अपने सहकर्मियों की कलम से -5 नवंबर 2022

आज के weekend स्पेशल सेगमेंट का मूल्यांकन तो आपके कमैंट्स ही करेंगें लेकिन हम इतना ही कह सकते हैं कि आज कुछ आपस की बातें हैं, कुछ अनुभूतियाँ हैं,कुछ अनुभव हैं और कुछ हमारे समर्पित परिवारजनों की सक्रियता हैं। सुधांशु जी की वीडियो पर रेणु  श्रीवास्तव जी का कमेंट हमें बहुत कुछ सीखने को कह रहा है। हमने यह कमेंट सेव कर लिया है, समय आने पर शेयर  करेंगें। तो आइए आयु के हिसाब से सीढ़ी चढ़ते जाएँ।

1. तो सबसे पहले बात आती है हमारी बहिन कुसुम त्रिपाठी जी नन्ही सी पोती काव्या त्रिपाठी एवं हमारी प्रिय, ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की सबसे छोटी कार्यकर्ता की। कुछ दिन पूर्व इस 7 वर्षीय बच्ची ने वीडियो साल करके इतना प्यार लुटाया कि ह्रदय  गदगद हो गया। कल voice message भेजा था : दादा जी मैं काव्या  त्रिपाठी बोल रही हूँ, आपको शुभरात्रि ,जय गुरुदेव।  हमारी भी एक इसी तरह की 5 वर्ष की नन्ही सी  पोती है, उसकी वीडियोस भी हम देख कर प्रसन्न होते रहते हैं, दूसरी तो अभी कुछ ही माह की है।

2. अब बात आ रही है सरविन्द पाल जी के बेटे आयुष की जिन्होंने उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में मैच खेल कर अपनी जीत दर्ज कराई है। सारे परिवार की बधाई और शुभकामना 

3. आगे आ रही समर्पित दो बहनों की जोड़ी को कौन नहीं जानता।  यह जोड़ी है हमारी प्रतिभाशाली  बेटियां संजना और प्रेरणा की। छट पूजा वाले दिन प्रेरणा बेटी  ने गंगा तट हरिद्वार से प्रातः 6 बजे अपनी मम्मी, पापा से वीडियो कॉल करवाई और माँ गंगा का आशीवार्द प्रदान कराया। बहुत बहुत धन्यवाद् बेटी प्रेरणा। बाद में DSVV में  दोनों बेटियों के मिलन की फोटो आप देख ही रहे हैं। बेटी संजना ने convocation में नृत्य प्रस्तुत किया जिसकी फोटो शेयर कर रहे हैं। प्रेरणा और उसके परिवार ने अवश्य की तीर्थसेवन का लाभ उठाया होगा। 

4. रवि आचार्य जी का घर का नाम रवि है जिन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। माता रेखा आचार्य जी कुचल गृहणी हैं और पिता जी 4 वर्ष पूर्व प्रिंसिपल पद से रिटायर हुए हैं। पिता उच्च कोटि  के गायत्री साधक हैं जिस कारण रवि जी भी बचपन से ही गायत्री परिवार से जुड़े हैं। जीवन की ज़िम्मेदारियाँ निभाते हुए गुरुकार्य ही जीवन का लक्ष्य रहा है। दो बच्चे हैं, 3 वर्ष का बेटा  और 8 वर्ष की बेटी। पत्नी सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रही है। 3 वर्ष  युगतीर्थ शांतिकुंज का तीर्थ सेवन किया है ,9 दिवसीय स्तर भी किया है।   

यह राहुल जी की अनुभूतियाँ तो नहीं हैं लेकिन गुरुदेव के दिव्य साहित्य में से बहुत ही सुन्दर कंटेंट save किया हुआ था जो  उनके हृदय को छू  गया। उन्होंने यह कंटेंट ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सहकर्मियों के लिए भेजा था जिसे हम बिना किसी एडिटिंग के आपके समक्ष रख रहे हैं: 

मित्रो! क्या होता है लोगों को? आपका ये ख्याल है कि लोगों की सांसारिक दिक्कतें और सांसारिक कठिनाइयाँ होने की वजह से मनुष्य  की जीवात्मा की तरक्की में रुकावट होती है? क्या रुकावट होती है? मुझे बताइये न? पैसे की वजह से रुकावट होती है। अच्छा, पैसे की वजह से कौन-कौन सा काम रुका हुआ पड़ा है आध्यात्मिक दृष्टि से? अच्छा आध्यात्मिक दृष्टि से रुका हुआ पड़ा था, तो ऋषियों की आध्यात्मिक तरक्की कैसे हो गई? ऋषियों के पास तो मकान भी नहीं थे, घर भी नहीं थे, व्यापार भी नहीं थे, नौकरी भी नहीं थी, साधन भी नहीं थे, बैंक बैलेन्स भी नहीं था, फिर उनकी तरक्की हुई कि नहीं? हाँ, हुई। जितने भी सन्त हुए हैं, ऋषि हुए हैं, वे सब गरीब थे कि नहीं थे? हाँ, गरीब थे। हमको पैसे दिलवा दीजिये, तब हम भक्ति करेंगे, नहीं तो हमको नहीं करनी भक्ति। आप घर जाइये। मित्रो! शिकायतें आपकी ये हैं कि आपको ये मिलेगा, वो मिलेगा, तो ही  हम भगवान की भक्ति करेंगे। आप भगवान की भक्ति न तब कर सकते हैं, न अब कर सकते हैं। जितनी अधिक  चीजें आपको मिलती जाएँगी, उतना ही ज्यादा आप रस में और पाप में डूबते चले जाएँगे, बेटे! हम आपको जप इसलिए कराते हैं, अनुष्ठान इसलिए कराते हैं,बार-बार करने के लिए इसलिए कहते हैं, 24000  जप करने के लिए कहते हैं, 2400 जप करने के लिए कहते हैं, 24  लाख जप करने के लिए कहते हैं, यह सब हम इसलिए कहते हैं कि राम के नाम से आपकी धुलाई होनी चाहिए और राम के नाम से आपकी सफाई होनी चाहिए।राम के नाम से धुलाई, राम के नाम से सफाई ? राम का नाम क्या है? साबुन है बेटे! गुरूजी हम तो रोजाना सफाई करते हैं। काहे की सफाई करते हैं? अपने शरीर को स्नान कराते हैं। काहे से स्नान कराते हैं? पानी से धोते हैं और कपड़े साबुन से धोते हैं और दाँत मंजन से माँजते हैं और कमरा झाड़ू से साफ करते हैं और अपनी बुद्धि को और अपनी अक्ल को, जो सारे-के वातावरण से रोज गन्दी होती है, इसकी हम राम के नाम से सफाई करते हैं। सफाई हमारा उद्देश्य है।

अखंड ज्योति, फरवरी 1998 में लिखा है: पूज्य गुरुदेव ने अपने पत्र में 1982  के वर्ष के अंतिम दौरे के क्षणों में बड़े व्यथित हृदय से लिखा था कि

“अब बड़े व्यापक स्तर पर साधनों के निर्माण का समय आ गया है । हमारे हृदय के टुकड़ों के समान यह प्रिय कार्यकर्ता जब अपनी साधना को भूलकर लोक सम्मान व यश अर्जन हेतु मेरे चारों ओर भीड़ लगाते दीखते हैं तो मुझे क्लेश होता है । मैं तो चाहता था कि इन शक्तिपीठों के माध्यम से संगठन का मूल ढाँचा खड़ा हो, किंतु अब जब युगसंधि वेला की एक-एक घड़ी भारी पड़ रही है, तब मैं खिन्नता मन में लिए अपने इस दौरे से लौटूंगा ताकि कुछ नवीन जो किया जाना चाहिए उस पर तुम सबसे विचार विमर्श कर सकूँ । प्रज्ञा अवतार की सत्ता के मन की वेदना क्या हो सकती थी आज हर कोई समझ सकता है । (क्या काफिला बिछड़ जाएगा ? मलाई को तैर कर ऊपर आने का आमंत्रण अखंड ज्योति, अप्रैल 1982 में प्रकाशित हुए हैं ।) उपरोक्त प्रसंग आज की वेला में यही सोचकर दिया गया कि कहीं वही अवसाद, मतिभ्रम, आत्म सम्मोहन हम सभी के ऊपर हावी तो नहीं हो रहा, जिसने गुरुसत्ता को व्यथित किया था व वे लिखने को विवश हो गए थे । कुछ समझ में नहीं आता ? यह समय पराक्रम और पौरुष का है, शौर्य एवं साहस का है । वरिष्ठों, विशिष्टों, विशेषज्ञों के काफिले को बचकानी हरकतें करते युग ऋषि ने देखा व वैसा कुछ लिखकर अपनी अंतर्वेदना व्यक्त की तो इसे अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए । उन्होंने लिखा “वरिष्ठ गिरेंगे तो फिर बचेगा क्या ? सूरज डूबेगा तो सघन तमित्रा

युग परिवर्तन की प्रक्रिया अधूरी न रहेगी

अखण्ड ज्योति मई 1970, पृष्ठ-58, 59 पर लिखा है कि लोगों की निगाह से दूर रहें, यह हो सकता है, पर हर जागृत और जीवित आत्मा यह अनुभव करेगी कि हम उसकी अंतरात्मा में बैठकर कुहराम मचा रहे हैं और नरकीटक एवं नरपशु की जिंदगी को नर-नारायण के रूप में परिणत होने की प्रबल प्रेरणा कर रहे हैं। जो आगे बढ़ेंगे उन्हें भरपूर शक्ति देंगे। जो लड़खड़ा रहे होंगे, उन्हें संभालेंगे और जो संभल गए हैं, उन्हें आगे बढ़ने के लिए आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित करेंगे। हम जा जरूर रहे हैं, पर अगले ही दिनों एक अत्यंत प्रबल और अदृश्य शक्ति के रूप में वापस लौट रहे हैं। सृजनात्मक एवं संघर्षात्मक अभियानों का नेतृत्व दूसरे लोग करेंगे, पर बाजीगर की उँगलियों की तरह अगणित नर पुतलियों को नचाने में हमारी भूमिका भली प्रकार संपादित होती रहेगी, भले ही उसे कोई जाने या न जाने। हमारी तपश्चर्या भी वस्तुत: नव निर्माण के महान अभियान की तैयारी के लिए अभीष्ट शक्ति जुटाने की विशिष्ट प्रक्रिया भर है। हमें जिस प्रयोजन के लिए भेजा गया है उसे पूरा किए बिना एक कदम भी पीछे हटने वाले नहीं हैं। युग परिवर्तन की महान प्रक्रिया अधूरी नहीं रहने दी जा सकती। नवनिर्माण की ईश्वरीय आकांक्षा अपूर्ण नहीं रह सकती। 

5. अभिमन्यु कुमार:

मेरा नाम अभिमन्यु कुमार है, 2004 से गायत्री परिवार से जुड़ा  हूं,पटना युवा प्रकोष्ठ, बिहार  का सदस्य हूँ।वहां संस्कार शाला में 5 वर्ष  पढ़ाया है, 3 वर्ष पर्सनैलिटी डेवलपमेंट की  क्लास ली है और 2 वर्ष अपनी  डिस्ट्रिक्ट में युवा मंडल चलाया है।  नए वर्ष में शांतिकुंज आया था लेकिन कोई भी कोर्स नहीं किया था इसलिये अब जीवन साधना सत्र कर रहा हूं। परम पूज्य गुरुदेव  की कृपा से बहुत ही  दिव्य अनुभूति हो रही है। मैं  आपका पोस्ट रेगुलर देखता हूँ  उससे बहुत प्रेरणा मिलती  है। जीवन साधना सत्र पुरा होने के बुरे मेरे जितने भी सवाल थे  सबका समाधान हो गया और अंतरात्मा में दिव्य अनुभूति हुई गुरुजी जी कृपा से कुछ ऐसे लोगो से मिलना हुआ जिन्होने मेरे संदेह स्पष्ट कर दिए। अब मैं पूरे मनोयोग से गुरुकार्य करूँगा। 

6. राजकुमारी कौरव जी :

3-6 दिसम्बर 2022 को करेली में हो रहे 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ की व्यवस्था में व्यस्त हैं। पिछले सप्ताह के सेगमेंट में भी उनकी व्यस्तता शेयर करने थी लेकिन शब्द सीमा ने आज्ञा न दी। 

