परम पूज्य गुरुदेव, वंदनीय माता जी के सूक्ष्म संरक्षण और मार्गदर्शन में 2 अक्टूबर 2022 रविवार का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का यह लोकप्रिय सेगमेंट प्रस्तुत है। इस सेगमेंट की लोकप्रियता का अनुमान आपके कमैंट्स और कॉउंटर कमेंटस से हो ही जाता है। आपके सुझाव हमारा मार्गदर्शन करने में बहुत ही सहायक होते हैं, निवेदन करते हैं इसी प्रकार अपनी सहभागिता का प्रमाण देकर हमारा मनोबल बढ़ाने का कार्य करते रहें।
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार (OGGP) समर्पित सहयोगियों का एक बहुत ही छोटा सा परिवार है। सप्ताह के चार दिन -सोमवार से गुरुवार तक चार ज्ञानप्रसाद लेख, शुक्रवार को वीडियो, शनिवार को “अपने सहकर्मियों की कलम से”, हर रात्रि एक शुभरात्रि सन्देश, आपके लिए प्रस्तुत किये जाते हैं। रविवार को बैटरी चार्ज करने के लिए अवकाश होता है। सभी सहकर्मियों के सहयोग और सुझावों की ऊर्जा से यह परिवार अपनी गति से गिरते-उठते अपनी यात्रा पर चले जा रहा है।
ऊपर दिए टाइम टेबल में किसी कारणवश थोड़ा सा फेरबदल करना पड़ा है जिसके लिए हम हृदय से क्षमा प्रार्थी हैं। इस सप्ताह यह स्पेशल सेगमेंट शनिवार के बजाए रविवार को प्रस्तुत करना पड़ा है और हमारे सहकर्मियों को सप्ताह के सातों दिन कार्य करना पड़ा है। रविवार होने वाली छुट्टी अब मंगलवार को होगी (यह बदलाव केवल इसी सप्ताह है ) और सोमवार को हम फिर से परम पूज्य गुरुदेव की बाल लीला का आनंद लेते हुए आगे बढ़ेंगें।
आज के इस स्पेशल सेगमेंट में बहिन प्रेम शीला मिश्रा जी की युगतीर्थ शांतिकुंज यात्रा का संक्षिप्त वर्णन करेंगें लेकिन उससे पूर्व हम अपने सहयोगियों के साथ Niagara Falls वाली वीडियो में आयी समस्या की चर्चा करेंगें। इस चर्चा का उद्देश्य केवल यही है कि जो ज्ञान इस समस्या ने हमें प्रदान किया है आप सबके साथ क्यों न करें क्योंकि ज्ञान ही एकमात्र ऐसा धन है इसे जितना खर्च करो बढ़ता ही जाता है।
1. वीडियो को अपलोड करते ही हमने कमेंट में लिख दिया था कि 9 घंटे हम अलग-अलग समस्याओं से युद्ध करते रहे और सभी समस्याओं को आपके साथ शेयर करेंगें। आप में से किसी एक को भी इस ज्ञान का लाभ हो गया तो हमारा परिश्रम सार्थक हो गया।
सबसे पहली समस्या जिससे हम कितनी ही देर तक युद्ध करते रहे वह थी “इंटरनेट की स्पीड की”, बाद में पता चला कि असल में यह समस्या थी ही नहीं। कई बार modem को reset किया, लैपटॉप को restart किया लेकिन 24 मिंट की अड़ियल वीडियो अपलोड होने का नाम ही नहीं ले रही थी। लैपटॉप बता रहा था कि इस वीडियो को अपलोड करने में 3 घंटे लगेंगें जो कि बिल्कुल ही अविश्वसनीय था। लैपटॉप बंद करके फ़ोन पर अपलोड करना शुरू किया लेकिन उसमें भी यही समस्या। इंटरनेट स्पीड की कोई समस्या नहीं थी ,वह बिल्कुल ठीक थी। रात को सोने से पूर्व अंतिम बार try करने के लिए एक ही विकल्प दिमाग में आ रहा था कि वीडियो बड़ी है और इसको छोटा करके देखते हैं। 24 मिंट से 15 मिंट कर दी लेकिन समस्या वहीँ के वहीँ खड़ी रही। रात देर हो रही थी इसलिए आप सभी को सूचित करते हुए शुभरात्रि कर दी। सुबह साढ़े तीन बजे जाग कर फिर try करना आरम्भ किया। इस बार वीडियो को और छोटा किया लेकिन उससे पहले कोई और वीडियो अपलोड करके देखा ताकि एक और possibility को rule out कर दें कि कहीं वीडियो में ही कोई समस्या न हो। इस स्टेप ने सारी समस्या का निवारण कर दिया। 24 मिंट की वीडियो में 10 मिंट की वीडियो ऐसी थी जो गूगल से ली थी। यही 10 मिंट की वीडियो सारी समस्या की जड़ थी। इसको डिलीट करते ही सब ठीक हो गया।
अपने सहयोगियों को इस समस्या का बारे में थोड़ा और बता दें : जब हम गूगल से कोई वीडियो लेते हैं तो वह copyrighted होती हैं यानि उस पर वीडियो बनाने वाले का अधिकार होता है ,कोई दूसरा उसे प्रयोग नहीं कर सकता। लेकिन जब हमने इस वीडियो को शेयर करने का मन बनाया तो copyright वाला पक्ष चेक कर लिया था। बहुत ही अविश्वसनीय बात तब सामने आयी कि वही वीडियो जो copyright पक्ष से क्लियर थी ,अपलोड करने को रोक रही थी। तो मित्रो यह है “आज के युग का विश्वास” यह है “आज के युग की निष्ठां” अक्सर हम सब hidden fees की बात करते हैं, हमें तो यह बात कुछ तरह की लगी -copyrighted तो है नहीं लेकिन अपलोड करने की आज्ञा नहीं है। कैसी है यह विडंबना ? GOK -God Only Knows.
