में 11 दिसम्बर को मेरा पैर टूट गया।

गुरूदेव पग पग पर  साथ खड़े रहे।  जब पैर टूटा  तो हमने  गुरूदेव से इतना ही कहा  कि हमें  कौन सी  गलती की  सज़ा  मिल रही  है तो  हमारी धर्मपत्नी ने कहा  कि यह सब गुरूदेव का अनुदान वरदान ही  मिल रहा है। सच में  हम विश्वास ही  नहीं कर सकते हैं कि जब  डाॅक्टर ने  45 दिन का बेड रेस्ट लिखा था  और कहा था  कि बिल्कुल  चलना फिरना नहीं है, तो  यह कैसे संभव हो सकता है कि मात्र 10 दिन बाद ही हम अपना प्रत्येक कार्य स्वयं करने के योग्य हो गए।  प्रतिदिन स्नान करना, उपासना और औनलाइन ज्ञानरथ का सत्संग कभी भी छूटा नहीं। 10 दिन के बाद मैं  आटो से ड्यूटी भी जाने लगा था। 7 जनवरी से ससुर  जी की  स्कूटी चलाकर खुद ही जाने लगा।

इसे  गुरूदेव का चमत्कार न कहें तो और क्या कहें?  हमारा अटल विश्वास है कि यह सब प्रेरणा और शक्ति गुरूदेव की  कृपा से ही संभव हो पाई। दुःख  तो काटना ही पड़ता है लेकिन गुरूदेव उस दुःख  को भी  कम कर देते हैं। यही सद्गुरु का स्वरूप है, यही अनुदान वरदान है, ऐसे सद्गुरु को पाकर हम तो धन्य  हो गये। धन्य हैं हमारे गुरूदेव। अभी अभी ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का दैनिक  शुभरात्रि संदेश मिला है, संजोगवश यह शुभरात्रि सन्देश वही भाव दर्शा रहा है जो हम व्यक्त कर रहे हैं। गुरूदेव यही कह रहे हैं कि “बेटा तु क्यों चिंता करता है, तेरा गुरू बहुत बड़ा है वो हर हाल में तेरे संग खड़ा है”

बिलकुल सत्य बात है, हमें तो अपने गुरु पर पूर्ण विश्वास है और हमेशा रहेगा कोई हिला नहीं सकता। 

______________________

आज की  24 आहुति संकल्प सूची में 14  सहकर्मियों ने संकल्प पूरा किया है। रेणु श्रीवास्तव जी गोल्ड मेडलिस्ट हैं,उन्हें बधाई और उन सभी का धन्यवाद् जिन्होंने गोल्ड मैडल दिलवाने और  सभी को संकल्प पूर्ण करने में सहायता की। 

(1)संध्या कुमार-36 ,(2 ) रेणु  श्रीवास्तव-73,(3 ) सुजाता उपाध्याय-41 ,(4)अरुण वर्मा-69  ,(5 )सरविन्द पाल-43  ,(6)वंदना कुमार -31,(7)निशा भारद्वाज-28, (8)पुष्पा सिंह-27,(9) चंद्रेश बहादुर सिंह-29,(10)पूनम कुमारी-29,(11)प्रेरणा कुमारी-24,(12) सुमनलता-29,(13 ),विदुषी बंता-30,(14) संजना कुमारी        

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s



%d bloggers like this: