परम पूज्य गुरुदेव, वंदनीय माता जी के सूक्ष्म संरक्षण और मार्गदर्शन में 15 अक्टूबर 2022 शनिवार का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का यह लोकप्रिय सेगमेंट आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए बहुत ही हर्ष हो रहा है।काश आपके पास दिव्य नेत्र होते तो आप इस स्पेशल सेगमेंट की लोकप्रियता का अनुमान लगा सकते। इस छोटे से किन्तु समर्पित परिवार जिसका नाम, “ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार” है, का एक-एक सदस्य जिस जोश और श्रद्धा से अपना योगदान दे रहा है, उसको वर्णन करने के लिए हमारी मस्तिष्क डिक्शनरी में कोई उपयुक्त शब्द नहीं रहे। परम पूज्य गुरुदेव से सदैव निवेदन करते रहते हैं कि हम सबको अपना सूक्ष्म एवं दिव्य संरक्षण प्रदान करते रहें ताकि हम गिलहरी, रीछ, वानर की भांति कुछ भूमिका निभाने को सक्षम हो सकें।
लोकप्रियता के विषय पर हम संक्षेप में केवल इतना ही कह सकते हैं कि सहकर्मियों की contributions volume इतनी अधिक होती है कि कई बार arrange और compile करना एक “चुनौती” बन जाती है। प्रत्येक कंट्रीब्यूशन,कमेंट, दृष्टान्त,वीडियो, ऑडियो हमारे “सहकर्मी” शीर्षक वाले फोल्डर में सेव होता रहता है। प्रयास तो यही रहता है कि सप्ताह में आये हुए contributions उसी सप्ताह प्रकाशित कर दिए जाएँ लेकिन जब शब्द सीमा अनुमति नहीं देती तो आने वाले सप्ताहों के लिए स्थगित करना पड़ता है, लेकिन कोई भी contribution प्रकाशित हुए बिना नहीं जाती /जाएगी ,ऐसा हमारा संकल्प हैं
यही चुनौती है जो हमें अत्यधिक शक्ति और प्राण ऊर्जा प्रदान कर रही है। आप हमारे साथ अवश्य ही सहमत होंगें कि गुरुकार्य में योगदान देना, गुरुदेव के साहित्य का स्वाध्याय करना, औरों को पढ़ाना ,कमेंट करना ,काउंटर कमेंट से रिप्लाई प्राप्त करना- एक एक प्रक्रिया प्राण ऊर्जा का संचार कर रही है। जिस किसी को भी इस प्रक्रिया में लेशमात्र भी शंका है, उसे केवल इतना ही कह सकते हैं कि आप स्वयं try and test करके देख लें । हाँ शर्त केवल एक ही है “समर्पण और पात्रता”, इसके लिए समयदान और संयम का पालन करना पड़ेगा, तभी कुछ परिणाम दिखने आरम्भ होंगें। हथेली पे सरसों जमाने वालों को पराजय का ही सामना करना पड़ता है।
आइये देखें पिछले सप्ताह से अब तक का हमारा रिपोर्ट कार्ड कैसा रहा :
1.सबसे पहले हम अपने ही एक संस्मरण की बात कर लें। इस संस्मरण ने हमें उस समय झकझोड़ा था जब हम आंवलखेड़ा की हवेली में बालक श्रीराम के पिताश्री के महाप्रयाण का नाटकीय रूपांतरण प्रयास कर रहे थे। बात 1998 की है जब हम कुछ वर्ष के लिए यूनिवर्सिटी की तरफ से कनाडा प्रवास आए हुए थे। एक दिन अंतर्मन में इच्छा जागी कि यूनिवर्सिटी में लंच करने के बजाये घर जाकर लंच करें। उन दिनों मोबाइल का ज़माना तो था नहीं, फ़ोन करना भी बहुत ही महंगा था और इंडिया में हमारे घर तो फ़ोन भी नहीं था। लंच करने के बाद इंडिया( अपने ससुराल) फ़ोन मिलाया तो हमारी आदरणीय सास (जिन्हें हम मम्मी जी ही कहते थे) से पता चला कि हमारे पिताजी का देहांत हो गया है। हमारी पत्नी और दोनों बच्चे पटियाला यूनिवर्सिटी कैंपस में ही रहते थे। यह दुःखद समाचार पाकर अकेले में हमारी क्या दशा हुई होगी आप स्वयं ही अनुमान लगा सकते हैं। 