अपने सहकर्मियों की कलम से: मई 28, 2022
एक बार फिर हम अपने सहकर्मियों के समक्ष इस शनिवार की मंगलवेला में “अपने सहकर्मियों की कलम से” का स्पेशल एपिसोड लेकर प्रस्तुत हुए हैं। आप सब जानते हैं कि हमारे परिवार में प्रतिदिन हए सहकर्मी जुड़ रहे हैं जिसका श्रेय आप सबके अथक परिश्रम को जाता है। आपके इस समर्पण और परिश्रम को हम नतमस्तक हैं और आभार व्यक्त करते हैं। जो भी नए सहकर्मी जुड़े हैं उन्हें इस स्पेशल सेगमेंट और overall फॉर्मेट के बारे में संक्षेप में बताना चाहेंगें।
आपकी आँख खुलते ही हम ज्ञानप्रसाद से आपका स्वागत करते हैं जो परमपूज्य गुरुदेव के साहित्य पर आधारित होता है। यह ज्ञानप्रसाद सोमवार से गुरुवार तक एक लेख की फॉर्म में होता है, शुक्रवार को यह ज्ञानप्रसाद एक ऑडियो/वीडियो का रूप ले लेता है, शनिवार को हम एक स्पेशल सेगमेंट प्रस्तुत करते हैं जिसमें सम्पूर्ण योगदान हमारे सहकर्मियों का ही होता है। हमारे सहकर्मी बहुत ही प्रतिभाशाली हैं और हम अलग-अलग साधनों और सोशल मीडिया channels के द्वारा सदैव उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहित करने को कृतसंकल्पित हैं।
आज के इस एपिसोड में कुमुदनी गौरहा ,ज्योति गाँधी अरुण वर्मा और अरुण त्रिखा योगदान दे रहे हैं। सभी contributors का ह्रदय से आभार व्यक्त करते हैं।
कुमुदनी गौरहा जी के दो कमेंट आपके समक्ष रख रहे हैं जो उन्होंने ज्ञानप्रसाद लेखों के रिस्पांस में दिए थे। बहुत ही ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक कमेंट हैं। ज्योति गाँधी जी ने 24 कुंडीय महायज्ञ की जानकारी शेयर की है जिसे आपके समक्ष रख रहे हैं। दो news clips और एक बहुत ही छोटा सा वीडियो लिंक शेयर कर रहे हैं। वीडियो में ज्योति बहिन जी बहुत ही प्रभावशाली वाणी में अपने विचार रख रही हैं। ऑनलाइन ज्ञानरथ के प्रत्येक सदस्य की तरफ से हम ज्योति जी को बधाई देते हैं। 22 मई को ज्योति जी से लगभग एक घंटा बात हुई थी और उन्होंने इस महायज्ञ के बारे में बताया था। रामगंज मंडी राजस्थान की कोटा डिस्ट्रिक्ट में है। अरुण वर्मा जी जो हमारे बहुत ही समर्पित और परिश्रमी सहकर्मी हैं आज उनकी मैरिज एनिवर्सरी है और जो जानकारी उन्होंने हमें भेजी है उसे यथावत शेयर कर रहे हैं लेकिन हम सबकी शुभकामनायें भाई साहिब को सदैव मिलती रहें और परमपूज्य गुरुदेव एवं वन्दनीय माता जी का संरक्षण प्रदान हो।
हर दिन की तरह आज के इस स्पेशल एपिसोड का समापन भी 24 आहुति संकल्प सूची से ही होगा लेकिन सूची से पूर्व हमारे विचार अवश्य पढ़ें।
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1.कुमुदनी गौरहा : प्रेरणादायक यूट्यूब कमेंट
सरविन्दर भाई साहब के कर्मफल सिद्धांत को पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा। वास्तव में मनुष्य का जीवन B से प्रारंभ होकर D में समाप्त हो जाता है। बी यानी बर्थडे और डी यानी डैथ और दोनों ही हमारे हाथ में नहीं है। हम कब कहां जन्म लेंगे कहा मरेंगे दोनों को हम नहीं जानते किन्तु B और D दोनो के बीच आता है C, यानी च्वाइस किसकी च्वाइस? कर्म करनें की च्वाइस !!
