सप्ताह का एक दिन पूर्णतया अपने सहकर्मियों का, स्पेशल सेगमेंट का शीर्षक “ हमारे सहकर्मियों की कलम से में परिवर्तित करने का प्रयास किया है ,हो सकता है आपको यह शीर्षक पसंद आये। सभी से करबद्ध निवेदन है कि इस सेगमेंट का शीर्षक ढूढ़ने में हमारी सहायता करें ,हम जानते हैं कि आप सब बहुत ही प्रतिभाशाली हैं।
आज 5 सहकर्मियों की कलम इस सेगमेंट को सुशोभित कर रही है। शब्द सीमा के कारण जो शामिल नहीं किये जा सके, आने वाले अंकों में शामिल करने का प्रयास करेंगें।
बाकि अनुभूतियाँ,अनुभव तो आप स्वयं ही पढेंगें लेकिन सरविन्द भाई साहिब का एक्सीडेंट होना और गुरुदेव द्वारा उन्हें बाल-बाल बचाना हम सबको अपने गुरुदेव के प्रति और भी परिपक्प आस्था अनुभव कराता है। जब हम आज का यह स्पेशल सेगमेंट compile करने में व्यस्त थे तो सरविन्द जी की यह जानकारी व्हाट्सप्प पर प्राप्त हुई, समय के अभाव और involvement के कारण रिप्लाई भी न कर सके ,क्षमा प्रार्थी हैं। जब हम सब भाई साहिब के साथ हैं और गुरुदेव का संरक्षण है कैसे कुछ गलत हो सकता है।
1)सरविन्द कुमार जी की घटना :
ॐ श्री गुरुवे नमः l आदरणीय अरुन भइया जी हम आपको बहुत ही श्रद्धा व आदर के साथ अवगत कर रहे हैं कि आज हम अपने व्यवसाय के सिलसिले में अपनी बाईक से पास ही के एक गाँव जा रहे थे तो कुछ ही दूर रास्ते में एक ट्रक मिला जिसे हम ओवरटेक कर रहे थे, लेकिन रास्ता खराब होने के कारण हमारी बाईक अनियंत्रित हो गई और हम लगभग 10 फुट गहरे खड्ड में गिरने से बाल-बाल बच गए, जबकि बचने की कोई सम्भावना नहीं थी। ऐसा आभास हुआ कि परम पूज्य गुरुदेव ने बाईक को खड्ड में गिरने से स्वयं बचा लिया हो। बाईक में वजन भी काफी था जिसे हम बिल्कुल सँभाल नहीं सकते थे। परंतु परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि व आप सबके आशीर्वाद से हम बच गए l सचमुच में परम पूज्य गुरुदेव अपने बच्चों का हमेशा ध्यान रखते हैं l यह हम सबका परम सौभाग्य है जो कि हम सबको ऐसे श्रेष्ठ व महान गुरु का संरक्षण प्राप्त हो रहा है और ऐसे गुरु सत्ता को हम सब पाठकगण व सहकर्मी भाई बहन शत-शत नमन वन्दन करते हैं l धन्यवाद l जय गुरुदेव जय माता दी सादर प्रणाम शुभरात्रि l
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2)कुमोदनी गौरहा जी की प्रस्तुति :
i) हमारे गुरु देव महाकाल के अवतारी थे। उनका कहा कोई भी शब्द बेकार नहीं होता है तो गोइन्दका जी को उनके विचारों से सहमत तो होना ही था। गुरुदेव अक्सर कहा करते थे समय रहते सुधर जाओ वरना समय सुधार देगा। हो भी यही रहा है , दहेज लोभियों को आज घर-घर जाकर लड़की मांगना पड़ रहा है। मृतकभोज के समर्थक तीर्थों में जाकर मृतक संस्कार सम्पन्न करवा रहे हैं। समय सभी का कान खींचकर वहीं सब करवा रहा है जो किसी समय गुरुदेव और उनके सिद्धांतों पर चलने वाले शिष्यों का खूब हंसी उड़ाते थे।
मेरी बड़ी बहन मीना दुबे का बेटा 8,9 साल का रहा होगा तभी से अखण्ड ज्योति के पन्नों को पलट- पलट कर कुछ-कुछ पढ़ते रहता था। एक दिन मेरी मां यानि अपनी नानी के पास आया और कहने लगा: “नानी-नानी, सुनो न, गुरुदेव अखण्ड ज्योति में क्या लिखें हैं। पानी बोतलों में बिकेगा। ऐसे कैसे हो सकता है नानी ?” मां बोली: “हमारे गुरु महाकाल के अवतार हैं बेटा, हो सकता है गुरुजी भविष्य को देख रहे हों।” उस समय तों ज्ञानू चुप रहा लेकिन अभी कुछ दिन पहले ऐसे ही सब बैठे थे, गुरुदेव की चर्चा हो रही थी तो ज्ञानू 40 साल पहले की पत्रिका में पढ़ी हुई बोतलमें पानी बिकने वाली भविष्यवाणी सभी को बता रहा था। गुरुदेव की हर भविष्यवाणी आज सत्य साबित हो रही है। कोई माने या ना माने हम तो मानते हैं भाई, हमारे गुरु महाकाल थे। कोटि कोटि प्रणाम
