18 अगस्त 2022 का ज्ञानप्रसाद – भोपाल केंद्रीय कारावास में पुजारी प्रशिक्षण
आज का ज्ञानप्रसाद न तो परम पूज्य गुरुदेव के दिव्य साहित्य पर आधारित है,न कोई वीडियो है और न ही कोई ऑडियो बुक है , हाँ गुरुदेव का दिव्य मार्गदर्शन अवश्य है। यह एक न्यूज़ आइटम है जो “ The Wire” समाचार पत्र में 1 जून 2022 को प्रकाशित हुई थी। न्यूज़ आइटम अंग्रेजी में थी और हमने इसे हिंदी में अनुवाद करना उचित समझा। हमारी समर्पित सहकर्मी आदरणीय राजकुमारी जी, जिनकी प्रेरणा से यह लेख लिखा गया है धन्यवाद् के पात्र हैं। बहिन जी ने हमें व्हाट्सप्प पर एक वीडियो भेजी जिसका शीर्षक था “जेल में बंद बहिनें बनेगीं गायत्री पंडित” हो सकता है आप में से बहुतों ने यह वीडियो देखी भी हो। इसी वर्ष 16 मार्च को हमने अपने चैनल पर आदरणीय चिन्मय पंड्या एवं शैफाली पंडया द्वारा भोपाल केंद्रीय कारावास में विचार क्रांति स्तम्भ के अनावरण को दर्शाती एक वीडियो अपलोड की थी।
अनुवाद करते समय हमने प्रयास किया है कि कंटेंट की भावना यथावत बनी रहे, उसमें किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ न हो लेकिन फिर भी अगर किसी अनजान कारण से कोई त्रुटि आ गयी हो तो उसके लिए हम “The Wire” से करबद्ध क्षमाप्रार्थी हैं।
“Hate the sin but not the sinner” जिसका अर्थ है अपराध से घृणा करो, न कि अपराधी से। प्राइमरी स्कूल से पढ़ाया जा रहा यह स्लोगन अपनेआप में बहुत बड़ा अर्थ लिए हुए है। गायत्री परिवार के अथक प्रयास से समाज में विचार क्रांति लाने के संकल्प को हम नमन करते हैं।
शांतिवन आश्रम एवं आदरणीय चिन्मय जी के कनाडा प्रवास पर आठवीं एवं अंतिम वीडियो कल वाले ज्ञानप्रसाद को सुशोभित कर रही है। इस वीडियो का पूर्ण विवरण तो कल ही Description Box में देना उचित होगा लेकिन हम इतना अवश्य कहना चाहेंगें कि यह वीडियो दो दिवसीय Youth spiritual retreat पर आधारित है जिसमें लगभग 65 युवाओं को चिन्मय जी के साथ समय बिताने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, युवा टेंटों में रहे, campfire का आयोजन किया, group discussion हुआ। युवाओं को चिन्मय जी ने इंग्लिश में सम्बोधन किया लेकिन हमने उस 6 मिंट को वीडियो को सुनकर हिंदी में लिखा और फिर अपनी वाणी में जितना संभव हो सका रिकॉर्ड किया, आशा करते हैं आपको हमारा प्रयास पसंद आएगा।
इन्ही शब्दों के साथ आप आज का ज्ञानप्रसाद का अमृतपान कीजिए।
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भोपाल सेंट्रल जेल में बंद 50 से अधिक बंधी जो हत्या, बलात्कार, डकैती और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के दोषी हैं, गायत्री शक्ति पीठ के महीने भर चलने वाले पुजारी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की बदौलत पुजारी बन गए हैं। मार्च 2022 में 50 से अधिक बंधियों को ‘युग पुरोहित’ या पुजारी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की पेशकश की गई थी। जेल प्रशासन और गायत्री शक्ति पीठ ने उन्हें 150 से अधिक सजा-याफ्ता बंधियों की सूची से शॉर्टलिस्ट किया, जिनमें से अधिकांश आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं। जेल अधिकारियों ने बताया कि दूसरा बैच 1 जून से 30 जून तक शुरू होने की संभावना है।