तो यहाँ पर समाप्त होता है वीडियो का किस्सा।
2. अब जब निष्ठां और विश्वास की बात हो रही है तो क्यों न ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मानवी मूल्यों को भी एक बार फिर से revise कर लें। इन मूल्यों में कुछ एक तो यह हैं :
शिष्टाचार, आदर, सम्मान, श्रद्धा, समर्पण, सहकारिता, सहानुभूति, सद्भावना, अनुशासन, निष्ठा, विश्वास, आस्था, प्रेम, स्नेह, नियमितता
लगभग सभी सहकर्मी इन मूल्यों का पालन कर रहे हैं जिसके लिए हम ह्रदय से धन्यवाद् तो करते ही हैं लेकिन यह सहकर्मी हमारे ह्रदय एक विशेष स्थान बनाये हुए हैं। कुछ एक ऐसे भी हैं जिन्हे नियमितता ,श्रद्धा,विश्वास अनुशासन का बार -बार स्मरण कराना पड़ता है। परम पूज्य गुरुदेव से अगर हम आस्था और विश्वास की शिक्षा ही न ले पाए तो उनका साहित्य और हमारा प्रयास सब व्यर्थ ही है। इस स्थिति में हम कभी भी सहकर्मियों को आरोप नहीं लगायेंगें। शायद हमारे प्रयास में ही कोई कमी रह गयी होगी जो हम ऐसे परिजनों को अपने साथ जोडने में ,गुरुदेव के दिव्य साहित्य का अमृतपान करवाने में असमर्थ रहे होंगें। हाँ “भटका हुआ देवता” वाली संज्ञा शायद ठीक ही हो। गुरुदेव जैसे महान व्यक्तित्व को समझने में एक जीवन तो बहुत ही छोटा है, और बहुत से ऐसे सहकर्मी भी हैं जो कि गुरु को Try and Test किये जा रहे हैं। आशा करते हैं कि हम अपने सहकर्मियों के साथ “दिल का एक अटूट सम्बन्ध” बनाने में सफल होते रहेंगें और भटकन को छोड़ अनुशासन का पालन करते हुए इस ज्ञानरथ को हांकने में अपना योगदान देते रहेंगें। दो शब्दों का मैसेज करने में कोई अधिक समय नहीं लगता। जहाँ ह्रदय के तारों का सम्बन्ध होता है विद्युत तरंगें एक दम मैसेज करती है कि हमारे किसी सहकर्मी के साथ Something is wrong .
