अपने सहकर्मियों की कलम से: 4 जून, 2022
एक बार फिर हम अपने सहकर्मियों के समक्ष इस शनिवार की मंगलवेला में “अपने सहकर्मियों की कलम से” का स्पेशल एपिसोड लेकर प्रस्तुत हुए हैं। आप सब जानते हैं कि हमारे परिवार में प्रतिदिन नए सहकर्मी जुड़ रहे हैं जिसका श्रेय आप सबके अथक परिश्रम को जाता है। आपके इस समर्पण और परिश्रम को हम नतमस्तक हैं और आभार व्यक्त करते हैं। जो भी नए सहकर्मी जुड़े हैं उन्हें इस स्पेशल सेगमेंट और overall फॉर्मेट के बारे में संक्षेप में बताना चाहेंगें।
आपकी आँख खुलते ही हम आपका स्वागत दैनिक ज्ञानप्रसाद से करते हैं जो परमपूज्य गुरुदेव के साहित्य पर आधारित होता है। यह ज्ञानप्रसाद सोमवार से गुरुवार तक एक लेख की फॉर्म में होता है जिसकी लम्बाई लगभग 3-4 पेज (1800 शब्द ) होती है जिसे आम रीडिंग में 5 से 10 मिंट में पढ़ा जा सकता है। हर लेख का समापन 24 आहुति संकल्प सूची के साथ होता है जिसमें सभी सहकर्मियों का योगदान बहुत ही सराहनीय और प्रेरणादायक होता है। सहकर्मियों की जानकारी को रिफ्रेश करने के लिए हम समय -समय पर 24 आहुति संकल्प सूची के इतिहास को शेयर करते रहते हैं। शुक्रवार को यह ज्ञानप्रसाद एक ऑडियो/वीडियो का रूप ले लेता है और शनिवार को हम “अपने सहकर्मियों की कलम से” शीर्षक से एक स्पेशल सेगमेंट प्रस्तुत करते हैं जिसमें सम्पूर्ण योगदान हमारे सहकर्मियों का ही होता है। हमारे सहकर्मी बहुत ही प्रतिभाशाली हैं और हम अलग-अलग साधनों और सोशल मीडिया channels के द्वारा उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहित करने को कृतसंकल्पित हैं।
हमारे सहकर्मियों के प्रति हमारा संकल्प केवल दैनिक ज्ञानप्रसाद तक ही सीमित नहीं है। हर रात को सोने से पहले भारतीय समय अनुसार लगभग 9 बजे परिजनों की सुखद नींद की कामना करते हुए एक शुभरात्रि सन्देश भेजा जाता है। यह सन्देश विश्व के अलग-अलग कोनों में उनके समय अनुसार पहुँचता है लेकिन हमने भारत को ही basis बनाया है क्योंकि अधिकतर सहकर्मी भारत से ही हैं। बहुत से लोगों ने हमें पूछा भी है कि हमारे यहाँ तो अभी दोपहर है, मंगल वेला है आदि आदि
आज के इस स्पेशल एपिसोड में सरविन्द कुमार जी, सुमन लता जी, रेणु श्रीवास्तव जी और अरुण त्रिखा योगदान दे रहे हैं। सभी contributors का ह्रदय से आभार व्यक्त करते हैं लेकिन एपिसोड आरम्भ करने से पहले परमपूज्य गुरुदेव एवं वंदनीय माता जी की अपील को revise कर लें और अपने ह्रदय में उतार लें।
“हम जो दुनिया को पलट देने का दावा करते हैं वह सिद्धियों से नहीं, अपने सशक्त विचारों से करते हैं। आप उन विचारों को फैलाने में हमारी सहायता कीजिए। अब हमको नई पीढ़ी चाहिए। इसके लिए आप पढ़े-लिखे विचारशील लोगों में जाइए और हमारी विचारधारा उन तक पहुंचाइए। यही है। आपके सामने युग देवता की अपील, प्रज्ञावतार की अपील, महाकाल की अपील और हमारी अपील।”
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1.सरविन्द पाल जी का लघु सन्देश: हम माली है य मालिक ?