बहिन कुमोदनी जी लिखती हैं कि उनकी मीना दीदी के तीन बच्चे हैं ,दो बेटे और एक बेटी। ज्ञानप्रकाश (ज्ञानू), 85 वर्षीय नाना का औरहम सबकी बहिन कुमोदानी का बहुत ही ख्याल रखता है एवम बहुत संस्कारवान है।
ii) गुरुदेव ने जो त्याग और बलिदान दिया है उसकी महिमा का बखान कर पाना संभव ही नहीं है। गुरुदेव तों महाकाल के अंश थे उनके लिए कुछ भी असम्भव नहीं था पर उस मां की दशा क्या होती रही होगी जो अपने लाडले को जन्म से ही तपते देख रही थी 24 -24 साल की महापुरश्चरण जैसी कठिन तपस्या, फिर कुछ दिन बाद 24 दिन का जल उपवास।
1976 में जब गुरुदेव जल उपवास किए तो मेरी बड़ी बहन (मीना दुबे) शान्तिकुंज में ही देव कन्या प्रशिक्षण में थी। उसका प्रशिक्षण समाप्त होने का समय आ गया था। पिता राजाराम जी दुबे ने जब घर वापस लाने को माता जी से स्वीकृति मांगी तों मेरी बहन फूट-फूटकर रोने लगी और उसने पिताजी को पत्र लिखा। आप मेरे जन्मदाता पिता है किन्तु गुरुदेव मेरे कर्मदाता पिता हैं । हे मेरे जन्मदाता पिता, मेरे कर्म दाता पिता विश्व कल्याण के लिए विषपान कर रहे हैं, मेरी दृष्टि में मेरे गुरुदेव अभी बीमार हैं, एक बेटी अपने बीमार पिता को छोड़कर कैसे जा सकती है। अरुण भाई साहब मैं उस समय बारह साल की थी, मुझे अच्छी तरह याद है हमारे घर में उस पत्र को पढ़कर सभी रोने लगे थे । इस तरह गुरुदेव के उपवास तोड़ने के बाद ही मेरी दीदी घर वापस आयी थी । मेरी बहन बताती थी जल उपवास के दौरान गुरुदेव काला कंबल ओढ़े रहते थे फिर भी उनके शरीर से आग जैसा तेज़ आभा निकलती थी । सभी बारी-बारी से जाते और प्रणाम करके आते थे । मुझे शुरू से ही गुरुदेव के ऊपर अपार श्रद्धा थी इसलिए हर बात को ध्यान से सुनती रहती थी । समयानुसार प्रसंग याद आते रहती है जिसे शेयर करती हूं जय गुरुदेव
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3) राज कुमारी कौरव जी की प्रस्तुति :
हमारी अति समर्पित एवम regular सहयोगी आदरणीय राज कुमारी कौरव अपने पति के राम नारायण कौरव के साथ युगतीर्थ शांतिकुंज और केदारनाथ यात्रा पर हैं। उन्होंने कितने ही फोटो भेजी हैं ,सभी को यहाँ शेयर करना संम्भव नहीं है। हाँ नया स्वागत कक्ष जो गेट नंबर 5 से प्रवेश करके लोपा मुद्रा भवन के ग्राउंड फ्लोर पर है , उसकी फोटो आपकी जानकारी के लिए शेयर कर रहे हैं।
कुछ समय पूर्व बहिन जी विचार व्यक्त किये थे, उन्हें भी शेयर कर रहे हैं। शांतिकुंज गढ़ने की टकसाल है दानव से मानव और मानव से देवता बनाने की टकसाल में लाखों करोड़ों आत्माओं का जीवन परिवर्तित हो गया। हम सोचते थे कि कभी गुरुदेव की कृपा होगी तो शांतिकुंज में शिविर करेंगे। हमारे गुरुदेव तो करूणा सागर कृपा निधान है उन्होंने घर बैठे ही सत्र करवा दिए।
2020में लाकडाउन के समय हम दोनों पति-पत्नी ने दो शिविर किये।
1अंतः ऊर्जा सत्र
2पंचकोष जागरण,मौन कुटी साधना।
साधना शांतिकुंज के नियम निर्देशों का पालन करते हुए की। साधना के दौरान कई अनुभूतियां हुई। हमारे जीवन में जो उथल-पुथल थी वो समाप्त हो गई विचारों में काफी परिवर्तन आया।जब घर बैठे साधना का इतना फल मिला तो शांतिकुंज और पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में साधना करने वाली वो दिव्य देवात्मा ही होंगी।
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4) पंकज पटेल :
