युगतीर्थ शांतिकुंज स्थित हरीतिमा देवालय और नवग्रह वाटिका 

23 जून 2022 का ज्ञानप्रसाद -युगतीर्थ शांतिकुंज स्थित हरीतिमा देवालय और नवग्रह वाटिका 

17 जून 2022 को जब “रोते हुए पर्वत” शीर्षक से प्रेरणा बिटिया की ऑडियो बुक प्रकाशित की तो उसके साथ हमने शेखावाटी राजस्थान में नवग्रह वाटिका का लिंक भी दिया था, इस लिंक पर कमेंट करते हुए आदरणीय रेणु श्रीवास्तव जी ने लिखा था कि नवग्रह नक्षत्र वाटिका की जानकारी का इंतज़ार रहेगा। उसी कमेंट से प्रेरित होकर आज का ज्ञानप्रसाद तैयार किया गया है। इस लेख के साथ दिए गए  लगभग 4 मिंट के वीडियो लिंक के क्लिप तो 3 वर्ष पूर्व शूट किये थे लेकिन प्रकाशित आज हो पा  रहे हैं। इसका श्रेय बहिन जी को ही जाता है। अगर हो सका तो यह वीडियो एडिट करके, तैयार करके यूट्यूब पर भी अपलोड करेंगें।    

नवग्रह ,नक्षत्र और राशि आदि का क्षेत्र इतना विस्तृत है कि इसे एक लेख में या लेख शृंखला में सीमाबद्ध करना असम्भव ही है। हमने बहुत ही संक्षिप्त वर्णन किया है जिसका उद्देश्य केवल यही है कि जो कोई भी युगतीर्थ शांतिकुंज जाता है इन वाटिकाओं को मिस न करे। परमपूज्य गुरुदेव ने हमें ,हम बच्चों को शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक संरक्षण प्रदान किया है। परिजनों से निवेदन है कि पूरी तरह समझ कर, पढ़कर इन वाटिकाओं की जानकारी ग्रहण करके औरों को भी समझाने का प्रयास करें।

तो प्रस्तुत है आज का ज्ञानप्रसाद। 

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युगतीर्थ शांतिकुंज स्थित हरीतिमा देवालय और नवग्रह वाटिका 

पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा देता “हरीतिमा देवालय” युगतीर्थ  शांतिकुंज हरिद्वार का एक  ऐसा अनूठा देवालय है, जहां देवी-देवताओं  की मूर्तियों की जगह चारों ओर नाना प्रकार के पेड़-पौधे हैं जो न सिर्फ आगंतुकों को प्रकृति की विलक्षण छटा दिखाते हैं बल्कि धरा को हरा भरा बनाने के लिये प्रेरित भी करते हैं। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के दुष्प्रभावों की चिंताओं के बीच गुरुदेव के मार्गदर्शन में विकसित हुआ इस  देवालय की हरियाली एक  सुखद अहसास प्रदान करती  है।

अखिल विश्व गायत्री परिवार के केंद्र शान्तिकुंज में  स्थित हरीतिमा देवालय इस मामले में भी अनोखा है कि यहां आने वाले हर व्यक्ति को प्रसाद के रुप में एक पौधा दिया जाता है जिसे “तरु प्रसाद” नाम दिया गया है। अब तक लाखों पौधों का वितरण किया जा चुका है। यहां लगे अधिकतर वृक्ष और पेड़ पौधे औषधीय गुण वाले हैं। वृक्षों के नाम सहित उनके औषधीय गुण धर्म के बारे में जानकारी दी गयी है ताकि दर्शनार्थी उनसे अवगत हों और लाभ उठा सकें। इस उद्यान में 500 से अधिक प्रकार के पौधे हैं । यहां कई दुर्लभ पौधे भी देखे जा सकते हैं। यहां एक स्थान पर पेड़ पौधों को “शिवलिंग” का स्वरुप भी दिया गया है जो यहां आने वालों के लिये आकर्षण का केंद्र है।

गायत्री परिवार प्रमुख परम श्रद्धेय  डॉक्टर प्रणव पण्ड्या ने यूनीवार्ता से बातचीत में कहा है   कि इस देवालय को गायत्री परिवार के जनक श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने 1970 के दशक में बनवाया था। वह कहा करते थे कि “सच्चे मन्दिर वे होते हैं जो जन जागृति के केन्द्र होते हैं।” हरीतिमा देवालय निर्माण के पीछे भी यही उद्देश्य रहा है। यह मन्दिर हरिद्वार आने वाले आगन्तुकों को पर्यावरण संरक्षण का सन्देश देता है। प्रसाद के रूप में औषधीय पौधे भी इस मन्दिर से उपलब्ध कराये जाते हैं जिसे देश भर के लोग ले जाकर अपने यहां लगा रहे हैं  और पर्यावरण संरक्षण में अमूल्य योगदान दे रहे हैं।