भगवान ने हमें कर्म करनें की पूरी स्वतंत्रता दी है। हम अपनी इच्छानुसार कुछ भी कर्म तो कर सकते हैं लेकिन कर्मफल भोगने की स्वतंत्रता नहीं दी है। कर्म का फल हमें न्यायकारी भगवान द्वारा ही दिया जायेगा। इसलिए तात्कालिक सुख( instant pleasure ) को न देखते हुए सोच समझकर ही कर्म करना चाहिए ताकि बाद में रोना न पड़ें। हमारा कर्म गाय के बछड़े की तरह है , जिस प्रकार हज़ारों गायों के बीच में बछड़ा को छोड़ दिया जाये तो भी बछड़ा अपनी मां को खोज ही लेता हैं उसी प्रकार हम चाहे किसी भी जन्म में हो, हमारा कर्म हमें खोज ही लेता हैं।
जय गुरुदेव शत शत कोटि प्रणाम
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2.कुमुदनी गौरहा : प्रेरणादायक यूट्यूब कमेंट
भाई साहब इस लेख को पढ़कर मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि स्वामी दयानंद जी गुरुदेव को किसी मठ का प्रमुख बनाकर अपनी ऊंगली पर नचाना चाह रहे थे ताकि गुरुदेव उनके कहे अनुसार काम करतें रहें,आगे बढ़ने न पाए क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था कि हमारे गुरु महाकाल के अवतारी हैं। उन्हें तो समाज में व्याप्त अनेकों बुराईयों का अन्त करना हैं। या पता भी रहा होगा तों करनें नहीं देना चाहते होंगे।
एक बार बिलासपुर में भी स्वामी स्वरूपानंद महाराज जी आये थे और जनता से कहते हमारे शंकर भगवान सोना खाते हैं, काफ़ी लोग भगवान को सोना खिलाये। हमारे गायत्री परिवार वाले सब देखते हुए भी कुछ नहीं बोले किन्तु रात को अपने प्रवचन में गुरुदेव को उल्टा पुल्टा बोलने लगे। कहने लगे आचार्य जी भ्रष्ट हैं, प्रत्येक जाति को गायत्री मंत्र जपा रहें हैं, गायत्री मंत्र तो केवल ब्राह्मणों का मंत्र है, स्त्रियों को जनेऊधारी बना रहें हैं आदि आदि। फिर क्या था गायत्री परिवार के सदस्य भड़क गए रातों रात मेरे पिताजी राजाराम दुबे,और मेरे फूफा जी भागवत प्रसाद शुक्ला जी ने एक पैम्फलेट छपवाया जिसका शीर्षक था “आधुनिक बनाम संतो को कृपया जनता पहचानें।” और संक्षेप कंटेंट निम्नलिखित था:
ये संत एक से बढ़कर एक व्यंजन खा-खा कर मोटे हों गये हैं, सोने के सिंहासन पर बैठते हैं। भगवान कभी सोना खा सकते हैं क्या ? जनता को बेवकूफ बना कर लूट रहे हैं। जिस शंकर भगवान को सोना खिलाने का नाटक कर रहे हैं वह भगवान एक ऐसी धातु से बना है जिसमें सोना डालते ही सोना उसी धातु में परिवर्तित हो जाता है जिसे बाद में सोना के रुप में ही लाया जा सकता है और जनता को लूटा जा रहा है।
मैं उस समय बहुत ही छोटी थी, पूरा याद नहीं है किन्तु इतना तों याद है कि गायत्री परिवार के परिजन और उनके साथ अन्य परिजन इतना भड़क गए कि रातों रात कलेक्टर को आदेश देना पड़ा कि आप तुरन्त यहां से चलें जाइए वर्ना कुछ भी होगा तों हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी। रातों रात स्वामी स्वरुपानंद महाराज को भागना पड़ा था। बाद में महाराज जी को भी गुरूदेव के सामने नतमस्तक होना पड़ा था । तथाकथित पण्डितों ने अपना उल्लू सीधा करने के लिए कई चाल चलीं पर महाकाल के सामने असफल ही रहे ।
जय गुरुदेव शत शत नमन
3.ज्योति गाँधी : राजस्थान के 24 कुंडीय महायज्ञ की न्यूज़ क्लिप्स ( pictures में ) और वीडियो लिंक
4. अरुण वर्मा :
जय गुरुदेव🙏
परम आदरणीय अरुण भैया हृदय से कोटि कोटि प्रणाम🙏
कल दिनांक 28.5.2022 दिन शनिवार को अरुण कुमार वर्मा संग नीलकमल का विवाह दिवस है सन् 1996 में एक दूसरे को इस पवित्र बंधन में बंधने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,
इस 26 वर्षों में हम दोनों के जिन्दगी में बहुत उथल पुथल हुआ,लेकिन हम दोनों ने इस पवित्र रिश्ते को बखूबी निभाते हुए आज परम पूज्य गुरुदेव परम वंदनीय माता दी एवं माँ गायत्री के आशीर्वाद से हम सभी परिवार सकुशल हैं, आज मैं औनलाइन ज्ञान रथ परिवार के सभी भाई बहनों को हार्दिक नमन वंदन करता हूँ और सभी से प्यार भरा आशीर्वाद का कामना करता हूँ, परम पूज्य गुरुदेव परम वंदनीय माता दी एवं माँ गायत्री के चरणों में सत सत प्रणाम करता हूँ 🙏
पूज्य गुरुदेव की कृपा बनी रहे जय गुरुदेव जय माता दी जय माँ गायत्री🙏 शुभ रात्रि