इस सृष्टि के निर्माता परम पिता परमात्मा ने प्रकृति और समाज को सुंदर बनाने के लिए हमें इस संसार में एक माली की भूमिका निभाने के लिए भेजा था । माली बगीचे को सुंदर बनाने के लिए एक से एक सुगंधित पेड़ पौधे लगाकर, खाद पानी देकर, अनावश्यक घास-फूस को साफ कर, समय- समय पर पौधें की कटाई छटाई कर पाल-पोस कर उस बगीचे की देख रेख करता है। कालांतर में उन पेड़ों में खुशबूदार फूलों को देखकर उसे प्रसन्न्ता मिलती है और साथ ही साथ अपने घर के आंगन को सुगंधित बनाने की प्रेरणा भी मिलती है । लेकिन दुर्भाग्य से हम अपनेआप को मालिक समझ बैठे। हमनें प्राकृतिक सौंदर्य और प्राकृतिक संसाधनों का बुरी तरह से निरंतर दोहन किया है और आज भी कर रहे हैं। इस दोहन के दुष्परिणाम- भीषण गर्मी, बेमौसम बारिश, भूकंप और भूस्खलन के रूप में स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहे हैं। “घास फूस को साफ करने और पौधों की कटाई छटाई” से तात्पर्य समाज की बुराईयों को समूल समाप्त करना है। ऐसा करके ही हम परमात्मा की श्रेष्ठ संतान हो सकते हैं।
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2.सुमन लता :
नीचे दिए गए पहले कमेंट में बहिन सुमन लता जी ने गायत्री नगर की गुरुकुल कांगड़ी परिसर से तुलना की है। दूसरे कमेंट में 10 जून को आ रही गायत्री जयंती के बारे में लिखा है। गायत्री जयंती ,गंगा दशहरा और परमपूज्य गुरुदेव का महाप्रयाण तीनों एक ही दिन आ रहे हैं। 10 जून को शनिवार है ,हो सकता है हमें उस दिन के स्पेशल सेगमेंट के स्थान पर गुरुदेव को याद करते हुए कुछ और ही प्रस्तुत करना पड़े।
कमेंट 1
सभी को प्रणाम। गुरुदेव द्वारा गायत्री नगर बनाए जाने का उद्देश्य आज के लेख को पढ़कर समझा जा सकता है। हमारा प्रारंभिक जीवन गुरुकुल कांगड़ी परिसर में बीता है। वहां पर लगभग पांच वर्ष की अवस्था से बच्चों को भर्ती किया जाता था जो पूरी तरह से वहीं के वातावरण में रहा करते थे जिससे उनका सर्वांगीण विकास होता था और साथ ही सहकार की भावना भी विकसित होती थी। गायत्री नगर के निर्माण के पीछे गुरुदेव की भी यही भावना रही होगी कि जो भी शांतिकुंज जाए और कुछ समय गायत्री नगर में प्रवास करे उसके अन्दर भी कल्याणकारी और सामूहिकता के महत्व का संचार हो। अपना कल्याण करते हुए अपने साथ समाज के भी काम आ सके।आज के लेख को पढ़़ने से गुरुदेव के गायत्री नगर बसाने के पीछे का महत्व समझ में आता है। हमें ज्ञानप्रसाद में महत्वपूर्ण विषयों से अवगत कराने के लिए आपका हार्दिक आभार।
जय गुरुदेव
कमेंट 2
जय गुरुदेव, अंग्रेजी कलैण्डर के अनुसार देखा जाए तो गुरुवर के महाप्रयाण की तिथि 2 जून थी किंतु आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो हिंदू कलैंडर के हिसाब से ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी,जिस दिन गंगा अवतरण दिवस भी होता है,और भारतवर्ष में गंगा दशहरा के नाम से उल्लास पूर्वक मनाया जाता है। हमारे परम आदरणीय, परम पूजनीय गुरुदेव ने अपने महाप्रयाण के लिए इस दिन चयन किया था। इस वर्ष (2022 ) गायत्री जयंती 10 जून को है और यह तिथि और पर्व मनाया जाना है, तो हमें भी इस दिवस को उसी प्रकार मानना होगा ,जिस प्रकार गुरुदेव के महाप्रयाण को माना गया था। यदि किसी भी परिजन को हमारे इस लेखन पर कुछ भी संशोधन देना है तो हमारे स्वागत योग्य होगा। यदि यह त्रुटि पूर्ण है, हम क्षमा प्रार्थी हैं।
3.रेणु श्रीवास्तव :