इस देवालय की एक और विशेषता यह है कि यहां बागवानी की कक्षाओं का आयोजन  भी होता  है। इच्छुक व्यक्तियों को यहां पेड़ पौधे लगाने, उनके रख-रखाव और बिमारिओं से निपटने आदि की जानकारी दी जाती है। 

हमारे पाठकों को ग्रहों, राशियों और नक्षत्रों का ज्ञान तो पहले से ही होगा लेकिन फिर भी हम इनके साथ सम्बंधित पौधों की संक्षिप्त जानकारी देना अपना कर्तव्य समझते हैं। संक्षिप्त हम इसलिए कह रहे हैं कि इंटरनेट पर बहुत ही विस्तृत जानकारी उब्लब्ध है, इतनी विस्तृत कि इसे एक छोटे से लेख में सीमाबद्ध करना अनुचित ही होगा। तो प्रस्तुत है नौ ग्रहों, 27 नक्षत्रों के नाम और उनसे सम्बंधित पौधे। हो सकता है यह जानकारी अलग-अलग sites पर अलग हो जिसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।

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2018 में गायत्री परिवार की ओर से पहली बार शेखावाटी राजस्थान स्थित  स्मृति वन के पं श्रीराम शर्मा आचार्य वाटिका में पर्यावरण संरक्षण के लिए शांतिकुंज की तर्ज़ पर नक्षत्र ,नवग्रह वाटिका और राशि के अनुसार वाटिका विकसित की गयी है  ।वाटिका में आने जाने के लिए रास्ता भी छोड़ा गया है। इसमें कल्पवृक्ष, कदम, पुत्रजीवा, बहेड़ा, गुलर, अमलताश, अर्जुन, पारीजात, कदली फल, बादाम, मोल श्री, शमीवृक्ष, बूबना, अंजीर सहित कई पौधे अब पेड़ों का रूप लेंगे। शास्त्राें में मान्यता है कि कई प्रजाति के पौधे, वृक्ष मंगलकारी होते हैं। इस नवग्रह वाटिका में लोग अपनी-अपनी राशि के अनुसार पेड़-पौधे के नीचे बैठकर जप-तप कर सकेंगे। वाटिका में बूंद-बूंद सिचाई के माध्यम से पौधों को फिल्टर युक्त पानी से सिंचाई की जाती है। इसके लिए वन विभाग ने गायत्री परिवार को 30 बीघा  जमीन दी थी जिसमें 17 बीघा जमीन में 650 पौधे लगाए गए हैं। पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी भी गायत्री परिवार के सदस्य ही  करते हैं। इस वाटिका में  सभी 9 ग्रहों, 12 राशियों एवं 27 नक्षत्रों के आधार पर पौधे लगाए हैं।

यज्ञ तो गायत्री परिवार की मुख्य प्रथा है उसी प्रथा को कायम रखते हुए यहाँ  नौ कुंडीय महायज्ञ का आयोजन किया गया।  यज्ञ तीन पारियों में हुआ  जिसमें 400 सदस्यों ने पर्यावरण सरंक्षण के लिए 11 हजार गायत्री मंत्रों एवं विश्व में राष्ट्र के उत्थान के लिए 1100 महामत्युंजय मंत्र की आहुतियां दीं । यज्ञ को जोधपुर आईआईटी के प्रोफेसर विजय विवेक के सान्निध्य में किया गया। इस दौरान प्रोफेसर विजय ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए शुद्धि यज्ञ बेहद जरूरी है। यज्ञ में सामग्री और घी की आहुति देने से वातावरण पवित्र होता है। इससे आम लोगों को भी लाभ मिलता है। लोगों को अपने घरों में भी शुद्धि यज्ञ का आयोजन करना चाहिए। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए यज्ञ सबसे श्रेष्ठ कर्म है। यज्ञ द्वारा दूषित पर्यावरण शुद्ध होता है। यज्ञ के द्वारा वातावरण में व्याप्त बुराइयों का शमन होता हैं। नगर  में आध्यात्मिक एवं सद्भाव का वातावरण बनता हैं। पेड़-पौधों का संरक्षण करके हम अपना भविष्य सुरक्षित रख सकते हैं, ताकि पर्यावरण का संतुलन बना रहे।

ग्रहों के पूजन-हवन से मिलेगी शांति :