11 वर्षीय छोटे बेटे को लेकर हमारी पत्नी अंतिम क्रियाओं के लिए जम्मू रवाना हो गयीं। बड़े बेटे के शायद कोई exam चल रहे थे। प्रथा के अनुसार अंतिम संस्कार में महिलाएं नहीं जाती हैं। हम कनाडा में थे तो हमारे छोटे भाई ने हमारे 11 वर्षीय बेटे को हमारा प्रतिनिधि बनाकर अंतिम संस्कार में ले जाना उचित समझा लेकिन जिस घबराहट भरी स्थिति का अबोध बालक को सामना करना पड़ा आप स्वयं ही अनुमान लगा सकते हैं। हमारे डैडी जी ( ससुर जी) भी अंतिम यात्रा में गए हुए थे, उन्होंने बताया कि अंत्येष्टि की प्रक्रिया को देखकर कैसे बच्चा भयभीत हो गया था। उन्होंने बताया कि इतने छोटे से बच्चे को इस वातावरण से दूर रखना चाहिए था। अपने पिताश्री की मृत्यु के समय परम पूज्य गुरुदेव की आयु 12 ही वर्ष थी और इस स्थिति में उनकी स्थिरता हम सबने अभी 3-4 दिन पहले ही देखी है।
2. सुजाता उपाध्याय जी की कंट्रीब्यूशन: सुजाता उपाध्याय एक ऐसा नाम है जिसे आप लगातार 24 आहुति संकल्प की विजेता सूची में देखते आ रहे हैं। 14 से 16 अक्टूबर 2022 को हो रहे युग सृजेता ओडिशा महाआयोजन की जानकारी हमें उन्ही से मिली। समस्त परिवार की तरफ से बहिन जी का धन्यवाद् करते हैं। युग सृजेता का अंग्रेजी अनुवाद Creator of Era होता है। आज जब उन्ही द्वारा भेजी गयी 2 :30 घंटे की वीडियो देख रहे थे तो आदरणीय ओमकार पाटीदार जी और केदार दूबे भाई साहिब के शब्दों ने यह साबित कर दिया था की नए युग का सृजन हो चुका है और हमें अथक परिश्रम करने की आवश्यकता है। यह वीडियो शांतिकुंज के यूट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध है लेकिन हम इसका लिंक भी दे रहे हैं। अभी तो आप इसे देख लें लेकिन आने वाले दिनों में इसके कुछ भाग अपने यूट्यूब चैनल पर भी प्रकाशित करने की योजना है। हम सब ने नारी शक्ति /युवा शक्ति का उदाहरण लखनऊ 108 कुंडीय यज्ञ वाली वीडियो में देखा है, उसी तरह का उदाहरण सुजाता उपाध्याय,वंदना कुमार ,पूनम कुमारी ,प्रेरणा कुमारी, संजना, डॉक्टर सुमति पाठक, विकाश शर्मा,अंजू जी एवं अनेकों सहकर्मीओं द्वारा दर्शाया जा रहा है ,सभी का धन्यवाद् करते हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=ZBeu4UKOdpI
3. मसूरी इंटरनेशनल स्कूल की कंट्रीब्यूशन : परम पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन में विकसित हुए मसूरी स्थित “मसूरी इंटरनेशनल स्कूल” ने दुर्गा पूजा, दशहरा के पर्व बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाये। अंजू जी का धन्यवाद् करते हैं जिनके सहयोग से हमें यह सारी सूचनाएँ शेयर होती हैं। सबसे बड़ी बात है कि यह स्कूल All Girls स्कूल है और इसमें बच्चियां ही सभी नाटकों में भाग ले रही हैं। कुछ क्लिप्स यहाँ के भी शेयर कर रहे हैं। गुरुदेव का उद्घोष “जाग उठी है नारी,नारी शक्ति, जागेगी भाई जागेगी,नारी शक्ति जागेगी” सार्थक हो रहा है। हम तो यही पूछेंगें “कौन सी ऐसी जगह है जहाँ नारी शक्ति जागी नहीं हुई है ?” मस्तीचक स्थित अखंड ज्योति हॉस्पिटल भी यही दर्शाता है,और तो और ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में भी नारियों का, हमारी देवी तुल्य बहिनों का ही बोलबाला है। अब तो शायद यह कहने का समय आ गया है “ जागो पुरषो जागो, जागो युवाओ जागो”
