31 जनवरी 2023 का ज्ञानप्रसाद
सूक्ष्म सत्ता, परम पूज्य गुरुदेव जो जो मार्गदर्शन हमें प्रदान करते हैं हम बड़ी ही श्रद्धा से अपने सहकर्मियों के समक्ष प्रस्तुत कर देते हैं। इसी कड़ी में हमारी अंतरात्मा निर्देश दे रही है कि गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस के अंतर्गत प्रस्तुत की जा रही दिव्य लेख श्रृंखला का अमृतपान उसी कोठरी में किया जाए जहाँ उनका दादा गुरु से 1926 की वसंत पंचमी को साक्षात्कार हुआ था। आइये आंवलखेड़ा आगरा स्थित, उसी कोठरी में चलें, गुरु चरणों का सानिध्य प्राप्त करें। उसी कोठरी का चित्र हम हर लेख के साथ attach करते आ रहे हैं।
शब्द सीमा के कारण आज 24 आहुति संकल्प सूची प्रकाशित करने में असमर्थ हैं जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं।
परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर प्रस्तुत की जा रही विशेष शृंखला में आज सरविन्द पाल जी की अनुभूति प्रस्तुत है जिसमें वह OGGP के बारे में बता रहे हैं।
आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार क्या है?और इससे जुड़ने के लाभ :
आनलाइन ज्ञान रथ गायत्री परिवार अखिल विश्व गायत्री परिवार का एक बहुत ही छोटा, सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वसुलभ रूप है जिसकी रचना परम पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा से ही संभव हो पाई है। यह एक ऐसा ज्ञानवर्धक प्लेटफॉर्म है जिसे परम पूज्य गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण और दिव्य सानिध्य अनवरत प्राप्त होता रहा है, गुरुदेव अपनी शक्ति से सहकर्मियों की सुप्त पड़ी प्रतिभा जगाने के लिए सोए हुओं को जगा रहे हैं, जगे हुओं को उठ कर चलने को कह रहे हैं,चल रहे सहकर्मियों को और ऊँची छलांग लगाने को कह रहे हैं क्योंकि यह इस युग की पुकार है ,नया युग दस्तक दे रहा है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सभी सहयोगी परस्पर स्नेह, आदर. सम्मान, प्यार और सहकारिता एवं अन्य मानवीय मूल्यों का जम कर प्रचार और प्रसार कर रहे हैं। हम सबके प्रेरणास्रोत एवं इस प्लेटफॉर्म के सूत्राधार/संचालक वरिष्ठ गुरुभाई, आदरणीय अरुण त्रिखा भैया जी हैं, जिनकी श्रद्धा व समर्पण को हम सब नतमस्तक हैं
प्रातःकाल की ब्रह्मवेला में जब मनुष्य की ऊर्जा उच्चतम शिखर पर होती है और सूर्य भगवान की लालिमा हमारे अन्तःकरण में unlimited ऊर्जा का संचार करने को लालायित होती है,परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी विचारों पर आधारित एक दैनिक ज्ञानप्रसाद लेख हमारे inbox में प्रस्तुत किया जाता है। जैसे-जैसे इस अमृतरूपी ज्ञानप्रसाद की एक-एक बूँद सहपाठियों के अंतःकरण में उतरती जाती है, ऊर्जा के graph में exponential growth दर्शित होती जाती है।
हमारा परम सौभाग्य है कि इस छोटे से लेकिन समर्पित परिवार से जुड़कर, अपनत्व की भावना से ओतप्रोत होकर परम पूज्य गुरुदेव के अमृत तुल्य ज्ञानप्रसाद का अमृतपान कर हम अपने जीवन के उद्देश्य को सार्थक कर रहे हैं, ऐसे दुर्लभ स्वर्ण अवसर किसी पूर्वजन्मों के अच्छे कर्मों से ही प्राप्त होते हैं। जिस किसी सदस्य को भी OGGP जैसे दिव्य,संस्कारित परिवार में जुड़ने का अवसर प्राप्त होता है उसे समझ लेना चाहिए वह बहुत ही सौभाग्यशाली है। इस तथ्य का जीवंत उदाहरण हम ( सरविन्द पाल) स्वयं हैं l जिस दिन से हमने आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करना आरम्भ किया तब से आज तक हमने अपने जीवन में अनेकों परिवर्तन अनुभव किये हैं। इन परिवर्तनों का ही परिणाम है कि हमारे अंदर जिस स्तर का आंतरिक कायाकल्प हुआ है, इसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। लीलाधारी परम पूज्य गुरुदेव की अनंत कृपा से एवं इस परिवार के आत्मीय, सूझवान,समर्पित, देवतुल्य भाई-बहनों के सामुहिक आशीर्वाद से वह स्नेह व प्यार मिल रहा है जो पूर्णतया अविश्वसनीय, आश्चर्यजनक किन्तु सत्य है। इस कायाकल्प का सम्पूर्ण श्रेय आदरणीय अरुण भैया जी को जाता है क्योंकि इस परिवार से जुड़ने से पूर्व हम परिवार की परिभाषा से ही अनभिज्ञ थे, जानते ही नहीं थे कि परिवार का वास्तविक स्वरूप क्या है? हम तो केवल अपने पत्नी और बच्चों को ही अपना परिवार समझते थे और उन्हीं तक सीमित थे जो कि सरासर गलत था, यह हमारी अज्ञानता थी l