प्रोफेसर विजय  ने आये हुए साधकों की बताया कि ग्रहों के पौंधों  पर जल चढ़ाने, उनके नीचे बैठकर जप-तप करने से ग्रहों की प्रसन्नता मिलेगी। मान्यता है कि  इन पौधों पर जल चढ़ाने, जप-तप और हवन करने से ग्रहों के दोष दूर होंगे और शांति मिलेगी। हमारे शास्त्रों में कही गई एक-एक बात का धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। नवग्रहों के पौधे जहां धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व रखते ही हैं, इनका वैज्ञानिक महत्व भी है। ये पौधे पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है।

2021 में प्रकाशित पुस्तक “तस्मै श्री गुरुवे नमः” में  प्रोफेसर विवेक ने परमपूज्य गुरुदेव के बारे में  विश्व को बताने का प्रयास किया है।  

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नवग्रहों के पेड़ पौधे   

1- सूर्य – लाल गुलाब, मदार या कनेर

2- गुरु – केला, पंज बेल या गैंदी

3- शुक्र – गूलर, कनैर या तुलसी

4- शनि – शमी या शमा बैजंती

5- चंद्र – पलाश, कनेर या चमेली

6- बुद्ध – अपामार्ग, पान या बेला

7- मंगल – गुडहल, खैर या लाल चंदन

8- राहु – दूर्वा, नीम या सदा सुहाग

9- केतु – कुशा, पंज बेल या गैंदी

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नक्षत्रों के पेड़ पौधे

1- कृतिका – वहेश

2- रोहिणी – बांस

3- मृगशिरा – जामुन

4- आर्र्द्रा – खैर

5- पुनर्वसु – शमी

6- पुष्य – चंदन

7- स्लेषा – वाकर

8- मघा – नागकेशर

9- पूर्वा फाल्गुनी – कस्टर

10- उत्तरा फाल्गुनी – महुआ

11- हस्त – कदम

12- चित्रा – चंदन

13- स्वाती – कोहा

14- विशाखा – रीठा

15- अनुराधा – मौलश्री

16- ज्येष्ठा – उमर

17- मूल – किखर

18- पूर्वाषाढ़ – खमेर

19- उत्तराषाढ़ – पीपर

20- श्रवण – फ्लास

21- धनिष्ठा – नीम

22- शतभिषा – आम

23- पूर्वा भाद्रपद – हर्र

24- उत्तरा भाद्रपद – शीशम

25- रेवती – बरगद

26- अश्विनी – बेल

27- भरणी – आंवला

उपरोक्त नक्षत्रों की तिथियों में नक्षत्रों से संबंधित पेड़-पौधों का पंचोपचार पूजन करके जल अर्पित करने से जीवन में आने वाली बाधाओं से रक्षा होती है। 

नवग्रह वाटिका का योगदान पर्यावरण और हमारे जीवन में  इतना पॉपुलर हो रहा है कि 2014 में तिहाड़ जेल में भी इस तरह की वाटिका का शुभारम्भ हुआ। जेल  प्रबंधकों के अनुसार नवग्रह वाटिका बहुत ही शुभ है और  सकारात्मक ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दे रही है।  

आज के ज्ञानप्रसाद का समापन करने से पहले हम कहना चाहेंगें कि ग्रहों ,राशियों और नक्षत्रों के बारे में हर किसी की अपनी धारणा एवं मान्यता है जिसका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।

 कल ऑडियो/वीडियो का दिन है ,तो आ रही वीडियो केवल दो ही मिंट की है लेकिन बात बहुत ही चिंतन करने योग्य है और शनिवार को तो अपना पॉपुलर सेगमेंट, आप सबका ही तो होता है। 

इन्ही शब्दों के साथ अपनी लेखनी को आज के लिए विराम देते हैं और आप देखिये 24 आहुति संकल्प सूची।

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22   जून  2022, की 24 आहुति संकल्प सूची: 

(1 )रेणु श्रीवास्तव -25, (2) संध्या कुमार-27, (3) अरुण वर्मा-33, 4) सरविन्द कुमार-43 , (5) प्रेरणा  कुमारी- 25, (6 ) सुमन लता-25    

इस सूची के अनुसार अरुण वर्मा और सरविन्द कुमार  गोल्ड मैडल विजेता हैं, दोनों  को हमारी व्यक्तिगत और परिवार की सामूहिक बधाई। सभी सहकर्मी अपनी-अपनी समर्था और समय के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिनको हम हृदय से नमन करते हैं, आभार व्यक्त करते हैं और जीवनपर्यन्त ऋणी रहेंगें। धन्यवाद। 

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