4. वंदना कुमार जी की कंट्रीब्यूशन : दिल्ली निवासी प्रतिभाशाली वंदना कुमार जी को भी हम सब भलीभांति जानते हैं। उन्हें OGGP से जुड़े अभी कुछ ही दिन हुए हैं लेकिन सक्रियता की दृष्टि से देखा जाए तो उनका योगदान बहुत ही अनुकरणीय है। उन्होंने तो गोल्ड मैडल भी जीत लिया है। बहिन जी के ही शब्दों में संक्षिप्त सी introduction प्रस्तुत है : मेरा नाम श्रीमती वंदना कुमार w/o श्री सीतेश कुमार है। वर्तमान में हम दिल्ली में रहते हैं लेकिन हमारा home town पटना, बिहार है। पिछले साल दिसंबर 2021 में हमें एक बच्ची का आशीर्वाद मिला है। मेरे पिताजी एक महान होम्योपैथी चिकित्सक और माँ गायत्री, गुरुदेव और माता जी के बहुत बड़े उपासक थे। अक्टूबर 2019 में उनका निधन हो गया। मैंने अपने ससुर को कभी नहीं देखा, केवल फोटो में देखा। मेरी सास बहुत प्यारी और देखभाल करने वाली थी और गायत्री माता की बहुत बड़ी उपासक भी थी। उन्ही द्वारा भेजी गयी एक अनुभूति प्रस्तुत है : अरुण भाई जी, सादर प्रणाम। मैंने अपने दिवंगत पिता के माध्यम से गायत्री मंत्र सुना था। वही मेरे पहले गुरु थे जिन्होंने मुझे जीवन का पाठ पढ़ाया। मैंने स्कूल के समय से ही गायत्री मंत्र सीखा है और यह मेरे दिल के मूल में बसा हुआ है। मैं गायत्री मंत्र का जाप कभी भी सुबह हो या शाम, दिन हो या रात सपने में भी करती हूँ। अपने पिता जी की अनुभूति उनके मुख से सुनी थी वो आपको बता रही हूं। एक दिन वह पैदल ही कहीं से घर वापीस आ रहे थे कि अचानक से आंधी, तूफान बारिश हो गई और आगे चलना मुश्किल होने लगा। फिर भी पैदल ही चलते रहे। दूर दूर तक कोई वाहन,बस, रिक्शा आदि नहीं दिख रहा था। कुछ ही दूर बढ़े कि अचानक कहीं से एक ऑटो वाला आ गया और कहने लगा कि मैं आपको आगे पहुंचा देता हूं। पिताजी ऑटो में बैठ गए और उतरने के बाद जब पीछे पलट कर देखा तो घर-घर तक चारों तरफ, दूर-दूर तक कोई नहीं था। वह परम पूज्य गुरुदेव ही थे जो कठिन समय में सहायता करने आए थे। इस अनुभूति को हम आने वाले अनुभूतियों वाले ज्ञानप्रसाद लेख श्रृंखला में फिर से शामिल करेंगें। सभी सहकर्मियों को स्मरण करवा रहे हैं अधिक से अधिक अनुभूतिआँ भेज कर इस लेख शृंखला को भी सफल बनायें। वैसे तो awgp की वेबसाइट पर कितनी ही अनुभूतियाँ प्रकाशित हुई हैं लेकिन हमारा प्रयास केवल ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के परिजनों पर ही केंद्रित है। फिर से निवेदन कर रहे हैं पिक्चर भेजना न भूलें। आप हमारे फ़ोन नंबर 15193414763 यां जीमेल trikha48@gmail.com पर भेज सकते हैं। पुष्पा सिंह जी को भेजने में समस्या आयी जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं I
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 9 सहकर्मियों ने संकल्प पूरा किया है। आज सरविन्द कुमार जी ने सभी को पछाड़ कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। (1 )अरुण वर्मा-45,(2 )सरविन्द कुमार-62,(3)संध्या कुमार-28,(4)रेणु श्रीवास्तव-35,(5 )वंदना जी-24,(6)प्रेरणा कुमारी-25,(7 ) विदुषी बंता-24 ,(8 ) पूनम कुमारी-3,(9)सुमन लता-26, सभी को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई। सभी सहकर्मी अपनी-अपनी समर्था और समय के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिन्हें हम हृदय से नमन करते हैं, आभार व्यक्त करते हैं और जीवनपर्यन्त ऋणी रहेंगें। जय गुरुदेव, धन्यवाद
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हमारी अगली मुलाकात सोमवार की ब्रह्मवेला में बालक श्रीराम के साथ मथुरा के निधि वन में होगी। परम पूज्य गुरुदेव ही हमें मार्गदर्शन प्रदान करेंगें।