4 मार्च 2021 को जब आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में नियमित रूप से अपनी सहभागिता सुनिश्चित करना आरम्भ किया और परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी विचारों को पढ़ कर, समझकर अपने जीवन में उतारना शुरू किया तो इस परिवार द्वारा प्रकाशित अमृततुल्य ज्ञानप्रसाद से हमारा अंतःकरण हिल उठा और हमने अपनेआप को फटकार कर कहा “ अरे मुर्ख तू तो आजतक अंधेरे में ही भटक रहा था, परिवार बहुत बड़ा है।” हम कोई महात्मा बुद्ध तो हैं नहीं जो कहें हमें ज्योति दिखाई दी लेकिन उसी दिन से OGGP में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए सक्रियता के साथ,एक अनुशासित विद्यार्थी की भांति दैनिक ज्ञानप्रसाद लेखों का गम्भीरता पूर्वक स्वाध्याय करने का संकल्प ले लिया। तब से आजतक हम प्रतिदिन नियमितता पूर्वक इन प्रकाशित लेखों का बारीकी से गम्भीरतापूर्वक अध्ययन कर अपने जीवन को कृतार्थ कर रहे हैं व अपने सभी आत्मीय,सूझवान,समर्पित सहकर्मियों का स्नेह व प्यार प्राप्त कर रहे हैं। ज्ञानप्रसाद लेखों के अध्ययन से हमारे आंतरिक कायाकल्प के साथ-साथ हमें आशातीत सफलता भी प्राप्त हो रही है। जो परिजन इस संस्कारित परिवार से अभी तक जुड़े नहीं हैं और जुड़ने का मन बना रहे हैं, उनके लिए कहना चाहेंगें कि इसमें तनिक भी संदेह व संशय नहीं है कि ज्ञानप्रसाद लेखों से धैर्य व सहनशक्ति का संचार होना सुनिश्चित है क्योंकि गुरुदेव के दिव्य साहित्य का बार-बार अमृत मंथन करने के उपरांत ही बड़ी सोच समझ के बाद , सरलीकरण करके प्रकाशन किया जाता है। सभी सहकर्मी प्रकाशित सामग्री पर सारा दिन अपने कमैंट्स और काउंटर कमैंट्स के माध्यम से चर्चा ( फिर से मंथन ) करते हैं। रही सही कसर वीकेंड स्पेशल सेगमेंट में निकाल दी जाती है ताकि सभी को अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त हो सके और हम गुरु की शक्ति को पहचान सकें।
ज्ञानप्रसाद लेखों के माध्यम से एक अद्भुत,सर्वश्रेष्ठ व सर्वसुलभ सत्संग की भी रचना हुई है जिससे परिजन अपने जीवन को धन्य बना रहे हैं। यह एक सत्संग का ही प्रारूप है कि सभी इसमें अपनी भागीदारी दिखा रहे हैं।
हम सब पाठकगण किसी देवता से कम नहीं हैं क्योंकि हम परमपिता परमात्मा के सबसे प्रिय पुत्र हैं जिसे सर्वश्रेष्ठ कलाकृति कहा गया है, लेकिन अध्यात्म विज्ञान से वंचित रहने के कारण हम “एक भटके हुए देवता हैं।” इस भटके हुए देवता की भटकन को दूर करने के लिए आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की रचना हुई है जिसके लिए हम दृढ़ संकल्पित हैं। यह परिवार परम पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन में सभी का मनोबल बढ़ाने का परमार्थ परायण कार्य करते हुए पुरुषार्थ कमाने का सराहनीय व प्रशंसनीय कार्य अनवरत कर रहा है। सभी को बहुत बड़ी प्रेरणा व ऊर्जा मिल रही है, हम सबका दृष्टिकोण व दिशा बदल रही है और आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। सभी सहकर्मी एक गिलहरी की भाँति comments और Counter Comments के रूप में अपने विचारों की आहुतियाँ डालकर, पुनीत व पवित्र महायज्ञ में योगदान देकर अपने जीवन का कायाकल्प कर रहे हैं जिससे अंतःकरण की मलीनता दूर हो रही है, अंतरात्मा पवित्र हो रही है l
हमारा पूर्ण विश्वास है कि यदि हमें सुखी व समुन्नत जीवन जीना है तो इस परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करना आवश्यक है ,तभी हम परम पूज्य गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य प्राप्त कर सकते हैं l विश्व समुदाय के सभी सदस्यों से करबध्द अनुरोध है कि अगर अपने जीवन को उच्चकोटि का बनाना है तो आज से, बल्कि अभी से अपने अमूल्य समय का दान करने का प्रयास करें। प्रकाशित लेखों का नियमितता से गम्भीरतापूर्वक स्वयं स्वाध्याय करें, अधिक से अधिक अन्य लोगों को प्रेरित करें ताकि औरों का भी हित हो और आप पुण्य के भागी बनें l यह सारा पुरषार्थ परम पूज्य गुरुदेव का ही कार्य है जो साक्षात महाकाल हैं और जिनके ऊपर महाकाल का हाथ होता है उनका कभी अमंगल नहीं हो सकता है l