बहिन जी आजकल जन  संपर्क और साहित्य वितरण में बहुत व्यस्त हैं ,लिखती है कि – तेंदूखेड़ा शाखा के भैया को स्वप्न में गुरु जी ने आदेश दिया यज्ञ की तैयारियों में जुट जाओ और भैया करेली आ गये।  हम लोगों  को आदरणीय जीजी एवं श्रद्धेय जी का आशीर्वाद लेने शांतिकुंज जाना था लेकिन नहीं जा पाये, बहुत दुख एवं पछतावा हो रहा था, परन्तु गुरुदेव ने मजबूरी समझी और वह  व्यवस्था भी बना दी। हमारे समयदानी भाई मनुस्यारी से साधना करके शांतिकुंज आये और वहां 24कुंडीय गायत्री महायज्ञ की सफलता के लिए जीजी से प्रार्थना की,उस दिन श्रद्धेय जी का जन्म दिवस था, जीजी ने खूब प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया।  भैया आशीर्वाद और गंगाजल लेकर करेली आये।  उनके मुख पर साधना का बहुत तेज है । भैया हम गुरु कृपा को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पा रहे। जय गुरुदेव जय माता

7. रेणु श्रीवास्तव: 

अभी 30 मई  को हरिद्वार स्टेशन की घटना उल्लेख करना चाहूँगी कि गुरुदेव ने कैसे मेरी रक्षा की।आप सभी को पता है कि मैं 1 जून को अपने विवाह के 50 वर्ष पूरा होने पर दर्शन एवं विवाह दिवस संस्कार हेतु शान्ति कुंज गई थी।30 मई को जब मैं अपने पति के साथ हरिद्वार स्टेशन पर बाहर आने के लिये एक्सेलेटर पर पैर रखी, मेरे पास एक बैग था तथा मेरे पति के पास छोटा एसट्रौली।मेरे पति ने कहा मैं अटैची लेकर नहीं चढ़ पाऊँगा,मैंने हाथ बढाया कि मुझे दे दें, पर एक्सेलेटर तो अपनी गति से आगे बढता गया और मैं असहज होकर उल्टा गिर पड़ी।उसी समय गुरुदेव ने  एक सहयात्री द्वारा शीघ्र एक्सेलेटर बन्द कराया ।मैं तो उठ भी नहीं पा रही थी,मेरे पति नीचे थे।दो भाईयों ने हाथ पकड़कर मुझे उठाया तथा पूछा कि कहीं चोट तो नहीं लगी।मैंने कहा बिल्कुल नहीं,ऐसी स्थिति में मेरे पति घबडा़ जाते है। मेरा बैग भी भाई ने ले लिया और ऊपर तक पहुँचाया।मैं सिर्फ धन्यवाद ही कह सकी ।यह हमारे गुरुदेव की महिमा नहीं तो और क्या थी  जिन्होंने मेरी रक्षा की अन्यथा कुछ अनहोनी हो सकती थी।वैसे एक्सेलेटर पर मुझे कभी  कोई परेशानी नहीं होती है।40 साल से अधिक मुझे इस पर चलते हो गए हैं  पर संयोग की बात थी । धन्य हैं हमारे गुरुदेव।हर पल हमारे साथ होकर हमारी रक्षा करते हैं। जय गुरुदेव,जयमाताजी एवं जय माँ गायत्री।

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आज की  24 आहुति संकल्प सूची में 8 सहकर्मियों ने संकल्प पूरा किया है ,अरुण वर्मा जी फिर से रेस में सबसे आगे हैं और गोल्ड मैडल विजेता हैं। 

(1)वंदना कुमार-38 ,(2) रेणु श्रीवास्तव- 43,(3 ) सुजाता उपाध्याय-32, (4 )अरुण वर्मा -105,(5 ) संध्या कुमार-31,(6) सुमन लता-29,(7)सरविन्द कुमार-30,(8)कुसुम त्रिपाठी-24  

 सभी को  हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई।  सभी सहकर्मी अपनी-अपनी समर्था और समय  के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिन्हें हम हृदय से नमन करते हैं।  जय गुरुदेव

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