“The Wire” ने बताया कि पुजारी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए बंधियों को मंत्रों वाली आठ से दस धार्मिक पुस्तकें दी गईं। उन्हें आठ शिक्षकों द्वारा दोपहर 1 से 4 बजे के बीच तीन विषय, 1. कर्मकांड, 2. संगीत और 3. बौधिक, पढ़ाए गए। कर्मकांड में, उन्हें हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार मृत्यु, जन्म, विवाह, त्योहारों, गृहप्रवेश (हाउस वार्मिंग) और अन्य अवसरों के लिए पूजा करने के विभिन्न तरीके सिखाए गए। संगीत की कक्षा में, उन्हें पारंपरिक वाद्ययंत्रों जैसे डफली, घंटी और अन्य का उपयोग सिखाया जाता था जिसमें भक्ति गीत गाने के स्वर,अवधि और मंत्रों का सही तरीके से उच्चारण करना शामिल था। बौधिक में, उन्हें समाज में रहने के तरीके, हिंदू धर्म क्या है, क्रोध को कैसे नियंत्रित किया जाए और धर्म की मदद से खुशी के मार्ग को कैसे प्राप्त किया जाए, सिखाया गया।
The Wire से बात करते हुए एक पुजारी एवं गायत्री शक्ति पीठ के सदस्य सदानंद अमरेकर ने बताया , “पुजारी प्रशिक्षण” समाज में खुद को एक अच्छे व्यक्ति के रूप में स्थापित करने और पुरोहित/पंडित के अर्थ को समझने के लिए आयोजित किया गया है। अभी तक 50 बंधी हैं, जिन्हें हमने प्रशिक्षित किया है। वे रिहा होने के बाद पंडित के रूप में काम करके आजीविका कमा सकते हैं या निशुल्क कर सकते हैं। ”
उन्होंने कहा, “हम इन बंधियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं क्योंकि वे समाज से जुड़े हुए हैं। उन्हें अनुष्ठान सिखाया जा रहा है ताकि वे लोगों की और धर्म की भलाई के लिए काम कर सकें। ”
नव प्रशिक्षित पुजारियों में से 25 वर्षीय बलराम सिंह जो आदिवासी समुदाय से है, 2019 से डकैती के आरोप में भोपाल सेंट्रल जेल में बंद है। मध्य प्रदेश के मऊ निवासी बलराम को 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई है। उन्होंने The Wire को बताया “मैंने केवल होली, दिवाली, रक्षा बंधन जैसे प्रमुख त्योहारों के बारे में ही सुना है। आदिवासी होने के नाते, मैं आदिवासी प्रतीकों, देवताओं कुलदेव की कहानियां सुनकर बड़ा हुआ हूं, इससे ज्यादा कुछ नहीं जानता ।” उन्होंने बताया कि युग पुरोहित पाठ्यक्रम के बाद, उनका जीवन बदल गया है। अब वह जल्दी उठते हैं, योग के बाद गायत्री मंत्र और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और जेल के मंदिरों में पूजा करते हैं।
गायत्री शक्ति पीठ के कार्यक्रम समन्वयक रमेश नागर के अनुसार पिछले दो वर्षों में जेल अधिकारियों की मदद से केंद्रीय जेल के चारों ब्लॉकों के अंदर पांच से छह मंदिरों का निर्माण किया गया और वहां नए प्रशिक्षित पुजारी की नियुक्ति की जाएगी।
भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक दिनेश नरगवे ने बताया :“ कारावासों में बंधी भाई या तो अवसाद में हैं या आक्रामकता में । उनमें से अधिकांश निरक्षर हैं, हमने बंधियों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता अनुभव की ताकि वे अपने आसपास सकारात्मक ऊर्जा अनुभव कर सकें। 50 से अधिक बंधी जो सीखने के इच्छुक थे, उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। आशा करते हैं कि और अधिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये जायेंगें। प्रशिक्षण सत्रों के अलावा, जेल अधिकारियों ने बंधियों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया। अकेले COVID-19 लॉकडाउन के दौरान ही बंधियों ने 24,000 से अधिक गायत्री मन्त्र लेखन पुस्तकें लिखीं। यह केवल राज्य की लगभग दो दर्जन जेलों में हुआ। लॉकडाउन के केवल पहले नौ महीनों में ही बंधियों ने 13.2 मिलियन गायत्री मंत्र लेखन किया
मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले बाबई के दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 29 वर्षीय बंधी विकास कुचवाड़िया ने भी शांति और शीघ्र रिहाई की उम्मीद में कार्यक्रम में अपना नाम दर्ज कराया। उन्हें 2018 में हत्या के एक मामले में दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी। उनका कहना है कि कोर्स पूरा करने के बाद उन्हें शांति मिली और वह “शाकाहारी बन गए”।
“हमें आध्यात्मिक शिक्षा के अनुष्ठानों के साथ-साथ प्रेम और सौहार्द के गुणों का प्रचार करना सिखाया जा रहा है, जिसका मुझे कोई अनुभव नहीं था। अब, शांति की भावना है और मैं अपनेआप को समाज के एक हिस्से की तरह अनुभव करता हूं, ” The Wire को उन्होंने बताया।
सचिन यादव (39), संजय राजपूत (29), पुरुषोत्तम तिवारी (38), नितेश भोरिया (36), विष्णुप्रसाद मिश्रा (52), सीताराम मिश्रा (65), मलखान मीणा (27) और कमलटेल सिंह (26), अन्य बंधी जो हत्या,अपहरण और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे, ने “self- control” का दावा किया है।
गायत्री शक्ति पीठ के सदस्य रघुनाथ प्रसाद हजारिक ने कहा, “हम बंधियों को धर्म के आलोक में अपने जीवन का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए सलाह देते हैं या प्रेरित करते हैं।”
पुरुषोत्तम तिवारी और विष्णुप्रसाद मिश्रा, उच्च जाति के ब्राह्मण परिवारों से हैं और उन्हें हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के निवासी मिश्रा ने कहा कि हमें पुजारी प्रशिक्षण कार्यक्रम में जो कुछ भी सिखाया गया था हम पहले से ही उससे अच्छी तरह से वाकिफ हैं। मंत्रों और रीति-रिवाजों को याद करने के लिए हमने शायद ही कोई प्रयास किया हो। पाठ्यक्रम ने हमारे लिए केवल यही किया है कि इसने हिंदू धर्म में हमारे विश्वास को ताज़ा किया है, हालांकि दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बलराम और कमलटेल सिंह जैसे बंधियों के लिए पुजारी बनना आसान काम नहीं था। इसके अलावा, जेल से रिहा होने के बाद एक पुजारी के रूप में उनकी राह उतनी आसान नहीं होगी। एक अन्य दलित विकास कुचवाड़िया ने कहा कि मुझे नहीं पता कि समाज दलितों के पुजारी बनने पर क्या प्रतिक्रिया देगा। अगर मैं असफल रहा तो मैं गायत्री परिवार के संरक्षकों की सेवा करने के लिए हरिद्वार जाऊंगा।
गायत्री शक्ति पीठ के कार्यक्रम समन्वयक रमेश नागर ने दावा किया कि बंधियों में धार्मिक उत्साह को जीवित रखने से गंभीर अपराधों के दोषी इन अपराधियों को अपराध से दूर किया जा सकता है, और वे एक शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं इसलिए जेल के अंदर नए हनुमान, शिव और गायत्री मंदिर बनाए गए।
उन्होंने बताया कि हम जेल विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में हैं और इस मॉडल को पूरे राज्य में लागू करने की योजना बना रहे हैं।
धन्यवाद् इतिश्री
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची:
आज की संकल्प सूची में उत्तीर्ण हो रहे सभी सहकर्मी हमारी व्यक्तिगत बधाई के पात्र है क्योंकि इस दिव्य संकल्प ने एक बार फिर से बड़े दिनों बाद गति पकड़ी है। सभी को नमन करते हैं
(1 )अरुण कुमार वर्मा -47,(2 )सरविन्द कुमार- 24 ,(3) संध्या कुमार-33 ,(4 )सुमन लता -27 ,(5 )रेणु श्रीवास्तव -30 ,(6)प्रेरणा कुमारी-26 ,(7 )संजना कुमारी-25 ने संकल्प पूर्ण किया है। अरुण वर्मा जी फिर से गोल्ड मेडलिस्ट हैं। सभी सहकर्मी अपनी-अपनी समर्था और समय के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिनको हम हृदय से नमन करते हैं, आभार व्यक्त करते हैं और जीवनपर्यन्त ऋणी रहेंगें। जय गुरुदेव, धन्यवाद।
जय गुरुदेव