विचारशील लोग जानते हैं कि मात्र देवदर्शन, तीर्थदर्शन व साहित्य भर पढ़ लेने से किसी को भी आध्यात्मिक विभूतियों का पिटारा हाथ नहीं लगा l जब तक सच्ची भावना से कोई कार्य नहीं किया जाता, तब तक उसके सत्परिणाम हाथ लगने असंभव हैं l इससे कम में किसी भी आध्यात्मिक विभूति को प्राप्त कर पाना न किसी के लिए सम्भव हो पाता है और न ही कभी हो सकेगा l परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत साहित्य का स्वाध्याय कर लेने ही मात्र से आध्यात्मिक व भौतिक लाभ नहीं मिल जाते हैं, इसके लिए आवश्यक है कि साहित्य के प्रति “भावनात्मक लगाव” हो और पूर्ण श्रद्धा, गहरे विश्वास के साथ ही परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य का स्वाध्याय किया जाए, ऐसा करने के बाद ही सकारात्मक व संतोषजनक लाभ मिलता है l ऐसी धारणा तो नहीं है कि शास्त्र रचयिताओं को इस बात का पता न हो कि कर्म का फल तो आत्मपरिष्कार एवं लोकमंगल करने पर ही मिल पाता है। फिर उन्होंने क्या सोचकर एक बार नहीं बल्कि बार-बार प्रतिदिन स्वाध्याय करने पर बल दिया है। हमारे शास्त्रों ने परमार्थ परायण कार्य करके पुरुषार्थ कमाने का आधार बताया है ताकि भटकते मन को शांति मिले l OGGP द्वारा प्रकाशित लेखों का स्वाध्याय करने से योग, तप, संयम व साधना जैसे पथ पर अग्रसर होने के लिए आवश्यक ऊर्जा व उत्साह स्वतः मिल जाते हैं। हम आये दिन अपने सहकर्मियों की अनुभूतियों से देख रहे हैं कि जिस किसी ने भी इस पथ का पालन किया है ,उसे उल्लेखनीय विभूतियाँ व क्षमताएं प्राप्त हुई हैं l
इतिहास साक्षी है भारतवर्ष में देवतुल्य विभूतियों का बाहुल्य है जिसके कारण भारत भूमि की गणना एक श्रेष्ठ व जागृत देवालय में की गई है l दुर्भाग्यवश वह भाव आज कहीं लुप्त सा हो गया प्रतीत होता है l न तो उस स्तर के व्यक्तित्व कहीं दिखाई पड़ते हैं और न ही ऐसे साधक मिल पाते हैं जो किसी गंभीर अभीप्सा को ध्यान में लेकर उन पवित्र शक्तियों से ओतप्रोत साहित्य का गम्भीरतापूर्वक स्वाध्याय कर उनका अनुसरण करें l परिणाम आँखों के सामने है कि आज आध्यात्मिक साहित्य एक आडम्बर बन कर रह गया है और उसके पीछे के भाव व प्राण तिरोहित से हो गए प्रतीत होते हैं l
इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य यह है किअगर परम पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित साहित्य का नियमित स्वाध्याय किया जाए तो इसके बहुत बड़े सकारात्मक परिणाम मिलने की सम्भावना है, जिससे हम सबको परम पूज्य गुरुदेव की इच्छा व भावनाओं की अनुभूति हो l इसीलिए परम पूज्य गुरुदेव ने अपनी तप-ऊर्जा से संचित दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत साहित्य का लेखन किया है जिसे पढ़ कर हम सब लुप्त हो रही भारतीय संस्कृति की गरिमा को फिर से स्थापित कर सकें। दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत इस साहित्य के नियमित गम्भीरतापूर्वक स्वाध्याय करने से भटकों को दिशा मिल पाना एवं मूर्छितों में नवचेतना का संचार कर पाना सम्भव है l
सरल शब्दों में सारांश यही है कि परम पूज्य गुरुदेव का दिव्य साहित्य ऋषिसत्ताओं के सामूहिक शक्तिसंचार का प्रतिफल है, सभी सहकर्मी अपना अमूल्य समय निकालकर समयदान करें, गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी विचारों का नियमितता से गम्भीरतापूर्वक स्वाध्याय करके अपना कल्याण करें। परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि से इन लेखों एवं अन्य कृत्यों में आदरणीय अरुण भैया के श्रम व समय की पूंजी लगी है जिनका नियमितता से स्वाध्याय करना,औरों को स्वाध्याय के लिए प्रेरित करना हमारा परम कर्तव्य है।