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अरुण त्रिखा:
I) सबसे पहले तो हम आदरणीय रेणु श्रीवास्तव जी का कमेंट आपके साथ शेयर करना चाहेंगें, आप सबने देख भी लिया होगा लेकिन फिर भी हम यहाँ copy -paste कर रहे हैं:
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ऊँ श्री गुरुसत्तायै नमः।सभी सहयोगियों को सादर नमन एवं हार्दिक धन्यवाद।अरुण त्रिखा भाईजी के अथक प्रयास से आँख खुलते ही ज्ञान प्रसाद हमें प्राप्त होता है।इससे हमारे ज्ञान की वृद्धि के साथ सहकारिता की भावना का विकास भी होता है तथा समय का सदुपयोग भी।
एक कमी जो मुझे महसूस होती है कि कई सहयोगी सिर्फ emoji डालते हैं या like करते है। like के साथ यदि कमेंट में जयगुरूदेव ही लिखे तो उत्तम होगा।ये मेरी व्यक्तिगत विचार है।हो सकता है आपको पसंद न आये तो क्षमा चाहूंगी। सविता देवता की प्रथम किरणें आप सभी के जीवन को प्रकाशित कर खुशियों से भर दे,आप सभी का दिन मंगलमय हो यही कामना है।
II) 27 दिसंबर 2021 को हमने एक full length लेख लिखा था जिसमें हमने फेसबुक के नियमों और चलंत प्रथाओं पर विस्तार से बात की थी। आप सभी ने तो इस लेख को सराहा ही था लेकिन यह कई जगह शेयर भी हुआ था और आज तक शेयर हो रहा है। इस लेख की popularity का प्रमाण 24 आहुति संकल्प सूची है जिसमें 12 लोग शामिल थे। इस लेख की सबसे महत्वपूर्ण बात थी
“किसी की मृत्यु पर like button, तालियों वाले emoji पोस्ट करना, ग्रेट पोस्ट ,ग्रेट पिक्चर इत्यादि “
ऐसे कमैंट्स हमें कई दिनों से कचोट रहे थे तो हमने आपसे , अपने परिवार से शेयर करके अपना ह्रदय थोड़ा क्लियर कर लिया था। ठीक उसी तरह की स्थिति अभी कुछ पूर्व फिर सामने आयी तो मन द्रवित हो उठा। उस दिवंगत आत्मा के लिए ,उस व्यक्तित्व के लिए जिसने सात दशकों तक बॉलीवुड में संगीत दिया और “लम्हे” और “चांदनी” जैसी सुपरहिट movies उनकी कला से सुशोभित हुई। नाम है पंडित शिव कुमार शर्मा। वैसे तो हम फेसबुक पर इतना सक्रीय नहीं हैं लेकिन ऐसे सन्देश मिस करना हमारा अंतरात्मा के विरुद्ध है। जब यह पोस्ट देखी तो 11 में से 8 कमेंट पहले हो चुके थे। किसी कमेंट में भी इस महान आत्मा की मृत्यु का वर्णन नहीं था। सभी लोग उस फोटो को देख कर कमेंट किये जा रहे थे जिसमें स्वगीय शिव कुमार जी के साथ एक फोटो शेयर हुई थी। इसका स्क्रीनशॉट भी हम फोटोज में शेयर कर रहे हैं कृपया देख लें। लगभग 76 लोगों ने इस फोटो को लाइक किया है। हमारे कमेंट के बावजूद( जिसमें मृत्यु का लिंक दिया था ) किसी ने कोई परवाह न की और like पे like चढ़ाते रहे, न ही किसी ने अपने दिए हुए कमैंट्स को करेक्ट करने की परवाह की, न ही sorry फील किया। और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह थी कि जिसने यह फोटो शेयर की थी वह पिछले कई वषों से IIT में प्रोफेसर की पदवी पर कार्यरत हैं। यह है आज के सोशल मीडिया का हमारी अंतरात्मा का आक्रमण। हम कितना नपुंसक हो चुके हैं ? आतंकवाद या cyber crime की बात तो बहुत ही सीरियस है लेकिन यह भी कोई कम सीरियस नहीं है। किस मुँह से हम अपने बच्चों को, नन्हे मुन्नों को सोशल मीडिया के लाभ हानि पर प्रवचन दे सकते हैं ,लेकिन हम दे रहे हैं। So -called, modern, progressive मानव ने मानवता को जिस विनाश की ओर धकेला है हम सब देख रहे हैं। आज का मानव समय ,जो सबसे मूल्यवान है, के आभाव में जी रहा है। शायद एक भी मनुष्य न मिले जो यह न कहता हो कि “मेरे पास समय कहाँ है ?”
हम रेणु बहिन जी से 100 % सहमत हैं कि समय निकाल कर, ज्ञानप्रसाद को आदर सम्मान देते हुए, श्रद्धापूर्वक कमेंट किया जाये। यह ज्ञानप्रसाद कोई सामान्य लेख नहीं हैं, हमारे गुरु की आत्मा से निकले हुए शब्द हैं, उनकी दिव्य उँगलियों ने अमृत लिखा है।
इन्ही शब्दों के साथ अपनी लेखनी को विराम देते हुए आपसे सोमवार को मिलने की कामना करते हैं।
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में रेणु श्रीवास्तव, संध्या कुमार और पूनम कुमारी 32 अंक प्राप्त करके गोल्ड मैडल विजेता घोषित होते हैं ,तीनों को हमारी व्यक्तिगत और परिवार की सामूहिक बधाई। धन्यवाद्