3.हमारे सहकर्मी अक्सर लिखते रहते हैं कि “क्षमा या क्षमाप्रार्थी” शब्दों का प्रयोग न किया करें। ऐसे कमैंट्स हम बार -बार पढ़कर सोच चुके हैं और हमारी अंतरात्मा ने यही निष्कर्ष निकाला है, “बेटे गलती की है तो दंड तो मिलेगा ही ” गलती का प्रयश्चित क्षमा ही तो है। अगर हमारी गलती के कारण हमारे परिवार के एक भी सदस्य को कोई कष्ट होता है तो ज़िम्मेदारी हमारी है। ज़िम्मेदारी से बढ़कर अपने सहयोगियों के प्रति सम्मान और शिष्टाचार की भावना हमें “क्षमा ,क्षमाप्रार्थी” प्रयोग करने से रोक नहीं पाती।
अब तक की सारी चर्चा हमारे इर्द-गिर्द की केंद्रित थी ,अब बात करते हैं प्रेम शीला बहिन जी अनुभूति की । अनुभूति से पहले हम पिछले सप्ताह वाला निवेदन एक बार फिर दोहरा रहे हैं।
4.स्पेशल सेगमेंट के लिए पिक्चर:
सहकर्मियों के contributions प्रकाशित करने का आकर्षण और लॉजिक कई गुना बढ़ जाता है अगर साथ में फोटो भी हो। इसलिए निवेदन कर रहे हैं कि अगर आप इस सेगमेंट के लिए कुछ प्रकाशित कराने का विचार बना रहे हैं तो अपनी क्लियर सी पिक्चर अवश्य भेज दें। आप यह पिक्चर हमारे व्हाट्सप्प नंबर 519 341 4763 या जीमेल एड्रेस trikha48@gmail.com पर भेज सकते हैं।
5. प्रेम शीला बहिन जी की अनुभूति :
भाई जी प्रणाम 🙏 – आज थोड़ा समय निकाल कर दिव्य तीर्थ की अपनी अनुभूति प्रस्तुत कर रहे हैं। हम 21 सितम्बर को रात 11:30 बजे लखनऊ से AC स्पेशल ट्रेन से चल कर गाजियाबाद सुबह 7:00 बजे पहुंचे। पूरे रास्ते बारिश होती रही, वहां हमारा बेटा लेने आया था। भीगते हुए गाड़ी में बैठे और घर पहुंच गए लेकिन बारिश थमने का नाम ही नहीं ले रही थी, कैसे जांये, इसी उधेड़बुन में पड़े रहे। दूसरे दिन लगभग 1:00 बजे शान्तिकुंज के लिए बेटे की गाड़ी से निकले। सोसायटी से बाहर निकलते ही बारिश विकराल रूप में सामने आयी। अंधेरा हो गया, गाड़ी कैसे चले, कुछ देर एक ढाबे में रुके, पर रुकने का आसार नहीं दिखा। बेटा बोला मम्मी धीरे -धीरे चलते हैं। हमनें कहा गुरुदेव का नाम लेकर चलो बेटा , लखनऊ से छोटी बेटी फोन पर रट बोली हमें घबराहट हो रही है मम्मी, बारिश से डर लग रहा। हमनें झूठ बोला बेटा हमारे रास्ते में तो धूप है, डरो नहीं इतना कहते ही बारिश थम गई और हम सकुशल 6:00 बजे शान्तिकुंज पहुंच गए। नादयोग चल रहा था, गेट खुला तो हम लोग अंदर पहुंचे। तर्पण करने और नवरात्रि शिविर वालों की भीड़ देखकर लगा कैसे होगा,लेकिन काउंटर पर हमें नचिकेता हाल में जगह मिली। दूसरे दिन सुबह हम दोनों ने तर्पण किया अखण्डदीप का दर्शन किया। बड़ा मन था बेटे को जीजी के दर्शन कराने का पर पता चला जीजी अब वृहस्पतिवार और रविवार को ही दर्शन देती हैं। खैर भोजन प्रसाद लेकर वहां से निकलने में 3 बज गया। जैसे ही हम लोग चले, रुड़की पहुंचते ही जो बारिश शुरू हुई तो हमें बिलकुल डर नहीं लगा। ऐसा लग रहा था गुरुदेव माता जी साथ चल रहे हैं । जब गाजियाबाद पहुंचने वाले थे तो हमनें कहा गुरुदेव हमें कन्याओं के पैर धोना है और बेटा दूसरे फ्लैट में रहता है, बड़ी बेटी दो फ्लैट छोड़कर तीसरे में रहती है ,रात का 8 बज गया है दोनों नातिनें कैसे आयेंगी हम कैसे कन्याओं का चरण धोयेंगे। तुरन्त बारिश एकदम रुक गई हमनें एक पोती दो नातिनें तीन कन्याओं के चरण धोकर पूजन किया और भोजन प्रसाद लेकर सोये। सुबह रविवार था, शाम को हमारी फिर से वही ट्रेन थी 11:30 बजे। हम लोग स्टेशन आये। हम escalator से चढ़ उतर नहीं पाते, मेरे पति गुस्सा करने लगे कि उतरो। बात तो छोटी है लेकिन एस्कलेटर देखकर हमें चक्कर आ जाता है। हम पैर बढ़ा ही नहीं पाते। उसी क्षण एक लड़का आया और झटके से मेरा हाथ पकड़ कर हमें उतारकर पता नहीं कहां चला गया। हम तो एकदम सन्न रह गये और ध्यान आया , हे प्रभु तुम्हीं विविध रुपों में, हमें बचाते हो, भवकूपों से। हम लखनऊ आ गये, नवरात्रि की पूजा और 108 कुण्डीय यज्ञ में व्यस्त हो गए हैं शरीर में बड़ी स्फूर्ति आ गई है। गुनगुनाते हुए सब काम कर रहे हैं , गुरु तेरे कौन कौन गुण गाऊं , धन्यवाद जय गुरुदेव जय माताजी
आज की संकल्प सूची में एकमात्र विजेता हमारी सबकी प्रिय प्रेरणा बेटी है ,वह ही गोल्ड मैडल की हकदार है। वीडियो देर से अपलोड होने के कारण आज की संकल्प सूची सिकुड़ी हुई है ,ऐसा हमारा विचार है। जय गुरुदेव, धन्यवाद