हमारे सहकर्मी पंकज पटेल जो शिकागो USA के निवासी हैं गायत्री के बहुत ही समर्पित साधक हैं। जुलाई 2017 में Kingston Canada में हमारी उनके साथ मुलाकात हुई जब शांतिकुंज से श्रेध्य डॉक्टर साहिब अपनी टीम के साथ 5 दिन के यूथ कैंप में यहाँ आये थे। उन्होंने हमें रामनौमी समारोह के कुछ चित्र भेजें हैं जिनमें से एक हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं। शिकागो का गायत्री शक्तिपीठ North America का प्रथम गायत्री शक्तिपीठ है। जो भी कोई इस शक्तिपीठ बारे में और अधिक जानना चाहता हो इस लिंक को क्लिक कर सकता है http://gayatrigyanmandir.org/
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5) रेणु श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति :
गुरुदेव स्वयं भगवान थे या अवतारी पुरुष कह सकते हैं वे एक साथ 5 जगह उपस्थित हो सकते हैं। बन्द कमरे में साधना करते हुये हिमालय प्रवास में जा सकते हैं। इस तरह अनगिनत अनुभव पढ़े जा सकते हैं। जो हमारे गुरु को नहीं जानते किंवदंती ही लगेगा।उदाहरण के लिये मैं भी एक अनुभूति लिखना चाहूंगी जो मैंने कहीं पढ़ी है। कोई होम्योपैथी डॉक्टर गुरुदेव के शिष्य थे। गुरुजी ने उन्हे 40 दिनों का सारे अनुशासन का पालन करते हुए एकान्त रहकर गायत्री साधना करने को कहा। सवा करोड़ या सवा लाख मुझे स्मरण नहीं है। यह उनके लिये कठिन था पर गुरुदेव ने कहा मैं संभाल लूंगा। वहां एक सज्जन थे जिनकी माताजी को डॉक्टर साहब पर बहुत आस्था थी। जब वह साधना में थे तेा किसी से नहीं मिलते थे। एक दिन वे सज्जन अपने माताजी के लिये दवा लेने आये पर कम्पाउन्डर ने कहा वे अभी नहीं मिलेंगे।वह सज्जन नाराज होकर चले गये। घर पहुँचने पर उनकी माता जी ने बताया कि डॉक्टर साहिब दवा दे गये हैं तथा कितनी बार लेना है यह भी बता गये हैं । स्वयं गुरुजी को अपने शिष्य की रक्षा के लिये सशरीर डा.के रूप में आना पड़ा। धन्य हैं हमारे गुरु। जब डा.साहब को इस घटना की जानकारी हुई तो बहुत ग्लानि महसूस किया। कुछ समय बाद VOLUNTARY रिटायरमेंट लेकर समर्पित कार्यकर्ता के रूप में गुरु चरणों में समर्पित हो गये।
रेणु श्रीवास्तव जी के शब्द गायत्री धाम सेंधवा के बारे में:
कोरोना काल के आक्रमण के कारण शान्ति कुंज से प्रशिक्षण शिविर और सत्र बन्द कर दिये गये थे। कुछ तो ऑन लाइन चल रहे थे । शान्तिकुंज के तत्वावधान में गायत्री धाम सेंधवा जो म.प्र.में स्थित है, उसे शान्तिकुंज का ही छोटा प्रारूप कहना अतिशयोक्ति नहीं है। वहाँ समय-समय पर अनुष्ठान आदि का कार्यक्रम चलता रहता है। मास परायण साधना,चान्द्रायण व्रत साधना, 40 दिवसीय अनुशासित साधना, प्रातः योग, हवन, जप तथा आवास भोजन की सुविधा है। वहाँ के संचालक पाटीदार जी हैं। उनके निर्देशन में गुरुदेव की कृपा से सारे संस्कार भी सम्पन्न होते हैं । साधना के समय गुरुदेव का साहित्य PDF में तथा प्रतिदिन की समय सारिणी online भेजा जाता था ताकि साधकों को कोई परेशानी न हो। मैंने भी श्रावण मास 40 दिनों की साधना online ही की थी। एक समय सात्विक भोजन तथा फल,जूस ,छाछ आदि लेने का निर्देश था।
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6 मई 2022, की 24 आहुति संकल्प सूची:
युगतीर्थ शांतिकुंज की वीडियो के अमृतपान के उपरांत 5 समर्पित सहकर्मियों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया : (1 )अरुण वर्मा -33, (2 ) सरविन्द कुमार-26, (3) संध्या कुमार -29, (4) प्रेरणा कुमारी-25, (5) रेणु श्रीवास्तव -30
इस सूची के अनुसार अरुण वर्मा जी आज फिर गोल्ड मैडल विजेता हैं उन्हें हमारी व्यक्तिगत और परिवार की सामूहिक बधाई।
सभी सहकर्मी अपनी-अपनी समर्था और समय के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिनका हम हृदय से नमन करते हैं, आभार व्यक्त करते हैं और जीवनपर्यन्त ऋणी रहेंगें। धन्यवाद्
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समापन जय गुरुदेव