आज का यह स्पेशल सेगमेंट वर्ष 2023 का प्रथम एपिसोड है। पिछले शनिवार, 7 जनवरी को रामेश्वरम यज्ञ पर चल रही श्रृंखला के कारण यह स्पेशल सेगमेंट प्रकाशित न हो पाया था, फ्लो बने होने के कारण लेख शृंखला को बीच में छोड़ना उचित नहीं था। रामेश्वरम यज्ञ पर आधारित 71 पन्नों की pdf पुस्तक हमने इंटरनेट आर्काइव पर अपलोड कर दी है ,उसका लिंक भी दे रहे हैं। आप इस लिंक को क्लिक करके पुस्तक का आनंद ले सकते हैं।
सप्ताह का सबसे लोकप्रिय सेगमेंट “अपने सहकर्मियों की कलम से” लेकर हम अपने समर्पित सहकर्मियों के बीच आ चुके हैं, इसे लोकप्रिय बनाने के लिए आपका जितना भी धन्यवाद् करें कम है।अपने सहकर्मियों द्वारा पोस्ट की गयीं सभी contributions ही हैं जिन्होंने इस स्पेशल सेगमेंट को “सबसे लोकप्रिय” की संज्ञा देने में योगदान दिया है। हमारा तो सदैव यही उद्देश्य रहा है कि इस छोटे से समर्पित परिवार के समस्त योगदान एक dialogue की भांति हों, एक वार्तालाप की भांति हों ताकि एक “संपर्क साधना”, communication process, के द्वारा इसे lively बनाया जाए। थोड़े से प्रयास से ही हमें इतना बड़ी सफलता प्राप्त हुई है कि इसका श्रेय अपने गुरु को देते हैं जिन्होंने आप जैसी दिव्य आत्माओं को, हीरों को चुन-चुन कर हम जैसे निर्धन की झोली में डाल दिया और हम इन हीरों को एक समर्पण की माला में पिरोने में सदैव प्रयासरत रहते हैं। हमें तो बार-बार सन्देश मिलते रहे कि आपका काम पोस्ट करना है, कोई पढ़े या न पढ़े ,कोई देखे या न देखे , कोई सुने या न सुने, यह track करना असम्भव है, लेकिन हमारे गुरु ने इस असम्भव को भी संभव कर दिखाया। आज की परिस्थिति ऐसी है कि छोटे से छोटा कमेंट, छोटे से छोटा योगदान भी हमारी दृष्टि से, से ओझल नहीं हो सकता।
गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर सहकर्मियों अनुभूतियाँ आ रही है लेकिन इसके बावजूद हम अपना कर्तव्य पालन करते हुए 26 जनवरी स्मरण करा रहे हैं।
तो आइए एक-एक करके अपने समर्पित सहकर्मियों के योगदान की संक्षिप्त चर्चा कर लें।
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1. हमारी वरिष्ठ समर्पित बहिन आदरणीय रेणु श्रीवास्तव जी ने कल रात 11 जनवरी को फ़ोन किया, 32 मिंट बात करके ह्रदय प्रसन्न हो गया। हमारा सदैव मन करता था कि परम पूज्य गुरुदेव की शिक्षा का पालन करते हुए अपने सहकर्मियों के साथ संपर्क करते रहें ,उनके बारे में, उनके परिवार के बारे में अगर कोई योगदान दे सकें तो अपनेआप को भाग्यशाली समझेंगें। आज तो स्थितियां बहुत ही सरल हो गयी हैं,दूरिआं बिलकुल कम हो गयी हैं,फ़ोन करना बिलकुल फ्री हो गया है, वौइस् काल करों, वीडियो काल करो, कोई समस्या नहीं है। जब पुराने समय से तुलना करते हैं,जब गुरुदेव,माता जी पैदल लोगों के घरों में जाते थे, उनके साथ संपर्क स्थापित करते थे। इसी अपनत्व ने इतने विशाल परिवार “गायत्री परिवार” की रचना की। संपर्क और अपनत्व ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का एक बहुत ही बड़ा सूत्र है। बहिन रेणु जी का ह्रदय से धन्यवाद करते हैं और आशा करते हैं कि हमारे अनेकों सहयोगी प्रेरित होंगें।
2. डॉ चंद्रेश बहादुर ध्रुव दर्शन जी ने कमेंट करके बताया था कि साहित्य जगत में उन्हें ध्रुव का उपनाम मिला है। पूज्य गुरुदेव की कृपा से उन्होंने तीन पुस्तकें भी लिखी हैं जिनमें एक माता भूमि नाम की पुस्तक महाविद्यालयों में चलती है। पिछले कुछ ही दिनों से उन्होंने कमेंट करने आरम्भ किये हैं जिसके कारण OGGP को एक नई गति प्रदान हुई है। रामेश्वरम तीर्थ के बारे उनका कमेंट बहुत ही मागदर्शन प्रदान कर रहा था। उसे यथावत ही प्रस्तुत कर रहे हैं :