रेनू श्रीवास्तव जी हमारी वरिष्ठ सहकर्मी हैं। अपनी विवाह की 50वीं वर्षगांठ युगतीर्थ शांतिकुंज में मनाकर बहिन जी ने गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है। गुरुदेव अक्सर कहते आये हैं: अपने जीवन के बड़े दिन शांतिकुंज आकर हमारे साथ मनाएं तो हमारा ह्रदय बहुत ही खुश होगा। प्रज्ञा मंडल में भी इस प्रकार की प्रथा है। बहिन जी ने शुभकामनाओं के लिए सभी का हृदय से आभार व्यक्त किया है। सबसे बड़ी बात जो अति सराहनीय है, वह है हमारे साथ पल पल का संपर्क और अपडेट, जहाँ तक कि ट्रैन में यात्रा करते भी हमें लिखती रहीं। हम सबको इस समर्पण से प्रेरणा लेने की आवश्यकता हैं। राजकुमारी दम्पंती , सुशीला बहिन और रजत जी भी अभी-अभी शांतिकुंज जाने वालों में से हैं। राजकुमारी जी और सुशीला जी द्वारा भेजी गयी फोटो हमारे पर सुरक्षित हैं।
एक भ्रमित करने वाला प्रश्न जिसका उत्तर रेणु बहिन जी ने बहुत ही स्पष्ट शब्दों में वर्णन किया है आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। निवेदन करते हैं कि इसी तरह के और भी issues को ध्यान से देखकर कर जनसाधारण में प्रचारित किया जाये ताकि लोगों को शांतिकुंज, तपोभूमि,आंवलखेड़ा और अखंड ज्योति संस्थान की ठीक जानकारी मिल सके। गुरु को सही रूप में बताना हम सबका परम कर्तव्य है।
तो यह था हमारा प्रश्न :
बहिन रेणु जी आशा करते हैं आप और भाई साहिब गुरु चरणों में दिव्यता से ओतप्रोत हो रहे होंगें।
एक निवेदन आपसे कर रहे हैं , ठीक स्पष्ट उत्तर की आशा करते हैं । बहुतों को यह पूछा था लेकिन कोई भी स्पष्ट उत्तर न मिल सका।
“शांतिकुंज का प्रवास निशुल्क नहीं है,कई बातों के लिए पैसे मांगे जाते हैं ,क्या यह सही है ?”
हमारा अपना अनुभव है कि हमसे आज तक कभी किसी ने कुछ नहीं मांगा। धन्यवाद जय गुरुदेव
उत्तर: भाई जी सादर नमन,यह news बिल्कुल भ्रामक है। यहाँ कहीं कोई शुल्क न मांगा जाता है और न कोई देता है।आजकल तो मेरे ख्याल से कम से कम एक लाख से कम की भीड़ कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। इतने लोगों की व्यवस्था…आवास ,भोजन बहुत बड़ी बात है । सबको भोजन मिलता है बहुत रात तक यह सिलसिला चलता है। donation भी अपनी स्वेच्छा से देते हैं। मैं एक chequeजब शैल दीदी से मिलने गई तो उन्हें ही दे दी। उन्होंने अपने कार्यकर्ता को दिया कि रसीद बनाकर दो। इतनी बड़ी व्यवस्था free में तो नहीं हो सकती फिर भी किसी से मांगा नहीं जाता पर गुरुदेव की कृपा यहाँ कोई भूखा नहीं रहता। इतना विशाल मिशन दिन व दिन इसका आकार और प्रसार बढ़ता ही जा रहा है। दो canteen है वहां अपनी पसंद की चीजें ले सकते हैं, जो पैसे से ले सकते हैं जिसके लिये कूपन system है। शान्तिकुंज में किसी चीज का कोई चार्ज नहीं लिया जाता है, सिर्फ गद्दा जो बिछाने के लिये लिया जाता है वह मात्र 5/रू. प्रतिदिन, वह भी धुलाई के लिये है ,क्योंकि cover हर इस्तेमाल के बाद धुलकर ही फिर से लगाया जाता है।
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4.अरुण त्रिखा
Gayatri Pariwar Western Ontario Canada ,Hindu Society of Guelph ,Trees for Guelph के प्रयास से 28 मई 2022 को परमपूज्य गुरुदेव के संरक्षण में वृक्षारोपण का आयोजन किया। Covid 19 के कारण बहुत देर से सभी आयोजन ऑनलाइन हो रहे थे ,यह प्रथम physical आयोजन था।
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3 जून 2022, की 24 आहुति संकल्प सूची:
(1) संध्या कुमार-31 , (2 ) अरुण वर्मा -39 ,(3 ) सरविन्द कुमार-30 , (4) पूनम कुमारी-26
इस सूची के अरुण वर्मा जी आज फिर गोल्ड मैडल विजेता हैं, उन्हें हमारी व्यक्तिगत और परिवार की सामूहिक बधाई। सभी सहकर्मी अपनी-अपनी समर्था और समय के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिनको हम हृदय से नमन करते हैं, आभार व्यक्त करते हैं और जीवनपर्यन्त ऋणी रहेंगें।
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धन्यवाद ,मिलते हैं सोमवार को गायत्री नगर लेख श्रृंखला का अगला अंक लेकर ,जय गुरुदेव