भगवान रामेश्वरम को गंगा जल से अभिषेक की चर्चा के संबंध में मैं अपना अनुभव 1982 वाली यात्रा का करना चाहता हूं।मुझ से भी उस समय वहां के पुजारी ने 20 रुपए मांगे थे, तो हमने उन्हें एक भी पैसा न देकर गंगा जल दूर से ही डाल दिया था।और हमने शिवजी से कहा कि,मुझे प्रतापगढ़ से बस से आने में 9 दिन लगे,कृपया थोड़ी दूर आप आकर इस गंगाजल को स्वीकार कर लें। दूसरी बार वाली यात्रा में जो,14 सितंबर से 25 सितम्बर के मध्य हुई थी ,में गंगा जल नहीं ले जा सका था। तीसरी बार की यात्रा ज्ञानरथ के माध्यम से डॉ साहेब के माध्यम से हो रही है।इस यात्रा के लिए डॉ साहेब को हार्दिक शुभकामनाएं और ढेरों बधाईयां।
कल वाले प्रतक्ष्यवाद लेख पर भी उनका कमेंट बहुत ही सुन्दर था उसे भी यथावत पेस्ट कर रहे हैं :
आज जी की पीढ़ी शारीरिक सुख पर ही अपना फोकस कर ती है। उसके वर्तमान शरीर जो प्राप्त है,इसे अधिक से अधिक आनन्द देने की वस्तुओं का संग्रह करना चाहिए।इस शरीर के बाद वह कहां जाएगी,उसका क्या होगा ? किसने देखा है।वह तो चार्वाक दर्शन को मानता है। जिसमें कहा गया है कि, ॠण म नी त्वा, घृत म पिबेत,।भस्मी भूत शरीरस्य कु तो पुनराग म: ।
जबकि वास्तविकता यह है कि जब कोई सद् कार्य जैसे किसी असहाय की सेवा आदि करने पर जो आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है,उसे केवल अनुभव ही किया जा सकता है।उस सुख को चाहे जितना भी मूल्य दिया जाय,वह मिल नहीं सकता है। गुरु जी के विचार शारीरिक एवं मानसिक दोनों सुख को प्रदान करने वाले हैं। ये डॉ साहेब जी माध्यम से ज्ञानरथ के प्रत्येक आत्मीय सदस्यों को नित्य प्राप्त हो रहा है। इसके लिए डॉ साहेब की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।परम श्रद्धेय डॉ साहेब, को हार्दिक शुभकामनाएं और ढेरों बधाई यां एवं साथ में अनवरत अभिनन्दन वंदन एवं नमन।
इस कमेंट ने हमें भी चार्वाक फिलोसोफी के बारे में जानने को प्रेरित किया और कुछ ऑनलाइन जानकारी प्राप्त भी की।
सुमनलता बहिन जी ने
“यावत् जीवेत सुखम् जीवेत।ऋणम् कृत्वा घृतं पीवेत्”। से काउंटर कमेंट भी किया। कमेंट-काउंटर की प्रक्रिया सार्थक सिद्ध हो रही है, बहुत कुछ जानने को मिल रहा है, परिवार में छुपे हुए हीरे मिल रहे हैं।
3. संध्या बहिन जी के कमेंट को एडिट करके रिपोस्ट करना और strikethrough का कारण explain करना बहुत से भाई बहिनों की सहायता कर सकता है। इसे भी यूट्यूब पर यथावत ही पोस्ट किया था। लैपटॉप पर ओरिजनल कॉमेंट में कुछ lines strikethrough हैं लेकिन फोन पर यह lines बिल्कुल ही removed हैं। अपने पाठकों को बता रहे हैं कि यह format error है जिसको हमने remove करके पोस्ट किया है। आशा करते हैं कि यह जानकारी औरों के लिए लाभदायक होगी।
4. संजना बेटी द्वारा लिखा गया कमेंट हम नीचे यथावत पेस्ट कर रहे हैं।
Sir , literally u r a golden gift of param pujya gurudev for us . guruji showers blessings in the form of love, respect, guidance and support to us through you . Actually I don’t deserve it but Gurudev and his Messengers like you (Dr Arun Trikha Sir) are very kind hearted soul which makes us life full of love & positive vibes . Really I have no words today to say thank you to param pujya gurudev and you sir. You are making us life worthful and glorious day by day . I want to say to you sir you are very really honest and kind hearted which we rarely find it because everyone pretend to kind but you are in real ️. Please guide me as usual it’s my forever prayer and forgive me for my mistakes.jai gurudev jai shiv Shambhu
इस कमेंट में जो कुछ भी लिखा है हमें तो उसके बारे में कुछ भी पता नहीं है क्योंकि स्वयं को जानने के लिए परम पूज्य गुरुदेव द्वारा लिखित प्रथम पुस्तक “मैं क्या हूँ” को फिर से ध्यानपूर्वक पढ़ना होगा। हाँ हम इतना अवश्य कह सकते हैं कि बेटी स्वयं ऐसी है इसलिए उसे सारे अपने जैसे लगते हैं। “जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।”
एक कथा के माध्यम से बताना चाहते हैं: एक बार एक साधु एक पेड़ के नीचे बैठे थे,वहां उसी पेड़ पर एक चिड़िया बोल रही थी। साधु महाराज ने सुना तो कहा देखो कितना सुंदर गा रही है राम, लक्ष्मण, सीता । वही एक बनिया था उसने कहा नही- नही चिड़िया तो यह बोल रही है कि सुबह हो गयी है, दुकान खोलो । धनिया,मिर्ची ,अदरख बेचो। तभी वहां से एक फकीर गुजरा,उसने सुना तो बोला, चिड़िया तो उस निरंकार ब्रह्म की शान में गीत गा रही है। तभी एक पहलवान वहाँ आ पहुंचा और उसने सुना तो वह कहने लगा ,अरे! नही यह चिड़िया तो कह रही है ,उठो सुबह हो गई है अब कसरत करो अपना शरीर बनाओ। हम इस कहानी के द्वारा यह कहना चाहते हैं कि जो आपके मन का भाव है वैसी ही हमें दुनिया दिखायी देती है।
आज सुबह 6:15 बजे संजना बेटी व्हाट्सप्प पर मैसेज कर रही थी कि यूट्यूब पर उसका कमेंट मेरे फ़ोन में तो दिख रहा है लेकिन मम्मी के फ़ोन में नहीं दिख रहा, आप एक बार फिर से कमेंट पोस्ट कर दें। इस स्थिति को समझने के लिए हमने उसे फ़ोन कर डाला तो सारी बात की तो यहाँ चर्चा करने की आवश्यकता नहीं हैं लेकिन जिसका औरों को भी लाभ हो उसे संक्षेप में कर देते हैं।
हमने अपने लैपटॉप पर ,अपने फ़ोन पर, नीरा जी के फ़ोन पर चेक किया तो कमेंट बिलकुल ठीक दिखाई दे रहा था। तो इससे तो यही निष्कर्ष निकलता है कि पूनम जी के फ़ोन में कोई प्रॉब्लम है। सबसे पहली बात तो यही है कि अगर एक फ़ोन में दिखाई नहीं दे रही है तो फ़ोन में ही कोई प्रॉब्लम है। इस तरह की प्रॉब्लम के बारे में अक्सर हमें सहकर्मी पूछते हैं। तो इसका एक निवारण तो यही है ( और भी हो सकते हैं )कि फ़ोन को restart/turnoff /turn on कर दें। ऐसा करने से फ़ोन रिफ्रेश हो जाता है और ठीक से काम करना शुरू कर देता है। दूसरा निवारण तो कुछ unwanted बड़ी videos को delete किया जाए यानि कुछ मेमोरी free की जाए, ऐसा न करने पर फ़ोन slow तो होगा ही साथ में misbehave भी करेगा।
यह तो रही फ़ोन की समस्या और उसका quick solution .
एक और बात जो परिवार में करने वाली है, वह है कि हमारे गुरु की शक्ति पर कौन और कैसे विश्वास करेगा और उनकी शक्ति के बारे में कौन बताएगा। बेटी बता रही थी कि जब ज्ञानदीक्षा समारोह में स्टेज से बताया जा रहा था कि आप को यहाँ बुलाया गया है, आप स्वयं नहीं आये हो तो बच्चे मज़ाक समझ रहे थे। जब बेटी ने बताया कि गुरुदेव ने 3200 से ऊपर पुस्तकें लिखी हैं तो counter question हुआ कि फिर उनका नाम guinness book में क्यों नहीं आया। इसे ही कहते हैं प्रतक्ष्यवाद, हथेली पर सरसों जमाना। गुरुदेव ने अपने शरीर की प्रयोगशाला में जो परिणाम आये वोह हमारे साथ शेयर किये, तरस आता है ऐसे दिमागों को।
तो शब्द सीमा एक बार फिर आड़े आ रही है, जल्दी से संकल्प सूची लिखते हैं।
आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 8 सहकर्मियों ने संकल्प पूरा किया है और अरुण जी ने गोल्ड मैडल प्राप्त किया है। अरुण जी को हमारी बधाई और उन सभी का धन्यवाद् जिन्होंने गोल्ड मैडल दिलवाने और संकल्प पूर्ण करने में सहायता की।
(1)संध्या कुमार-29,(2)अरुण वर्मा-46,(3) सरविन्द कुमार-31,(4) सुजाता उपाध्याय-29 ,(5) रेणु श्रीवास्तव-31,(6) वंदना कुमार-25,(7) पूनम कुमारी-27,(8 ) प्रेरणा कुमारी-24